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Chiman Singh Rawat

चौहान डि जे कनेर हरिपुर

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Chiman Singh Rawat

चौहान डि जे कनेर #vacation

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न्यू चौहान डि जे कनेर हरिपुर

©Chiman Singh Rawat चौहान डि जे कनेर

#vacation

Pratik Singh

मैं था गेंदासा वो था फूल कनेर का। #कविता

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Swati Tyagi

कनेर का पौधा #kaner #plant #Garden #swati nojoto #medicine #plants #Passion #swatityagi #जानकारी

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pankaj (lala)

है आसमान में ये अकेला कनेर का पीला फूल, इस तरह जैसे उसको गुमान बहुत है। मन के समुंदर में आज उफान बहुत है, कुछ लोग समझते है कि हम महान बहुत ह #nojotohindi #nojotopoem

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 है आसमान में ये अकेला कनेर का पीला फूल,
इस तरह जैसे उसको गुमान बहुत है।
मन के समुंदर में आज उफान बहुत है,
कुछ लोग समझते है कि हम महान बहुत ह

Vandana

क्यों पूनम की रात में बेकरारी बढ़ती है पिया से मिलने की खुमारी चढ़ती है,, समुद्र भी अपने उफान में रहता है चांद भी अपने शबाब में रहता है,, #yqbaba #Collab #yqdidi #YourQuoteAndMine #collabwithme #aestheticthoughts #yqaestheticthoughts #ATrandombg266

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सजना आना तू खिले चांद में
पूनम की रात में,,,,

पूरा कैप्शन में,, क्यों पूनम की रात में बेकरारी बढ़ती है 
पिया से मिलने की खुमारी चढ़ती है,,

समुद्र भी अपने उफान में रहता है
चांद भी अपने शबाब में रहता है,,

Unconditiona L💓ve😉

🌺🌿🌺🌿🌺🌿🌺🌿🌺🌿🌺🌿🌺🌿🌺🌿🌺🌿🌺🌿 आप और आपके अपनों को श्रावण मास की पावन बेला की हार्दिक शुभकामनायें!!भोलेनाथ आपकी सभी सुखद मनोकामनायें पूर्ण करें!! 🙏ॐ न #Shiva #Collab #महादेव #हर_हर_महादेव #ॐ_नमः_शिवाय #शिवशंभू #श्रावण_के_प्रथम_सोमवार

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ॐ नमः शिवायः  🌺🌿🌺🌿🌺🌿🌺🌿🌺🌿🌺🌿🌺🌿🌺🌿🌺🌿🌺🌿
आप और आपके अपनों को श्रावण मास की पावन बेला की हार्दिक शुभकामनायें!!भोलेनाथ आपकी सभी सुखद मनोकामनायें पूर्ण करें!!
🙏ॐ न

Vishw Shanti Sanatan Seva Trust

हिंदू पंचांग के अनुसार बगलामुखी जयंती हर साल वैशाख माह की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि पर मनाई जाती है। इस दिन विधि विधान से मां बगलामुखी की पू #5LinePoetry

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#5LinePoetry जय मां बगलामुखी

©Vishw Shanti Sanatan Seva Trust Trust हिंदू पंचांग के अनुसार बगलामुखी जयंती हर साल वैशाख माह की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि पर मनाई जाती है। इस दिन विधि विधान से मां बगलामुखी की पू

Unconditiona L💓ve😉

इन दिनों बहुत ज़्यादा बारिश हो रही है यहाँ, रात हुई मूसलाधार वर्षा के बाद सुबह देखा गिरते वेग से एक जल प्रपात..! जिसकी आवाज से कोसों दूर गूंज #Soul #yqbaba #झरना #capture #yqdidi #enjoylife #restzone

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🌱झरना 🌱
कुछ यादें बचपन की
आज जीने को मिला..!
फिर से
बच्चा बन उछलने को मिला..!
तो सारी
परेशानियों को भूल
ख़ुद को ढूंढ़ने को मिला...!
     इन दिनों
बहुत ज़्यादा बारिश हो रही है यहाँ,
रात हुई मूसलाधार वर्षा के बाद
सुबह देखा गिरते वेग से
एक जल प्रपात..!
जिसकी आवाज से
कोसों दूर गूंज

N S Yadav GoldMine

{Bolo Ji Radhey Radhey} सुंदर कांड :- चार सौ योजन अलंघनीय समुद्र को लाँघ कर महाबली हनुमान जी त्रिकूट नामक पर्वत के शिखर पर स्वस्थ भाव से खड़े #alone #पौराणिककथा

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{Bolo Ji Radhey Radhey}
सुंदर कांड :- चार सौ योजन अलंघनीय समुद्र को लाँघ कर महाबली हनुमान जी त्रिकूट नामक पर्वत के शिखर पर स्वस्थ भाव से खड़े हो गये। कपिश्रेष्ठ ने वहाँ सरल (चीड़), कनेर, खिले हुए खजूर, प्रियाल (चिरौंजी), मुचुलिन्द (जम्बीरी नीबू), कुटज, केतक (केवड़े), सुगन्धपूर्ण प्रियंगु (पिप्पली), नीप (कदम्ब या अशोक), छितवन, असन, कोविदार तथा खिले हुए करवीर भी देखे। फूलों के भार से लदे हुए तथा मुकुलित (अधखिले), बहुत से वृक्ष भी उन्हें दृष्टिगोचर हुए जिनकी डालियाँ झूम रही थीं और जिन पर नाना प्रकार के पक्षी कलरव कर रहे थे। 

