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Anand Kumar Ashodhiya
दँगा - भाग 2 अमन-चैन लौट आया, लौट आई और एक जाँच निश्चिन्त हुआ हर एक, साँच को है अब क्या आँच पूरसूकून मैं भी लौटा अपने शहर बिलकुल अज़नबी की तरह माकूल नज़र से तौला हर किसी को सच्चे मज़हबी की तरह रिक्शा वाले से किराया तय ठहराने को ज्यूं ही आगे बढ़ा देखता हूँ की वो मेरी ही तरफ़ आ रहा है चढ़ा मैं घबराया, रिक्शा वाला मुस्कराया, हाथ सलाम में उठाये हुए मैं तो और भी ठिठक गया अपनी पोटली बगल में दबाये हुए मेरी आँखों में झांकते अजनबीपन ने रिक्शा चालक की मुस्कान छीन ली तब जाकर मेरे शक्की मन ने चैन की साँस ली रास्ते भर मैं उचक उचक कर कूचे गली मोहल्लों के निशान तलाशता रहा रस्ते में ड्यूटी पर तैनात पुलिसियों से रिक्शा चालक की निशानदेही करवाता रहा मुकाम आने तक अपने मन को खुद ही ढ़ाणढ़स बँधाता रहा रियर व्यू मिरर में रिक्शा वाले से खुद ही नज़रें चुराता रहा ना जाने क्यों मुझे रिक्शे वाले की नीयत पर शक हो रहा था मुझे देख कर उसकी आँखों में जो उभरी थी चमक, उस पर तो और भी शक हो रहा था या खुदा, हे भगवन किसी तरह नैय्या पार लगादे इस काल समान रिक्शा चालाक से निज़ात दिलादे कि तभी रिक्शा रुकी, मैं सहमा सहमा काँप गया रिक्शा चालक शायद मेरे मन का डर भांप गया वह बोला भाई साहब आपने मुझे पहचाना नहीं? भूल गए? मैं रहमत हूँ, क्या अब भी मुझे जाना नहीं मैं खिसियानी हँसी हँस कर रह गया फिर से ज़माने की रौ में बह गया अब मैं फिर से शेर की तरह दनदनाता फिरता हूँ दँगा तूफ़ान की क्या मजाल किसी से नहीं डरता हूँ क्या करूँ इन्सान हूँ, अत: फिर से किसी बलवे की बाट जोह रहा हूँ अपना तमाम सामान बाँधे, सिरहाने रखकर सो रहा हूँ रचयिता : आनन्द कवि आनन्द कॉपीराइ ©Anand Kumar Ashodhiya #दंगाभाग2 #दंगा #हिन्दीकविता #MereKhayaal
Sandeep Agarwal
हिन्दुस्तान में लगा रखी किसने आग है उसको ढूढ कर लाओ बीच चौराहों पर उस पर भीड़ से पत्थर फिकवाओ अमन शांति को भंग करने वालो को ऐसा सबक सिखाओ याद रखे वो ज़िन्दगी भर उन पर ऐसा लाठीचार्ज फिरवाओ....... याद दंगाइयो पर कारवाई
अलौकिक "आलोक"
अब चुप न बैठो घात करो चाहो तो प्रतिघात करो। 7-7 पुश्ते कांप उठे दंगाइयो पर ऐसा आघात करो । तुम हो नरेंद्र नर-मानव श्रेष्ठ विश्व विजेता तुम हो ज्येष्ठ। अब न तुम आराम करो सामना शत्रु का सीना तान करो। घात करो प्रतिघात करो दंगाइयों पर आघात करो। आलोक दुबे "आलोक" दंगाइयो के लिए न्याय
poetess poonam Udaichandra
मोदी जी का मेक इन इंडिया,योगी जी की धर्म नीति कमाल। भटक रही है जनता सारी,पुछे कौन सवाल।। कह रहे हैं मोदी जी मैं डिजिटल इंडिया बनाउंगा। योगी जी काभी जबाब नहीं, मैं रामराज्य लाउंगा।। आधा भारत रोटी को, और आधा भारत शिक्षा को। उतर रहै है छात्र सड़कों पर,अपना भविष्य बचाने को।। शिक्षा महंंगी, रोटी महंगी,बस जियो सिम ही सस्ता है। बेरोजगारी चरम सीमा पर, नौकरी वालों की हालत भी खस्ता है।। चारों और है त्राहि-त्राहि,पर फिर भी मोदी जी की है वाह-वाही। सत्ता संभाल रहे हैं भगवाधारी, और सुना रहे हैं संतों की वाणी।। बंद पड़ी है डिग्रिया फाइलों में,हाथ फैलाए युवा खड़े हैं लाईनों में। अपने हक को जो आवाज़ उठाई, मशहूर हुए हैं दंगाइयों में।। मशहूर हुए दंगाइयों में.....
Shivam kumar
ए मेरे देश के निजाम, तुझे नींद कैसे आती है?? जबकि देश जल रहा है, तुझे अपनी तस्वीर कैसे भाती है?? - शिवम् कुमार #दंगा
Mahesh Panchal 'Mahi'
जलेगा कब तलक यह देश गद्दारों बताओ भी । परेशां आम जन सारा , है हमदर्दी जताओ भी । मिलेगा नफ़रतें निज मुल्क से कर क्या तुम्हें बोलो - नसीहत मान लो हिलमिल के रह सारे दिखाओ भी । ✍️ माही #दंगा
vibhanshu bhashkar
इस दंगे में "भगवा और हरा" दोनो ही रंग खून से लथपथ सड़क पर लाल हुए पड़े थे । "एक ही रंग" के कफ़न के इंतजार में.... #दंगा
Aditya Kumar Bharti
हंगामा खड़ा करके पूछते हो क्या हुआ है जनाब ये हवा बदल गई है मौसम हुआ है खराब बेवजह दंगा करा के क्या मिलेगा आपको? आज फिर एक मछली से गंदा हुआ है तलाब आदित्य कुमार भारती टेंगनमाड़ा, बिलासपुर, छ.ग. #दंगा
Prashant kumar pintu
ये कलयुग की महाभारत है ,ये कलयुग की रामायण है । यहां कृष्ण कौरवों के संग में कर रहा कंस का गायन है ।। रामायण में धर्मी राजा का पापी राजा से था पंगा, अब तो राजा ,राजा के संग करवाता है धर्मी दंगा । अधर्म और शैतान सजे हैं ,हर नगर और गलियों में साधु घर में छुपे पड़े और धर्म सड़क पर है नंगा । महाभारत में एक धृतराष्ट्र थे तो कैसा हुआ भयानक युद्ध देखो अब तो सब धृतराष्ट्र बने है , देश में दंगा का रुप शुद्ध देखो , शकुनी ही बना हुआ है नगर का सबसे बड़ा प्रबुद्ध देखो , कैसे दोषी ही बैठ सभा में बन रहे शांति दूत बुद्ध देखो । सड़के हैं सुनी सुनी और पूरा नगर वीरान है, घर की सीता को बचाने का ये अहम घमासान है । अयोध्या के हर नुक्कड़ पर बैठा खर दूषण शैतान है । सड़कों पर फैले दंगो से नगर की जनता परेशान है । अब नगर को कौन बचाए ,आरोपी ही नगर प्रधान है ।। ©Prashant kumar pintu # दंगा