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मिथिलेश मुन्तज़िर
हर तरफ से उठ रही है चीखे , कुछ तो छिपा राज है देश का दिल जल रहा है , किसने लगायी आग है । हमसे कोई पूछे तो , लालकिले की प्राचीर से बोलू इस हिंसा का "वारिस" , दिल्ली का शाहिन बाग है ।। कुछ लोग है इस मुल्क मे , जो बनते " धार्मिक सरताज" है हिंसा की इन घटनाओं को , बताते फिरते जगेगी ना कोई विधवा होगी , ना जलती तस्वीर दिखेगी । प्रगति के पथ पर चलता , कल और आज होगा फिर ना कभी दिल्ली मे , इस कदर का शाहिन बाग होगा ।। हिंसा का शाहिन बाग
Praveen Jain "पल्लव"
प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" हिंसा का अधिकार #पल्लव_की_डायरी
Durgesh Mishra
इस भेड़ चाल में हम भी चल रहे थे मुख्य बिन्दुओ से हटकर हिन्दू मुस्लिम कर रहे थे इंसायनियत पल पल हरपल मर रही थी हम लाशो से उसका धर्म पूछ रहे थे जो दोस्त कभी साथ बैठकर खाया करते थे आज वो एक दूसरे की जान लेने के लिए घूम रहे थे जो कभी एक तिरंगें के नीचे राष्ट्रगान गया करते थे आज हरे में इस्लाम और केसरिया में हिन्दू ढूंढ रहे थे पता नहीं किस दौर में हम खुद को ढकेल रहें थे आने वाली नस्लों को भी हिन्दू मुस्लिम की आग में झोंक रहे थे जल रहे थे घर दोनो के उस नफ़रत की आग में जिसे लगा कर हम सुनहरे भविष्य का सपना देख रहे थे मुझे नहीं पता हम कब तक लड़ते रहंगे और कब तक सहेंगे शायद इंसानियत के खात्मे तक हम एक दूसरे से लड़ते रहंगे हिंसा का धर्म या धर्म की हिंसा 🇮🇳🇮🇳🙏🙏
CK JOHNY
चुप थी मैं अब चुप न रहुँगी बहुत सहा अब और न सहुँगी। गाली दी हाथ उठाया सब जुल्म सहा छुप छुप के रोई कभी किसी से न कहा। अपने हक की आवाज बुलंद करुँगी। तेरी बन के रही तुझे रहना न आया जहाँ कद्र नहीं मेरी वहाँ न रहूँगी। ऐ पति तुझे परमेश्वर माना था बहुत हुआ पैर की जूती न बनुंगी। फख्त जिस्म में कैद नहीं वजूद मेरा आजाद रुह हूँ आजाद ही रहूँगी। तेरे लिए सोलह श्रृंगार किए अब अपने लिए सजू संवरुंगी। मेरी संभावनाओं को नजरअंदाज करनेवाले अपनी तकदीर की ईबारत खुद लिखूंगी। चुप थी मैं अब चुप न रहुँगी बहुत सहा अब और न सहुँगी। बी डी शर्मा चण्डीगढ़ महिलाओं के खिलाफ हिंसा का उन्मूलन
md shadab
आज मेरा देश हिंसा की आग मै जल रहा है , ये हिंसा जिसने भी फ़ैलाई है वो घर बैठ कर मजे ले रहा है, इस हिंसा मै हिन्दु मुस्लिम नहीं एक इंसान जल रहा है , अगर गोर से देखो तो आपस का भाईचारा जल रहा है, आज मेरा देश हिंसा की आग मै जल रहा है, ये हिंसा जिसने भी फ़ैलाई है वो घर बैठ कर मजे ले रहा है, इस आग मै सिर्फ़ और सिर्फ़ हमारे देश वासी जल रहे हैं, ना हिन्दु जल रहा है ना मुसलमान जल रहा है . #हिंसा
Ajay kumar Singh
विरोध करने के बहुत से तरीके हैं! गाँधी के देश में विरोध प्रदर्शन के नाम पर इस तरह का उन्माद और उत्पात असहनीय है ।इस तरह के हिंसक विरोध प्रदर्शन के दौर में गाँधी जैसे महात्मा की कमी आज यह देश महसूस कर रहा है । #हिंसा