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Sunita D Prasad

# अंतिम कविताएँ..

अंतिम कविताओं में 
जब रह जाएँगी 
संवेदनाओं की 
कोरी औपचारिकताएँ..
तब कविताओं के 
सब्र का बाँध टूट जाएगा 
और उसमें निहित शब्द 
स्वतः ही पन्नों से निकल 
आ खड़े होंगे..
कवि के समक्ष,
जानने के लिए..
अपनी ही 
उत्पत्ति का उद्देश्य..!!
वे पूछेंगे..कि क्या..
भावों के दोहन से 
'उद्वेलित' शब्दों का स्थान
'अनुभूतिहीन' शब्द, ले पाएँगे..?

बढ़ते कवियों/ कविताओं....
और अल्प होती,संवेदनाओं के मध्य
#कविताएँ# कैसे बचा पाएँगी
अपनी सुकोमल-सुमधुर भावनाएँ..!!
क्या भावविहीन शब्दों का
तब रह जाएगा.. 
कोई औचित्य ..??
क्या कविताओं का अस्तित्व 
तब ले रहा होगा..अंतिम श्वास..??

--सुनीता डी प्रसाद💐💐  # अंतिम कविताएँ..

अंतिम कविताओं में 
जब रह जाएँगी 
संवेदनाओं की 
कोरी औपचारिकताएँ..
तब कविताओं के 
सब्र का बाँध टूट जाएगा

# अंतिम कविताएँ.. अंतिम कविताओं में जब रह जाएँगी संवेदनाओं की कोरी औपचारिकताएँ.. तब कविताओं के सब्र का बाँध टूट जाएगा

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Kavi Narendra Gurjar

 "तू लाचार नहीं"
 (कविता)

हे नारी, तू सारे जग की
उत्पत्ति का आधार,
दैवीय गुण शक्ति का स्वरूप
तू ही संतानों में दे संस्कार,
तू नहीं भोग-विलास

"तू लाचार नहीं" (कविता) हे नारी, तू सारे जग की उत्पत्ति का आधार, दैवीय गुण शक्ति का स्वरूप तू ही संतानों में दे संस्कार, तू नहीं भोग-विलास #kavita #nojotophoto #savegirl #JusticeForPriyankaReddy #kavi_nagendra_gurjar #RIPmanishaValmiki #JusticForManishaValmiki #Balrampur #RipManisha #ripancha #aanchalbalrampur

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KUNWA SAY

आज रविवार है यानी सूर्य देव का दिन। वेदों में सूर्य को जगत की आत्मा कहा गया है। पृथ्वी का जीवन सूर्य से ही है। वैदिक काल में सारे जगत के कर्

आज रविवार है यानी सूर्य देव का दिन। वेदों में सूर्य को जगत की आत्मा कहा गया है। पृथ्वी का जीवन सूर्य से ही है। वैदिक काल में सारे जगत के कर् #फ़िल्म

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Geetika Chalal

वह स्वयं संपूर्ण संसार है

पावन प्रेम-नदी के तट पर,
आशाओं की कुटिया में रहे वो।
आजीवन हर माह, हर ऋतु में 
मंगल कामना की जाप करे वो।

अनेक प्रतिमाओं को नमन कर,
एक ही प्रार्थना सदैव करती है।
सुदूर अपने दीप के लिए,
हर मंदिर पर दीप प्रज्वलित करती है।

ईश्वर ने प्रत्येक युग में, प्रत्येक जीव में
बनाया जीवनदात्री इस पात्र को।
प्रथम श्वास से प्रथम मार्गदर्शक तक
सारथी बनी स्वयं अनादि वो।

कोसों दूर बस रहे अपने प्राणों को
अब घर के जलते दीप में ढूंढती है।
दृष्टि अटकी रहे सदैव, उस प्रकाश में
जो वृद्ध आशाओं को सुख देती है।

झोली में प्रेम का सागर भरा है।
प्रेम रहित हो जाना, ना जाने वो।
अविरल ताप में शीतल चंदन बन जाये जो
केवल निस्वार्थ प्रेम करना ही जाने वो।

