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Sachin Ratnaparkhe
ग़ज़ल-ए-सियासत यहां कुछ भी अटल नहीं होता सियासत में, हर गुल हमेशा कंवल नहीं होता सियासत में। पैर कहां टिके है तुम्हे ही नहीं पता है क्युकी, आसमां या फिर भूतल नहीं होता सियासत में। भूख-आे-प्यास की शिकायतें बेकार है यहां, कोई दाना या जल नहीं होता सियासत में। नस्ल-ओ-वतन-परस्ती तो महज जुमला ही है, कभी खुदगर्ज से छल नहीं होता सियासत में। यह धंधा ही तो है पागल बनाने का सबको, मगर हर कोई पागल नहीं होता सियासत में। यहां बाते होती है मुनाफा आे वक्त देखकर, जो आज है वो कल नहीं होता सियासत में। यहां रखो कदम गर तो खुद के दम पर रखो, कोई साथ या संबल नहीं होता सियासत में। सियासत का दूसरा नाम दलदल भी है राही, खुदके सिवा कोई दल नहीं होता सियासत में। #ग़ज़ल_ए_सियासत #अटल #कंवल #नस्ल_ओ_वतनपरस्ती #खुदगर्ज #संबल #दलदल
Pratik Dasgupta
कभी तूने मेरी सबसे महंगी कमीज़ को काला किया था काजल और आंसुओ से जो मेरे ही मेहरबानी का अंजाम था आज भी संभाल रखा है उस कमीज़ को ना तुझे तो वापिस नहीं ला सकती है वह पर याद दिलाती है कि कितना बेवकूफ था मैं।। सबसे कीमती चीज #दाम #कीमत #बेवकूफ
Sneh Sharma
दिल मे अरमानों की चादर सजा जब सजन के घर को चले थे। नहीं मालूम था कि साथ , अपना कफ़न भी ले चले थे। फूलों की सेज पर कई , बिच्छूओं के डंक से चूभे थे। आंखों से आसूं लहू, बनकर गिरे थे। सपनों के राजा, नशे मे धुत मिले थे। हमसफर बनकर साथ चलने वाले, चलने के लिये सहारा ढूंढ़ रहे थे। जीवन की सच्चाई तो ओढी हुई टाट का कंबल थी। लगे हुए जिस पर गुलाबी मखमल के पेबंद थे।। ©Sneh Sharma कंबल मे पेबंद #intimacy
NEHA SHAAH
कब तक यू सोते राहोगे ओढ के कंबल। उठोगे नाही तो कैसे करोगे अपने ख्वाबो को मुकम्मल ? माना ख्वाब देखना जरुरी है, पर ये ख्वाब तुटने से बेहतर है, अभी जाओ संभल। #कंबल #yqdidi #yqbaba #challenge #4lines #hindi
Parasram Arora
सह लूँगा हर गम मौन रह क़र......पी लूँगा गम का हर कतरा सागर बन क़र .....दग्ध हुए आकुल मन पर बरस जाऊँगा बादल बन क़र .......वक्त के थपेड़ो से निर्मित हर हताशा को दे दूंगा संबल आकाश बन क़र....... संबल ....
sandeep badwaik(ख़ब्तुल) 9764984139 instagram id: Sandeep.badwaik.3
कंवल ने की होती ग़र परवरीश हमारी ... आज कीचड़ कॆ इतने अंदर ना उतरते..। कंवल