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Vikas Sharma Shivaaya'

महाभारत का एक सार्थक प्रसंग🙏 महाभारत युद्ध समाप्त हो चुका था. युद्धभूमि में यत्र-तत्र योद्धाओं के फटे वस्त्र, मुकुट, टूटे शस्त्र, टूटे रथों #समाज

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महाभारत का एक सार्थक प्रसंग🙏

महाभारत युद्ध समाप्त हो चुका था. युद्धभूमि में यत्र-तत्र योद्धाओं के फटे वस्त्र, मुकुट, टूटे शस्त्र, टूटे रथों के चक्के, छज्जे आदि बिखरे हुए थे और वायुमण्डल में पसरी हुई थी घोर उदासी .... ! 
गिद्ध , कुत्ते , सियारों की उदास और डरावनी आवाजों के बीच उस निर्जन हो चुकी उस भूमि में *द्वापर का सबसे महान योद्धा* *"देवव्रत" (भीष्म पितामह)* शरशय्या पर पड़ा सूर्य के उत्तरायण होने की प्रतीक्षा कर रहा था -- अकेला .... !

तभी उनके कानों में एक परिचित ध्वनि शहद घोलती हुई पहुँची , "प्रणाम पितामह" .... !!

भीष्म के सूख चुके अधरों पर एक मरी हुई मुस्कुराहट तैर उठी , बोले , " आओ देवकीनंदन .... ! स्वागत है तुम्हारा .... !! 

मैं बहुत देर से तुम्हारा ही स्मरण कर रहा था" .... !!

कृष्ण बोले , "क्या कहूँ पितामह ! अब तो यह भी नहीं पूछ सकता कि कैसे हैं आप" .... !

भीष्म चुप रहे , कुछ क्षण बाद बोले," पुत्र युधिष्ठिर का राज्याभिषेक करा चुके केशव ... ? 
उनका ध्यान रखना , परिवार के बुजुर्गों से रिक्त हो चुके राजप्रासाद में उन्हें अब सबसे अधिक तुम्हारी ही आवश्यकता है" .... !

कृष्ण चुप रहे .... !

भीष्म ने पुनः कहा , "कुछ पूछूँ केशव .... ? 
बड़े अच्छे समय से आये हो .... ! 
सम्भवतः धरा छोड़ने के पूर्व मेरे अनेक भ्रम समाप्त हो जाँय " .... !!

कृष्ण बोले - कहिये न पितामह ....! 

एक बात बताओ प्रभु ! तुम तो ईश्वर हो न .... ?

कृष्ण ने बीच में ही टोका , "नहीं पितामह ! मैं ईश्वर नहीं ... मैं तो आपका पौत्र हूँ पितामह ... ईश्वर नहीं ...."

भीष्म उस घोर पीड़ा में भी ठठा के हँस पड़े .... ! बोले , " अपने जीवन का स्वयं कभी आकलन नहीं कर पाया कृष्ण , सो नहीं जानता कि अच्छा रहा या बुरा , पर अब तो इस धरा से जा रहा हूँ कन्हैया , अब तो ठगना छोड़ दे रे .... !! "

कृष्ण जाने क्यों भीष्म के पास सरक आये और उनका हाथ पकड़ कर बोले .... " कहिये पितामह .... !"

भीष्म बोले , "एक बात बताओ कन्हैया ! इस युद्ध में जो हुआ वो ठीक था क्या .... ?"

"किसकी ओर से पितामह .... ? पांडवों की ओर से .... ?"

" कौरवों के कृत्यों पर चर्चा का तो अब कोई अर्थ ही नहीं कन्हैया ! पर क्या पांडवों की ओर से जो हुआ वो सही था .... ? आचार्य द्रोण का वध , दुर्योधन की जंघा के नीचे प्रहार , दुःशासन की छाती का चीरा जाना , जयद्रथ के साथ हुआ छल , निहत्थे कर्ण का वध , सब ठीक था क्या .... ? यह सब उचित था क्या .... ?"

इसका उत्तर मैं कैसे दे सकता हूँ पितामह .... ! 
इसका उत्तर तो उन्हें देना चाहिए जिन्होंने यह किया ..... !! 
उत्तर दें दुर्योधन का वध करने वाले भीम , उत्तर दें कर्ण और जयद्रथ का वध करने वाले अर्जुन .... !! 

मैं तो इस युद्ध में कहीं था ही नहीं पितामह .... !!

"अभी भी छलना नहीं छोड़ोगे कृष्ण .... ?
अरे विश्व भले कहता रहे कि महाभारत को अर्जुन और भीम ने जीता है , पर मैं जानता हूँ कन्हैया कि यह तुम्हारी और केवल तुम्हारी विजय है .... ! 
मैं तो उत्तर तुम्ही से पूछूंगा कृष्ण .... !"

"तो सुनिए पितामह .... ! 
कुछ बुरा नहीं हुआ , कुछ अनैतिक नहीं हुआ .... ! 
वही हुआ जो हो होना चाहिए .... !"