वह शक्ति, वह स्नेह मूरत - ' जननी ' है।
उत्पत्ति का आधार है।
हमने पद - ' माँ ' दिया है किंतु
वह स्वयं संपूर्ण संसार है। (गीतिका चलाल) 
@geetikachalal04

©Geetika Chalal वह स्वयं संपूर्ण संसार है।

by-  गीतिका चलाल
Geetika Chalal

वह स्वयं संपूर्ण संसार है।

पावन प्रेम-नदी के तट पर,

वह स्वयं संपूर्ण संसार है। by- गीतिका चलाल Geetika Chalal वह स्वयं संपूर्ण संसार है। पावन प्रेम-नदी के तट पर, #Love #Thoughts #माँ #MothersDay #Care #poem #GeetikaChalal

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Divyanshu Pathak

जातियाँ ( समय के गर्त में और गर्भ में )
1. राजपूत 🗡🏹

वेद,उपनिषद,स्मृति और हमारे प्राचीन ग्रंथों में 'जाति' को प्राथमिकता नहीं दी गई थी।'राजपूत' शब्द की उत्पत्ति संस्कृत के 'राजपुत्र' से हुई है।जब चीनी यात्री ह्वेनसांग भारत आया तो उसने भी यहाँ के राजाओं को 'क्षत्रिय' लिखा और कहीं कहीं राजपूत कहा।श्री जगदीश सिंह गहलोत ने लिखा है कि- "मुसलमानों के आक्रमण से पहले यहाँ के राजा 'क्षत्रिय' कहलाते थे।बाद में इनका बल टूट गया तो स्वतंत्र राजा के स्थान पर सामन्त, नरेश बनकर रह गए।इसी समय में ही शासक राजाओं के लिए 'राजपूत' या 'रजपूत' शब्द सम्बोधन के लिए प्रयोग में लिया जाने लगा।आठवी शताब्दी तक इस शब्द का प्रयोग कुलीन क्षत्रियों के लिए किया जाता था।चाणक्य,कालिदास और बाणभट्ट के 'राजपुत्र' मुसलमानों के समय अपने राज्य खो कर 'राजपूत'बन गए। राजपूतों की उत्पत्ति का प्रश्न वैसे तो अभी तक विवादास्पद बना हुआ है फिर भी वे स्वयं को वैदिक आर्यों से जोड़कर सूर्य और चंद्रवंशी बताते हैं।कह

राजपूतों की उत्पत्ति का प्रश्न वैसे तो अभी तक विवादास्पद बना हुआ है फिर भी वे स्वयं को वैदिक आर्यों से जोड़कर सूर्य और चंद्रवंशी बताते हैं।कह #yqbaba #yqdidi #yqhindi #पाठकपुराण #राजस्थान_के_इतिहास_की_झलकियाँ_1

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Vikas Sharma Shivaaya'

आज रविवार है और आज का दिन सूर्यदेव को समर्पित होता है- कहा जाता है कि सूर्यदेव जगत की आत्मा है- इस पृथ्वी पर जीवन सूर्य से ही है- इसी को सर्वमान्य सत्य कहा गया है- जगत के कर्ता-धर्ता भी सूर्य को ही माना गया है-ऋग्वेद के देवताओं में  सूर्य का महत्वपूर्ण स्थान है, सूर्योपनिषद में सूर्य को ही संपूर्ण जगत की उत्पत्ति का एक मात्र कारण निरूपित किया गया है !
भगवान सूर्य मंत्र:
ॐ घृ‍णिं सूर्य्य: आदित्य

कालभैरव (शाब्दिक अर्थ- 'जो देखने में भयंकर हो' या जो भय से रक्षा करता है ; भीषण ; भयानक) हिन्दू धर्म में शिव के अवतार माने जाते हैं- शैव धर्म में, कालभैरव शिव के विनाश से जुड़ा एक उग्र अवतार हैं-त्रिक प्रणाली में भैरव परम ब्रह्म के पर्यायवाची, सर्वोच्च वास्तविकता का प्रतिनिधित्व करते हैं!