 हनुमान जी धीरे धीरे अद्भुत शोभा से सम्पन्न रावणपालित लंकापुरी के पास पहुँचे। उन्होंने देखा, लंका के चारों ओर कमलों से सुशोभित जलपूरित खाई खुदी हुई है। वह महापुरी सोने की चहारदीवारी से घिरी हुई हैं। श्वेत रंग की ऊँची ऊँची सड़कें उस पुरी को सब ओर से घेरे हुए थीं। सैकड़ों गगनचुम्बी अट्टालिकाएँ ध्वजा-पताका फहराती हुई उस नगरी की शोभा बढ़ा रही हैं। 

 उस पुरी के उत्तर द्वार पर पहुँच कर वानरवीर हुनमान जी चिन्ता में पड़ गये। लंकापुरी भयानक राक्षसों से उसी प्रकार भरी हुई थी जैसे कि पाताल की भोगवतीपुरी नागों से भरी रहती है। हाथों में शूल और पट्टिश लिये बड़ी बड़ी दाढ़ों वाले बहुत से शूरवीर घोर राक्षस लंकापुरी की रक्षा कर रहे थे। नगर की इस भारी सुरक्षा, उसके चारों ओर समुद्र की खाई और रावण जैसे भयंकर शत्रु को देखकर हनुमान जी विचार करने लगे कि यदि वानर वहाँ तक आ जायें तो भी वे व्यर्थ ही सिद्ध होंगे क्योंकि युद्ध द्वारा देवता भी लंका पर विजय नहीं पा सकते। रावणपालित इस दुर्गम और विषम (संकटपूर्ण) लंका में महाबाहु रामचन्द्र आ भी जायें तो क्या कर पायेंगे? राक्षसों पर साम, दान और भेद की नीति का प्रयोग असम्भव दृष्टिगत हो रहा है। यहाँ तो केवल चार वेगशाली वानरों अर्थात् बालिपुत्र अंगद, नील, मेरी और बुद्धिमान राजा सुग्रीव की ही पहुँच हो सकती है। अच्छा पहले यह तो पता लगाऊँ कि विदेहकुमारी सीता जीवित भी है या नहीं? जनककिशोरी का दर्शन करने के पश्चात् ही मैँ इस विषय में कोई विचार करूँगा। 

 उन्होंने सोचा कि मैं इस रूप से राक्षसों की इस नगरी में प्रवेश नहीं कर सकता क्योंकि बहुत से क्रूर और बलवान राक्षस इसकी रक्षा कर रहे हैं। जानकी की खोज करते समय मुझे स्वयं को इन महातेजस्वी, महापराक्रमी और बलवान राक्षसों से गुप्त रखना होगा। अतः मुझे रात्रि के समय ही नगर में प्रवेश करना चाहिये और सीता का अन्वेषण का यह समयोचित कार्य करने के लिये ऐसे रूप का आश्रय लेना चाहिये जो आँख से देखा न जा सके, मात्र कार्य से ही यह अनुमान हो कि कोई आया था। 

 देवताओं और असुरों के लिये भी दुर्जय लंकापुरी को देखकर हनुमान जी बारम्बार लम्बी साँस खींचते हुये विचार करने लगे कि किस उपाय से काम लूँ जिसमें दुरात्मा राक्षसराज रावण की दृष्टि से ओझल रहकर मैं मिथिलेशनन्दिनी जनककिशोरी सीता का दर्शन प्राप्त कर सकूँ। अविवेकपूर्ण कार्य करनेवाले दूत के कारण बने बनाये काम भी बिगड़ जाते हैं। यदि राक्षसों ने मुझे देख लिया तो रावण का अनर्थ चाहने वाले श्री राम का यह कार्य सफल न हो सकेगा। अतः अपने कार्य की सिद्धि के लिये रात में अपने इसी रूप में छोटा सा शरीर धारण करके लंका में प्रवेश करूँगा और घरों में घुसकर जानकी जी की खोज करूँगा। 

 ऐसा निश्चय करके वीर वानर हनुमान सूर्यास्त की प्रतीक्षा करने लगे। सूर्यास्त हो जाने पर रात के समय उन्होंने अपने शरीर को छोटा बना लिया और उछलकर उस रमणीय लंकापुरी में प्रवेश कर गये।

©N S Yadav GoldMine {Bolo Ji Radhey Radhey}
सुंदर कांड :- चार सौ योजन अलंघनीय समुद्र को लाँघ कर महाबली हनुमान जी त्रिकूट नामक पर्वत के शिखर पर स्वस्थ भाव से खड़े
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