"यह तुम कह रहे हो केशव .... ? 
मर्यादा पुरुषोत्तम राम का अवतार कृष्ण कह रहा है ....? यह छल तो किसी युग में हमारे सनातन संस्कारों का अंग नहीं रहा, फिर यह उचित कैसे गया ..... ? "

*"इतिहास से शिक्षा ली जाती है पितामह , पर निर्णय वर्तमान की परिस्थितियों के आधार पर लेना पड़ता है .... !* 

हर युग अपने तर्कों और अपनी आवश्यकता के आधार पर अपना नायक चुनता है .... !! 
राम त्रेता युग के नायक थे , मेरे भाग में द्वापर आया था .... ! 
हम दोनों का निर्णय एक सा नहीं हो सकता पितामह .... !!"

" नहीं समझ पाया कृष्ण ! तनिक समझाओ तो .... !"

" राम और कृष्ण की परिस्थितियों में बहुत अंतर है पितामह .... ! 
राम के युग में खलनायक भी ' रावण ' जैसा शिवभक्त होता था .... !! 
तब रावण जैसी नकारात्मक शक्ति के परिवार में भी विभीषण जैसे सन्त हुआ करते थे ..... ! तब बाली जैसे खलनायक के परिवार में भी तारा जैसी विदुषी स्त्रियाँ और अंगद जैसे सज्जन पुत्र होते थे .... ! उस युग में खलनायक भी धर्म का ज्ञान रखता था .... !!
इसलिए राम ने उनके साथ कहीं छल नहीं किया .... ! किंतु मेरे युग के भाग में में कंस , जरासन्ध , दुर्योधन , दुःशासन , शकुनी , जयद्रथ जैसे घोर पापी आये हैं .... !! उनकी समाप्ति के लिए हर छल उचित है पितामह .... ! पाप का अंत आवश्यक है पितामह , वह चाहे जिस विधि से हो .... !!"

"तो क्या तुम्हारे इन निर्णयों से गलत परम्पराएं नहीं प्रारम्भ होंगी केशव .... ? 
क्या भविष्य तुम्हारे इन छलों का अनुशरण नहीं करेगा .... ? 
और यदि करेगा तो क्या यह उचित होगा ..... ??"

*" भविष्य तो इससे भी अधिक नकारात्मक आ रहा है पितामह .... !* 

*कलियुग में तो इतने से भी काम नहीं चलेगा .... !*

*वहाँ मनुष्य को कृष्ण से भी अधिक कठोर होना होगा .... नहीं तो धर्म समाप्त हो जाएगा .... !* 

*जब क्रूर और अनैतिक शक्तियाँ सत्य एवं धर्म का समूल नाश करने के लिए आक्रमण कर रही हों, तो नैतिकता अर्थहीन हो जाती है पितामह* .... ! 
तब महत्वपूर्ण होती है विजय , केवल विजय .... ! 

*भविष्य को यह सीखना ही होगा पितामह* ..... !!"

"क्या धर्म का भी नाश हो सकता है केशव .... ? 
और यदि धर्म का नाश होना ही है , तो क्या मनुष्य इसे रोक सकता है ..... ?"

*"सबकुछ ईश्वर के भरोसे छोड़ कर बैठना मूर्खता होती है पितामह .... !* 
*ईश्वर स्वयं कुछ नहीं करता ..... !*केवल मार्ग दर्शन करता है*

*सब मनुष्य को ही स्वयं करना पड़ता है .... !* 
आप मुझे भी ईश्वर कहते हैं न .... ! 
तो बताइए न पितामह , मैंने स्वयं इस युद्घ में कुछ किया क्या ..... ? 
सब पांडवों को ही करना पड़ा न .... ? 
यही प्रकृति का संविधान है .... ! 
युद्ध के प्रथम दिन यही तो कहा था मैंने अर्जुन से .... ! यही परम सत्य है ..... !!"

भीष्म अब सन्तुष्ट लग रहे थे .... ! 
उनकी आँखें धीरे-धीरे बन्द होने लगीं थी .... ! 
उन्होंने कहा - चलो कृष्ण ! यह इस धरा पर अंतिम रात्रि है .... कल सम्भवतः चले जाना हो ... अपने इस अभागे भक्त पर कृपा करना कृष्ण .... !"

*कृष्ण ने मन मे ही कुछ कहा और भीष्म को प्रणाम कर लौट चले , पर युद्धभूमि के उस डरावने अंधकार में भविष्य को जीवन का सबसे बड़ा सूत्र मिल चुका था* .... !

