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siddharth vaidya
फिर आज उसकी याद आयी जब सब्जी में नमक कम था उसने तो चाहा था बेपनाह बेआबरू होकर अब लगता है कि मेरे ही प्यार का नमक कम था सिद्धार्थ वैद्य #नमक हराम
Kumar Rain
तू तेरे जैसा बन.. हर कोई तुम्हें खुद जैसा बनाना चाहता है ©Kumar Rain नमक हराम है लोग #darkness
Anuj Tiwari
अपने बूढ़े माँ बाप को ठोकर मार रहे हो क्या खूब सलीके से तुम उनको तार रहे हो 2 वक़्त की रोटी के लिए उनको मोहताज कर डाला गोद में जिसकी बैठ के खाया था पहला निवाला जैसा तुम करते हो वैसा ही पाओगे ईश्वर के डंडे से कैसे बच पाओगे पैसा पैसा करते करते लूट रहे माँ बाप को जितना चाहो नहीं छुपेगा जग जाहिर है पाप तो पूजा पाठ गंगा स्नान कुछ न तुमको फलेगा याद रखना ये अहंकार तुम्हारा यहीं पर जलेगा पाल पोस कर जिसने तुमको बड़ा किया उंगली पकड़कर जिसने पैरों पे खड़ा किया सहारा तो छोड़ो तुम तो उनकी लाठी तोड़ रहे हो मूरख हो जो ईश्वर से मुह मोड़ रहे हो दुआ देते हैं मां बाप तुम गाली देते हो बुरी हालत पे उनकी हंस के ताली देते हो बूढ़ी आंखों से गिरा हर आंसू राज़ खोलेगा दर्द से मां बाप के अम्बर आसमां तक डोलेगा वो फिर भी रहेंगे शांत पर उनका खून तो खौलेगा नमक हराम हैं मेरे बच्चे बस यही बोलेगा नमक हराम हैं मेरे बच्चे बस यही बोलेगा ।। नमक हराम है बच्चे मेरे ।। मेरी यह कविता बूढ़े माँ बाप की आंखों से गिरे आसुओं को समर्पित है।। #yqbaba #yqdidi #yqquotes #yqhindi #yqlove #y
yogesh atmaram ambawale
महानायक अमिताभ बच्चन ह्यांस वाढदिवसाच्या हार्दिक शुभेच्छा.. नशिबात होतं बॉलीवूडच्या.. ( Caption मधील वाचावे ) #amitabhbachchan #वाढदिवसाच्याशुभेच्छा #birthdaywishes #yqtaai #bollywood #अमिताभबच्चन आपमानीत व्हायचा सर्वांकडून ना आवाज ना तब्येत,म्हणून
BISHARAT NAQVI
लो जी *महान* *अमिताभ बच्चन* जैसी *दीवार* को भी कोरोना हो गया और यहां तुम सब, *हेरा फेरी* करके, बीस रुपये का मास्क पहनकर, *मर्द* बने घूम रहे हो,! *आनंद* ये *अग्निपथ* है,जो घर पर रुकेगा वही *शहंशाह* बनेगा, नहीं तो सोच लो कहीं *डॉन* बनने के चक्कर मे *लावारिस, अजूबा* *नमक-हराम* न बन जाओ देख लो *खुदा गवाह* है कोई भी *लावारिस* को *सूर्यवंशम* बचाने नहीं आएगा, अगर कोरोना की *जंजीर* तोड़नी है तो,इस *आखरी रास्ते* पर *मजबूर* बनकर *अकेले-अकेले* चलना है।फिर मत कहना कि *मिस्टर नटवरलाल* ने बताया नहीं। वैसे भी ये *अंधा कानून*, *काला पानी* जैसी सज़ा दे रहा है जिससे *तकदीर*, *लाल बादशाह* जैसी हरी नही, *शराबी* की *आंखें* जैसी लाल होना तय है। लो जी *महान* *अमिताभ बच्चन* जैसी *दीवार* को भी कोरोना हो गया और यहां तुम सब, *हेरा फेरी* करके, बीस रुपये का मास्क पहनकर, *मर्द* बने घूम रहे
Shikha Mishra
(Read full poem in caption 👇🏻) #yqbaba #yqdidi #yopowrimo #लिखूं #लिखने #लिखना #बोलो_क्या_लिखूँ जब भी मैं कुछ लिखने बैठती हूँ तो खून खौल जाता है मेरा, सोचती हूँ, क्
Ejaz Ahmad
सूदखोर हूँ, नमक हराम हूँ मैं नये दौर का हुक्मरान हूँ मैं क़ातिल हूँ अपनी जात का बलात्कारी हूँ, बेईमान हूँ मैं नये दौर का हुक्मरान हूँ मैं
आयुष पंचोली
आम आदमी नही जीता, जीती यहां मुफ्तखोरी हैं, समझ आ ही गया आज क्यो इस देश की जनता की रगो मे आज भी नमक हरामी ने कोई जगह नही छोडी हैं। यह देश युहिं हज़ारो वर्षो तक गुलाम रहा नही, यहाँ आस्तीन के सांपो ने ही अपनी जहर उगलने की आदत कहां छोडी हैं। भगवान करे फ़िर वही मुगलिया सल्तनत का आलम इस देश मे नजर आयें, जब माँ, बहन, बेटियों की बोली सरे बाजार लगाई जायें। शायद उस वक्त ही तुम्हे उस शख्स की कीमत समझ आयेगी, जब तुम्हारे घर मे भी, हुई कश्मीरी पँड़ीतो के साथ हुई हैवनीयत दोहराई जायेगी। आज जीती देशभक्ति नही हैं, आज अफ़जल के रखवाले जीत गयें हैं, वो जिनके लिये कसाब जैसे आतंकवादी भटके हुएँ बच्चे हैं वो अपराधी जीत गयें हैं। आज भगवा नही हारा, आज देश मे इंकलाब की हार हुई हैं, भारत के टुकड़े करने वालों के इरादे जीत गयें हैं। यही सच्चाई हैं इस तथाकथित राष्ट्रवाद की, यहां मुफ्तखोरी की लत मे बिकने लग गये हैं जमीर लोगो के, यहां जीती तो भीख हैं, मगर जमीर हार गये हैं। आज कोई धर्म नही हारा, आज कोई जाती नही हारी, आज जो असल मे हिन्दुस्तानी हैं वही हार गये हैं। ©आयुष पंचोली ©ayush_tanharaahi #kuchaisehi #ayushpancholi #hindimerijaan #ayuspiritual दिल्ली वासियों को आपकी जीत मुबारक। आम आदमी नही जीता, जीती यहां मुफ्तखोरी हैं, समझ आ ही गया आज क्यो इस देश की जनता की रगो मे आज भी नमक हरामी ने कोई जगह नही छोडी हैं। यह देश युह
Ejaz Ahmad
सूदखोर हूँ, नमक हराम हूँ मैं नये दौर का हुक्मरान हूँ मैं तुम ऐसे क्या देख रहे हो, गिरगिट नहीं हूँ मैं बस रंग बदलता हूँ लेकिन, इंसान हूँ मैं नये दौर का हुक्मरान हूँ मैं (please read in caption) ईजाज़ अहमद "पागल" 01/04/2018 सूदखोर हूँ, नमक हराम हूँ मैं नये दौर का हुक्मरान हूँ मैं क़ातिल हूँ अपनी जात का बलात्कारी हूँ, बेईमान हूँ मैं नये दौर का हुक्मरान हूँ मैं