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Durga Deshmukh
मनाची हिरवळ आला मिरगाचा पाऊस झाली सगळीकडे हिरवळ फुलपाखरे भिर भिर करी झरे वाहाती खळखळ सुंदर हिरवी शाल पांघरून धरतीने केला साज श्रृंगार न्हाऊन निघाली धरती भेटीच तिच्या गुपित सार बाभळीला झाला भार पिवळा शालु नेसली घाल घाल पिंगा वा-या विनवणी करुन रुसली मोर नाचती पिवळ्या वनात थुईथुई करुन उघडे पिसारा कुठे हरणीचा दिसे कळप भेटीसाठी जीव व्याकुळ सारा येऊ नको तु दारावर पाऊस वहातो जोरात तुझे रुप साठविले माझ्या कोवळ्या मनात दुर्गा देशमुख ©Durga Deshmukh मनाची हिरवळ
Ganesh Shinde
घन बरसला बनुनी धारा, मोहरुनी हरित झाली धरा, कोमजले मन करुनि उल्हसित, क्षणात खुलवी हा गार वारा। #पाऊस #घन #धरती #हिरवळ #गारवा #yq_gns
harsh phadnis
सरोवरा काठी हिरवळ हिरवळीवर प्राजक्त सांडलेला माझ्या पुरता मी असा स्वप्नांचा डाव मांडलेला...
Rashmi Hule
हिरवळ या झाडांची सळसळ या पानांची कुजबूज वाटे मला, ही निसर्गाच्या नवतारुंण्याची... सुप्रभात मंडळी आजच्या दिवसाची सुरुवात करुया झाडांपासुन, ही हिरवळ कायम अशी राहावी वाटतं असेल तर नक्कीच झाडे लावा. झाडे लावा झाडे जगवा... चला
Kishan Gupta
किचन की रानी, तू पसीने से लतपत, पंखा बना, मुझे घुमाये जा रही हो,, चाय कब तक यूँ ही, फीकी पिलाओगी, इलायची के इंतजार में, अदरक पीसे जा रही हो। ~किशन गुप्ता #कविता #कविता #
Awanish Singh
दीप हूँ जलता रहूँगा । मैं प्रलय की आँधियों से, अंत तक लड़ता रहूँगा ।। पार जाऊँगा मेरा साहस, कभी हारा नहीं है। जो मिटा अस्तित्व दे, ऐसी कोई धारा नहीं है ।। कौन रोकेगा स्वयं तूफान, थककर रुक गये हैं । हर लहर मेरा किनारा, ध्येय तक बढ़ता रहूँगा।। दीप हूँ जलता रहूँगा । मैं प्रलय की आँधियों से, अंत तक लड़ता रहूँगा ।। तोड़ दी अवरोध की सारी, शिलाएँ एक क्षण में । मैं धरा का प्यार मुझको, स्नेह देते सब डगर में।। शीत वर्षा और आतप कर, न पाये क्षीण गति को। बिजलियों की कौंध में भी, पंथ गढ़ता ही रहूँगा।। दीप हूँ जलता रहूँगा । मैं प्रलय की आँधियों से, अंत तक लड़ता रहूँगा ।। ©Awanish Singh (AK Sir) #कविता #कविता
Balu Khaire
भीगी हुई आँखोका मंजर न मिलेगा, घर छोडकर मत जाओ कही घर ना मिलेगा। फिर याद बहुत आएगी जुल्फो की शाम, जब धूप मे साया कोई सर न मिलेगा। आंसू को काभि ओस का कतरा न समझना, ऐसा तुम्हे चाहत का समुदर ना मिलेगा। इस ख्वाब के माहोल मे बे-ख्वाब है आँखे, जब निंद बहुत आएगी बिस्तर ना मिलेगा। ये सोचलो आखरी साया है मोहब्बत, इस दरसे उठोगे तो कोई दर ना मिलेगा ©Balu Khaire कविता कविता #lonely
vijaysinh
writing quotes in hindi मन पीढ़ा से बैचेन हो जाता है, तब जा के क़लम कागज स्याही रोता है। क़लम खुद का नहीं,औरों का दुख रोता हैं। हर पन्ने पर क्रांति की बीज बोता है। दुनिया में सब से ज्यादा दुखी क़लम हैं, हर वक़्त खून के आंसू रोता है, खून रूपांतर चंद लकीरों में होता है। अब लोक उसे अल्फ़ाज़ समजते हैं पर वह अल्फ़ाज़ नहीं लब होते हैं जो क़लम के दिलसे निकले होते है। #कविता #क़लम कविता