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Ek villain
राहुल गांधी ने ब्रिटेन की यात्रा के दौरान भारतीय लोकतंत्र को नीचा दिखाने की कोशिश कर कर यह साबित किया है कि उनकी राजनीति समाज भी वही खड़ी है जहां तब थी जब उन्होंने अपना राजनीतिक सफर शुरू किया था राहुल गांधी ने कोई पहली बार विदेश दौरे पर प्रधानमंत्री मोदी और उनके सरकार को नहीं होता वह यह नहीं काम इसके भी कर चुके हैं उनकी समस्या भारत में लोकतंत्र का शरण 2014 में नरेंद्र मोदी के सत्ता में आने से शुरु हो गया था और अब वह खत्म हो चुका है ©Ek villain #Oscar राहुल गांधी का विचित्र विमर्श
Author Harsh Ranjan
टूटे अंगों वाले पुरुष, नुचे अंगों वाली स्त्रियां, माँस, बोटियों के अंबार, अस्थि-पिंजरों के पहाड़ पर एक हेलीकॉप्टर उतरा और हेलीकॉप्टर से नेता जी उतरे। सामने ऊंचाई पर अमृत-हांडी लटकी है, ये दोस्ताना मैच है, लोगों के जेहन में ये परंपरा अटैच है। नेता जी प्रयास करेंगे, थोड़ा पर्वत तो थोड़ी हांडी से आस करेंगे। अगर हांडी टूटी तो टनों पुष्पवर्षा होगी, पहाड़ अनायास ही स्मारक बन जाएंगे। अगर हांडी न टूटी तो नेता जी थिरायेंगे, थोड़ा रोयेंगे मानवी आपदा पर, थोड़े निर्गुण गाएंगे, खुद को पहाड़ पर गड़ा ध्वज बताएंगे और फिर जनता को मोटिवेट कर उड़ जाएंगे। नशे के लती, व्यसनी, बेरोजगार, सिरफिरे, ताक़त के आग्रही और कुछ एक्सीडेंटल बलि के बकरे साभार हांडी को लक्ष्य किये उन्मादी से, कभी आदतन, कभी भाग्य लिखे बर्बादी से बेबस पर्वत पर कूच करेंगे, गिरेंगे, मरेंगे और पर्वत के ऊंचाई के नए नए आयाम गढ़ेंगे। ये जो हांडी की ऊंचाई है इसकी यही भरपाई है भले नेता जी ने आपको मुंह से न बताई है। छींका और बिल्ली
Author Harsh Ranjan
टूटे अंगों वाले पुरुष, नुचे अंगों वाली स्त्रियां, माँस, बोटियों के अंबार, अस्थि-पिंजरों के पहाड़ पर एक हेलीकॉप्टर उतरा और हेलीकॉप्टर से नेता जी उतरे। सामने ऊंचाई पर अमृत-हांडी लटकी है, ये दोस्ताना मैच है, लोगों के जेहन में ये परंपरा अटैच है। नेता जी प्रयास करेंगे, थोड़ा पर्वत तो थोड़ी हांडी से आस करेंगे। अगर हांडी टूटी तो टनों पुष्पवर्षा होगी, पहाड़ अनायास ही स्मारक बन जाएंगे। अगर हांडी न टूटी तो नेता जी थिरायेंगे, थोड़ा रोयेंगे मानवी आपदा पर, थोड़े निर्गुण गाएंगे, खुद को पहाड़ पर गड़ा ध्वज बताएंगे और फिर जनता को मोटिवेट कर उड़ जाएंगे। नशे के लती, व्यसनी, बेरोजगार, सिरफिरे, ताक़त के आग्रही और कुछ एक्सीडेंटल बलि के बकरे साभार हांडी को लक्ष्य किये उन्मादी से, कभी आदतन, कभी भाग्य लिखे बर्बादी से बेबस पर्वत पर कूच करेंगे, गिरेंगे, मरेंगे और पर्वत के ऊंचाई के नए नए आयाम गढ़ेंगे। ये जो हांडी की ऊंचाई है इसकी यही भरपाई है भले नेता जी ने आपको मुंह से न बताई है। छींका और बिल्ली