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Krishna Kanto

                महामृत्युंजय मंत्र 

  ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् |
 उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ||

©Krishna Kanto
  वे तीनों लोकों के पिता स्वरुप एक रुप है । अकाल महाकाल हैं ।
हर हर महादेव ।
#shivratri #mahadev #Maha_shivratri #Shiva 
#shivratri2023

वे तीनों लोकों के पिता स्वरुप एक रुप है । अकाल महाकाल हैं । हर हर महादेव । #shivratri #mahadev #Maha_shivratri #Shiva #shivratri2023 #Mythology

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manoj kumar jha"Manu"

उत्तिष्ठोत्तिष्ठ गोविन्द 
उत्तिष्ठ गरुडध्वज।
उत्तिष्ठ कमलाकान्त 
त्रैलोक्यमन्गलं कुरु।।

हे गोविन्द!उठिये। 
हे गरुण ध्वज!उठिये।
हे कमलकान्त!
निद्रा का त्याग कर 
तीनों लोकों का 
कल्याण करिये। देवोत्थान एकादशी की हार्दिक शुभकामनाएं।

उत्तिष्ठोत्तिष्ठ गोविन्द 
उत्तिष्ठ गरुडध्वज।
उत्तिष्ठ कमलाकान्त 
त्रैलोक्यमन्गलं कुरु।।

हे गोविन्द

देवोत्थान एकादशी की हार्दिक शुभकामनाएं। उत्तिष्ठोत्तिष्ठ गोविन्द उत्तिष्ठ गरुडध्वज। उत्तिष्ठ कमलाकान्त त्रैलोक्यमन्गलं कुरु।। हे गोविन्द

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Vivek Yadav

तीनों लोकों में फैला है फिर भी बिकता है बोतलों में पानी

#Flute #सच्चाई_आज_की

तीनों लोकों में फैला है फिर भी बिकता है बोतलों में पानी #Flute #सच्चाई_आज_की

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SoulChitra

माफ़ करना मेरी गलतियों को,
तेरा ये भक्त अभी अनजान है,
मुझे तो बस इतना पता है भोले,
तेरा नाम तीनों लोकों में महान है॥

#drawing #Bholenath #ma

माफ़ करना मेरी गलतियों को, तेरा ये भक्त अभी अनजान है, मुझे तो बस इतना पता है भोले, तेरा नाम तीनों लोकों में महान है॥ #Drawing #Bholenath ma #Shiva #Society #mahadev #mahashivratri #sambhu #Maha_shivratri #bholenathsabkesath🙏 #Mahashivratri2023

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Akash Das

 #GaneshVisarjan
असली विघ्नहर्ता हैं आदि गणेश
बांझन को पुत्र और कोढ़िन को काया देने वाला आदि गणेश ही हैं। कबीर परमात्मा ही आदि गणेश हैं जो तीन

#GaneshVisarjan असली विघ्नहर्ता हैं आदि गणेश बांझन को पुत्र और कोढ़िन को काया देने वाला आदि गणेश ही हैं। कबीर परमात्मा ही आदि गणेश हैं जो तीन #nojotophoto

3 Love

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Gulshan Rishi Yadav

 तीनों लोकों के स्वामी भगवान जगन्नाथ का आशीर्वाद आप सभी के जीवन में बना रहे, रथ यात्रा की शुभकामनाएं।

तीनों लोकों के स्वामी भगवान जगन्नाथ का आशीर्वाद आप सभी के जीवन में बना रहे, रथ यात्रा की शुभकामनाएं।

5 Love

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Akash Das

 #श्रीमद्भगवद्गीता_के_रहस्य
गीता अध्याय 15 श्लोक 17 में कहा है कि वास्तव में अविनाशी परमात्मा तो इन दोनों (क्षर पुरूष तथा अक्षर पुरूष) से दूस

#श्रीमद्भगवद्गीता_के_रहस्य गीता अध्याय 15 श्लोक 17 में कहा है कि वास्तव में अविनाशी परमात्मा तो इन दोनों (क्षर पुरूष तथा अक्षर पुरूष) से दूस #nojotophoto

10 Love

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Vandana Rana

दोस्तों यहां सब बिकता है रहना जरा संभल कर, 
बेचने वाले हवा भी बेच देते हैं गुब्बारे में डालकर,
झूठ बिकता है, सच बिकता है बिकती है हर एक कहानी,
तीनों लोकों में उपलब्ध है फिर भी बिकता है बोतल में पानी।
Vandana Rana दोस्तों यहां सब बिकता है रहना जरा संभल कर, 
बेचने वाले हवा भी बेच देते हैं गुब्बारे में डालकर,
झूठ बिकता है, सच बिकता है बिकती है हर एक कहान

दोस्तों यहां सब बिकता है रहना जरा संभल कर, बेचने वाले हवा भी बेच देते हैं गुब्बारे में डालकर, झूठ बिकता है, सच बिकता है बिकती है हर एक कहान

27 Love

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Paramjeet kaur Mehra

 गीता अध्याय 15 श्लोक 17 में कहा है कि वास्तव में परमात्मा तो क्षर पुरुष व अक्षर पुरुष से अन्य है जो तीनों लोकों में प्रवेश करके सबका धारण-पो

गीता अध्याय 15 श्लोक 17 में कहा है कि वास्तव में परमात्मा तो क्षर पुरुष व अक्षर पुरुष से अन्य है जो तीनों लोकों में प्रवेश करके सबका धारण-पो #Comedy #nojotophoto

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Akash Das

 #GaneshVisarjan
असली विघ्नहर्ता हैं आदि गणेश
बांझन को पुत्र और कोढ़िन को काया देने वाला आदि गणेश ही हैं। कबीर परमात्मा ही आदि गणेश हैं जो तीन

#GaneshVisarjan असली विघ्नहर्ता हैं आदि गणेश बांझन को पुत्र और कोढ़िन को काया देने वाला आदि गणेश ही हैं। कबीर परमात्मा ही आदि गणेश हैं जो तीन #nojotophoto

5 Love

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Paramjeet kaur Mehra

 🎋गीता सार
वास्तविक भक्ति विधि के लिए गीता ज्ञान दाता प्रभु (ब्रह्म) किसी तत्वदर्शी की खोज करने को कहता है (गीता अध्याय 4 श्लोक 34) इस से सिद

🎋गीता सार वास्तविक भक्ति विधि के लिए गीता ज्ञान दाता प्रभु (ब्रह्म) किसी तत्वदर्शी की खोज करने को कहता है (गीता अध्याय 4 श्लोक 34) इस से सिद #Music #nojotophoto

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Ruchi Baria

लम्बत्स पिङ्गल जटा मुकुटोत्कटाय दंष्ट्राकरालविकटोत्कटभैरवाय । 
व्याघ्राजिनाम्बरधराय मनोहराय त्रिलोकनाथनमिताय नम: शिवाय ॥

©Ruchi Baria लम्बत्स पिङ्गल जटा मुकुटोत्कटाय दंष्ट्राकरालविकटोत्कटभैरवाय । 
व्याघ्राजिनाम्बरधराय मनोहराय त्रिलोकनाथनमिताय नम: शिवाय ॥

"जो लटकती हुई पिङ्

लम्बत्स पिङ्गल जटा मुकुटोत्कटाय दंष्ट्राकरालविकटोत्कटभैरवाय ।  व्याघ्राजिनाम्बरधराय मनोहराय त्रिलोकनाथनमिताय नम: शिवाय ॥ "जो लटकती हुई पिङ् #Shiva #today #mahadev #safar #समाज #mahakal

17 Love

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N S Yadav GoldMine

{Bolo Ji Radhey Radhey}
यह एक पौराणिक कथा है। कुबेर तीनों लोकों में सबसे धनी थे। एक दिन उन्होंने सोचा कि हमारे पास इतनी संपत्ति है, लेकिन कम ही लोगों को इसकी जानकारी है। इसलिए उन्होंने अपनी संपत्ति का प्रदर्शन करने के लिए एक भव्य भोज का आयोजन करने की बात सोची। उस में तीनों लोकों के सभी देवताओं को आमंत्रित किया गया।
भगवान शिव उनके इष्ट देवता थे, इसलिए उनका आशीर्वाद लेने वह कैलाश पहुंचे और कहा, प्रभो! आज मैं तीनों लोकों में सबसे धनवान हूं, यह सब आप की कृपा का फल है। अपने निवास पर एक भोज का आयोजन करने जा रहा हूँ, कृपया आप परिवार सहित भोज में पधारने की कृपा करे।

