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Rishiraj sharma

लोकाचार 

#MusicalMemories

37 Views

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Bharat Bhushan pathak

निश्चल धार जीवन उपहार।
लोकाचार सुन्दर व्यवहार।
प्रकृति सन्देश क्यों क्लेश।
आप दूर हटें देख छद्मवेश।
नहीं जरूरी बस जी धन।
स्वस्थ रहे सदा भी तन।

©Bharat Bhushan pathak
  #LongRoad 
निश्चल धार जीवन उपहार।
लोकाचार सुन्दर व्यवहार।
प्रकृति सन्देश क्यों क्लेश।
आप दूर हटें देख छद्मवेश।
नहीं जरूरी बस जी धन।
स्वस्थ र

#LongRoad निश्चल धार जीवन उपहार। लोकाचार सुन्दर व्यवहार। प्रकृति सन्देश क्यों क्लेश। आप दूर हटें देख छद्मवेश। नहीं जरूरी बस जी धन। स्वस्थ र #Poetry

180 Views

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Divyanshu Pathak

पहाड़ों में गूंजते झरनों के स्वर से
शब्दों को अपनी कविता में पिरोती है !
शांत शीतल मलय सी है पर 
खुद को आवारा हवाओं सा कहती है !!

दिल में मोहब्बत है इंतजार है इश्क़ भी
फ़िर भी दर्द में डूबी दिखती है !
ये जो चश्मिश है ना
चश्मेबद्दूर बनकर
सबके दिल में रहती है !! Dedicating a #testimonial to Sudha Joshi जी सुथरी सी छवि में रहने वाली एक बेहतरीन अभिव्यक्ति की क्षमता लिए yq मंच पर ही मेरी मुलाकात हुई ।शा

Dedicating a #testimonial to Sudha Joshi जी सुथरी सी छवि में रहने वाली एक बेहतरीन अभिव्यक्ति की क्षमता लिए yq मंच पर ही मेरी मुलाकात हुई ।शा

0 Love

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KAJAL The Poetry Writer

समाज संबंधों का जाल हैं।।
मूल्यों, विश्वास, लोकाचार का आवरण ये विशाल हैं। 
कोई कहे गोलाकार हैं, इसकी चाल,,
कोई कहे सर्पाकार हैं।।
जातिवाद को श्रीनिवास कहे समाज का हिस्सा,,
अंबेडकर कहे विकार हैं।।
 बी आर चौहान बताए राजस्थान के गांव की महिमा,,
वहीं शर्मिला रेंगे बताए क्या महिलाओं का अधिकार हैं।।
मूल यही जाना हैं समाज का बनकर इसका हिस्सा,,
बात नहीं कोई तुच्छ सी ना कहो इसे कोई पुराना किस्सा।।
ये तो नवीन ज्ञान का शास्त्र हैं।
जिसे सीखने का हर नागरिक पात्र हैं।।
ये सरल इतना जैसे  देखू बहता जल,,
इतना जटिल भी प्रकृति से, जो नियम आज बने, शायद ही उपयोगी होंगे कल।।
शोध का एक अनूठा भंडार हैं।।
सब जाना परखा पहचाना सा इस समाजशास्त्र का व्यवहार हैं।।

©KAJAL The poetry writer समाज संबंधों का जाल हैं।
मूल्यों, विश्वास, लोकाचार का आवरण ये विशाल हैं।
कोई कहे गोलाकार हैं, इसकी चाल,,
कोई कहे सर्पाकार हैं।
जातिवाद को श्

समाज संबंधों का जाल हैं। मूल्यों, विश्वास, लोकाचार का आवरण ये विशाल हैं। कोई कहे गोलाकार हैं, इसकी चाल,, कोई कहे सर्पाकार हैं। जातिवाद को श् #कविता #besocial #besociological #besociologist #forsociogistsfromsociologist

15 Love

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Yashpal singh gusain badal'

