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धम्मपद
#धम्मपद_तथागत बुद्ध की अनमोल वाणी# मनोपुब्बङग्मा धम्मा, मनोसेट्ठा मनोमया मनसा चे पदुट्ठेन, भासति वा करोति वा ततो नं दुक्खमन्वेति, चक्कं व वहतो पदं. हिंदी: मन सभी धर्मों (प्रवर्तियों) का अगुआ है, मन ही प्रधान है, सभी धर्म मनोमय हैं. जब कोई व्यक्ति अपने मन को मैला करके कोई वाणी बोलता है, अथवा शरीर से कोई कर्म करता है, तब दु:ख उसके पीछे ऐसे हो लेता है, जैसे गाड़ी के चक्के बैल के पैरों के पीछे-पीछे हो लेते हैं. ©धम्मपद #BuddhaPurnima #Buddhist #buddhism #atheism #Atheists #qoutes#god#atheist#belief#writing
Cerebral Derange
against the god not I'm neither agnostic nor athest I'm for sake of success never pray I'm like all cowardice prayers didn't did I'm being center inner talk I'm where i find the god without I'm #yqbaba#aestheticthoughts#wrscribblezone#yqdidi#yqkavi#god#atheist#agnostic
Cerebral Derange
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sahil b
यूँ मदमस्त आँखें लेकर ना घूमो शहर में कितने ज़ाहिद क़ाफिर बन जाते तुम्हे क्या मालूम ©sahil b #theists #Atheists
Amit Singh
Does your god think that as he is running us, someone else is running him too about whom he doesn't know anything. I mean how may a god believe that he is a god. #god #atheist #atheism #yqbaba #yqdidi #believe
Haseena Dudekula
The most endless ,fruitless and useless argument in the world is between an atheist and theist. Never indulge in it because it will remain unresolved and is a sheer waste of time and most importantly it may end in hurting of feelings of near and dear ones. #yqbaba #atheist #theist #God #belief #philosophy
धम्मपद
क्या #वेद ईसा पूर्व में थी? वर्तमान समय में वेद पुस्तक को कहा जाता है, जो चार खंडों {(1) ऋज्ञवेद, 2) सामवेद, 3) यजुर्वेद, 4) अथर्ववेद} में उपलब्ध है। वेद ईसा पूर्व काल में थी इसको जानने के लिए वेद शब्द का अर्थ जानना होगा, तभी जान पाएंगे कि वेद पुस्तक ईसा पूर्व थी भी की नहीं! #वेद पालि शब्दकोश का शब्द है। कच्चान व्याकरण अनुसार विद धातु से वेद, विद्या, विद्यालय, वेदना, वेदगु, वेदयितं, वेदयामी, वेदमानो जैसा शब्द बना है। जो बुद्ध वंदना में #लोक_विदु के तौर पर प्रयोग होता है, तो मिलिंद वग्गो के तीसरे अध्याय में #वेदगू_पञ्हो और चक्रवर्ती सम्राट अशोक द्वारा लिखित बैराट भाबरु अभिलेख में #विदितेवे के रूप में मिलता है। जिसमें #लोक_विदु का अर्थ- संसार का ज्ञाता, #वेदगू-ऊँचतम अनुभवी, #विदितेवे-अनुभव प्राप्त करने वाला होता है। यानी #वेद का अर्थ अनुभव होता है। इसलिए तिपिटक में भगवान बुद्ध को #तण्ह_वेदगु कहा जाता है। यानी स्वयं के अनुभव से तीन प्रकार का ज्ञान प्राप्त करने वाला। अब आते है आज वाली चार वेद से #हटकर पांचवे वेद पर, जिसका नाम #आयुर्वेद है। इस आयुर्वेद को वेद पुस्तक से दूर-दूर तक का कोई संबंध नहीं है। फिर इसका नामकरण #आयुर्वेद क्यों हुआ? #आयुर का अर्थ योगपीडिया अनुसार #जीवन होता है और #वेद का अर्थ तिपिटक अनुसार अनुभूति द्वारा प्राप्त ज्ञान होता है। यानी 👉🏾💝जीवन से सम्बंधित जो ज्ञान अनुभूति पर प्राप्त हुआ, उसे आयुर्वेद कहते हैं। फिर आज वाली पुस्तकीय वेद में अनुभूति वाली तो कोई ज्ञान है ही नहीं। वहां तो 1) ऋज्ञवेद में देवताओं को आह्वान करने का मंत्र है, तो 2) सामवेद में यज्ञ में गाने वाला संगीतमय मंत्र है, तो 3) यजुर्वेद में यज्ञ का कर्मकांड है , तो 4) अथर्ववेद में जादू, टोना, चमत्कार की बात है। आखिर ऐसा क्यों? आज वाली वेद ब्राह्मणी व्यवस्था में अद्वैतवाद वाली दर्शन (philosophy) की पुस्तक है। जिसकी एक पांडुलिपि शारदा लिपि में छालपत्र पर और 29 पांडुलिपि कागज पर नागरी लिपि में लिखी मिली थी। जिसे वर्तमान समय में भंडारकर आयोग पुणे में रखा है। उसी 30 पांडुलिपि से चौदहवीं सदी में सायन ने भाष्य करते हुए पुस्तक का रूप दिया है। जिसमें बाह्मी लिपि से शारदा लिपि का जन्म कश्मीर क्षेत्र में आठवीं सदी लगभग और बाह्मी लिपि से नागरी लिपि का जन्म दसमीं सदी में लगभग हुआ है। तदुपरांत उसके बाद वेद पुस्तक का भाष्य चौदहवीं सदी में सायन द्वारा हुआ है। वेद पुस्तक की पांडुलिपि और भाष्य करने वालों की धूर्तता सिर्फ इतनी ही है कि इन सबों ने मिलकर सम्यक संस्कृति वाली पालि शब्द #वेद, जिसका अर्थ अनुभव होता है, उसी शब्द से अपने कथा वाली पुस्तक का नामकरण कर दिया है। यानी आज कोई धूर्ततावस अपना नाम गौतम बुद्ध रख ले, तो क्या वह सम्यक संस्कृति वाला गौतम बुद्ध बन जाएगा? अब जब वेद पुस्तक का इतना सारा साक्ष्य उपलब्ध है तो इस पुस्तक के वजूद को ईस्वी सन के आस-पास ले जाना मूर्खता ही कहा जायेगा न्। ©प्रशांत मैत्रेय #WinterSunset #Rational #Rationality #HUmanity #buddha #BuddhaPurnima #Buddhist #atheist #atheism
Chitra Iyer
The atheist smiled at every stranger, even God. The theists were ridiculing him unaware that God was lovingly hugging him. #yqbaba #theism #atheism #god #chitstruth