भगवान शिव कुबेर के मन का अहंकार ताड़ गए, बोले, वत्स! मैं बूढ़ा हो चला हूँ, कहीं बाहर नहीं जाता। कुबेर गिड़गिड़ाने लगे, भगवन! आपके बगैर तो मेरा सारा आयोजन बेकार चला जाएगा। तब शिव जी ने कहा, एक उपाय है। मैं अपने छोटे बेटे गणपति को तुम्हारे भोज में जाने को कह दूंगा। कुबेर संतुष्ट होकर लौट आए। नियत समय पर कुबेर ने भव्य भोज का आयोजन किया।

तीनों लोकों के देवता पहुंच चुके थे। अंत में गणपति आए और आते ही कहा, मुझको बहुत तेज भूख लगी है। भोजन कहां है। कुबेर उन्हें ले गए भोजन से सजे कमरे में। सोने की थाली में भोजन परोसा गया। क्षण भर में ही परोसा गया सारा भोजन खत्म हो गया। दोबारा खाना परोसा गया, उसे भी खा गए। बार-बार खाना परोसा जाता और क्षण भर में गणेश जी उसे चट कर जाते।

थोड़ी ही देर में हजारों लोगों के लिए बना भोजन खत्म हो गया, लेकिन गणपति का पेट नहीं भरा। वे रसोईघर में पहुंचे और वहां रखा सारा कच्चा सामान भी खा गए, तब भी भूख नहीं मिटी। जब सब कुछ खत्म हो गया तो गणपति ने कुबेर से कहा, जब तुम्हारे पास मुझे खिलाने के लिए कुछ था ही नहीं तो तुमने मुझे न्योता क्यों दिया था? कुबेर का अहंकार चूर-चूर हो गया।

©N S Yadav GoldMine
  #Nightlight {Bolo Ji Radhey Radhey}
यह एक पौराणिक कथा है। कुबेर तीनों लोकों में सबसे धनी थे। एक दिन उन्होंने सोचा कि हमारे पास इतनी संपत्ति

#Nightlight {Bolo Ji Radhey Radhey} यह एक पौराणिक कथा है। कुबेर तीनों लोकों में सबसे धनी थे। एक दिन उन्होंने सोचा कि हमारे पास इतनी संपत्ति #जानकारी

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Vibhor VashishthaVs

 Meri Diary #Vs❤❤
  ‼️शुभ प्रभात‼️
देव प्रबोधिनी एकादशी सर्वमंगलमयी हो⛳
'हे गोविन्द ! उठिए, उठिए, हे गरुडध्वज ! उठिए, हे कमलाकांत ! निद्रा का त्याग कर तीनों लोकों का मंगल कीजिये!
🙏!! श्री हरिविष्णु  !!🙏
🚩सनातन धर्म की जय हो🚩
सभी सनातनी भाई-बहनों को भगवान श्री नारायण के जागृतिदिवस देवप्रबोधनी एकादशी एवं तुलसी-विवाह की हार्दिक शुभकामनाएं...।
🙏🏵🙏 जय विष्णु प्रिया तुलसी मैया🙏🏵🙏
🙏🏵🙏जय जय भगवान हरि विष्णु🙏🏵🙏
✍️Vibhor vashishtha Vs
 Meri Diary #Vs❤❤
             ‼️शुभ प्रभात‼️
देव प्रबोधिनी एकादशी सर्वमंगलमयी हो⛳
'हे गोविन्द ! उठिए, उठिए, हे गरुडध्वज ! उठिए, हे कमलाकांत

Meri Diary Vs❤❤ ‼️शुभ प्रभात‼️ देव प्रबोधिनी एकादशी सर्वमंगलमयी हो⛳ 'हे गोविन्द ! उठिए, उठिए, हे गरुडध्वज ! उठिए, हे कमलाकांत #Krishna #shreeram #tulsi #Vishnu #vs❤❤ #shreehari #narayanhari #sanatanadharma

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Vibhor VashishthaVs

Meri Diary #Vs❤❤
बिस्वनाथ मम नाथ पुरारी। त्रिभुवन महिमा बिदित तुम्हारी॥
चर अरु अचर नाग नर देवा। सकल करहिं पद पंकज सेवा॥
भावार्थ-
(पार्वती जी कहती हैं -) हे संसार के स्वामी! हे मेरे नाथ! हे त्रिपुरासुर का वध करनेवाले! आपकी महिमा तीनों लोकों में विख्यात है। चर, अचर, नाग, मनुष्य और देवता सभी आपके चरण कमलों की सेवा करते हैं... ।
‼️सुप्रभात‼️
‼️शुभ सोमवार‼️
‼️🏵🙏जगत जननी माँ पर्वती जी की जय हो🙏🏵‼️
‼️🏵🙏हर हर महादेव शिव शंभु🙏🏵‼️
महादेव एवं माँ पार्वती की की कृपा आप सभी पर बनी रहे एवं आपका दिन मंगलमय, शुभ हो...
💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐
✍️Vibhor vashishtha vs Meri Diary #Vs❤❤
बिस्वनाथ मम नाथ पुरारी। त्रिभुवन महिमा बिदित तुम्हारी॥
चर अरु अचर नाग नर देवा। सकल करहिं पद पंकज सेवा॥
भावार्थ-
(पार्वती जी

Meri Diary Vs❤❤ बिस्वनाथ मम नाथ पुरारी। त्रिभुवन महिमा बिदित तुम्हारी॥ चर अरु अचर नाग नर देवा। सकल करहिं पद पंकज सेवा॥ भावार्थ- (पार्वती जी #Shiva #yourquote #mahadev #yqdidi #mahakal #yourquotedidi #vs❤❤

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Paramjeet kaur Mehra

 गीता अध्याय 15 श्लोक 17 में कहा है कि वास्तव में अविनाशी परमात्मा तो इन दोनों (क्षर पुरूष तथा अक्षर पुरूष) से दूसरा ही है वही तीनों लोकों मे

गीता अध्याय 15 श्लोक 17 में कहा है कि वास्तव में अविनाशी परमात्मा तो इन दोनों (क्षर पुरूष तथा अक्षर पुरूष) से दूसरा ही है वही तीनों लोकों मे #story #nojotophoto

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N S Yadav GoldMine

जब इंद्र पुत्र जयंत ने माता सीता को चोंच मारी पढ़िए दिलचस्प कथा !! 🏯🏯{Bolo Ji Radhey Radhey}

इंद्र पुत्र जयंत :- 💡 यह उस समय की बात है जब भगवान श्रीराम को 14 वर्षों का वनवास मिला हुआ था। उस समय वे अपनी पत्नी सीता व भाई लक्ष्मण के साथ चित्रकूट में रह रहे थे। एक दिन भगवान श्रीराम माता सीता के साथ अपनी कुटिया के बाहर उनकी गोद में सर रखकर लेटे थे। तब इंद्र पुत्र जयंत को एक शरारत सूझी व उसने कौवे का रूप धारण कर लिया। वह कौवा बनकर उनकी कुटिया के पास आया व विचरने लगा। आज हम उसी घटना के बारे में जानेंगे।

माता सीता को मारी चोंच :- 💡 जयंत की उद्दडंता तब हुई जब उसने माता सीता के पाँव में चोंच मारी। माता सीता के द्वारा उसे बार-बार हटाने का प्रयास किया गया लेकिन उसने चोंच मारनी जारी रखी। इसके कारण माता सीता के पैर से रक्त बहने लगा। जब भगवान राम ने माता सीता को इस तरह परेशान होते देखा तो उन्होंने इसका कारण पूछा। माता सीता ने उन्हें अपना पैर दिखाया व कौवें के द्वारा परेशान करना बताया।

भगवान राम ने चलाया ब्रह्मास्त्र :- 💡 भगवान राम कौवे की इस हरकत से अत्यंत क्रोधित हो गए। चूँकि भगवान राम अत्यंत धैर्यवान व विनम्र स्वभाव के व्यक्तित्व वाले थे किंतु माता सीता को पहुंचे आघात के कारण उन्होंने अपना संयम खो दिया। उन्होंने उसी समय अपना ब्रह्मास्त्र निकाला व उस कौवें पर चला दिया।

