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Vishnu
एक बार रमेश नाम का ब्यक्ति बैलगाड़ी में अनाज के बोरे लादकर शहर ले जा रहा था। तभी अचानक गढ्ढे में बैलगाड़ी पलट गई । रमेश बैलगाड़ी को सीधा करने की कोसिस करने लगा। थोड़ी ही दूर पर पेड़ के नीचे बैठे राहगीर ने रमेश को आवाज़ दी- अरे भाई परेशान मत हो, आ जाओ पहले मेरे साथ खाना खा लो फिर मैं तुम्हारी गाड़ी सीधी करा दूंगा। रमेश – धन्यबाद पर मैं अभी नही आ सकता मेरे दोस्त बशीर नाराज़ हो जाएगा राहगीर- अरे तुमसे अकेले नजी उठेगी गाड़ी, आओ खाना खा लो फिर दोनों मिल कर उठाते है। रमेश नही बशीर गुस्सा हो जाएगा। राहगीर- अब मान भी जाओ। रमेश- ठीक है आप कहते हैं तो आ जाता हूं। खाना खाने के बाद रमेश बोला चलो चलते है गाड़ी के पास बशीर गुस्सा हो रहा होगा। राहगीर ने मुस्कुराते हुए कहा तुम इतना डर क्यों रहे हो बैसे इस समय कहाँ होगा बशीर? रमेश- गाड़ी के नीचे दबा हुआ है। ©Vishnu #बेचारे बसीर bhai
Romil Srivastava✅️
रात लहरा क़े चली है इसे आँचल कर दो, तुम मुझे रात का जलता हुआ जंगल कर दो. मै तुम्हे दिल की सियासत का हुनर देता हूँ, अब उसे धूप बना दो मुझे बादल कर दो. एक एक छोड़ कर जाओगे तो मर जाउंगा, यूँ करो जाने से पहले मुझे पागल कर दो..! (शुभ रात्रि) ©Romil Srivastava डॉ बसीर बद्र #Hopeless
दीप बोधि
आंखों में रहा दिल में उतरकर नहीं देखा, कस्तीके मुसाफ़िर ने समन्दर नहीं देखा। बेवक्त अगर जाउंगा,सब चौंक पड़ेंगे, इक उम्र हुई दिन में कभी घर नहीं देखा। जिस दिन से चला हूं मेरी मंज़िल पे नज़र है आंखों ने कभी मील का पत्थर नहीं देखा। ये फूल मुझे कोई विरासत में मिले हैं, तुमने मेरा कांटो भरा बिस्तर नहीं देखा। पत्थर दिल कहता है मुझे मेरा चाहने वाला मैं मोम हूं उसने मुझे छूकर नहीं देखा। -बसीर ©Deep Bodhi दीप बोधि आंखों में रहा......बसीर
sachin kor
लोग टूट जाते हैं एक घर बनाने में तुम तरस नहीं खाते बस्तियां जलाने में बसीर भद्र .. ©saatvikor #Sad💔 सेर बसीर भद्र