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kt
किसी लडकी ने मुझसै कहा था कि मै पसन्द नही करती तुम जैसो को तो मैने कहा मैडम तुम आशिक ढुढती हो और हम लोगो मै अपना हमसफर ढुढते है। और तुम क्या हमे मना करोगी हम खुद ही उन लोगो से दुर हो जाते है जो हर किसी मै अपना सनम ढुढते है। 👑👑👑👑 Ek_kalamkaar_k.t ©kanak telang #नेम ऑफ़ किंग# #Morningvibes
santosh bhatt sonu
उसने कभी बताया नही उसे हम पसन्द थे दोस्ती के नाम पर अक्सर मोहब्बत का अजीब खेल खेला करती थी। मेरी नाराजगी ,मेरी डाँट, मेरे गुस्से को ना जाने क्यो वो हर पल, हर रोज बेवजह चुपचाप झेला करती थी। मैं भी उसे खोने से बिना डरे उसे सताता रहा। हम सिर्फ दोस्त है और कुछ नही उसके बिना पूछे, कोई सवाल बिना करे उसे बताता रहा। हमारे हजारों दफा नाराजगी के बाद एक दिन उसकी बारी आई नाराज होने की। हमारे लाख रूठने के बाद एक दिन उसकी बारी आई बेआवाज़ होने की। मना ना सका उसे, बार बार मनाने से भी बहुत आजमाया था उसके सब्र को अब तो डरता हूँ खुद को आजमाने से भी। उसने कभी बताया नही उसे हम पसन्द थे दोस्ती के नाम पर अक्सर मोहब्बत का अजीब खेल खेला करती थी। मेरी नाराजगी ,मेरी डाँट, मेरे गुस्से को ना जाने क्यो वो हर पल, हर रोज बेवजह चुपचाप झेला करती थी। हम उसे पसंद थे
ekhwaab
माँ का आँचल तेरे हाथो का वो खाना , सुनेहरा पल था मेरा , मेरी मुस्कान ही सब कुछ , खिलौना था मै तेरा। मेरी नीन्द ही तेरा सुकून थी, तेरा हाथ रखकर माँ,मै गहरी नीन्द था सोता , तू होती है जो पास मेरे ,तो मै कभी न रोता। न दिन देखे ना रात , मै था तेरा संसार । आज उजला सितारा, कल भी चांद मै तेरा था, आज भी चांद मै तेरा हू। #वॉर्ड ऑफ़ आ soldier
Abhishek Singh@000
j बढ़ती उम्र अपने अंदाज को बताती है और बढ़ता अंदाज अपनी मंजिल को बताता है अपनी मंजिल पर फोकस रहो और मस्त रहो क्योंकि अंदाज आपका होना चाहिए किसी और का नहीं ©Abhishek Singh #Chhavi लाइफ इस अ गेम बट आई एम इस आई एम द प्लेयर ऑफ़ थिस गेम
Jyoti Kour
सारे पत्ते थे हाथों में हमारे फिर भी जिंदगी की बाजी हार गए हम।क्योंकि हम उन्हें हारते नहीं देख सकते थे । उसे हारता नहीं देख सकते थे ।
Praveen Jain "पल्लव"
बहुत पहले पल्लव की डायरी जिंदगी में खुशियाँ पहले भरते थे खोने को कुछ नही था फिर भी कद्र जमाने की करते थे उठ ना जाये गलत कदम जिंदगी तबाह किसी की ना हो जाये प्रयास भरपूर करते थे लिहाज शर्म इतनी थी रिश्तो की जो तय बड़े कर देते थे उसे हँसी खुशी निभा लेते थे जो भी सुख दुख होता था उसे हम सब परिवार मोहल्लों में बाटकर जी लेते थे प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" उसे हँसी खुशी निभालेते थे #PoetInYou
Nisha Sharma
"कपडे" तो उसे गिनती के चार सुखाने थे दरअसल... उसे तो "नजरों" वाले "पेंच" लडाने थे "कपडे" तो उसे गिनती के चार सुखाने थे दरअसल... उसे तो "नजरों" वाले "पेंच" लडाने थे