भैरव शिव के गण और पार्वती के अनुचर माने जाते हैं ... पुराणों में भगवान भैरव को असितांग, रुद्र, चंड, क्रोध, उन्मत्त, कपाली, भीषण और संहार नाम से भी जाना जाता है- भगवान शिव के पांचवें अवतार भैरव को भैरवनाथ भी कहा जाता है, नाथ सम्प्रदाय में इनकी पूजा का विशेष महत्व है !

साधारण मंत्रों के बारे में लगभग सब लोग जानते हैं, मगर शाबर मंत्रों के बारे में बहुत कम लोग जानते हैं। ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार हिंदू धर्म के प्रत्येक देवी-देवताओं को शाबर मंत्र समर्पित है। 
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शाबरों मंत्रों की रचना मत्सयेंद्रनाथ के शिष्य गुरु गोरखनाथ ने की थी। बताया जाता है कि शाबर मंत्र बहुत ही सरल भाषा में होते हैं परंतु सटीक होते हैं। शाबर मंत्र बहुत जल्दी अपना शुभ असर दिखाते हैं लेकिन इनका जप करते समय सावधानी बरतना अधिक आवश्यक माना जाता है, अगर इन मंत्रों का जप करते समय नियमों का पालन न किया जाए तो परिणाम उल्टा हो जाता है। 

सिद्ध शाबर मंत्र:
ॐ काला भैरू, कपिला केश। काना कुंडल भगवा वेष।
तीर पतर लियो हाथ, चौसठ जोगनिया खेले पास।
आस माई, पास माई। पास माई सीस माई।
सामने गादी बैठे राजा, पीडो बैठे प्राजा मोहे।
राजा को बनाऊ कुकडा। प्रजा बनाऊ गुलाम।
शब्द सांचा, पींड काचा। राजगुरु का बचन जुग जुग साचा।
सतनाम आदेश गुरुजी को आदेश आदेश।

विष्णु सहस्रनाम(एक हजार नाम)आज 111 से  121 नाम :-

111 पुण्डरीकाक्षः हृदयस्थ कमल में व्याप्त होते हैं
112 वृषकर्मा जिनके कर्म धर्मरूप हैं
113 वृषाकृतिः जिन्होंने धर्म के लिए ही शरीर धारण किया है

114 रुद्रः दुःख को दूर भगाने वाले
115 बहुशिरः बहुत से सिरों वाले
116 बभ्रुः लोकों का भरण करने वाले
117 विश्वयोनिः विश्व के कारण
118 शुचिश्रवाः जिनके नाम सुनने योग्य हैं
119 अमृतः जिनका मृत अर्थात मरण नहीं होता
120 शाश्वतः-स्थाणुः शाश्वत (नित्य) और स्थाणु (स्थिर)
121 वरारोहः जिनका आरोह (गोद) वर (श्रेष्ठ) है

🙏बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय🌹

©Vikas Sharma Shivaaya' आज रविवार है और आज का दिन सूर्यदेव को समर्पित होता है- कहा जाता है कि सूर्यदेव जगत की आत्मा है- इस पृथ्वी पर जीवन सूर्य से ही है- इसी को सर्

आज रविवार है और आज का दिन सूर्यदेव को समर्पित होता है- कहा जाता है कि सूर्यदेव जगत की आत्मा है- इस पृथ्वी पर जीवन सूर्य से ही है- इसी को सर् #समाज

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प्रेम शंकर "नूरपुरिया"

उत्पत्ति

उत्पत्ति #कविता

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परमेश्वर के वचन का प्रचार

1 आदि में परमेश्वर ने आकाश और पृथ्वी की सृष्टि की। 
उत्पत्ति 1:1

2 और पृथ्वी बेडौल और सुनसान पड़ी थी; और गहरे जल के ऊपर अन्धियारा था: तथा परमेश्वर का आत्मा जल के ऊपर मण्डलाता था। 
उत्पत्ति 1:2

3 तब परमेश्वर ने कहा, उजियाला हो: तो उजियाला हो गया। 
उत्पत्ति 1:3

4 और परमेश्वर ने उजियाले को देखा कि अच्छा है; और परमेश्वर ने उजियाले को अन्धियारे से अलग किया। 
उत्पत्ति 1:4

