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Ikka
हमबिस्तर होकर गैर के साथ ज्यादा इतरा रही है हमने तो इत्र गुलाब की दी केवड़ा की खूशबू आ रही है, कल तक पसंद थी तुम्हारी गुलाबी कपड़े पहनने की फिर तू आज क्यूँ कुर्ती लाल पहन कर आ रही है! Ikka.🤫🤫 #कुर्ती लाल तेरी
नितिन कुमार 'हरित'
कर्ज़ फ़र्ज़ और मर्ज़ तीन कोने समझिए, गोल दुनियां में, तिकोनी है ये ज़िंदगी ! ©Nitin Kumar Harit तिकोनी ज़िंदगी | नितिन कुमार हरित #Morning #NitinKrHarit
Mysterious Girl
कुर्ती-प्लाजो हाथों में कड़ा और माथे पर बिंदी पसंद है.... सबको अंग्रेजी पसंद है पर, मुझे अंग्रेजी से ज्यादे हिन्दी पसन्द है!! ©Mysterious Girl कुर्ती प्लाजो हाथों में कड़ा और माथे पर बिंदी पसंद है.... सबको अंग्रेजी पसंद है पर मुझे अंग्रेजी से ज्यादे हिन्दी पसन्द है!! * * * आप सभी को
VATSA
कुछ टूटी, बटन पड़ीं हैं मेरे पास रख लूं? या सजाओगे फिर से कुर्ती में? कुछ कालिक हैं, आंखों की तुम्हारी नमी के सहारे, मेरे गालों पे आ पुती हैं कुछ सफेद चमकदार मोती हैं, नाज़ुक से बेरुखी में तुम्हारी ये मुझ से आ लिपटे थे कुछ अफसाने हैं कागजी, धुंधले पन्नों पे लिखे सुनाते सुनाते, कल रात नींद आ गई थी तुम्हें कुछ टूटी बटन पड़ी है मेरे पास रख लूं? या सजाओगे फिर से कुर्ती में? #बटन #illiteratepoet #vatsa #dsvatsa #yqbaba #hindishayari #hindipoem #urduhindi_poetry कुछ टूटी, बटन पड़ीं हैं मेरे पास रख लूं? या सजाओग
Rakesh Kumar
Ravendra
Ravendra
कवि राहुल पाल 🔵
चमन लिख रहा हूँ ,नमन लिख रहा हूँ , शहीदो के लिए रोता सदन लिख रहा हूँ ! तुम्हारी शहादत से आज जिंदा है हम सब तुम्हारे हवाले ये गुल वतन लिख रहा हूँ !! चमन लिख रहा हूँ ,नमन लिख रहा हूँ ..... खूबसूरत मंजर को ,मोहब्बत के खंजर को मुस्कुराती कलियों को,चहकती गलियों को आतंक के दहन को ,परिवार के सहन को इनके आला सौंदर्य का कथन लिख रहा हूँ !! चमन लिख रहा हूँ ,नमन लिख रहा हूँ .... महकती हवाओ को, झूमती लताओं को , नदियों और झरनों को ,हिमालय के चरणों को , बहकती फिजाओ को ,चारो दिशाओं को इनके चैतन्य का मैं मनन लिख रहा हूँ !! चमन लिख रहा हूँ , नमन लिख रहा हूँ.. खुशियों में बचपन को ,बुढ़ापे में पचपन को जवानी में जोश को , प्रौढ़ में होश को कुर्ती और कमीज को ,सावन के तीज को आंखों के काजल को ,पाँव के पायल को इनका जीवन मे समाये गहन लिख रहा हूँ चमन लिख रहा हूँ,नमन लिख रहा हूँ ..... किसानों के खेत को ,नदियों में रेत को समरूपता की राहों को,धर्म निरपेक्ष चाहो को अर्पण की खोज को ,निष्कपट बोझ को दया के भाव को ,भवसागर की नाव को मानव मूल्यों का "राहुल" समन लिख रहा हूं !! चमन लिख रहा हूँ ,नमन लिख रहा हूँ ... #नमन_लिख_रहा_हूँ.. चमन लिख रहा हूँ ,नमन लिख रहा हूँ , शहीदो के लिए रोता सदन लिख रहा हूँ ! तुम्हारी शहादत से आज जिंदा है हम सब तुम्हारे ह