तेरा और मेरा सत्य
हर किसी का सच उसकी अनुभव एवं इसके द्वारा अर्जित ज्ञान और उसकी विवेक क्षमता पर होती है । जैसे यदि मैं यह कहूं कि पृथ्वी घूमती है तो एक साधारण व्यक्ति उसको सिरे से खारिज कर देगा और एक पढ़ा-लिखा व्यक्ति कहेगा कि हां मैंने पढ़ा है किताबों में । लेकिन एक वैज्ञानिक उसे सिद्ध करके दिखाएगा कि पृथ्वी घूमती है बल्कि वह यह भी बताएगा कि सूर्य  भी आकाश गंगा के केन्द्र की परिक्रमा करता है। इसको परिक्रमा करनें में २२ से २५ करोड़ वर्ष लगते हैं, इसे एक निहारिका वर्ष भी कहते हैं। इसके परिक्रमा करने की गति २५१ किलोमीटर प्रति सेकेंड है। इस प्रकार तीन तरह के इंसानों के तीन उत्तर सकते हो सकते हैं । इसी प्रकार हमारे कई रूढ़िवादी सोच रीति रिवाज धार्मिक तौर तरीके हमारे आस्था और विश्वास से अर्जित ज्ञान को हमारे विचारों में समाहित करके हमारे सत्य के रूप में प्रतिष्ठित कर देते हैं । हालांकि वह पूर्ण सत्य नहीं होते मगर हम उन्हें सत्य मानकर ही चलते हैं इसी सत्य को हम जब वैज्ञानिकों प्रबुद्ध जनों विद्वानों  एवं गुरुओं के द्वारा परिष्कृत की हुई भाषा में सुनते हैं तब हम समझ पाते हैं की वास्तविक सत्य क्या है । क्योंकि विद्वान लोग किसी भी विचार को उसके मूल रूप में स्वीकार नहीं करते जब तक वह इसे अपने विवेक से परिष्कृत न कर लें वे अपने हर विचार का अपने विवेक से मंथन करते हैं तदुपरांत वह मूल सत्य तक पंहुचते हैं । आज की सबसे बड़ी समस्या यही अर्ध सत्य है जो हमारे अंदर परिस्थितियों लोकाचारों, आस्था और विश्वास ,रीति रिवाज के द्वारा डाल दी जाती है और हम इन्हीं को अंतिम सत्य मानकर अपने विचार बना लेते हैं क्योंकि हर किसी का विचार उसके रीति रिवाज, आस्था -विश्वास, परिस्थितियों ,लोकाचारों, का परिणाम है . इसलिए वैचारिक भिन्नता के कारण आपस में द्वेष और कलह की स्थिति बन जाती है । और अन्ततः यही संघर्ष का कारण होता है । कुछ लोगों का इन आस्था विश्वास और रीति -रिवाज ,परंपराओं पर इतना अधिक अटूट विश्वास होता है कि वह हर रोज इसे अंतिम सत्य के रूप में प्रचारित करते हैं और इसमें किसी भी तरह का अविश्वास नहीं देखना चाहते हैं । और इसके लिए वे सबकुछ खत्म करने तक आ जाते हैं वह कभी नहीं चाहते कि इस विचार में कोई संशोधन हो या इस को परिष्कृत किया जाए। इसी से कट्टरवाद का जन्म होता है । इसी तरह तेरा सच मेरा सच का यह विवाद हमेशा अनवरत चलता रहता है । आज इंसान और इंसानों के बीच जो संघर्ष है और देश और देशों के बीच जो संघर्ष है । इसका मूल कारण विचार भिन्नता ही है ।  दुनिया का हर संघर्ष इसी विचार भिन्नता सत्यता - असत्यता, तेरा सच मेरा सच के कारण फल फूल रहा है। अब समस्या यह है कि अंतिम सत्य तक कैसे पहुंचा जाए और कैसे सभी को इससे जोड़ा जाए । ताकि सत्य को सम्यक विचार विचार बनाया जा सके ताकि सब का सत्य एक ही सत्य हो ताकि विश्व में जो भी वैचारिक संघर्ष है उसको खत्म किया जा सके । यदि विश्व के सारे वैचारिक संघर्ष वैचारिक भिन्नता  खत्म हो जाएंगी तो विश्व  में अंततः शांति स्थापित हो सकेगी ।
मेरे विचार मेरी कलम से - यशपाल सिंह बादल

