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anamika
तवील सी इस ज़िंदगी में सब कुछ सम्भव है खट्टा तत्सम है मीठा तद्भव है #तवील #ज़िंदगी #खट्टा #मीठा #तत्सम #तद्भव #nojotohindi
Prashant Mishra
निश्छलता का प्रारूप है 'माँ' इस धरती पे स्नेह का सच्चा स्वरूप है 'माँ' इस धरती पे दुनिया में 'माँ' के जैसा नहीं कोई दूजा है भगवान का सच्चा रूप है 'माँ' इस धरती पे --प्रशान्त मिश्रा #"माँ" का रूप
अर्पिता
आज माँ का एक रुप देखा , दिनभर बच्चों के काम किये जा रही थीं, अपनी उलझने भुलाकर उन्हें सुलझाना सीखा रही थी, अपने खट्टे मीठे अनुभवों से उन्हें जीना सीखा रही थी, अपनी सहनशीलता का परिचय जता रही थी, नामचिन चाय की चुस्कियों के साथ दिन बनाये जा रही थी, उनके हर एक पल को तराशती जा रही थी, नाजुक सी कलियों को फूल बनना सीखा रही थी, अपनी सतयुग की कहानियां इस कलयुग में सुनाए जा रही थी, अपने भोलेपन से सभी के दिलों को जीतना सिखाए जा रही थी, सिर्फ वो ही ये सब करे जा रही थीं, अपने बच्चों को प्रत्यक्षता का ज्ञान कराए जा रही थी, अपनी ही ममता को लुटाये जा रही थी, बहुत प्यार दुलार से बात किये जा रही थी, और इन्ही बातो के जरिये सब कुछ सिखाये जा रही थी, ज़िन्दगी का मतलब बताये जा रही थी, इस संसार मे अपनी महत्वता को बनाये जा रही थी, थोड़ा ध्यान से देखा तो साक्षात देवी सी प्रतीत हो रही थी।। ©अर्पिता #माँ का रूप
Dr Mangesh Kankonkar
Good Night अंधेरा जीतना घना होता है, दिया उतनाही ज्यादा रोशनी और उम्मीद देता है। ©Dr Mangesh Kankonkar उम्मीदों का उजाला
Parasram Arora
कविता कैसी भी हो उसे समझने मे कठनाई नहीं होती क्योंकि ज्यादातर रचनाओं मे आनंद वेदना प्रेम और आश्चर्य क़े भाव होते है और ये सारे भाव हर किसी मे प्रायः मौजूद ही होते हैँ अब ये बात अलग है क़ि उस रचना का जायज़ा अपनी अपनी पसंद से श्रोता या पाठक तय करते हैँ किसी को. वह रचना आध्यात्मिक यात्रा क़े लिए तैयार कर सकती है तो किसी मे प्रेम की पींगे बढ़ाने की दिलचस्पी से भर सकती है कोई विचलित या विक्षप्त श्रोता या पाठक उसे दर्शनशास्त्र का विषय बना सकता है या फिर कोई उस कविता को मधुर स्वरों मे गाकर गायक भी बन सकता है # कविता क़े रूप अरूप.......
CK JOHNY
अमावस की अंधेरी रात में उजाला है तू काल की नगरी में मेरा रखवाला है तू। तू न होता तो मैं भवधारा में बह गया होता नाम नय्या का सतगुरु मेरे खेवनहारा है तू। ठुकराया जिन्हें दुनिया ने गरीब जान कर गरीब नवाज दीन-दुखियों का सहारा है तू। बी डी शर्मा चण्डीगढ़ 17.07.2020 अमावस का उजाला