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Alok Agarwal
मन तुम्हारा हुआ फिर हो ही गया तुम्हारे आँखों में ये बस खो सा गया कब तलक यूँ ही हम अब जिंदा रहें वो मरने की हमें इज़ाज़त नहीं दे गया मन तुम्हारा हुआ फिर हो ही गया हम अकेले हुए, जब से तुम बिन यहाँ मन यूँ विचलित हुआ, तब से तुम बिन यहाँ आसमां से उतर, धूप छनती रही वस्त्र ओढ़े रहे, रूह तपती रही जाड़े की स्याह रात या हो दिन का कोई पहर ओस गिरती रही, जिस्म कंपता रहा हम अकेले हुए, जब से तुम बिन यहाँ मन यूँ विचलित हुआ, तब से तुम बिन यहाँ नैनों के द्वार पर कुछ मोती लिए पीर के आंसुओं को यूँ ही लिखते रहे हर शहर में हैं अनगिन वो रातें जहां तुमको गाकर हम महफ़िलों में बिकते रहें लौट आने की भी रचना रचाओ कभी कलम कब तलक विष के घूँटों को पीता रहे पीर के आंसुओं को यूँ ही लिखता रहे तुमको गाकर यूँ महफ़िलों में बिकता रहे #yqdidi #yopowrimo #हिंदी #गीत #AlokJiWrites