©Yashpal singh gusain badal' तेरा और मेरा सत्य
हर किसी का सच उसकी अनुभव एवं इसके द्वारा अर्जित ज्ञान और उसकी विवेक क्षमता पर होती है । जैसे यदि मैं यह कहूं कि पृथ्वी घूम

तेरा और मेरा सत्य हर किसी का सच उसकी अनुभव एवं इसके द्वारा अर्जित ज्ञान और उसकी विवेक क्षमता पर होती है । जैसे यदि मैं यह कहूं कि पृथ्वी घूम #luv #विचार

27 Love

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Abhishek Asthana

आईना पूछता है,दर्द तुम्हारे दिल के
ऐसी भी क्या बात हुई,रोते हो हमसे मिल के |~

कुछ बतलाओ खुद से भी, हृदय को अपने प्रवीण करो
लोकाचार की बातों से ना, मन को अपने क्षीण करो |~

आईना पूछता है,क्यों बैठे हो निढाल से
भूल जाओ अतीत को,जियो ज़िन्दगी उबाल से |~

प्रकृति से सीख लो तुम भी,अम्बर सा खुद को वृहद करो
मत बैठो थक हार के तुम भी,वायु सा खुद में वेग भरो |~

आईना पूछता है,क्या छुपा रखा है सांसों में
नाहक ही क्यों अश्रु लिए हो, इन प्यारी सी आँखों में |~

दौड़ रहा है समय का पहिया,तुम व्यर्थ समय ना नष्ट करो
उठकर दौड़ चलो मंजिल पर,खुद को ना पथ-भ्रष्ट करो |~

आईना पूछता है,दर्द तुम्हारे दिल के
ऐसी भी क्या बात हुई,रोते हो हमसे मिल के |~
 आईना पूछता है...

आईना पूछता है,दर्द तुम्हारे दिल के
ऐसी भी क्या बात हुई,रोते हो हमसे मिल के |~

कुछ बतलाओ खुद से भी, हृदय को अपने प्रवीण कर

आईना पूछता है... आईना पूछता है,दर्द तुम्हारे दिल के ऐसी भी क्या बात हुई,रोते हो हमसे मिल के |~ कुछ बतलाओ खुद से भी, हृदय को अपने प्रवीण कर #yourquote #yqbaba #Collab #yqdidi #YourQuoteAndMine #enthusiasm

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ABHISHEK SWASTIK

आईना पूछता है,दर्द तुम्हारे दिल के
ऐसी भी क्या बात हुई,रोते हो हमसे मिल के |~

कुछ बतलाओ खुद से भी, हृदय को अपने प्रवीण करो
लोकाचार की बातों से ना, मन को अपने क्षीण करो |~

आईना पूछता है,क्यों बैठे हो निढाल से
भूल जाओ अतीत को,जियो ज़िन्दगी उबाल से |~

प्रकृति से सीख लो तुम भी,अम्बर सा खुद को वृहद करो
मत बैठो थक हार के तुम भी,वायु सा खुद में वेग भरो |~

आईना पूछता है,क्या छुपा रखा है सांसों में
नाहक ही क्यों अश्रु लिए हो, इन प्यारी सी आँखों में |~

दौड़ रहा है समय का पहिया,तुम व्यर्थ समय ना नष्ट करो
उठकर दौड़ चलो मंजिल पर,खुद को ना पथ-भ्रष्ट करो |~

आईना पूछता है,दर्द तुम्हारे दिल के
ऐसी भी क्या बात हुई,रोते हो हमसे मिल के |~
 आईना पूछता है...

