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Abhijit Mishra
ग़ज़ल अपनी खुद्दारी का सबब दिखाने जा रहा हूं। लो अब तुम्हारे खत भी मैं जलाने जा रहा हूं।। जिसके साथ मर्जी हो उसके साथ खुश रहलो तुम, मैं भी जिंदगी में किसी और को लाने जा रहा हूं।। , चिढ़ाती थी अभिजित कि घूमने जाऊंगी तुम्हारे रकीब के संग में, लो मैं भी इक नई लड़की के साथ संडे मनाने जा रहा हूं।। घंटो तक जो न देती थी रख लो रिप्लाई अपना, मैं नम्बर तुम्हारा अपने फोन से मिटाने जा रहा हूं।। पकड़कर हाथ तुमने पूछा था कि कौन है वो लड़की, अपने मन के मंदिर में उसी की तस्वीर लगाने जा रहा हूं।। ,, मैं शायर था शेर लिखता था तुम पर गाता रहता था, अब वही मुकम्मल ग़ज़लें महफ़िल में सुनाने जा रहा हूं।। अभिजित मिश्रा बेवफ़ाई पर खूबसूरत ग़ज़ल
Lawyer Bhati
काश!! कोई तो होता जो मुझसे प्यार करता मैं दर्द भरी शायरी छोड एक खूबसूरत ग़ज़ल लिखता ©Lawyer Bhati एक खूबसूरत ग़ज़ल लिखता #coldnights
hayaat
ख़ामोश लब हैं झुकी हैं पलकें दिलों में उल्फत नई-नई है अभी तक़ल्लुफ़ है गुफ़्तगू में अभी मोहब्बत नई-नई है ख़ामोश लब हैं झुकी हैं पलकें दिलों में उल्फत नई-नई है अभी न आएगी नींद तुमको अभी न हमको सुकूं मिलेगा अभी तो धड़केगा दिल ज्यादा अभी ये चाहत नई-नई है ख़ामोश लब हैं झुकी हैं पलकें दिलों में उल्फत नई-नई है बहार का आज पहला दिन है चलो चमन में टहल के आएं फ़ज़ां में खुशबू नयी नयी है गुलों पे रंगत रंगत नई-नई है ख़ामोश लब हैं झुकी हैं पलकें दिलों में उल्फत नई-नई है जो खानदानी रईस हैं वो मिज़ा रखते हैं नरम अपना तुम्हारा लहज़ा बता रहा है तुम्हारी दौलत नई-नई है ख़ामोश लब हैं झुकी हैं पलकें दिलों में उल्फत नई-नई है जरा सा कुदरत ने क्या नवाजा कि आके बैठे हैं पहली सफ़ में अभी से उड़ने लगे हवा में अभी तो शोहरत नई-नई है ख़ामोश लब हैं झुकी हैं पलकें दिलों में उल्फत नई- नई है ©hayaat शायरा शबीना अदीब की खूबसूरत ग़ज़ल.....✨❤️ #Flower
Prem Narayan Shrivastava
मैं तुमसे अर्ज़ अब कुछ न कर सकूंगा अपने दिल को ही सजा देकर तुमको भुला दूंगा यूं तो हर रोज जहर मैं पी रहा हूं मगर अब तुम्हें भुलाने खातिर गम को सजा लूंगा हमारा हाल ए गम सुन कर मुंह मोड़ लेते हो मैं तुम्हारे सामने अपनी हसरत मिटा दूंगा कुरबतों से कब तक दिल बहलाता रहूंगा दिल तोड़ने वाले खुद को खाक में मिला दूंगा न जाने कैसे तुम्हें मेरा पता याद आया राज ए गम छुपा कर सोचा अब दिल जला लूंगा सोचता हूं जब कभी तुमसे रस्म आे राह हो जाए मैं सारे शिकवे भुला कर दिल लगा लूंगा मेरी स्वरचित इक नई ग़ज़ल पैमाना ए हसरत ©Prem Narayan Shrivastava पैमाना ए हसरत मेरे द्वारा स्वरचित इक खूबसूरत ग़ज़ल आप सभी के लिए।। #Saffron
NigamNawazOfficial
kumaarkikalamse
एक दिन कर लेना तुम कुबूल मुझे, मैं तब तक कुछ कुछ नयन में रहूँगा! तुम मेरी हो, तुम यह कहती हो मुझसे, मैं इसी संगीत, इसी मधुर धुन में रहूँगा! नाम तुम्हारा, दिव्य अलौकिक जाना, मैं तेरे पागलपन की छुअन में रहूँगा! गुलाबी नगरी और मेरे उस से नाता, मैं तेरे शहर , दिल के भवन में रहूँगा! बहुत खूबसूरत ग़ज़ल लिख रहा हूँ तुम्हें देखकर आजकल लिख रहा हूँ..! सुनो तुम ही हो इसकी प्रेरणा, तुझसे ही शब्दों का सार है #kumaarsthought #
Sachin Ratnaparkhe
'अमर्ष' ने तो बखूबी बता दिया है अंजाम-ए-इश्क़, अब भी ना आया हो समझ तो 'राही' से सार पूछिए। मेरे ना होने की भी बस इतनी सी कमी है जो हूँ तो हूँ नही भी हूँ तो कोई बात नही है😊 बहुत खूबसूरत ग़ज़ल #बस_जो_लिखा_है_दिल_से_लिखा_है #ye_m
Arshad Ansari
लिखूंगा खूबसूरत इक ग़ज़ल रुखसार पर तेरे सुनाऊंगा सरे महफ़िल ग़ज़ल रुखसार पर तेरे अरशद अंसारी फतेहपुर लिखूंगा खूबसूरत इक ग़ज़ल रुखसार पर तेरे सुनाऊंगा सरे महफ़िल ग़ज़ल रुखसार पर तेरे अरशद अंसारी
Veena Khandelwal
#ग़ज़ल मुहब्बत जब करें आँखे , इबारत ही नहीं होती। दिखावे की ज़ताने की,लियाकत ही नहीं होती। सफीने दिल लिखी मेरे ,इबारत तुम ज़रा पढ़ लो। उसे इज़हार करने की , ज़रूरत ही नहीं होती। नज़ाकत है अदाओं में,नज़ारत से भरा चेहरा। इशारों से अगर छेड़ूं , शरारत ही नहीं होती । इबादत इश्क को समझे,शिकायत हो ना इक दूजे। मुहब्बत में वहां यारों , सियासत ही नहीं होती। जहाँ दो प्यार करते दिल,दो तन इक जान हो जाये खुदा जाने बड़ी इससे , इनायत ही नहीं होती। करी माँ बाप की सेवा, खुशी दामन भरे उनके। बड़ी इससे कभी कोई , इबादत ही नहीं होती। हया आँखों में थोड़ी हो,जरा हो चाल गजनी सी। लबों मुस्कान हो ऐसी नज़ाकत ही नहीं होती। मुहब्बत पास इतनी हो,मगर कुछ बंदिशें भी हो। सम्हाले किस तरह दिल को,हिफ़ाज़त ही नहीं होती। बिखर जाये मुहब्बत जब,बसा घर भी बिखर जाये। तमन्ना हो ना जीने की ,कयामत ही नहीं होती। नज़ारत=ताजगी लियाकत=योग्यता,शालिनता ग़ज़ल