जयंत भागा तीनों लोकों में :- 💡 भगवान श्रीराम के द्वारा ब्रह्मास्त्र का प्रहार करने पर इंद्र पुत्र जयंत वहां से भाग गया लेकिन ब्रह्मास्त्र ने उसका पीछा नही छोड़ा। वह अपने प्राण बचाकर तीनों लोकों में दौड़ा किंतु कोई भी उसे नही बचा सका। अपने पिता के देव लोक में भी किसी के अंदर उसे बचाने का साहस नही था। तब नारद मुनि ने उससे कहा कि उसे केवल प्रभु श्रीराम ही बचा सकते है।

जयंत ने मांगी श्रीराम से क्षमा :- 💡 तब जयंत भागता हुआ वापस चित्रकूट की उसी कुटिया में आया व भगवान श्रीराम के चरणों में गिर पड़ा। उसने अपने अपराध के लिए भगवान श्रीराम से क्षमा मांगी। तब भगवान राम ने उसे ब्रह्मास्त्र को अपना कोई अंग देने को कहा। तब जयंत के कहने पर प्रभु श्रीराम ने उनकी दायी आँख फोड़ दी व उसे क्षमा कर दिया।

©N S Yadav GoldMine
  #snowfall जब इंद्र पुत्र जयंत ने माता सीता को चोंच मारी पढ़िए दिलचस्प कथा !! 🏯🏯{Bolo Ji Radhey Radhey}

इंद्र पुत्र जयंत :- 💡 यह उस समय की बा

#snowfall जब इंद्र पुत्र जयंत ने माता सीता को चोंच मारी पढ़िए दिलचस्प कथा !! 🏯🏯{Bolo Ji Radhey Radhey} इंद्र पुत्र जयंत :- 💡 यह उस समय की बा #पौराणिककथा

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Sahil Bhardwaj

माँ हो, माँ का अवतार तो तुम
इस जीवन के सृजन का आधार हो तुम,
बहन हो, बेटी हो, हर कुल की रक्षक
कभी लक्ष्मी, कभी सरस्वती,
तो कभी दुर्गा का अवतार हो तुम... Happy Navaratri Guys... ☺️☺️
Read in Caption..
Comment, share and tag if you like it...
🔹🔸🔹🔸🔹🔸🔹🔸🔹🔸🔹🔸🔹🔸
.....................................

Happy Navaratri Guys... ☺️☺️ Read in Caption.. Comment, share and tag if you like it... 🔹🔸🔹🔸🔹🔸🔹🔸🔹🔸🔹🔸🔹🔸 ..................................... #Poetry #navratri #Dussehra #yqbaba #yqdidi #navaratri #Durgapuja #sahilbhardwaj

137 Love

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vishnu prabhakar singh

हे भगवान कबूल करो ये नमन
नन्हा सा  दीप हूँ भोले
स्वीकार करो ये भजन
हे भगवान कबूल करो ये नमन
तेरी महिमा अपार
तेरा भक्तों से प्यार
तेरा अद्भुत व्यवहार
तेरा औघड़ विचार
तू है पापियों का नाशी
अच्छे कर्मों का तू जिज्ञासी
फिर क्यूँ है ये उदासी
कर दे दूर भोले अपशकुन
स्वीकार करो ये भजन
तेरा नन्हा सा दीप
इसके बातों में गीत
इसके तन मन में भोले
कल्पित भजन में भोले
तीनों लोकों के स्वामी
तू तो है अन्तर्यामी
भोले कैसी ये हानि
क्यूँ भेजे यहाँ अभिमानी
मेरी श्रद्धा का ये नमन
तेरे कलयुग का ये ढंग
इसकी रक्षा करो भगवन
बचा लो भक्तों का ये चमन
तेरे भक्तों की है ये इच्छा
भोले लो ना यूँ परीक्षा
दिखा तेरा भक्तों से प्यार
भोले नयन खोलो एक बार
हो जाये इस दुनियां का उद्धार। जय भोलेनाथ'
🙏
यह भजन मैंने 27,28/7/1995 को लिखा था।


मैं शिवरात्रि में अपने गाँव में था।हमारे ग्रामीण परिवेश में भोलेनाथ के लोकगीत व भजन को

जय भोलेनाथ' 🙏 यह भजन मैंने 27,28/7/1995 को लिखा था। मैं शिवरात्रि में अपने गाँव में था।हमारे ग्रामीण परिवेश में भोलेनाथ के लोकगीत व भजन को #yqbaba #yqdidi #ॐ #शैली #miscellaneous #Dilserearchu #मशानी

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Vikas Sharma Shivaaya'

सिमरन मतलब जाप-प्रभु का निरंतर स्मरण है-अधिक सिमरन से शरीर शब्दमय हो जाता है, राम - नाम का सिमरन रग- रग में बस जाता है -क्रोध और जितने दुर्गुण हैं, वे अपने आप ही समाप्त हो जाते हैं ...,

जो शुभ अंदर से जागता है, वह ठहरने वाली चीज़ है-बाहर की बनावट नहीं रहती,अंदर यदि नाम बस जाए तो बाहर आप प्रसन्नता आ जाती है...,

ख़ाली समय हर मनुष्य के पास होता है- जो चाहता है कि मेरा जीवन अच्छा हो , तो वह ख़ूब सिमरन करे ...,

सिमरन घबराहट भी दूर करता है- मनुष्य का मानस बल भी बढ़ाता  है-सिमरन करने वाला  बहुत निडर हो जाता है,पर लाभ तो भावना सहित सिमरन करने से है...,

रात को नींद न आना-स्वप्न अधिक आना आदि के सब काँटे सिमरन करने वाले के दूर हो जाते हैं-ध्यान में भी बहुत सहायता मिलती है, भावना सहित ख़ूब सिमरन करते रहना चाहिए ...!

विष्णु सहस्रनाम(एक हजार नाम) आज 742 से 753 नाम 
742 विषमः जिनके समान कोई नहीं है
743 शून्यः जो समस्त विशेषों से रहित होने के कारण शून्य के समान हैं
744 घृताशी जिनकी आशिष घृत यानी विगलित हैं
745 अचलः जो किसी भी तरह से विचलित नहीं होते
746 चलः जो वायुरूप से चलते हैं
747 अमानी जिन्हे अनात्म वस्तुओं में आत्माभिमान नहीं है
748 मानदः जो भक्तों को आदर मान देते हैं
749 मान्यः जो सबके माननीय पूजनीय हैं
750 लोकस्वामी चौदहों लोकों के स्वामी हैं
751 त्रिलोकधृक् तीनों लोकों को धारण करने वाले हैं
752 सुमेधा जिनकी मेधा अर्थात प्रज्ञा सुन्दर है
753 मेधजः मेध अर्थात यज्ञ में उत्पन्न होने वाले हैं..

🙏बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹

©Vikas Sharma Shivaaya' सिमरन मतलब जाप-प्रभु का निरंतर स्मरण है-अधिक सिमरन से शरीर शब्दमय हो जाता है, राम - नाम का सिमरन रग- रग में बस जाता है -क्रोध और जितने दुर्ग

सिमरन मतलब जाप-प्रभु का निरंतर स्मरण है-अधिक सिमरन से शरीर शब्दमय हो जाता है, राम - नाम का सिमरन रग- रग में बस जाता है -क्रोध और जितने दुर्ग #समाज

11 Love

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Vikas Sharma Shivaaya'

गुप्त नवरात्र:-2 फरवरी-10 फरवरी 2022

गुप्त नवरात्र में साधना को जितनी गोपनीयता के साथ किया जाता है साधक पर उतनी ज्यादा देवी की कृपा होता है...,
शक्ति की साधना का महापर्व नवरात्रि वर्ष में चार बार आता है- प्रथम चैत्र मास में पहली वासंतिक नवरात्रि, आषाढ़ मास में दूसरी नवरात्रि, आश्विन मास में तीसरी और माघ मास में चौथे नवरात्र आते हैं...,
इन्हें गुप्त नवरात्र इसलिए कहा जाता है क्योंकि इनमें मां की आराधना गुप्त रूप से की जाती है-इसमें मां का ध्यान लगाने से विशेष फल मिलता है,तंत्र साधना में विश्वास रखने वाले लोग इस दौरान तंत्र साधना करते हैं...,
                     🔱मंत्र🧘
1-धन प्राप्ति के लिए मंत्र : ॐ दुर्गे स्मृता हरसि भीतिमशेषजन्तोः । स्वस्थैः स्मृता मतिमतीव शुभां ददासि ।।