आईना पूछता है,दर्द तुम्हारे दिल के
ऐसी भी क्या बात हुई,रोते हो हमसे मिल के |~

कुछ बतलाओ खुद से भी, हृदय को अपने प्रवीण कर

आईना पूछता है... आईना पूछता है,दर्द तुम्हारे दिल के ऐसी भी क्या बात हुई,रोते हो हमसे मिल के |~ कुछ बतलाओ खुद से भी, हृदय को अपने प्रवीण कर #yourquote #yqbaba #Collab #yqdidi #YourQuoteAndMine #enthusiasm

0 Love

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Tafizul Sambalpuri

जब कागज़ के पन्नों में लिखे 
चन्द शब्द दास्तान बयां करती है
तो जीते इन्सान की पुकार
आखीर क्यू सुनाई नहीं देता

ये उस इन्सान की लाचारी है
या हमारी समझ नहीं आता

©Tafizul Hussain Sambalpur Odisha लाचार

लाचार #विचार

19 Love

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Devesh Dixit

भेद-भाव के व्यवहार का
दस्तक दिया घाव का
ऐसा हुआ विस्तार
कि मासूमियत हुई लाचार 

आरोपियों की खान का
जुर्मों की दुकान का
ऐसा हुआ विस्तार
कि अबला हुई लाचार 

जरा-जरा सी बात का
आकार लेती प्रहार का
ऐसा हुआ विस्तार
कि रिश्ते हुए लाचार 

दिन दहाड़े लूट का
बेगुनाहों के खून का
ऐसा हुआ विस्तार
कि इंसानियत हुई लाचार

 ऐसे घिनोने कृत्यों का
विलंब से मिले निर्णयों का
ऐसा हुआ विस्तार
कि समाज हुआ लाचार 

कानूनी व्यवस्था का
राजनीति कि समस्या का
ऐसा हुआ विस्तार
कि देश हुआ लाचार #लाचार
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Vijay Vidrohi

बेईमानों के फूल फल रहे धंधे यहां 
इमानदारो को नहीं कहीं ठौर है 
जुल्म ज्यादती हो रही लाचारों पर 
बद-हालातें मुझे रही झकझोर है

©Vijay Vidrohi
  #लाचार
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Nadaan Shayar : Samaria Jatin

पंछी      
मै, एक पिंजरबंद परिंदा |
होते हुए भी नही हूं जिन्दा || 

उड़कर जाना चाहता हूं सब के पास |
बस मे नही कुछ,दिख भी नही रही कोई आस ||

क्या करूं व्यक्त,भावना कोई समझता नही |
कितनी भी करूं मसक्कत मेरी कोई सुनता नही ||

नही जीनी ये जिंदगी,जहाँ सब के साथ नही रह सकता |
है ये एक ऐसी जंग जिसे मै लड़ भी नही सकता ||  

                                                                                                    :-Jatin #लाचार
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Singh Manpreet

उसे मुझ पर जरा भी तरस नही आया 

मैं भूखा था भूखा ही हूँ अबतक उसके दिदार का.

किसी ने धोखे से लेकर तोड दिया दिल 

यारों फिर से मुझ लाचार का.

©Singh Manpreet 
  लाचार

लाचार #शायरी

27 Views

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Nisha Tiwari

भूख की तड़प ही ऐसी हैं, जो हमे 
लोगो के सामने हाथ फैलाने के लिए 
मजबूर करती हैं..,
नही तो किसी को शौक नही की 
वो किसी के सामने हाथ फैलाए..!!

©Nisha Tiwari #लाचार
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Trapti

लाचार हो गए अपने कुछ अरमानों से इस कदर
क्यां करें जब
बेवजह लगने लगे जिंदगी होते हुए भी ठेरों वजह अगर लाचार

लाचार

0 Love

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Gautam ji

ना जाने वो कौन सी हवा चली थी
मेरे घर की छत उड़ी थी
मैं लाचार गरीब क्या करता
उस हवा को तरस नहीं आया
इस दुनिया को क्या तरसा आएगा गरीब लाचार

गरीब लाचार #कहानी

16 Love

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MEERA

आजकालची लोक समोरच्या व्यक्तीशी
काहीही नात नसताना तिला
तिची वैयक्तीक माहिती
कशी विचारू शकता..?आणि
ती सांगेल अशी अपेक्षा तरी कशी
करू शकतात..?