5 और परमेश्वर ने उजियाले को दिन और अन्धियारे को रात कहा। तथा सांझ हुई फिर भोर हुआ। इस प्रकार पहिला दिन हो गया॥ 
उत्पत्ति 1:5

6 फिर परमेश्वर ने कहा, जल के बीच एक ऐसा अन्तर हो कि जल दो भाग हो जाए। 
उत्पत्ति 1:6

7 तब परमेश्वर ने एक अन्तर करके उसके नीचे के जल और उसके ऊपर के जल को अलग अलग किया; और वैसा ही हो गया। 
उत्पत्ति 1:7

8 और परमेश्वर ने उस अन्तर को आकाश कहा। तथा सांझ हुई फिर भोर हुआ। इस प्रकार दूसरा दिन हो गया॥ 
उत्पत्ति 1:8

9 फिर परमेश्वर ने कहा, आकाश के नीचे का जल एक स्थान में इकट्ठा हो जाए और सूखी भूमि दिखाई दे; और वैसा ही हो गया। 
उत्पत्ति 1:9

10 और परमेश्वर ने सूखी भूमि को पृथ्वी कहा; तथा जो जल इकट्ठा हुआ उसको उसने समुद्र कहा: और परमेश्वर ने देखा कि अच्छा है। 
उत्पत्ति 1:10

11 फिर परमेश्वर ने कहा, पृथ्वी से हरी घास, तथा बीज वाले छोटे छोटे पेड़, और फलदाई वृक्ष भी जिनके बीज उन्ही में एक एक की जाति के अनुसार होते हैं पृथ्वी पर उगें; और वैसा ही हो गया। 
उत्पत्ति 1:11

12 तो पृथ्वी से हरी घास, और छोटे छोटे पेड़ जिन में अपनी अपनी जाति के अनुसार बीज होता है, और फलदाई वृक्ष जिनके बीज एक एक की जाति के अनुसार उन्ही में होते हैं उगे; और परमेश्वर ने देखा कि अच्छा है। 
उत्पत्ति 1:12

13 तथा सांझ हुई फिर भोर हुआ। इस प्रकार तीसरा दिन हो गया॥ 
उत्पत्ति 1:13

14 फिर परमेश्वर ने कहा, दिन को रात से अलग करने के लिये आकाश के अन्तर में ज्योतियां हों; और वे चिन्हों, और नियत समयों, और दिनों, और वर्षों के कारण हों। 
उत्पत्ति 1:14

15 और वे ज्योतियां आकाश के अन्तर में पृथ्वी पर प्रकाश देने वाली भी ठहरें; और वैसा ही हो गया। 
उत्पत्ति 1:15

16 तब परमेश्वर ने दो बड़ी ज्योतियां बनाईं; उन में से बड़ी ज्योति को दिन पर प्रभुता करने के लिये, और छोटी ज्योति को रात पर प्रभुता करने के लिये बनाया: और तारागण को भी बनाया। 
उत्पत्ति 1:16

17 परमेश्वर ने उन को आकाश के अन्तर में इसलिये रखा कि वे पृथ्वी पर प्रकाश दें, 
उत्पत्ति 1:17

18 तथा दिन और रात पर प्रभुता करें और उजियाले को अन्धियारे से अलग करें: और परमेश्वर ने देखा कि अच्छा है। 
उत्पत्ति 1:18

19 तथा सांझ हुई फिर भोर हुआ। इस प्रकार चौथा दिन हो गया॥ 
उत्पत्ति 1:19

20 फिर परमेश्वर ने कहा, जल जीवित प्राणियों से बहुत ही भर जाए, और पक्षी पृथ्वी के ऊपर आकाश के अन्तर में उड़ें। 
उत्पत्ति 1:20

21 इसलिये परमेश्वर ने जाति जाति के बड़े बड़े जल-जन्तुओं की, और उन सब जीवित प्राणियों की भी सृष्टि की जो चलते फिरते हैं जिन से जल बहुत ही भर गया और एक एक जाति के उड़ने वाले पक्षियों की भी सृष्टि की: और परमेश्वर ने देखा कि अच्छा है। 
उत्पत्ति 1:21

