Find the Latest Status about अग्नि प्रज्जवलित from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, अग्नि प्रज्जवलित.
HP
कभी विषयों के उपभोग से इच्छा शान्त नहीं होती भोगने से वह इस प्रकार बढ़ती है कि जैसे घृत की आहुति से अग्नि। अग्नि
BANDHETIYA OFFICIAL
बड़ी मुश्किल से मिलेगी मंजिल, कोई कह रहा है,चार दिन की चांदनी। बेसन घुलके पानी में गुंथके, 'रिडिफाइन्ड' छनके,छकके, जलेबी बनके ,रस -डुबे भी भीतर पायेगी न चाशनी। अग्निबाण...पथ ! ©BANDHETIYA OFFICIAL अग्नि....! #selflove
Parasram Arora
ये जमुरियत तो अब साहूकारों की ज़ायदाद हो चुकी इस तंत्र मे रहने वाली शोषित प्रज़ा को अब इसका मूल्य चुकाना होगा जो दिन भर पसीन्ना बहाकर अभी सांझ को घर पंहुचा है कल फिर उसे ताज़ा बन कर जंग ए मैदान मे उतरना होगा सूरज का उजाला अब यहां कहाँ चमकता है अब तो यहां हर रात क़े बाद फिर रात को ही उतरना होगा हमने इंसान की यशस्वी गाथएं कई बार सुन रखी है पर इंसान ने जो पीड़ाएँ झेली अन्याय भुगते उसे भी अब हमें जानना होगा हर युग मे सीता चुराई जाती रही और उसे अग्नि परिक्षा से अपनी बेगुनाई साबीतकरनी पड़ी क्या आने वाले युगो मे भी सीता को हर बार अग्नि परीक्षण से गुजरना होगा.? ©Parasram Arora अग्नि परिक्षण.....
siddharth Gautam
अग्नि-प्रीत अग्नि है यह- तपाएगी! काठ को जलाएगी, स्वर्ण को पकाएगी तपा काठ तो भस्म हुआ शेष बची राख तपा स्वण तो तरल हुआ, नए रूप में फिर ढला किन्तु बस! टूटा एक स्वप्न छूटा सब-इतिहास और जीवन का आभास परन्तु दृढ़ हुआ एक विश्ववास अग्नी है यह- तपाएगी! अग्नी है यह- तपाएगी पर अग्नि प्रीत
Parasram Arora
जब शून्य पथ पर अग्रसर हो संवदेनाएं तुम्हारी तो निज ह्रदय से तुम संवाद कर लेना इस अग्नि पथ पर प्रतिवाद तो हर मोड़ पर होते रहेंगे तुम अपनी ही पदचापों का श्रवण कर लेना हा प्रतिकूलताये डसेंगी तुम्हे और असफलताएं बेंधती रहेंगी ह्रदय तुम्हारा किन्तु न तुम विचलित होना और न ही अपनी मंजिल के प्रति अपनी प्रतिबध्दता का विस्मरण करना l अग्नि पथ.......
Saurbh Shukla
अग्नि हम परशुराम के वंशज , हमे कौन मिटावेगा। धूल धूसरित धूमिल छवि कर देंगे, जो हमे हाथ लगावेगा ।। तेज हुंकार भर देश में फिर स्वराज की भावना जलाएगा । एक फिर भारत के हर घर में भगवा लहराएगा ।। हे हिन्दू पुत्र, हे मातृ वीर तू कब अपनी मातृ भूमि का ऋण चुकाएगा । विश्वास मुझे तू ही भारत मां के आंचल में लगा ये दाग मिटाएगा । हे ब्राह्मण पुत्र ,तू खौलते रक्त को कब तक शांत कर पाएगा , अब शायद शास्त्र नही शस्त्र काम आयेगा ।। हे महाश्रेष्ट, हे धर्मवीर तू किस दुविधा में खड़ा है , किस मुश्किल में पड़ा है। तू ही तो है जो आज भी स्वराज पर अड़ा है , भारत मां के चरणों में पड़ा है।। हे कर्म वीर तू कब अपना गुरु धर्म निभाएगा , ठंडे पड़े इस भारत भूमि के इन वीरों के लहू को फिर से गर्म लावे से दहकाएगा । नहीं उठती तलवारे इनसे तो उठा फरसा फिर इन्हें शस्त्र चलाना सिखाएगा । उठा तलवार फिर अब ब्राह्मण पुत्र बाजीराव की कहानी दोहराएगा ।। ये मत भूल तो गुरु ही उनका तूने ही उन्हें शस्त्र उठाने सिखाया है। अरे गुरु चाणक्य ने तो अपने बुद्धि बल से ही सिकंदर को भी भारत के सामने झुकाया है।। चिंगारी तो दबी पड़ी है उनके मन में भी लेकिन आग कौन लगावेगा । पत्थर ही हथियार बनेगा जो गुरु का साथ पावेगा ।। तू अपनी सोच से ही, भगवा की ज्वाला भड़कायेगा । बहुत हो गया श्रृंगार ( वियोग) अब ये सौरभ तुझे अपना वीर दिखाएगा ,भारत के स्वर्णिम भविष्य में फिर से भारत को हिंदू राष्ट्र कहलवाएगा ।। ...sVs... ©Saurabh Shukla अग्नि #Hindu #Sunrise