©MEERA
  हेवा वाटतो अशा लोकांचा 🙏

हेवा वाटतो अशा लोकांचा 🙏 #Quotes

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Srwan Rolaniya

 #लाचार किसान

#लाचार किसान

19 Love

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Jitendra KumarYadav ( jitu)

 लाचार जिन्दगी

लाचार जिन्दगी #nojotophoto

11 Love

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Chaya Singh

लाचार मां

लाचार मां #समाज

167 Views

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Yogi Kashyap ( रावण)

भगा कर नही ले जा सकता, 
क्यू इश्क को लाचार कर रही है |
घर वालो का सोच और जा, 
घर पर माँ इंतजार कर रही है 

योगी लाचार इश्क

लाचार इश्क

1 Love

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Mou$humi mukherjee

#RIPPriyankaReddy  शोक मनाने की प्रक्रिया  अब भी 

जारी हैं

आज किसी का कल किसी का 


नारी की असमत्ता पर 


हर रोज़ क्रूर हमला जारी हैं #लाचार समाज
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Kishor Sen

 लाचार नारी

लाचार नारी

5 Love

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ranjit Kumar rathour

 रिश्तेदार के घर कार्यक्रम में जाना था
सो देर शाम हो गया था 
सभी मेहमानवाजी में लगें थे
समारोह का हिस्सा बन रात को सोया
सुबह  थोड़ी देर से जगा था 
*****
फिर अहले सुबह था
एक माँ आती है हाथ मे थाली लिए
एक उम्मीद के साथ कुछ तो रात का बचा होगा
लेकिन जो उस गरीब माँ ने कहा
वो हृदय को झकझोर देने वाला था
बोली मेरे दोनों बच्चे रो रहे हैं
वो रात में सो गया था इसीलिए
भोज नही खा सका अब जिद पर अड़ा है
लगा एक माँ कितनी कमजोर होती है
जब उसका बेटा रोटा है
फिर घर वाले ने उसे रात का बचा था दे दिया
लेकिन सवाल वही पर था
क्या लोग आज भी इतने गरीब होते है
और एक माँ की कितनी विवशता है
ऐसे नजारे आज भी दिख जाते है।

©ranjit Kumar rathour
  लाचार माँ

लाचार माँ #विचार

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Anupama Sharma

है सवाल तो 
जवाब भी है आदमी...…
ज़िन्दगी इतनी जटिल है 
 कितना लाचार  है आदमी

©Anupama Sharma #लाचार #आदमी 

#worldlaughterday
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Hasanand Chhatwani

शौक़ दबा कर रखता हूँ, पर लाचार थोड़ी हूँ

तुम चाहती हो मैं रोज़ मिलूँ ,
मैं कोई अख़बार थोड़ी हूँ ##शौक ##लाचार ##अखबार ##

#शौक #लाचार #अखबार ##

3 Love

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Diwan G

दोस्तो प्यार करने के लिए,
मौसम की दरकार नहीं है।
मौसम के भरोसे प्यार चले,
प्यार इतना लाचार नहीं है।।
😃😃😅😅😂😂😜😝 लाचार
#Love #Comedy

लाचार #Love #Comedy

54 Love

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Vineet Kumar Pathak

#किसान कैसे लाचार#

#किसान कैसे लाचार#

64 Views

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अनुषी का पिटारा "अंग प्रदेश "

क्या दिन थे जब चढ़ी दिवानी
मिली थी एक खूबसूरत फ़लानी
सर से पाँव तक थी जाफ़रानी
रोज़ कहती थी सुभाषितानि
मैं ही करता था आनाकानी
इश्क़ में डूबती जब उसकी जवानी
ताने देती रहती थी फ़लानी
मेरा काटा माँगे ना पानी
हाय हाय तौबा मेरी जवानी
  किसे सुनाऊँ मैं अपनी कहानी

©Anushi Ka Pitara #लाचार #जवानी 

#adishakti
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