22 और परमेश्वर ने यह कहके उनको आशीष दी, कि फूलो-फलो, और समुद्र के जल में भर जाओ, और पक्षी पृथ्वी पर बढ़ें। 
उत्पत्ति 1:22

23 तथा सांझ हुई फिर भोर हुआ। इस प्रकार पांचवां दिन हो गया। 
उत्पत्ति 1:23

24 फिर परमेश्वर ने कहा, पृथ्वी से एक एक जाति के जीवित प्राणी, अर्थात घरेलू पशु, और रेंगने वाले जन्तु, और पृथ्वी के वनपशु, जाति जाति के अनुसार उत्पन्न हों; और वैसा ही हो गया। 
उत्पत्ति 1:24

25 सो परमेश्वर ने पृथ्वी के जाति जाति के वन पशुओं को, और जाति जाति के घरेलू पशुओं को, और जाति जाति के भूमि पर सब रेंगने वाले जन्तुओं को बनाया: और परमेश्वर ने देखा कि अच्छा है। 
उत्पत्ति 1:25

26 फिर परमेश्वर ने कहा, हम मनुष्य को अपने स्वरूप के अनुसार अपनी समानता में बनाएं; और वे समुद्र की मछलियों, और आकाश के पक्षियों, और घरेलू पशुओं, और सारी पृथ्वी पर, और सब रेंगने वाले जन्तुओं पर जो पृथ्वी पर रेंगते हैं, अधिकार रखें। 
उत्पत्ति 1:26

27 तब परमेश्वर ने मनुष्य को अपने स्वरूप के अनुसार उत्पन्न किया, अपने ही स्वरूप के अनुसार परमेश्वर ने उसको उत्पन्न किया, नर और नारी करके उसने मनुष्यों की सृष्टि की। 
उत्पत्ति 1:27

28 और परमेश्वर ने उन को आशीष दी: और उन से कहा, फूलो-फलो, और पृथ्वी में भर जाओ, और उसको अपने वश में कर लो; और समुद्र की मछलियों, तथा आकाश के पक्षियों, और पृथ्वी पर रेंगने वाले सब जन्तुओ पर अधिकार रखो। 
उत्पत्ति 1:28

29 फिर परमेश्वर ने उन से कहा, सुनो, जितने बीज वाले छोटे छोटे पेड़ सारी पृथ्वी के ऊपर हैं और जितने वृक्षों में बीज वाले फल होते हैं, वे सब मैं ने तुम को दिए हैं; वे तुम्हारे भोजन के लिये हैं: 
उत्पत्ति 1:29

30 और जितने पृथ्वी के पशु, और आकाश के पक्षी, और पृथ्वी पर रेंगने वाले जन्तु हैं, जिन में जीवन के प्राण हैं, उन सब के खाने के लिये मैं ने सब हरे हरे छोटे पेड़ दिए हैं; और वैसा ही हो गया। 
उत्पत्ति 1:30

31 तब परमेश्वर ने जो कुछ बनाया था, सब को देखा, तो क्या देखा, कि वह बहुत ही अच्छा है। तथा सांझ हुई फिर भोर हुआ। इस प्रकार छठवां दिन हो गया॥ 
उत्पत्ति 1:31

