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shaukat ali shaukat
अपने महबूब की और अपनी अताअत के लिए हमको ख़ालिक़ ने किया ख़ल्क़ इबादत के लिए ताकि इन्साफ़ की रहों पे रहें हम क़ायम रब्ब ने नाज़िल किया मीज़ान अदालत के लिए शौकत अली 'शौकत' अपने महबूब की और अपनी अताअत के लिए हमको ख़ालिक़ ने किया ख़ल्क़ इबादत के लिए ताकि इन्साफ़ की रहों पे रहें हम क़ायम रब्ब ने नाज़
Naushad Sadar Khan
खूबसूरत चेहरों पर जो नक़ाब हैं महंगे महंगे उतर गए तो कई झूट बेनक़ाब हो जाएँगे , जो पूछते हैं हमसे हर रोज़ एक नया सवाल आइना देखकर खुद लाजवाब हो जाएँगे , बंद करो ये नफ़रतों का कारोबार ज़ालिमों वरना बहुत जल्द,तुम पर नाज़िल अज़ाब हो जाएँगे , नयी पीढ़ी को तालीम की सख़्त ज़रूरत है कैसे चलेंगी मशीने,जब पुर्ज़े ख़राब हो जाएँगे , जो सफ़ेद पोश बैठे हैं कुर्सियों को सीने से लगाए वक़्त आ गया है अब सबके हिसाब हो जाएँगे , ना जाने कितने समा गए काग़ज़ के पन्नो में देखना ये ज़ालिम लोग भी पुरानी किताब हो जाएँगे , कैसे सलामत रह सकेगा फिर घर कोई ग़र जलाने पर आमादा घर के चराग़ हो जाएँगे , जो साँसे थम गयी हक़ की लड़ाई में मेरे यारों शहादत पर तुम्हारी ज़िंदा इंक़लाब हो जाएँगे , -नौशाद सदर ख़ान खूबसूरत चेहरों पर जो नक़ाब हैं महंगे महंगे उतर गए तो कई झूट बेनक़ाब हो जाएँगे , जो पूछते हैं हमसे हर रोज़ एक नया सवाल आइना देखकर खुद लाजव
साहस
वाकिफ है हम आपकी चाहत से,जिंदगी मिलती है। जिंदगानी में मौ़कूफ़ पहचान जाने से बंदगी खिलती है।। Urdu_Word_Collab_Challenge_ Collab करें मेरे साथ 👉 Urdu_Hindi Poetry आज का लफ्ज़ है "मौक़ूफ़" अब पहले की तरह एक विजेता नहीं बल्कि 3 विजेता
Umrain Ahmed (Akhtar)
बे-ज़री की छांव है , फ़ाक़ा-कशी की धूप है बाज़ मुफ़लिसों की जिंदगी चाय पर मोक़ूफ़ है Urdu_Word_Collab_Challenge_ Collab करें मेरे साथ 👉 Urdu_Hindi Poetry आज का लफ्ज़ है "मौक़ूफ़" अब पहले की तरह एक विजेता नहीं बल्कि 3 विजेता
Dr. Nazim Moradabadi
कलाम-ए-नाज़िम कोई दिन आयेगा नाशादगी से शाद भी होंगे ग़मों के क़ैद खाने से कभी आज़ाद भी होंगे मिरा दावा है दुनिया ही में वो बरबाद भी होंगे वसाइल जब तबाही के यहां ईजाद भी होंगे हमेशा एक जैसा वक़्त तो रहता नहीं सबका "हुऐ नाशाद जो इतने तो हम दिलशाद भी होंगे" उधर से बाद मुद्दत के मिरे खत का जवाब आया नहीं सोचा था उसको आज तक हम याद भी होंगे दहल जायेंगे दिल उनके हमारे इक ही नारे से हमारे सामने दुशमन अगर फौलाद भी होंगे किसे मालूम था कि खूब इर्तेदाद फैलेगा हज़ारो मोमिनो के दीन तक बर्बाद भी होंगे भुला डाला जिन्होने अपने आबा के तरीक़ों को यक़ीनन रू सिया उस क़ौम के अफराद भी होंगे भरम टूटा है कुछ ऐसा गुमां से भी जो बाहर था मेरे अपने ही मेरे वास्ते जल्लाद भी होंगे ये नाज़ुक दिल मिरा जिसने दुखाया उम्र भर "नाज़िम" मेरे अशआर उसके रंज की बुनियाद भी होंगे नाज़िम मुरादाबादी✍︎ 9 जनवरी 2022 बरोज़ इतवार मोबाइल +919520326175 ©DrNAZIM AHMAD SHAH #नाज़िम की क़लम से
mkbwri8s
दूर से दिख रहा है मंज़िल पर मिल नहीं रहा है हौसला अभी भी है मेरे दिल मै जो उसके करीब होने की कदम बढ़ाता है #मंज़िल
Avinash Gupta
साजिशें एक कहानी इश्क़ की जो कभी हम लिख रहे थे, कुछ हसीन लम्हें जो ख्वाबों से निकल कर आंखों में दिख रहे थे, बातें वो मुलाकातें जो पल्को में छिपा रखीं थी, महलों में रहने वाले दिल में क्या रह पायेंगे, ये अफवाह लोगों ने बड़े जोरों से फैला रखी थी.. बना रहे थे हम भी एक मकान मिट्टी का उसी शहर में, खबर ये काले बादलों को ना जाने किसने बता रखीं थी... हौसले फिर भी उड़ान भर रहे थे, अनजानी गलियों में बे सहारे ही चल रहे थे, हवाऐं कभी साथ तो कभी खिलाफ हो रखीं थी.. रोशनी से उम्मीदें अब बेईमानी हो चली, इसलिए बारिश से कुछ मोहलतें हमनें उधार ले रखीं थी... हम जानते थे साज़िशें बहुत गहरी थीं आशियाने को मिटाने की, पर हमनें भी कुछ दुआएं हमारे हक में सम्भाल रखीं थी... चांद एक बार फिर से निकलने लगा था बादलों के आगोश से, शायद चाहतों ने हमारी एक नई दुनिया तैयार रखीं थी... Mr. Avi साज़िश
RjSunitkumar
मंजिले भी वहां फिदा होती है जहा अपनी दिल की सही तमन्ना हो यूं आशान नहीं मंज़िल को पाना यारा कदम कदम पर इम्तिहान होते है वहा वहा..... #मंज़िल.......
yogendra Majhi
परिंदो को मंज़िल मिलेगी यकीन उसके पर बोलते हैं, अक्सर वो लोग शांत रहते हैं, जिसके हुनर बोलते है!!!!!!! #मंज़िल