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अल्पेश सोलकर

आज ' ती ' असती तर माझ्या ' मोडक्या- तोडक्या ' शब्दांनासुद्धा दाद दिली असती.. #alpeshsolkar #lovequote #brokenheart

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आज ' ती ' असती तर
माझ्या 
' मोडक्या- तोडक्या '  शब्दांनासुद्धा
दाद दिली असती.. आज ' ती ' असती तर
माझ्या 
' मोडक्या- तोडक्या '  शब्दांनासुद्धा
दाद दिली असती..
#alpeshsolkar #lovequote #brokenheart

Vijay Kumar उपनाम-"साखी"

झाडक्या के बोर #कविता

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वो डूंगरिया के लडालूम झाडक्या के बोर
हमारी इस जिह्वा को देते थे सुकून,बहोत
अब बस जेहन में वो यादे ही रह गई है,
आज आधुनिकता में खो गये है,वो बोर

जंगल के जंगल कटे,खोदी गई ज़मीने
फिर कैसे पाएं,स्वादिष्ट झाडक्या के बोर?
फीके है,जिसके आगे आज के 56 भोग
हमारी अति महत्वाकांक्षा ने छीने वो बोर

अब न मिलती है,हमे डूंगरो पर वो भोर
जहां यूँही मिल जाते थे झाडक्या के बोर
अब तो हृदय में रह गई है,चोट ही चोट
खो गई है,आधुनिकता में हमारी सोच

हर शख्स की प्राकृतिकता लूट गई है,
लूट गया है,सादगी का रमणीय मोर
अब रह गया है,बस दिखावे का सोर
हर शख्स खुद की खुदी का हुआ चोर

लुप्त से हो गये है,इंटरनेट पर रह गये है,
शूलों बीच लहराते हुए झाडक्या के बोर
गर हम न जागे,प्रकृति को न माना सिरमौर
फिर एकदिन हमारा भी न रहेगा कोई सोर

दिल से विजय

©Vijay Kumar उपनाम-"साखी" झाडक्या के बोर

Deepak Sen

उफ् ये खिड़किया....

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खिड़किया ❤️❤️❤️

©Deepak Sen उफ् ये खिड़किया....

Narayan Sontakke

लाडक्या बैलास "भावपूर्ण श्रद्धांजली"

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Simran

#मनातल्या पडक्या भिंती #मराठीविचार

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Parasram Arora

बंद थी जब चेतना की खिड़किया....

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कदाचित  तुम्हे  याद  हो 
कभी  वो भी दिन थे 
जब हमारी चेतना की खिड़किया  बंद थी 
और हम रुग्ण महत्वाकाँक्षाओं  क़े 
पीछे  दौड़ते  फिरते  थे 
प्रेम की महीने  स्तिथियो को हम  
समझ  भी नहीं पाते  थे 
खामोश थी फिरियादे   हमारी 
और कितनी  क्रूर  थी  हमारी   संवेदनाये  
एक  दूसरे   क़े. लिए  
सतही  तल  पर  ध्वंद  था  और   दुनिया क़े 
हिचकोले  खाते   खाते  ही तो  हमने  एक दिन 
अपने  प्रेम को पुष्ट  कर लिया था बंद  थी  जब  चेतना की खिड़किया....
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