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Babul Inayat
ज़ुल्म फिर ज़ुल्म है बढ़ता है तो मिट जाता है ख़ून फिर ख़ून है टपकेगा तो जम जाएगा ख़ाक-ए-सहरा पे जमे या कफ़-ए-क़ातिल पे जमे फ़र्क़-ए-इंसाफ़ पे या पा-ए-सलासिल पे जमे तेग़-ए-बे-दाद पे या लाशा-ए-बिस्मिल पे जमे ख़ून फिर ख़ून है टपकेगा तो जम जाएगा - बाबुल इनायत ज़ुल्म फिर ज़ुल्म है बढ़ता है तो मिट जाता है ख़ून फिर ख़ून है टपकेगा तो जम जाएगा ख़ाक-ए-सहरा पे जमे या कफ़-ए-क़ातिल पे जमे फ़र्क़-ए-इं
RJ Surbhi Jain
ख़त ख़त लिख कर बताऊँगी अपना हाल ताकि मेरे जाने के बाद हो तेरे लिए समझना असान................ लिखूंगी हाल- ए- दिल.... #nojoto #nojotohindi #poem #surbhikikalamse #WOD #ख़त
HP
हकीकत हाल हो गई,जो बुजुर्गों ने बोला वही बात हो गई..! वक्त निकलते गए सवाल बढ़ते गए..! भूत भविष्य वर्तमान मिला कर देखा अपने आप को ही दुश्वार मानने की सवाल आ गई...! दुश्वार
Jyotshna 24
पहले इन हवाओं में सुकून था, अब तो इन हवाओं में घुटन और बैचेनी है । जिना दुश्वार हो गया है, अब पहले जैसे कहाँ ज़िंदगी है । #दुश्वार#नोजोटो
JASRANA
कस्द-ए-कातिल का दिल-ए-जार को यकीं नहीं होता उसका खंजर जो उसका चाक-ए-आस्तीं नहीं होता कभी खू-ए-जफा-ए-यार का भी इल्म ना होता जो उसके जूर्म का सुबूत-ओ-गवाह ही नहीं होता बरसती आँख का आंसू जो ना मिलता समंदर में तो पानी ईं-जहां का आज यूँ नमकीं नहीं होता किसी अपने की आग ने जलाया ना अगर होता तो नूर-ए-चांद का भी नाम चाँदनी नहीं होता उस जफा-कार ने गर एक भी वफा ना की होती तो आज प्यार का नामो निशां कहीं नहीं होता कस्द-ए-कातिल - कातिल के इरादे दिल-ए-जार - दुखी दिल चाक-ए-आस्तीं - आस्तीन को काटने वाला खू-ए-जफा-ए-यार - यार की बे-वफाई की आदत
🤗Awesh Pathan👈
SM HADI
~अब्दुल हादी जवाबात की तलाश मे खो गई ये हयात कितना दुश्वार है तालिब-ए-हन्दिस्ता होना ~अब्दुल हादी
SM HADI
~अब्दुल हादी जवाबात की तलाश मे खो गई है जिंदगी कितना दुश्वार है तालिब-ए-हन्दिस्ता होना ~अब्दुल हादी
Dr.asha Singh sikarwar
"ख़त को खोलूँ या रख दूँ संभालकर अपने जेबर के बक्से में लिख दिया होगा उसने प्रेम के बदले प्रेम कि खोयी रहूँ मैं इसी ख़याल में " आशासिंह सिकरवार #NojotoQuote "ख़त ख़त kavita #kavita