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vishnu prabhakar singh
तुम वसंत मेरे, बसंती मेरा मन लहलहाते बासंती में यह चमन कभी आम में डाली भरी लगन सरसों हर बगिया में रूप सघन बहार वनों में,प्रकृति का अमन हर कली,हर भौंरा जीता वसंत बयार मिलन में गीत यह वसंत शुभसंस्कृत प्रकृति संग उपवन विधि में कोपल लाता है यौवन सूर्य विशेष ताप से देता जीवन पूर्ण फलों में असीस यह मगन हर प्रीत,हर मीत जीता वसन्त वसंत प्रकृति का,अवनि है,सौर्य है,शौर्य है,मीत है,गीत है। मेरा हर मौसम तुमसे। #वसंतपंचमी #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating wi
KSR_QUOTE
चाँद तलक जाने की हिम्मत रखता हूँ , सौर्य सूर्य से चमके इतनी हिम्मत रखता हूँ, "युवा" हूँ सरकार नही जो कोई गिरा दे, हुनर अपना अपने हाथ में रखता हूँ, चेत जाओ ये चेतावनी है होश में आओ वरना ये सरकार भी जानी हैं #बेरोज़गारी Hit❤️ and follow me if my words touch your ❤️ #चाँद तलक जाने की #हिम्मत रखता हूँ , सौर्य #सूर्य से चमके इतनी हिम्मत रखता हूँ, "#युवा" हूँ #
चाँदनी
Read in caption 👇 ©chandni कुछ रोज से तुम्हें कहीं गुम सा पता हू जैसे रोग में मरीज़ मुस्कुराहट पर दस्तक नहीं देते ये जो गहराईयों मे बोल फ़ूट रहे उनकी गांठों को खोल
Lamha
थैंक यू.... सच कहूं तो ये कोई शब्द है ही नहीं.... ये बस एक जरिया जब आप और कुछ न बोल पाएं किसी के सहयोग के बदले और सभी लफ्ज़ खामोश हो जाएं.... मुझे नहीं पता ये लिखना कितना सही है... क्या मैं इसमें आपको बता पाऊंगी आप जरूरी क्यों हैं? ये मायने नहीं रखता में सब लिख पाऊं या नहीं क्योंकि आसमां को पन्ने पर उतरना नामुमकिन है... ये पत्र लॉजिकल होगा या नहीं पता नहीं...बस इतना पता है ये एक कोशिश मात्र ही रहेगा सूर्य को बताने का की उसकी आवश्यकता और अहमियत क्या है.... कभी कभी सोच में पड़ जाती हूं क्या एक शिष्य बनने के लायक हूं भी या नहीं पर आप मुझे गुरु की कतार में सबसे आगे मिलते हैं..... जीवन आसान हो जाता है जब कोई आपको आपकी तरह समझे ना की अपनी समझ के अनुसार.... शायद मैं कभी ही खुदको पहचान पाता या उस परिंदे की तरह बन जाता जिसने स्वत ही अपने पर काट लिए हों... मैं अपने आप को समझ सकता हूं क्योंकि आपने मुझे प्रेरित किया स्वयं की खोज करने को... एक उद्देश्य के बिन जीवन बेकार है ये समझाया भी तो आपने... लिखना चाहती तो बहुत कुछ हूं पर क्या अभी कह देना नैतिक रहेगा.... शायद नहीं... कैसे लगे जब एक जुगनू बताए हजारों सौर्य मंडलों के सूर्य कैसे जगमगाते हैं.... क्या कभी एक बूंद बता पाई है सागर कितना विशाल वा गहरा है.... शायद अभी कुछ वक्त बाकी है पर मुझे उस वक्त की ओर अग्रसर करने के लिए, मुझे वो बनाने के लिए जो मैं हूं मैं सदा ही आपसे कहूंगी जो आप न होते तो मैं मुझ जैसी नहीं होती... एक बेहतरीन वक्त की तलाश में अग्रसर आपकी शिष्य सही मायने में बनने को उत्सुक.. तान्या... ©Tanya Sharma (लम्हा) थैंक यू.... सच कहूं तो ये कोई शब्द है ही नहीं.... ये बस एक जरिया जब आप और कुछ न बोल पाएं किसी के सहयोग के बदले और सभी लफ्ज़ खामोश हो जाएं...