2- संतान प्राप्ति के लिए मंत्र : ॐ सर्वाबाधा वि निर्मुक्तो धन धान्य सुतान्वितः । मनुष्यो मत्प्रसादेन भवष्यति न संशय ॥
3- दुःख-कष्टों के नाश के लिए मंत्र : ॐ शरणागत दीनार्त परित्राण परायणे । सर्वस्यार्तिहरे देवि नारायणि नमोऽस्तु ते ।।
4- स्वस्थ शरीर मंत्र : ॐ ऐश्वर्य यत्प्रसादेन सौभाग्य-आरोग्य सम्पदः । शत्रु हानि परो मोक्षः स्तुयते सान किं जनै ।।
5- मोक्ष प्राप्ति के लिए मंत्र : ॐ सर्वस्य बुद्धिरुपेण जनस्य हृदि संस्थिते । स्वर्गापवर्गदे देवि नारायणि नमोऽस्तु ते ।।
विष्णु सहस्रनाम (एक हजार नाम) आज 526 से 537 नाम
526 आनन्दः आनंदस्वरूप
527 नन्दनः आनंदित करने वाले हैं
528 नन्दः सब प्रकार की सिद्धियों से संपन्न
529 सत्यधर्मा जिनके धर्म ज्ञानादि गुण सत्य हैं
530 त्रिविक्रमः जिनके तीन विक्रम (डग) तीनों लोकों में क्रान्त (व्याप्त) हो गए
531 महर्षिः कपिलाचार्यः जो ऋषि रूप से उत्पन्न हुए कपिल हैं
532 कृतज्ञः कृत (जगत) और ज्ञ (आत्मा) हैं
533 मेदिनीपतिः मेदिनी (पृथ्वी) के पति
534 त्रिपदः जिनके तीन पद हैं
535 त्रिदशाध्यक्षः जागृत , स्वप्न और सुषुप्ति इन तीन अवस्थाओं के अध्यक्ष
536 महाशृंगः मत्स्य अवतार
537 कृतान्तकृत् कृत (जगत) का अंत करने वाले हैं
🙏बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹

©Vikas Sharma Shivaaya' गुप्त नवरात्र:-2 फरवरी-10 फरवरी 2022

गुप्त नवरात्र में साधना को जितनी गोपनीयता के साथ किया जाता है साधक पर उतनी ज्यादा देवी की कृपा होता है

गुप्त नवरात्र:-2 फरवरी-10 फरवरी 2022 गुप्त नवरात्र में साधना को जितनी गोपनीयता के साथ किया जाता है साधक पर उतनी ज्यादा देवी की कृपा होता है #समाज

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Bhaskar Anand

"मैं रावण हूँ"(एक संवाद रावण से) एक दिन मेरी रावण से स्वप्न में मुलाकात हुई, मैं उनका विशाल स्वरूप देख कर पहचान नही पाया, मैंने उनसे अनायास

"मैं रावण हूँ"(एक संवाद रावण से) एक दिन मेरी रावण से स्वप्न में मुलाकात हुई, मैं उनका विशाल स्वरूप देख कर पहचान नही पाया, मैंने उनसे अनायास

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Vikas Sharma Shivaaya'

*Twelve golden sentences :*

*1 Heavy rains remind us of challenges in life. Never ask for a lighter rain, just pray for a better umbrella. That is Attitude.*

*2 When flood comes, fish eats ants and when flood recedes, ants eat fish. Only time matters. Just hold on. God gives opportunity to every one.*

*3 In a theatre when drama plays, you opt for front seats. When film is screened, you opt for rear seats. Your position in life is only relative. Not absolute.*

*4 For making soap, oil is required. But to clean oil, soap is required. This is the irony of life.*

*5 Life is not about finding the right person. But creating the right relationship.*

*6 It's not how we care in the beginning. But how much we care till the end.*

*7 Every problem has (N+1) solutions: where N is the number of solutions that you have tried and 1 is that you have not tried.*

*8 When you are in problem, don't think it's the End. It is only a Bend in life.*

*9 Difference between Man and God is God gives, gives and forgives. Man gets, gets and forgets.*

*10 Only two category of people are happy in life-The Mad and the Child. Be Mad to achieve a goal. Be a Child to enjoy what you achieved.*

*11 Never play with the feelings of others. You may win. But lose the person for lifetime.*

*12 There is NO Escalator to success. ONLY STEPS!!!*

विष्णु सहस्रनाम(एक हजार नाम) आज 921 से 932 नाम 
921 वीतभयः जिनका संसारिकरूप भय बीत(निवृत्त हो) गया है
922 पुण्यश्रवणकीर्तनः जिनका श्रवण और कीर्तन पुण्यकारक है
923 उत्तारणः संसार सागर से पार उतारने वाले हैं
924 दुष्कृतिहा पापनाम की दुष्क्रितयों का हनन करने वाले हैं
925 पुण्यः अपनी स्मृतिरूप वाणी से सबको पुण्य का उपदेश देने वाले हैं
926 दुःस्वप्ननाशनः दुःस्वप्नों को नष्ट करने वाले हैं
927 वीरहा संसारियों को मुक्ति देकर उनकी गतियों का हनन करने वाले हैं
928 रक्षणः तीनों लोकों की रक्षा करने वाले हैं
929 सन्तः सन्मार्ग पर चलने वाले संतरूप हैं
930 जीवनः प्राणरूप से समस्त प्रजा को जीवित रखने वाले हैं
931 पर्यवस्थितः विश्व को सब ओर से व्याप्त करके स्थित है
932 अनन्तरूपः जिनके रूप अनंत हैं

🙏बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹

©Vikas Sharma Shivaaya' *Twelve golden sentences :*

*1 Heavy rains remind us of challenges in life. Never ask for a lighter rain, just pray for a better umbrella.

*Twelve golden sentences :* *1 Heavy rains remind us of challenges in life. Never ask for a lighter rain, just pray for a better umbrella. #समाज

8 Love

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Vikas Sharma Shivaaya'

*AN AWESOME MESSAGE*

 *URGENTLY NEEDED...* 
Not BLOOD
But,
An *ELECTRICIAN* ,
to restore the joyful current
between people,
who do not speak
to each other anymore...

An *OPTICIAN* ,
to change the 
outlook of people...

An *ARTIST* ,
to draw a smile
on everyone's face...

A *CONSTRUCTION* WORKER,
to build a bridge
between neighbours...

A *GARDENER* ,
to cultivate good thoughts...

A *PLUMBER* ,
to clear the
choked and blocked mindsets...

A *SCIENTIST* 
to rediscover compassion...

A *LANGUAGE TEACHER* 
for better communication
with each other...

And Last but not least,
A *MATHS TEACHER* ,
for all of us to relearn how to count on each other...

*Spread love, positivity and  smiles always*

विष्णु सहस्रनाम(एक हजार नाम) आज 872 से 883 नाम  )

872 प्रियार्हः जो प्रिय ईष्ट वस्तु निवेदन करने योग्य है
873 अर्हः जो पूजा के साधनों से पूजनीय हैं
874 प्रियकृत् जो स्तुतिआदि के द्वारा भजने वालों का प्रिय करते हैं
875 प्रीतिवर्धनः जो भजने वालों की प्रीति भी बढ़ाते हैं
876 विहायसगतिः जिनकी गति अर्थात आश्रय आकाश है
877 ज्योतिः जो स्वयं ही प्रकाशित होते हैं
878 सुरुचिः जिनकी रुचि सुन्दर है
879 हुतभुक् जो यज्ञ की आहुतियों को भोगते हैं
880 विभुः जो सर्वत्र वर्तमान हैं और तीनों लोकों के प्रभु हैं
881 रविः जो रसों को ग्रहण करते हैं
882 विरोचनः जो विविध प्रकार से सुशोभित होते हैं
883 सूर्यः जो श्री(शोभा) को जन्म देते हैं

🙏बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹

©Vikas Sharma Shivaaya' *AN AWESOME MESSAGE*

 *URGENTLY NEEDED...* 
Not BLOOD
But,
An *ELECTRICIAN* ,
to restore the joyful current
between people,

*AN AWESOME MESSAGE* *URGENTLY NEEDED...* Not BLOOD But, An *ELECTRICIAN* , to restore the joyful current between people, #समाज

9 Love

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Vikas Sharma Shivaaya'

श्री हनुमान चालीसा 
 श्री गुरु चरण सरोज रज, निज मन मुकुरु सुधारि।
बरनऊं रघुवर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि।
अर्थ- श्री गुरु महाराज के चरण कमलों की धूलि से अपने मन रूपी दर्पण को पवित्र करके श्री रघुवीर के निर्मल यश का वर्णन करता हूं, जो चारों फल धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष को देने वाला है।
 **** 

बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरो पवन-कुमार।
बल बुद्धि विद्या देहु मोहिं, हरहु कलेश विकार।
अर्थ- हे पवन कुमार! मैं आपको सुमिरन करता हूं। आप तो जानते ही हैं कि मेरा शरीर और बुद्धि निर्बल है। मुझे शारीरिक बल, सद्‍बुद्धि एवं ज्ञान दीजिए और मेरे दुखों व दोषों का नाश कर दीजिए।
**** 
जय हनुमान ज्ञान गुण सागर, जय कपीस तिहुं लोक उजागर॥1॥
 अर्थ- श्री हनुमान जी! आपकी जय हो। आपका ज्ञान और गुण अथाह है। हे कपीश्वर! आपकी जय हो! तीनों लोकों, स्वर्ग लोक, भूलोक और पाताल लोक में आपकी कीर्ति है।
 **** 
राम दूत अतुलित बलधामा, अंजनी पुत्र पवन सुत नामा॥2॥
अर्थ- हे पवनसुत अंजनी नंदन! आपके समान दूसरा बलवान नहीं हैं।
 **** 
महावीर विक्रम बजरंगी, कुमति निवार सुमति के संगी॥3॥
अर्थ- हे महावीर बजरंग बली!आप विशेष पराक्रम वाले  हैं। आप खराब बुद्धि को दूर करते  हैं, और अच्छी बुद्धि वालों के साथी, सहायक  हैं।
 **** 
कंचन बरन बिराज सुबेसा, कानन कुण्डल कुंचित केसा॥4॥
अर्थ- आप सुनहले रंग, सुन्दर वस्त्रों, कानों में कुण्डल और घुंघराले बालों से सुशोभित हैं।
 **** 
हाथबज्र और ध्वजा विराजे, कांधे मूंज जनेऊ साजै॥5॥
अर्थ- आपके हाथ में बज्र और ध्वजा है और कन्धे पर मूंज के जनेऊ की शोभा है।
 **** 
शंकर सुवन केसरी नंदन, तेज प्रताप महा जग वंदन॥6॥
अर्थ- शंकर के अवतार! हे केसरी नंदन आपके पराक्रम और महान यश की संसार भर में वन्दना होती है।
 
**** 
विद्यावान गुणी अति चातुर, राम काज करिबे को आतुर॥7॥
अर्थ- आप प्रकान्ड विद्या निधान  हैं, गुणवान और अत्यन्त कार्य कुशल होकर श्री राम के काज करने के लिए आतुर रहते  हैं।
 
**** 
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया, राम लखन सीता मन बसिया॥8॥
अर्थ- आप श्री राम चरित सुनने में आनन्द रस लेते  हैं। श्री राम, सीता और लखन आपके हृदय में बसे रहते  हैं।
 
**** 
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा, बिकट रूप धरि लंक जरावा॥9॥
अर्थ- आपने अपना बहुत छोटा रूप धारण करके सीता जी को दिखलाया और भयंकर रूप करके लंका को जलाया।
 
**** 
भीम रूप धरि असुर संहारे, रामचन्द्र के काज संवारे॥10॥
अर्थ- आपने विकराल रूप धारण करके राक्षसों को मारा और श्री रामचन्द्र जी के उद्‍देश्यों को सफल कराया।
 
**** 
लाय सजीवन लखन जियाये, श्री रघुवीर हरषि उर लाये॥11॥
अर्थ- आपने संजीवनी बूटी लाकर लक्ष्मण जी को जिलाया जिससे श्री रघुवीर ने हर्षित होकर आपको हृदय से लगा लिया।
 
**** 
रघुपति कीन्हीं बहुत बड़ाई, तुम मम प्रिय भरत सम भाई॥12॥
अर्थ- श्री रामचन्द्र ने आपकी बहुत प्रशंसा की और कहा कि तुम मेरे भरत जैसे प्यारे भाई हो।
 
**** 
सहस बदन तुम्हरो जस गावैं। अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं॥13॥
अर्थ- श्री राम ने आपको यह कहकर हृदय से लगा लिया कि तुम्हारा यश हजार मुख से सराहनीय है।
 
**** 
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा,  नारद, सारद सहित अहीसा॥14॥
अर्थ-  श्री सनक, श्री सनातन, श्री सनन्दन, श्री सनत्कुमार आदि मुनि ब्रह्मा आदि देवता नारद जी, सरस्वती जी, शेषनाग जी सब आपका गुण गान करते हैं।
 
**** 
जम कुबेर दिगपाल जहां ते, कबि कोबिद कहि सके कहां ते॥15॥
अर्थ- यमराज, कुबेर आदि सब दिशाओं के रक्षक, कवि विद्वान, पंडित या कोई भी आपके यश का पूर्णतः वर्णन नहीं कर सकते।
 
**** 
तुम उपकार सुग्रीवहि कीन्हा, राम मिलाय राजपद दीन्हा॥16॥
अर्थ- आपने सुग्रीव जी को श्रीराम से मिलाकर उपकार किया, जिसके कारण वे राजा बने।
 
**** 
तुम्हरो मंत्र विभीषण माना, लंकेस्वर भए सब जग जाना॥17॥
अर्थ- आपके उपदेश का विभिषण जी ने पालन किया जिससे वे लंका के राजा बने, इसको सब संसार जानता है।
 
**** 
जुग सहस्त्र जोजन पर भानू, लील्यो ताहि मधुर फल जानू॥18॥
अर्थ- जो सूर्य इतने योजन दूरी पर है कि उस पर पहुंचने के लिए हजार युग लगे। दो हजार योजन की दूरी पर स्थित सूर्य को आपने एक मीठा फल समझकर निगल लिया।
 
**** 
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहि, जलधि लांघि गये अचरज नाहीं॥19॥
अर्थ- आपने श्री रामचन्द्र जी की अंगूठी मुंह में रखकर समुद्र को लांघ लिया, इसमें कोई आश्चर्य नहीं है।
 
**** 
दुर्गम काज जगत के जेते, सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते॥20॥
अर्थ- संसार में जितने भी कठिन से कठिन काम हो, वो आपकी कृपा से सहज हो जाते है।
 
**** 
राम दुआरे तुम रखवारे, होत न आज्ञा बिनु पैसा रे॥21॥
अर्थ- श्री रामचन्द्र जी के द्वार के आप रखवाले हैं, जिसमें आपकी आज्ञा बिना किसी को प्रवेश नहीं मिलता अर्थात् आपकी प्रसन्नता के बिना राम कृपा दुर्लभ है।
 
**** 
सब सुख लहै तुम्हारी सरना, तुम रक्षक काहू को डरना ॥22॥
अर्थ- जो भी आपकी शरण में आते हैं, उस सभी को आनन्द प्राप्त होता है, और जब आप रक्षक हैं, तो फिर किसी का डर नहीं रहता।
 
**** 
आपन तेज सम्हारो आपै, तीनों लोक हांक तें कांपै॥23॥
अर्थ- आपके सिवाय आपके वेग को कोई नहीं रोक सकता, आपकी गर्जना से तीनों लोक कांप जाते हैं।
 
**** 
भूत पिशाच निकट नहिं आवै, महावीर जब नाम सुनावै॥24॥
अर्थ- जहां महावीर हनुमान जी का नाम सुनाया जाता है, वहां भूत, पिशाच पास भी नहीं फटक सकते।
 
**** 
नासै रोग हरै सब पीरा, जपत निरंतर हनुमत बीरा ॥25॥
अर्थ- वीर हनुमान जी! आपका निरंतर जप करने से सब रोग चले जाते हैं और सब पीड़ा मिट जाती है।
 
**** 
संकट तें हनुमान छुड़ावै, मन क्रम बचन ध्यान जो लावै॥26॥
अर्थ- हे हनुमान जी! विचार करने में, कर्म करने में और बोलने में, जिनका ध्यान आपमें रहता है, उनको सब संकटों से आप छुड़ाते हैं।
 
**** 
सब पर राम तपस्वी राजा, तिनके काज सकल तुम साजा॥27॥
अर्थ- तपस्वी राजा श्री रामचन्द्र जी सबसे श्रेष्ठ हैं, उनके सब कार्यों को आपने सहज में कर दिया।
 
**** 
और मनोरथ जो कोइ लावै, सोई अमित जीवन फल पावै॥28॥
अर्थ- जिस पर आपकी कृपा हो, वह कोई भी अभिलाषा करें तो उसे ऐसा फल मिलता है जिसकी जीवन में कोई सीमा नहीं होती।
 
