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Sarita Malik Berwal
इबकी बार दुल्हन्डी(धुलेन्डी) और महिला दिवस एके दिन थे...मैं न्यू सोचू हूँ अक जै कोलड़े गेल माणसा का बक्कल तारण आली लुगाईयाँ नै भी सशक्तिकरण की ज़रूरत सै तै फेर पिंडियां पै लील गिणनिये आदमियाँ पै भी थोड़ी तै दया बणती ए होगी...ज़िंदगी के खेल मैं जै दोनु खिलाड़ियां नै बराबर की छूट और इज्जत मिली रवै तै यो रंग बिरंगा फाग कदे खतम नहीं होवै ©Sarita Malik Berwal फाग
sanjeev 13959
गजब की आग लगी है जमाने में हर कोई लगा है अपनी अपनी जान बचाने में ना कोई जात है इसमें ना कोई मजहब है ना कहीं किसी का ठिकाना बंद पिंजरे में जो चिड़िया रहती थी उसके अंदर का डर आज इंसानों ने भी है जाना बंद पिंजरे की चिड़िया
Rajesh rajak
ये चिड़िया भी कितनी अजीब है, बिल्कुल मेरी बेटी की तरह, सुबह हुई नहीं और चिल्लाने लगती है, कितनी देर तक सो रहे हो, चलो उठो दूध लाओ भूख लगी है, बिल्कुल मेरी बेटी की तरह। फिर उस चिडिया को देखकर लगता है ये एक दिन उड़ जायेगी मैं सौंप दूँगा किसी के हाथों में, आँखों में आँसू लिए, ये कहकर इसका ख्याल रखना, ये नादान है कोई गलती हो जाए तो,,,,,,,,,,,,,,, ©Rajesh rajak मेरे आँगन की चिड़िया
muskaan
मैं चिड़िया हूं तेरे आंगन की न जाने किस दिन उड़ जाऊंगी पर उससे पहले तुझे जीने का हर अंदाज सिखा कर जाऊंगी #मैं चिड़िया तेरे आंगन की#
Anjana Chirag
चिड़िया# मेरे ऑगन की चिड़िया मेरे ऑगन की, मुझसे अपना थोङा सा आसमाॅ मांगती है। डर है मुझे शायद, कि अभी वो उडना ही कहाँ जानती है। किस डाल पर बैठना है, कहाँ दाना चुगना है, सही से अभी वो ये भी कहाँ जानती है। जिन्दगी टेडी- मेडी चलती है, लेकिन वो तो जिंदगी को सीधा- सीधा जीना जानती है। डर ये भी है मुझे शायद , कि हर शख्स को अभी वो कहाँ पहचानती है। कया अपने डर उस पर हावी कर दूँ, उडने से पहले ही उसके पर कुतर दूँ । थोड़ा सा आसमान ही तो माँगती है। क्यों न भरने दूँ उड़ान उसे जी भर के, क्यों ना पंख फैलाने दूँ उसे, क्यों हर वक़्त रोकूं- टोकू उसे, क्यों ना अपने हिस्से का दाना उसे खुद चुगने दूँ, क्यों ना उसे वो करने दूँ, जो वो चाहे। क्यों ना उसे बढने दूँ आगे, सबसे आगे। क्यों उसके पाँव की ज॔जीर बनूं। क्यों ना उसके हाथों की लकीर बनूं। क्यों न उसके लौट आने की राह तकूं। क्यों न उसकी उड़ान के किस्से मैं सुनू। क्यों न उस पर मैं फक्र करू। क्यों न हर दुआ में उसका जिक्र करू। मेरे जिगर का टुकड़ा है वो, तो क्यों न उसको उसके दिल की सुनने दूँ। माँगती ही क्या है, अपने हिस्से का आसमाँ ही तो माँगती है। हाँ, चिड़िया मेरे ऑगन की, अपने हिस्से का थोड़ा सा आसमाँ माँगती है। ©Anjana Chirag चिड़िया # मेरे ऑगन की #freebird