*जब अनैतिक और क्रूर शक्तियाँ सत्य और धर्म का विनाश करने के लिए आक्रमण कर रही हों, तो नैतिकता का पाठ आत्मघाती होता है ....।।*

*धर्मों रक्षति रक्षितः* 🚩🚩

विष्णु सहस्रनाम(एक हजार नाम) आज 706 से 717 नाम 
706 सन्निवासः विद्वानों के आश्रय है
707 सुयामुनः जिनके यामुन अर्थात यमुना सम्बन्धी सुन्दर हैं
708 भूतावासः जिनमे सर्व भूत मुख्य रूप से निवास करते हैं
709 वासुदेवः जगत को माया से आच्छादित करते हैं और देव भी हैं
710 सर्वासुनिलयः सम्पूर्ण प्राण जिस जीवरूप आश्रय में लीन हो जाते हैं
711 अनलः जिनकी शक्ति और संपत्ति की समाप्ति नहीं है
712 दर्पहा धर्मविरुद्ध मार्ग में रहने वालों का दर्प नष्ट करते हैं
713 दर्पदः धर्म मार्ग में रहने वालों को दर्प(गर्व) देते हैं
714 दृप्तः अपने आत्मारूप अमृत का आखादन करने के कारण नित्य प्रमुदित रहते हैं
715 दुर्धरः जिन्हे बड़ी कठिनता से धारण किया जा सकता है
716 अथापराजितः जो किसी से पराजित नहीं होते
717 विश्वमूर्तिः विश्व जिनकी मूर्ति है

🙏बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹

©Vikas Sharma Shivaaya' महाभारत का एक सार्थक प्रसंग🙏

महाभारत युद्ध समाप्त हो चुका था. युद्धभूमि में यत्र-तत्र योद्धाओं के फटे वस्त्र, मुकुट, टूटे शस्त्र, टूटे रथों

अनामिका

मतन्त्र को राज्याभिषेक का ज्ञान

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vaishali

राज्याभिषेक सोहळा

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६ जून राज्याभिषेक सोहळा
सुरू रायगडावर जल्लोष
छत्रपती शिवाजी महाराज 
सुरू एकच जय घोष राज्याभिषेक सोहळा

Kisan Atole sir

राज्याभिषेक शिवरायांचा #kahanikaar

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shubham chaturvedi vidrohi

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Vishavdeep Sharma

Story about helping others. राजा युधिष्ठिर के यज्ञ की कहानी। #krishna_flute #Krishna #कृष्ण #युधिष्ठिर #महाभारत #Mahabharat

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Ajay Amitabh Suman

जब अर्जुन ने युधिष्ठिर पर तलवार निकाल लिया #अर्जुन #युधिष्ठिर #कर्ण #गांडीव #महाभारत Mythology #viral #Trending #पौराणिककथा

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Vidhi

यक्ष: क्या सचमुच गीता ने अर्जुन की मदद की?

युधिष्ठर: की ही होगी। स्त्रियाँ प्रायः ही उसके पीछे सम्मोहित हो जाती हैं। छिछोरेपन के सारे ही गुण पाए जाते हैं उसमें। यहाँ तक कि द्रौपदी भी.. (आवाज़ में चिढ़न साफ सुनाई दे रही थी)

यक्ष: अ.. मैं आप लोगों के व्यक्तिगत मामलों पर प्रश्न नहीं कर रहा। मैंने तो बस उन श्लोकों की बात की, जिसे प्रभु ने स्वयं उसे सुनाई।

युधिष्ठिर: सच पूछिए, तो ये हमारी सोची समझी योजना ही थी। आपको क्या लगता है प्रभु इतने सीधे हैं? 

यक्ष: तो क्या आपका मतलब है कि ये सब ड्रामा था? मोह? प्रवचन? ये सब कुछ?

युधिष्ठिर: ओह यस। प्रभु महान हैं, मगर उनमें इतना भी टैलेंट नहीं कि सहवाग को द्रविड़ बना सकें। वो तो बस हमारे कहने से बकलोली कर रहे थे। ताकि तब तक में हम पीछे से व्यूह रचना कर सकें।

यक्ष: तो यानी आपने जिस व्यूह की रचना की उसका नाम 'नीतीश' था?

युधिष्ठिर: अरे, आपको कैसे पता?

यक्ष: संजय की कमेंट्री केवल धृतराष्ट्र ही नहीं सुनते। उसका सीधा प्रसारण स्वर्ग में भी होता है।

युधिष्ठिर: हाँ मैं भूल ही गया था अब तो पृथ्वी पे मौजूद सारी सुविधाएँ आधार से जुड़ी हुई हैं। #यक्ष #युधिष्ठिर #संवाद #गीता #मनोरोग #नीतीश #आधार #YQbaba #YQdidi

ss

युधिष्ठिर को धर्मराज कहे जाने के पीछे की कहानी  #BemisaalKahaniya #पौराणिककथा

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Manish Kumar

धर्मराज युधिष्ठिर सा बनना, बच्चों का ये काम नहीं।
सामर्थ्यवान होकर धीरज धरना, साधारण ये काम नहीं।। #धर्मराज 
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#yqbaba
#yqbhaijan

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