**** 
चारों जुग परताप तुम्हारा, है परसिद्ध जगत उजियारा॥29॥
अर्थ- चारो युगों सतयुग, त्रेता, द्वापर तथा कलियुग में आपका यश फैला हुआ है, जगत में आपकी कीर्ति सर्वत्र प्रकाशमान है।
 
**** 
साधु सन्त के तुम रखवारे, असुर निकंदन राम दुलारे॥30॥
अर्थ- हे श्री राम के दुलारे! आप सज्जनों की रक्षा करते है और दुष्टों का नाश करते है।
 
**** 
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता, अस बर दीन जानकी माता॥31॥
अर्थ- आपको माता श्री जानकी से ऐसा वरदान मिला हुआ है, जिससे आप किसी को भी आठों सिद्धियां और नौ निधियां दे सकते
है।
 
1.) अणिमा- जिससे साधक किसी को दिखाई नहीं पड़ता और कठिन से कठिन पदार्थ में प्रवेश कर जाता है।
2.) महिमा- जिसमें योगी अपने को बहुत बड़ा बना देता है।
3.) गरिमा- जिससे साधक अपने को चाहे जितना भारी बना लेता है।
4.) लघिमा- जिससे जितना चाहे उतना हल्का बन जाता है।
5.) प्राप्ति- जिससे इच्छित पदार्थ की प्राप्ति होती है।
6.) प्राकाम्य- जिससे इच्छा करने पर वह पृथ्वी में समा सकता है, आकाश में उड़ सकता है।
7.) ईशित्व- जिससे सब पर शासन का सामर्थ्य हो जाता है।
8.) वशित्व- जिससे दूसरों को वश में किया जाता है।
 
**** 
राम रसायन तुम्हरे पासा, सदा रहो रघुपति के दासा॥32॥
अर्थ- आप निरंतर श्री रघुनाथ जी की शरण में रहते हैं, जिससे आपके पास बुढ़ापा और असाध्य रोगों के नाश के लिए राम नाम औषधि है।
**** 
तुम्हरे भजन राम को पावै, जनम जनम के दुख बिसरावै॥33॥
अर्थ- आपका भजन करने से श्री राम जी प्राप्त होते हैं और जन्म जन्मांतर के दुख दूर होते हैं।
**** 
अन्त काल रघुबर पुर जाई, जहां जन्म हरि भक्त कहाई॥34॥
अर्थ- अंत समय श्री रघुनाथ जी के धाम को जाते हैं और यदि फिर भी जन्म लेंगे तो भक्ति करेंगे और श्री राम भक्त कहलाएंगे।
**** 
और देवता चित न धरई, हनुमत सेई सर्व सुख करई॥35॥
अर्थ- हे हनुमान जी! आपकी सेवा करने से सब प्रकार के सुख मिलते हैं, फिर अन्य किसी देवता की आवश्यकता नहीं रहती।
**** 
संकट कटै मिटै सब पीरा, जो सुमिरै हनुमत बलबीरा॥36॥
अर्थ- हे वीर हनुमान जी! जो आपका सुमिरन करता रहता है, उसके सब संकट कट जाते हैं और सब पीड़ा मिट जाती हैं।
**** 
जय जय जय हनुमान गोसाईं, कृपा करहु गुरु देव की नाई॥37॥
अर्थ- हे स्वामी हनुमान जी! आपकी जय हो, जय हो, जय हो! आप मुझ पर कृपालु श्री गुरु जी के समान कृपा कीजिए।
**** 
जो सत बार पाठ कर कोई, छूटहि बंदि महा सुख होई॥38॥
अर्थ- जो कोई इस हनुमान चालीसा का सौ बार पाठ करेगा वह सब बंधनों से छूट जाएगा और उसे परमानन्द मिलेगा।
**** 
जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा, होय सिद्धि साखी गौरीसा॥39॥
अर्थ- भगवान शंकर ने यह हनुमान चालीसा लिखवाया, इसलिए वे साक्षी हैं, जो इसे पढ़ेगा उसे निश्चय ही सफलता प्राप्त होगी।
**** 
तुलसीदास सदा हरि चेरा, कीजै नाथ हृदय मंह डेरा॥40॥
अर्थ- हे नाथ हनुमान जी! तुलसीदास सदा ही श्री राम का दास है। इसलिए आप उसके हृदय में निवास कीजिए।
**** 
पवन तनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप। राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सूरभूप॥
अर्थ- हे संकट मोचन पवन कुमार! आप आनंद मंगलों के स्वरूप हैं। हे देवराज! आप श्री राम, सीता जी और लक्ष्मण सहित मेरे हृदय में निवास कीजिए।

🙏बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय🌹

©Vikas Sharma Shivaaya' श्री हनुमान चालीसा 
 श्री गुरु चरण सरोज रज, निज मन मुकुरु सुधारि।
बरनऊं रघुवर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि।
अर्थ- श्री गुरु महाराज के चरण कमलो

श्री हनुमान चालीसा श्री गुरु चरण सरोज रज, निज मन मुकुरु सुधारि। बरनऊं रघुवर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि। अर्थ- श्री गुरु महाराज के चरण कमलो #समाज

10 Love

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writer.varsha

रावण कौन
( Read full Caption) रावण कौन!
लंका का राजा था वो
तीनों लोकों का स्वामी था वो
वेदों का ज्ञान था उसे 
इसीलिए एक महान ज्ञानी भी था वो 

महादेव! शिव! शंकर! भोलेनाथ!

रावण कौन! लंका का राजा था वो तीनों लोकों का स्वामी था वो वेदों का ज्ञान था उसे इसीलिए एक महान ज्ञानी भी था वो महादेव! शिव! शंकर! भोलेनाथ! #writers #Ram #Sita #ravan #nojotoaap #writervarsha #रामसीता

10 Love

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Vikas Sharma Shivaaya'

positive thinking (सकारात्मक सोच) जीवन को सकारात्मकता की तरफ लेकर जाती है , वही नकारात्मक सोच जीवन में आगे बढ़ने में अनेक समस्याओ को जन्म देती हैं...,
विचार हमारे मन मे उठने वाला एक वो हथियार है जो हमे आबाद भी कर सकता है और बर्बाद भी-विचारो में इस सृष्टि की सबसे ताकतवर अदृश्य शक्ति निवास करती हैं...,
थोड़े से प्रयास से दृष्टिकोण को बदलकर हम सकारात्मकता के प्रकाश की ओर बढ़ सकते हैं-नकारात्मक सोच के अंधेरे से बाहर निकलने के लिए हमें अपने मस्तिष्क को प्रशिक्षित करना होता है...,
मात्र सकारात्मक सोच ही हमें इस संसार में खुशियां दे सकती है, नकारात्मक सोच सिर्फ दु:ख ही नहीं देती, वह हमारी भविष्य की सोच और परिस्थितियों के बीज भी बोती है- तो क्यों ना हम सकारात्मक सोच रखें। यदि हम सकारात्मक रहें तो दु:खदायी परिस्थिति भी सुखदायी बन जाती है...!
सकारात्मकता का अर्थ है कि व्यक्ति विषम परिस्थितियों में भी अपना संयम बनाए रखता है। चाहे कितना भी कठिन परिस्थिति क्यों ना हो, अगर सोच पॉजिटिव हो तो हमें यह विश्वास होता है कि हम इस परिस्थितियों से पार लग जाएंगे। ज्यादातर व्यक्ति विपरीत परिस्थितियों में अपना धैर्य खो देते हैं। वह अपने आप को दृढ़ महसूस करते हैं।

विष्णु सहस्रनाम(एक हजार नाम) आज 646 से 657 नाम
646 त्रिलोकात्मा तीनों लोकों की आत्मा हैं
647 त्रिलोकेशः जिनकी आज्ञा से तीनों लोक अपना कार्य करते हैं
648 केशवः ब्रह्मा,विष्णु और शिव नाम की शक्तियां केश हैं उनसे युक्त होने वाले
649 केशिहा केशी नामक असुर को मारने वाले
650 हरिः अविद्यारूप कारण सहित संसार को हर लेते हैं
651 कामदेवः कामना किये जाते हैं इसलिए काम हैं और देव भी हैं
652 कामपालः कामियों की कामनाओं का पालन करने वाले हैं
653 कामी पूर्णकाम हैं
654 कान्तः परम सुन्दर देह वाले हैं
655 कृतागमः जिन्होंने श्रुति,स्मृति आदि आगम(शास्त्र) रचे हैं
656 अनिर्देश्यवपुः जिनका रूप निर्दिष्ट नहीं किया जा सकता
657 विष्णुः जिनकी प्रचुर कांति पृथ्वी और आकाश को व्याप्त करके स्थित है

