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ADARSH SAHU

इस दहेज ने ही फैलाया भारी अत्याचार है॥ इस दानव को मार भगाओ यह समाज का आभार है। जन्म पुत्र के होते घर में खूब बधाई बजती है। लेकिन कन्या उसी

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इस दहेज ने ही फैलाया भारी अत्याचार है
इस दानव को मार भगाओ यह समाज का आभार है

जन्म पुत्र के होते घर में खूब बधाई बजती है
लेकिन कन्या उसी घर में एक समस्या लगती है
कैसे हाथ करेंगे पीले यदि आभाव घर में धन का
घर वर दोनों ठीक चाहिए प्रश्न समूचे जीवन का
बात गुणों की है ना कहीं भी पैसे का भरमार है
  सुसंस्कृत और सुशील सुपुत्री रूप गुणों की उजियारी
धन अभाव में देखो कैसे घर में बैठी है क्वारी
इस दहेज की चिंता ने देखो लिए है कितने प्राण यहां
 एक तरफ शादी का बंधन एक तरफ ईमान खड़ा
 इसके कारण कितनी बेटियों का होता बलिदान है
नारी का क्या मूल्य न कोई क्या वह पशु से दीन हुई
 नर की तुलना में बोलो क्यों? है वह इतना हीन हुई
लड़के वाला लेन देन कितनी अकड़ दिखाता है
 सब कुछ देने वाला ही यहां नजरें अपनी झुकाता है
यह पुनीत सम्बंध नहीं है निंदनीय अपराध है
इस कुरीति ने ही समाज की व्यवस्था सारी बिगड़ाई
 घूस मिलावट चोर बाजारी और बेईमानी है आई
ओ समाज के ठेकेदारों कुंभकर्ण बन सोते हो
 अत्याचार से आंख फेर कर बीज पाप के बोते हो
 धन को ही अब धर्म बनाकर  रक्षित किया समाज है इस दहेज ने ही फैलाया भारी अत्याचार है॥
इस दानव को मार भगाओ यह समाज का आभार है।

जन्म पुत्र के होते घर में खूब बधाई बजती है।
लेकिन कन्या उसी

Namit Raturi

ईश्वर धरती पे ! एक नई कविता प्रस्तुत करने जा रहा हूँ,उम्मीद है कि आपके दिलों तक पहुँच सकूं,आपसे निवेदन है कि इस हास्य व्यंग्य कविता को पढें #God #Funny #yourquote #yqbaba #satire #hindipoetry #yqdidi #godonearth #vyangatmakkavita

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बिजली कडकी,बादल बरसे आए जो ईश्वर धरती पे,
रस्ता भटके प्रभु और आ पहुंचे यहाँ गलती से,
जरा सी घूमी क्या दुनिया,फर्क बदल गया जमानो का,
कहीं दूषित करे बादलों को काला धुँआ कारखानों का,
दग दग दौडे गाडी, पूछें प्रभु यह कैसे रहीस ताँगे,
उधर एक छोटी बच्ची गाडियों की खिडकियों को खटखटा के भीख माँगे,
यह कैसी दुनियादारी कि कुछ लोग अपने कारोबार मे व्यस्त है,
बाकी खाली बैठे चटाई पे राजा,रानी और इके कि दुनिया में मस्त है,
हाए यह बेरोजगारी भूखा मर रहा हर कोई कडकी से,
बिजली कडकी,बादल बरसे आए जो ईश्वर धरती पे ॥


(read whole poem in caption) ईश्वर धरती पे !

एक नई कविता प्रस्तुत करने जा रहा हूँ,उम्मीद है कि आपके दिलों तक पहुँच सकूं,आपसे निवेदन है कि इस हास्य व्यंग्य कविता को पढें

Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 10 ।।श्री हरिः।। 12 - तामसी श्रद्धा 'आपको वह मानता है। आप उसे समझा दीजिये।' वे मेरे सम्मान्य हैं, पढ

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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 10

।।श्री हरिः।।
12 - तामसी श्रद्धा

'आपको वह मानता है। आप उसे समझा दीजिये।' वे मेरे सम्मान्य हैं, पढ

SG

लहजा़ ,चोर और चोरी #शायरी

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Umesh Dhanker

चार कदम चोर से #Society

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Vishal Singh Rajput

खजाने लुटने के नये नये तरिके चोर आजमाने लगे है चोरी करके भागने के बजाय चोर चोर का शोर मचाने लगे है

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खजाने लुटने के नये नये तरीके चोर आजमाने लगे है
चोरी करके भागने के बजाय चोर चोर का शोर मचाने लगे है खजाने लुटने के नये नये तरिके चोर आजमाने लगे है
चोरी करके भागने के बजाय चोर चोर का शोर मचाने लगे है

Anjali Jain

चोर चोरी से...#०५.०३.२१ #gaon

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'चोर चोरी से जाए, हेराफेरी से न जाये'
ये कहावत अच्छी/बुरी हर प्रकृति के व्यक्ति के साथ लागू होती है।
अच्छे व्यक्ति की राह में 
कितने ही रोड़े अटका दो?
कितना ही बुरा कर के 
उसे तोड़ने की कोशिश करो,
वह अपनी अच्छाई पर आ ही जाता है!
बुरे व्यक्ति के साथ कितना ही अच्छा करो,
उसे बुराई से दूर कर ने की 
कितनी ही कोशिश करो,
वह बुराई पर आ ही जाता है।
ये अक्षरशः सच है!!

©अंजलि जैन चोर चोरी से...#०५.०३.२१

#gaon

Vishal Degama

चोर ले गये सडक चोरी करके #Life

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Raybhan Y. Sonawane patil.

"बाजार !!."

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तुम्ही माणसांनी बाजार मांडलाय,
बाजार मांडलाय नुसता!
आमच्या स्रित्वाचा,आमच्या चारित्र्याचा,
आमच्या अब्रूचा,लज्जेचा !!

आम्हाला कुत्र्या,मांजरागत पाळलं जातयं,
आमच्या नग्न देहावर, 
कागदाचे तुकडे फेकून, 
छक्कंदेखील आमचं मालक होतयं.

तुमच्या देवभूमीतच कळस गाठताहेत,
बलत्काराचे भरमसाठ आकडे !
आम्हाला काय न्याय देणार !
ही मंत्रालयात बसलेली माकडे !!

अहो !आम्हाला दिनादास् रस्त्यावर पेटवा !
आमची नग्न धिंढ काढा !!
आब्रुचे लक्तरं तोडा !
बिनधास्त आमच्यावर चढा !!

खुशाल घाला शिव्या !
इथल्या हर एक महापुरूषाला ,
संविधानाला ! तुमच्या आमच्या सात पिढ्याला!!
मी तर लावलयं उभं आयुष्य तुमच्या मढयाला !!."
(कवी:रा.या.सोनवणे पाटील.) "बाजार !!."
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