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Pankaj Neeraj
. . . . . . . . . . . . . . ©Pankaj Neeraj #गेंदा_फूल #प्रेम #पंकज_नीरज
anandi
#MessageOfTheDay कब सबेरा होगा , रात नही कट रही हैं। मां सुसराल को भेजा , तेरी जैसी ममता नहीं नजर आ रही है। सुसराल तेरे सपनो के बताएं जैसा नहीं है। यहा लोग मुंह देख तिलक करते हैं। ©anandi #ससुराल गेंदा फूल 🙏 #Messageoftheday
DR. LAVKESH GANDHI
सुसराल सुसराल सपनों का घर है अरमानों का मंदिर है अगर मान ले इसे एक बार मन से मंदिर तो यह स्वर्ग से प्यारा है #सुसराल # #सुसराल गेंदा फूल # #yqswapnlok #yqlifefeelings #
Anekanth B
My father in law's name is D. J. Warad. When I heard his name for the first time, I thought he was a real DJ, because my dad had told they are from Saudi. When I met my wife, I asked her why did they move to India? She said, they were always here. There's a hamlet in North Karnataka called Savdi. And my father in law's name is Dhareppa Jinnappa Warad, D.J were his initials. ससुराल गेंदा fool #yqbaba #yqdidi #yqhumour #project365 #truestory
Anekanth Bahubali
My father in law's name is D. J. Warad. When I heard his name for the first time, I thought he was a real DJ, because my dad had told they are from Saudi. When I met my wife, I asked her why did they move to India? She said, they were always here. There's a hamlet in North Karnataka called Savdi. And my father in law's name is Dhareppa Jinnappa Warad, D.J were his initials. ससुराल गेंदा fool #yqbaba #yqdidi #yqhumour #project365 #truestory
Medha Bhardwaj
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
कभी गुलजार थी गलियां , हमारा बागबाँ है यह । कहीं चम्पा कहीं गेंदा , मगर सब बेजुबां है यह । समझ कर खेल जाते हैं ,खिलौना दिल समझते जो_ नहीं एहसास होता हैं , अभी नाँदां सभी है यह ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR कभी गुलजार थी गलियां , हमारा बागबाँ है यह । कहीं चम्पा कहीं गेंदा , मगर सब बेजुबां है यह । समझ कर खेल जाते हैं ,खिलौना दिल सम
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
जब बसंत का मौसम आता , मन की पीडा हर जाता देख प्रकृति का रूप सुनहरा,हृदय प्रफुल्लित हो जाता खेतों में है फूली सरसो , देखी जो पहले बरसो । अब तो आँगन में भी गेंदा , कहता है अब मत तरसो।। यह उपहार प्रकृति का हमको , कितनी खुशियां दे जाता ।। जब बसंत का मौसम आता , मन की पीडा हर जाता ।। गेंदा गुलाब और बनफूल , से मधुवन यह रम जाता अरहर और मटर में देखो , फूलों गुच्छा लग जाता ।। हर डाली के नव पल्लव से , वन की शोभा बढ़ जाता जब बसंत का मौसम आता , मन की पीड़ा हर जाता जन-मन से लेकर वन्य जीव ,मगन सभी को है देखा । भँवरा तितली मधुमक्खी तो , प्रेमी पक्षी भी देखा ।। मधुर-मिलन का ये मौसम तो , सब के मन को हर्षाता जब बसंत का मौसम आता , मन की पीड़ा हर जाता ।। १७/०१/२०२३ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR जब बसंत का मौसम आता , मन की पीडा हर जाता देख प्रकृति का रूप सुनहरा,हृदय प्रफुल्लित हो जाता खेतों में है फूली सरसो , देखी जो पहले बरसो ।