🙏बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय🌹

©Vikas Sharma Shivaaya' positive thinking (सकारात्मक सोच) जीवन को सकारात्मकता की तरफ लेकर जाती है , वही नकारात्मक सोच जीवन में आगे बढ़ने में अनेक समस्याओ को जन्म दे

positive thinking (सकारात्मक सोच) जीवन को सकारात्मकता की तरफ लेकर जाती है , वही नकारात्मक सोच जीवन में आगे बढ़ने में अनेक समस्याओ को जन्म दे #समाज

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Vikas Sharma Shivaaya'

श्री विष्णु चालीसा:

               ।।दोहा।।
जय जय जय श्री जगत पति,जगदाधार अनन्त।
विश्वेश्वर अखिलेश अज, सर्वेश्वर भगवन्त।
महिमा, महिमा, आप सभी की जय, हे प्रभु और दुनिया का समर्थन! आप सभी के स्वामी हैं, सबसे परिपूर्ण, अनंत, अजन्मा, आसन्न, और ब्रह्मांड के भगवान हैं।

          ।।चौपाई।।
जय जय धरणी-धर श्रुति सागर। जयति गदाधर सदगुण आगर।।
श्री वसुदेव देवकी नन्दन।
 वासुदेव, नासन-भव-फन्दन।।
आपकी जय हो, हे पृथ्वी और वैदिक ज्ञान के सागर का सहारा! आप के लिए जय, एक क्लब के हे क्षेत्ररक्षक और सभी महान गुणों का खजाना घर! हे कृष्ण, आप वासुदेव और देवकी की प्रसन्नता और जन्म और मृत्यु के शोर को नष्ट करने वाले हैं।

नमो नमो त्रिभुवन पति ईश। 
कमला पति केशव योगीश।।
मैं तुम्हें बार-बार प्रणाम करता हूं, हे हर चेतन और निर्जीव प्राणी के प्रभु; हे प्रभु, आप के लिए, असहाय और अवैयक्तिक रूप से आपका पालन करता हूं और आपको तीनों क्षेत्रों के भगवान के रूप में गौरवान्वित करता हूं, कमला (लक्ष्मी) के प्रिय संघ के रूप में केशव के रूप में और योगियों में सर्वोच्च हैं।

नमो-नमो सचराचर-स्वामी।
परंब्रह्म प्रभु नमो नमामि।।
गरुड़ध्वज अज, भव भय हारी। मुरलीधर हरि मदन मुरारी।।
नारायण श्री-पति पुरुषोत्तम। 
पद्मनाभि नर-हरि सर्वोत्तम।।
हे भगवान, आपका बैनर, गरुड़ की आकृति से अलंकृत है; आप अजन्मे हैं, सभी सांसारिक खूंखार (जन्म और मृत्यु के), कृष्ण बांसुरी वादक, प्रेम के संहारक और मुरा के दुश्मन, नारायण, लक्ष्मी के प्रिय संघ, मनुष्यों में सर्वश्रेष्ठ विष्णु जब उन्होंने ग्रहण किया आधा शेर और आधा आदमी का रूप और सबसे उत्तम।

जयमाधव मुकुन्द, वन माली। 
खलदल मर्दन, दमन-कुचाली।।
जय अगणित इन्द्रिय सारंगधर। 
विश्व रूप वामन, आनंद कर।।
आपको नमस्कार है, हे महादेव, मुकुंद और वनमाली! आप दुष्टों का विनाश करते हैं और बीमार नस्ल को अपने अधीन करते हैं। आपकी जय हो, अनंत संख्या की इंद्रियों का स्वामी और धनुष का स्वामी जिसे शारंग कहा जाता है! आप स्वयं ही विश्व हैं, वामन हैं और सभी सुखों के सर्वश्रेष्ठ हैं। (ये नाम विष्णु के अवतारों के साथ-साथ कृष्ण से संबंधित हैं जहां शास्त्र कृष्ण को विष्णु के अवतारों में से एक बताते हैं)

जय-जय लोकाध्यक्ष-धनंजय। सहस्त्राक्ष जगनाथ जयति जय।।
जयमधुसूदन अनुपम आनन। जयति-वायु-वाहन, ब्रज कानन।।
महिमा, आपकी जय हो, हे धनंजय (विष्णु), जो तीनों लोकों के शासक हैं! महिमा; आप के लिए महिमा, दुनिया के भगवान जो नामों की असंख्य है! आपकी जय हो, हे मधुसूदन जिनकी विशेषताएं अतुलनीय हैं, जो हवा की सवारी करते हैं और जो जंगल के पेड़ों पर वज्र के समान हैं।

जय गोविन्द जनार्दन देवा। 
शुभ फल लहत गहत तव सेवा।।
श्याम सरोरुह सम तन सोहत। 
दरश करत, सुर नर मुनि मोहत।।
आपकी जय हो, हे भगवान कृष्ण और विष्णु। वह जो आप पर उपस्थित होता है, उसकी सेवा के सभी भविष्य फल से पुरस्कृत होता है। आपका स्पर्श करने वाला आकर्षण अंधेरे कमल की सुंदरता से मेल खाता है और सभी देवताओं, पुरुषों, तपस्वियों और आप को निहारने वाले किशोरों को मंत्रमुग्ध करता है।

भाल विशाल मुकुट शिर साजत। 
उर वैजन्ती माल विराजत।।
तिरछी भृकुटि चाप जनु धारे। 
तिन-तर नयन कमल अरुणारे।।
आपका माथा चौड़ा है और आपका सिर एक चमकीले मुकुट से सुसज्जित है; आपकी छाती पर वैजयंती (विष्णु की पौराणिक माला) नामक प्रसिद्ध माला निहित है, आपकी धनुषाकार भौंहें एक खींचे हुए धनुष की तरह है.

नाशा चिबुक कपोल मनोहर।
मृदु मुसुकान-मंजु अधरण पर।।
जनु मणि पंक्ति दशन मन भावन। बसन पीत तन परम सुहावन।।
आपकी नाक, ठोड़ी और गाल, हे भगवान, जब आप मुस्कुराते हैं, तो आपके होंठ बहुत सुंदर होते हैं; आपके दांत इतने आकर्षक रूप से रत्नों की एक पंक्ति की तरह दिखते हैं, जबकि पीले रंग में आपके शरीर के कपड़े बेहद आकर्षक हैं। दिखती हैं और उनके नीचे की आंखें लाल कमल की तरह सुर्ख होती हैं।

रूप चतुर्भुज भूषित भूषण। 
वरद हस्त, मोचन भव दूषण।।
कंजारूण सम करतल सुन्दर। 
सुख समूह गुण मधुर समुन्दर।।
आप चार-सशस्त्र हैं, सबसे सुंदर और आभूषणों के साथ अलंकृत हैं। आपके हाथों की स्थिति ऐसी लगती है जैसे आप इसकी अशुद्धियों की दुनिया को शुद्ध कर रहे हैं। आपकी हथेलियाँ, जो कमल की तरह लाल हैं, कोमल और सौन्दर्य के सागर के रूप में आपके गुणों को जीतती हैं और आपके गुणों को गहरा और अटूट बनाती हैं। आप वास्तव में आनंद का खजाना घर हैं।

कर महँ लसित शंख अति प्यारा। सुभग शब्द जय देने हारा।।
रवि समय चक्र द्वितीय कर धारे। 
खल दल दानव सैन्य संहारे।।
आपके हाथ में एक शंख है, जो चमकीला और सुंदर है, एक ऐसा वाद्य यंत्र है, जिसकी संगीतमय ध्वनि कानों को सुकून देती है और जीत को सुनिश्चित करती है। आपके दूसरे हाथ में एक मिसाइल है, डिस्क, एक चमकते हुए सूरज के रूप में, जिसने दुष्ट राक्षसों के मेजबान को नष्ट कर दिया।

तृतीय हस्त महँ गदा प्रकाशन। 
सदा ताप-त्रय-पाप विनाशन।।
पद्म चतुर्थ हाथ महँ धारे। 
चारि पदारथ देने हारे।।
आपके तीसरे हाथ में एक चमकता हुआ क्लब है, जो सभी भौतिक, भौतिक और अलौकिक कष्टों और बुराइयों को दूर करता है। आपका चौथा हाथ एक कमल है, जो जीवन-धन, धार्मिक योग्यता, पौरुष और मुक्ति (जन्म और मृत्यु के चक्र से, मोक्ष) के सभी चार वरदानों को प्राप्त करता है

