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Govindkumar Banjare
धर्म के नाम पर जाति-पाति पूछे सभी, मै कहता हूं मानवता धर्म है हमारी। तुम दूसरे को नीच कहते हो, तो बुरी सोच है तुम्हारी। जाति-पाति
Arun kr.
लूंगी भुइंया वजह आपके बंजर में भी हरियाली आई साथ मे गांववालों के जीवन में खुशहाली आई आसान नही था अकेले कर पाना पर हर नामुमकिन संभव हुआ 30 वर्ष लगे 3 किलोमीटर नहर बनाने में पर वक़्त न लगा आपके जय जयकार होने में उम्मीद औऱ आश जगा रहा सार्थक होगा ये सपना यही आश लिये इसमें लगा रहा बहुतों ने आपके मन को तोड़ा होगा अकेला नही कर पाएगा बोला होगा पर जुनून न छोड़ी आपने सच कर दिया सपना सबके सामने है आप जनजीवन के प्रेरणा स्रोत नमन है आपको आपके हौसलो पर जो माँ,माटी और मानुष को शीतल किया फिर से दशरथ मांझी के बाद बिहार का नाम रौशन किया। #लूंगी भुइयां
NISHA DHURVEY
नौकर से शाही बन जाओ या रंक से राजा चाहे कर्मचारी से अफसर बन जाओ ये जात तुम्हारा पीछा कभी नहीं छोड़ती चाहे गांव से शहर या शहर से गांव चले जाओ ये जात तुम्हारा पीछा कभी नहीं छोड़ती ©NISHA DHURVEY #Travel #जात #जाति
anuragbauddh
शोषण की सारी कथाएं याद है मुझे, मां बहनों की बिलखती व्यथाएं याद है मुझे, उन्हें उनके कारनामें याद हों ना हों, पर झाड़ू मटका की प्रथाएं याद है मुझे ©anurag bauddh #शोषण #महिला #जाति #जाती
Monika verma
घड़ी की सुइयां टिक टिक करती आगे बढ़ जाती हैं, और वक्त का कारवां पीछे छूट जाता हैं। कभी दो वक्त की रोटी लेके गांव से चला था, आज दो वक्त की रोटी के लिए गांव जाना भूल जाता हैं। घड़ी की सुइयां टिक टिक करती आगे बढ़ जाती हैं, और वक्त का कारवां पीछे छूट जाता हैं। अपनेपन की आड़ में इतने खोखले हो गए हैं रिश्ते, कि हक जताते जताते एक रिश्ता टूट जाता हैं। कोई अपना बनके लूटता हैं, तो कोई अपना बना के लूट जाता हैं। घड़ी की सुइयां टिक टिक करती आगे बढ़ जाती हैं, और वक्त का कारवां पीछे छूट जाता हैं। बचपन इतना जिंदा हैं अभी भी, कि खुली आंखों से पेड़ पर झूले झूलती हूं। तभी कोई अजनबी पंखे पे फंदा बना के झूल जाता हैं। घड़ी की सुइयां टिक टिक करती आगे बढ़ जाती हैं, और वक्त का कारवां पीछे छूट जाता हैं। पीछे मुड़ के देखो तो यादों के सिवा कुछ बचा ही नहीं हैं, इतना आगे निकल चुका हैं वो, कि आवाज देते देते गला सुख जाता हैं। इतनी दरारें आ गई हैं वक्त वक्त की बातों में, लिखते लिखते कभी स्याही खत्म होती हैं, तो कभी हाथ से पेन छूट जाता हैं। घड़ी की सुइयां टिक टिक करती आगे बढ़ जाती हैं, और वक्त का कारवां पीछे छूट जाता हैं!!!!!! -मोनिका वर्मा 15-01-2023 ©Monika verma #घड़ी की सुइयां टिक टिक करती आगे बढ़ जाती हैं, और वक्त का कारवां पीछे छूट जाता हैं। #Poetry #poetry_addicts #DarkCity