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MR. हुसैन
मेरे वालिद का तसर्रुफ़ है मिरा अर्ज़-ए-हुनर वर्ना मैं बज़्म-ए-अदब में नहीं पाया जाता. ✒️ ©MR. हुसैन मेरे वालिद का तसर्रुफ़ है मिरा अर्ज़-ए-हुनर वर्ना मैं बज़्म-ए-अदब में नहीं पाया जाता. ✒️
Manjeet Sharma 'Meera'
हम ज़िंदगी की राह के दरबान हो गए। कमज़ोर थे जो इल्म में सुल्तान हो गए। मल्बूस देखे क़ीमती राजा की देह पर खाली जो देखा दिल सभी हैरान हो गए। आती नहीं है ढंग से जिनको लुग़त तलक बज़्म-ए-अदब के आज वो रसखान हो गए। भूकों से पूछते हैं वो रोज़े किए शुरू ? हमने भी कह दिया कि हां रमज़ान हो गए। तुमने तो ज़र-ज़मीन से दौलत बटोर ली हम लोग प्यार करके ही धनवान हो गए। तुम क़ाफ़िया ग़ज़ल का तो मैं भी रदीफ़ हूँ जिनमें हमारा प्यार वो अरकान हो गए। 'मीरा' तेरे ख़याल में फ़िक्र-ए-सुख़न रही जो क़ाबिल-ए-अदब थे वो दीवान हो गए। #ग़ज़ल 221 2121 1221 212 🌹🌷🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹 हम ज़िंदगी की राह के दरबान हो गए। कमज़ोर थे जो इल्म में सुल्तान हो गए। मल्बूस देखे क़ीमती राजा
Somya Baranwal
थी इक...... Please read caption थी इक ज़र्रे की तरह मैं उसकी रोशनी ने कहीं मुझ में मिल कर मुझे आसमान-ए-आफ़ताब बना दिया..... थी इक बुझे हुए चिराग की तरह मैं उसकी तेज़ लौ न
waqil ahmad raza
कोई जाके कहदे निजाम से ईमान से मेरी दोस्ती है अवाम से ईमान से तुम चाह कर हरगिज़ न रोक पाओगे निकला हुआ मैं तीर हूं कमान से ईमान से ये तो सच है कि इख़लास मेरे अच्छे हैं सिर्फ अग़लात थोड़ी कहता हूं ज़बान से ईमान से वकील अहमद रज़ा ©waqil ahmad raza बज़्म ए उर्दू अदब
kαgαl ѕíng
महफिल भी रोएगी हर दिल भी रोएगा डूबी जो मेरी कश्ती तो साहिल भी रोएगा हम इतना प्यार बिखेर देंगे इस दुनिया मे कि मेरी मौत पे मेरा कातिल भी रोएगा dr.rahat indore ........anas Qurashi...... ©kαgαl ѕíng बज़्म-ए-उर्दू अदब #adventure
राजेन्द्र प्र०पासवान
हमने जब उस चाँद को देखा चाँद के आसपास कोई न था चाँद गहरी ख़ामोशी में खो गया मैं इन्तज़ार करता ही रहा । चाँद को हजारो सितारे मिले, ख़्वाबों में मैं तड़पता ही रहा चाँद को इक चाँदनी भी मिली सितारों के संग चमकता रहा । तिज़ारत बनाके मुहब्बत को ख़यालों में सबको ठगता रहा किनारे पे दिल मेरा तड़प तड़प के क़रीब उनको बुलाता रहा । इक चाँदनी के कारण ही चाँद क्यों नाम बदलकर मिलता रहा हमें हक़ीक़त की न कोई ख्वाहिश फिर भी अंधेरा बढ़ता गया । 🌼 बज़्म ए इख़लास
waqil ahmad raza
वो अभी दुनिया भुला के लौटा है..... अपनी मासूमियत को वो छुपा के लौटा है वो अभी दुनिया भुला के लौटा है उन दिनों यारी थी उसकी कई तस्वीरों से, आज तस्वीर वो सारी जला के लौटा है रोज़ मिलना था मुहब्बत की सदी मे उसका , आज बिछङा तो दिल अपना जला के लौटा है ©waqil ahmad raza बज़्म ए सुख़न
राजेन्द्र प्र०पासवान
हमने जब चाँद को देखा चाँद के आसपास कोई न था चाँद गहरी ख़ामोशी में खो गया मैं इन्तज़ार करता ही रहा । चाँद को हजारो सितारे मिले ख़्वाबों में मैं तड़पता ही रहा चाँद को इक चाँदनी भी मिली सितारों के संग चमकता रहा । तिज़ारत बनाके मुहब्बत को ख़यालों में सबको ठगता रहा किनारे पर दिल मेरा तड़प तड़प क़रीब उनको बुलाता रहा। इक चाँदनी के ही कारण चाँद क्यों नाम बदलकर मिलता रहा हमें हक़ीक़त की न कोई ख्वाहिश फिर भी अंधेरा बढ़ता गय। 🌼 बज़्म ए इख़लास
waqil ahmad raza
Maa इबादतों का करिना दिखा के ले आऊं वहां से ख़ुल्द का ज़ीना दिखा के ले आऊं मेरे करीम तू इतना नवाज़ दे मुझको मैं अपनी माँ को मदीना दिखा के ले आऊं वकील अहमद रज़ा..... ©waqil ahmad raza बज़्म ए अहमद