©परमेश्वर के वचन का प्रचार उत्पत्ति

उत्पत्ति #जानकारी

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Amartya Bharadwaj

#प्रेम की उत्पत्ति

#प्रेम की उत्पत्ति

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Vinod Machhar

उत्पत्ति 43 15

उत्पत्ति 43 15 #प्रेरक

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Riya

#हनुमान चालीसा की उत्पत्ति।

#हनुमान चालीसा की उत्पत्ति। #Motivational

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Shubham singh Rajput

भगवान शब्द की उत्पत्ति

भगवान शब्द की उत्पत्ति

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Shivraj Solanki

दोहा 
बारम्बार सोचत तब ,उपजे  मन  कामना
क्रोध रूप ले लेत है,  बाधित  हो कामना


शिव सुन्दर सोलंकी ( शिवराज खटीक) #दोहा क्रोध की उत्पत्ति

#दोहा क्रोध की उत्पत्ति

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Axar

हनुमान चालीसा की उत्पत्ति।

#Nojoto

हनुमान चालीसा की उत्पत्ति। #Mythology

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Masih Bhaiyalal Solanki

जगत की उत्पत्ति से लेकर प्रभु यीशु मसीह के क्रूसीकरण तक का इतिहास

जगत की उत्पत्ति से लेकर प्रभु यीशु मसीह के क्रूसीकरण तक का इतिहास

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Pakhi Gupta

विचार से कार्य की उत्पत्ति होती है, कर्म से आदत की उत्पत्ति होती है और चरित्र से आपके भाग्य की उत्पत्ति होती है

विचार से कार्य की उत्पत्ति होती है, कर्म से आदत की उत्पत्ति होती है और चरित्र से आपके भाग्य की उत्पत्ति होती है

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Anjani Upadhyay

सिंदूर की उत्पत्ति। 
साभार-देवव्रत जोशी

सिंदूर की उत्पत्ति। साभार-देवव्रत जोशी

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Sital

मानिसलाई धन सम्पत्ति ले 
सम्पन्नता भए पनि🤨
मनमा, जिबनमा, सुख र 
शान्ति नै छैन भने त्यो धन 
सम्पत्तिको के काम हजुर?

©Sital सम्पत्ति

सम्पत्ति

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Bhupendra Padhara

रेजर की उत्पत्ती ।#हास्यगीत

रेजर की उत्पत्ती ।#हास्यगीत

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Rajeswari Rath

जिस सम्पदा और वैभव पर तुम्हारा अधिकार ना हो उसका भोग करने से सुख और शांति कभी नहीं मिलती।इसीलिए हमारे पास जो है जितना भी है उसी में हमेशा सुखी रहिए ।🙏🙏 सम्पत्ति

सम्पत्ति

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sameer

टैडी डे की उत्पत्ति।

#Nojoto #ValentinesDay #teddyday

टैडी डे की उत्पत्ति। #ValentinesDay #teddyday #Love

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Pramod Kumar

# कोरोना की उत्पत्ति एक नया दृष्टिकोण
#kavita

# कोरोना की उत्पत्ति एक नया दृष्टिकोण #kavita #कविता

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Vishala Patley

#सम्पत्ति 
#MyPenStory
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Shailendra Bhartiya

नव दम्पत्ति

नव दम्पत्ति #कॉमेडी

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वेदों की दिशा

।। ओ३म् ।।

तस्माच्च देवा बहुधा संप्रसूताः साध्या मनुष्याः पशवो वयांसि।
प्राणापानौ व्रीहियवौ तपश्च श्रद्ध सत्यं ब्रह्मचर्यं विधिश्च ॥

तथा 'उसी' से अनेकानेक देवगण उत्पन्न हुए हैं, उसी से साधुगण, मनुष्य तथा पशु-पक्षी उत्पन्न हुए हैं, प्राण तथा अपान वायु, धान तथा जौ (अन्न), तप, श्रद्धा, सत्य, ब्रह्मचर्य तथा विधि-विधानों का प्रादुर्भाव 'उसी' से हुआ है।

And from Him have issued many gods, and demigods and men and beasts and birds, the main breath and downward breath, and rice and barley, and askesis and faith and Truth, and chastity and rule of right practice.

( मुंडकोपनिषद २.१.७ ) #मुण्डकोपनिषद #उपनिषद्  #देव #उत्पत्ति #creation #god #sanatandharm #Hindu
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Sunil K Varun

#भय_नहीं_वरन_निर्भीकता उत्त्पत्ति 3:8
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Pooja Sharma

सुख और आनन्द
  मन की सम्पत्ति
जो बहुत परेशानियो
के बाद ही मिलती है

©Pooja Sharma मन की सम्पत्ति
#alone

मन की सम्पत्ति #alone #विचार

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