वाहन गरुड़ मनोगति वाना। 
तिहुँ लागत, जन-हित भगवाना।।
पहुँचि तहाँ पत राखत स्वामी। 
को हरि सम भक्तन अनुगामी।।
आपका संदेश गरुड़ है जो मन के रूप में तेज है और जिसे आप भगवान, अपने मतदाताओं की भलाई के लिए त्यागते हैं। वहाँ पहुँचकर आप उनके सम्मान की रक्षा करते हैं, क्योंकि आप अपने भक्तों का पालन करने में, हे हरि से मेल खाते हैं।

धनि-धनि महिमा अगम अनन्ता। 
धन्य भक्त वत्सल भगवन्ता।।
जब-जब सुरहिं असुर दुख दीन्हा। तब-तब प्रकटि, कष्ट हरि लीना।।
धन्य है, सभी धन्य हैं आपकी महिमा, हे भगवान, जो इंद्रियों द्वारा सभी समझ को पार करता है और अनंत है! और धन्य हैं आप जो अपने भक्तों को अपने बच्चों की तरह प्यार करते हैं! जब भी राक्षसों ने आकाशीय पिंडों को पीड़ित किया, आपने अपनी उपस्थिति बनाई और उन्हें अपने संकट से छुटकारा दिलाया।

जब सुर-मुनि, ब्रह्मादि महेशू। 
सहि न सक्यो अति कठिन कलेशू।।
तब तहँ धरि बहु रूप निरन्तर। मर्दयो-दल दानवहि भयंकर।।
जब ब्रह्मा और महेश जैसे देवताओं की सभा और सभी भजनों की कंपनी ने धीरज से परे अपनी पीड़ा को पाया तो आप हमेशा अलग-अलग रूपों में प्रकट हुए और राक्षसों के सभी भयानक झुंड को नष्ट कर दिया।

शैय्या शेष, सिन्धु-बिच साजित। 
संग लक्ष्मी सदा-विराजित।।
पूरण शक्ति धान्य-धन-खानी। आनंद-भक्ति भरणि सुख दानी।।
सर्प शेषा तुम्हारा सोफा है, पूरी तरह से बिस्तर पर, समुद्र के बीच में; आपकी कंपनी में धन की कभी न रहने वाली देवी लक्ष्मी हैं, जो शक्ति की सर्वोच्च और धन की अटूट खान हैं। धन्य है वह, जो आनंद को श्रेष्ठ बनाता है, भक्ति को निर्वाह करता है और आनंद का कारण बनता है।

जासु विरद निगमागम गावत। 
शारद शेष पार नहिं पावत।।
रमा राधिका सिय सुख धामा। 
सोही विष्णु! कृष्ण अरु रामा।।
हे विष्णु, यद्यपि आपका ऐश्वर्य वेदों और शास्त्रों द्वारा अभिभूत है, लेकिन यह इतना निरापद है कि अक्षर और उनके अर्थ के प्रवर्तक सरस्वती भी हैं, और शेषा, अपनी सभी हजार-जीभों के लिए इसे धारण करती हैं। आप लक्ष्मी, राधिका और सीता के लिए विष्णु, कृष्ण और राम के रूप में सभी आनंद के निवास हैं, जिनमें से सभी एक समान हैं।

अगणित रूप अनूप अपारा। 
निर्गुण सगुण-स्वरुप तुम्हारा।।
नहिं कछु भेद वेद अस भाषत। 
भक्तन से नहिं अन्तर राखत।।
आपके रूप अनगिनत, अतुलनीय और अनंत हैं; आप व्यक्तिगत और अवैयक्तिक दोनों हैं। वेदों में, उनके बीच कोई अंतर नहीं है, और न ही आपके और आपके मतदाताओं के बीच कोई अंतर है।

श्री प्रयाग दुर्वासा-धामा । 
सुन्दर दास, तिवारी ग्रामा।।
जग हित लागी तुमहिं जगदीशा। निज-मति रच्यो विष्णु चालीस।।
ओ ब्रह्मांड के स्वामी, सुंदरदास, जो कि तिवारी गाँव के निवासी हैं, ने इस भजन विष्णुचालीसा की रचना की और साथ ही वह आपके भक्तों के लिए भी कर सकते थे और इलाहाबाद में द्रष्टा के उपदेश में रहते हुए भी उन्होंने इसे आपको समर्पित किया।

जो चित दै नित पढ़त पढ़ावत। 
पूरण भक्ति शक्ति सरसावत।।
अति सुख वासत, रुज ऋण नासत। विभव विकाशत, सुमति प्रकाशत।।
वह जो जप करने के लिए दूसरों को जपता और प्रेरित करता है, यह भजन नियमित रूप से सभी ध्यान से भक्ति और प्रसन्नता दोनों से भर जाता है; वह सर्वोच्च खुशी में रहता है, बीमारी और कर्ज से उबरता है, और तेजी से समृद्ध होता जा रहा है, उसकी बुद्धि हर रोज तेज और तेज होती जा रही है।

आवत सुख, गावत श्रुति शारद। 
भाषत व्यास-वचन ऋषि नारद।।
मिलत सुभग फल शोक नसावत। अन्त समय जन हरिपद पावत।।
चार वेद, सरस्वती, व्यास और द्रष्टा नारद सभी इसे पढ़ते हैं और घोषणा करते हैं कि विष्णुचालीसा का ऐसा पाठ खुशी लाता है और जीवन के सभी स्वादिष्ट फल देने के अलावा, यह सभी दुखों को भी नष्ट करता है और अंत में सर्वोच्च स्थिति प्राप्त करने में मदद करता है।

।।दोहा।।
प्रेम सहित गहि ध्यान महँ, हृदय बीच जगदीश । अर्पित शालिग्राम कहँ, करि तुलसी नित शीश।।
क्षण भंगुर तनु जानि करि अहंकार परिहार । सार रूप ईश्वर लखै, तजि असार संसार ।।
सत्य शोध करि उर गहै, एक ब्रह्म ओंकार । आत्म बोध होवे तबै, मिलै मुक्ति के द्वार ।।
शान्ति और सद्भाव कहँ, जब उर फलहिं फूल । चालीसा फल लहहिं जन, रहहि ईश अनुकूल ।।
एक पाठ जन नित करै, विष्णु देव चालीस । चारि पदारथ नवहुँ निधि, देयँ द्वारिकाधीश।।
भक्त अपने मन में संसार के स्वामी को दृढ़ कर सकते हैं और गहन भक्ति के साथ अपने मन को अपने सिर पर झुका सकते हैं; क्या वे विष्णु की छवि को तुलसी के पत्ते चढ़ा सकते हैं और यह मानते हुए कि शरीर क्षणिक है, सभी अभिमान छोड़ दें। उन्हें सर्वोच्च प्रभु के रूप में एकमात्र वास्तविकता और दुनिया को असंवेदनशील मानना चाहिए। सत्य की खोज करने के बाद, भक्त रहस्यमय ब्रह्म ओम को धारण कर सकता है, जो ब्रह्म का प्रतीक है, उनके दिलों में, इसके लिए आत्म-साक्षात्कार और मोक्ष होगा। जब हृदय में शांति और सद्भावना के फूल खिलते हैं, तो भक्तों को इन चालीस छंदों का फल मिलता है और भगवान उनके अनुकूल हो जाते हैं। उसके लिए जो प्रतिदिन एक बार विष्णुचालीसा का पाठ करता है, द्वारिका (कृष्ण) के स्वामी चारों पुरस्कारों (धर्म (नैतिक पूर्णता), अर्थ (धन), काम (कामुक प्रसन्नता) और मोक्ष (अंतिम विमोचन) और नौ दिव्य कोष प्रदान करते हैं।

🙏बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय🌹

©Vikas Sharma Shivaaya' श्री विष्णु चालीसा:

               ।।दोहा।।
जय जय जय श्री जगत पति,जगदाधार अनन्त।
विश्वेश्वर अखिलेश अज, सर्वेश्वर भगवन्त।
महिमा, महिमा, आप स

श्री विष्णु चालीसा: ।।दोहा।। जय जय जय श्री जगत पति,जगदाधार अनन्त। विश्वेश्वर अखिलेश अज, सर्वेश्वर भगवन्त। महिमा, महिमा, आप स #समाज

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