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Rajendrakumar Shelke
*विषय:-शुभमंगल* ********************** शुभमंगल म्हणता पडे अक्षदा *डोई,* सारेच सज्ज झाले पाहण्याची करी *घाई.* तुझी न माझी जोडी स्वर्गात बांधली *ब्रम्हगाठ,* या मंगलसमयी सख्या आपुली ही *रेशीमगाठ.* पाहून प्रिया तुला मी सांग मना का *बावरले?* जन्मोजन्मी मी तुझीच स्वप्न सत्यात *उतरले.* साज शृंगार करोनी आज मी *सजले,* हातात हात घालुनी सप्तपदी मी *चालले.* मांगल्याचे प्रतिक घेऊन सासुरवाशीण *होते,* प्रेमाच्या या आठवणीत मन माहेरीच *फिरते.* ----------------------------- *✍️ राजेंद्रकुमार शेळके.* -- नारायणगाव, पुणे. ©Rajendrakumar Shelke नववधू
richa verma
नव वधू कस्तूरी वन की हो तुम, खुशबू हर पल बिखराती, गुड़ की डली सी मीठी तुम, घूंघट में जब मुस्काती। चांदी की पायल हो तुम, छम छम का गीत सुनाती, जीवन का अमृत हो तुम, झिलमिल चांदनी बरसाती। नववधू ❤❤ #rzकाव्योगिता1 #rzकाव्योगिता #rzhindi #restzone #yqdidi
Swapnil Dhane
शृंगाररस सावरत कुंतलाच्या बटा अवतरली नववधू लाजरी नव यौवनाने भरलेली काया शृंगराने केली साजरी हरणीच्या चालीने चालून साडी कटीवरुन ढळली ताबा मदनाचा सुटावा तशी नजर तिथे वळली मुसमुसलेल्या ज्वानीला व्याधी अधिरतेची जडली मदस्पर्शी प्रणयाची चाहूल आता आवेगाने वाढली ✍🏻 :- स्वप्नील प्रकाश धने शृंगाररस सावरत कुंतलाच्या बटा अवतरली नववधू लाजरी नव यौवनाने भरलेली काया
Varsha Patil
Anita Saini
मैंने कभी सोचा नहीं था नाक छिदवाने का उन्होंने कहा कि तुम सूने नाक अच्छी नहीं लगोगी तुम पर नथ बहुत जँचेगी! श्रृंगार नववधू का अधूरा रहता है बिना नाक की बाली के! आज उन्हीं के कहे पर अमल कर लिया अहा! सच में आज पूर्ण हुए मेरे श्रृंगार! दुल्हन सा रूप निखरा ख़ुद से ही रश्क़ होने लगा है ..! मैंने कभी सोचा नहीं था नाक छिदवाने का उन्होंने कहा कि तुम सूने नाक अच्छी नहीं लगोगी तुम पर नथ बहुत जँचेगी!
VINAY PANWAR 🇮🇳INDIAN ARMY💕💕
भारत को जो करना नमन छोड़ दे, कह दो वो मेरा वतन छोड़ दे मजहब प्यारा है जिसे भारत नहीं , वो इसकी मिटटी में होना दफ़न छोड़ दे विनय फौजी जय हिंद 🇮🇳🌹🙏 माना की घर से दूर हूं, यूं ना समझो कि मैं मजबूर हूं। बेटे के घर आने की आस संजोती, बुढी मां की आस हूं।
Deepak Kanoujia
प्रेम सहेजो तुम जैसे वर्षों से सहेजे गए कंगन किसी नववधू के जैसे सहेजा गया कोई मोती किसी सीप में जैसे सहेजी गयी कुछ सेल्फियां और तस्वीरें वर्षों तक... प्रेम मुझसे जैसे कस्तूरी कोई किसी मृग की, होता हूँ तुझमें ही और रहूँगा तुझमें ही कहीं... ना मांगो इसे स्वर्ण मृग समझ कोई ना भेजो किस
AB
छाया हो या काल्पनिक प्रतिबिम्ब कुंतल यामिनी प्रभुता का शरण -बिम्ब, अनिमेष ही देखता रहूँ तुम्हें कनखी -कनखी पाट-पाट सकल तुम्हारे अरुण कोपल मलिन, स्मृति पाथेय तुम मेरी स्मृतियों में मधुप जैसे अनंत नीलिमा अनुरागिनी, कंजकली शोभा -श्री हो कदाचित,! Dedicating a #testimonial to Kavita chaudhary💚 प्रकृति ने जीवन खिलाया हो जैसे, सुरंग सुधियाँ सुहावनी, मृगतृष्णा नहीं यह है यथार्थ ही,
AK__Alfaaz..
कल प्रातः, भोर भये, सूरज केसरिया पगड़ी पहन, बादलों की सीढ़ी से, उतर कर, आ बैठा अवनी की गोद मे, और आकर, नववधू सी, सजती सरिता को, रंग दिया अपने ही रंग में, कल प्रातः, भोर भये, सूरज केसरिया पगड़ी पहन, बादलों की सीढ़ी से, उतर कर, आ बैठा अवनी की गोद मे, और आकर, नववधू सी,
sandy
नाण्याच्या दोन बाजू... कुंदती, दिसायला जेमतेम पण अभ्यासात नेहमी पुढे. वक्तृत्व, हस्ताक्षर, लेखन सगळचं छान करायची. तिचा हजर जबाबीपणा, बिनधास