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pramod malakar
ध्वंसक धर्म और अंधकार को मिटा दो !!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!! मेरे सपनों का घर कौन सजाएगा, मेरे सपनों में कौन-कौन है,अपना नाम बता दो। तुम्हारे नाम पर कर रहा हूं साधना, तुम्हारे नाम से निकल रहा है निरंतर प्रकाश, तुम कौन हो अग्रसर मेरे दिल में,मुझे बतला दो। घृणा और रक्तपात का बिगुल बज रहा हे ईश्वर तुम्हारे प्रांगण में, संरचना कैसा किया है तुमने मानव का,मुझे बतला दो। विंध्वसात्मक प्रवृत्ति की खेती हो रही है जोरो से, कुचलना,कुर्बानी,रक्तपात अगर धर्म है तो हमें बतला दो, उत्थान और अहिंसा का मतलब हमें समझा दो। सहनशील है बुद्धिमान बेहिचक तुम्हारे नाम पर, अलौकिक शक्ति हो अगर तुम,अंधकार को तुरंत मिटा दो। कसौटी पर अब मत तौलो अपने मूरत को,शांति नहीं तो क्रांति से, ध्वंसक धर्म और अंधकार को मिटा दो। तुम ईश्वर कण-कण में विराजमान हो धरती पर,दुनिया को बतला दो। मैं प्रमोद स्वयं पुकार रहा हूं तुझे, प्रसन्न कब होगे,कैसे होगे मुझे बतला दो। मेरे सपनों का घर कौन सजाएगा, कौन-कौन है मेरे सपनों में, मुझे बता दो।। !!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!! प्रमोद मालाकार की कलम से !!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!! ©pramod malakar #ध्वंसक धर्म और अंधकार मिटा दो
दीपिका टेलर
आग! आग वो है जो जीवन में बहुत जरूरी है। मनुष्य शरीर भी पांच तत्वों से बना है जिसमे आग भी है। खाना बनाने में भी आग चाहिए होती है। देखा जाए तो आग अभी इन ऊपर की पंक्तियों में निर्माण ही करती दिख रही है लेकिन आग का उपयोग लोग ध्वंस में भी करते हैं।आग जला भी देती है। अगर आग ज्यादा हो जाये तो खाना जल जाता है और रिश्तों में आग रिश्ते जला देती है। वही इश्क़ में आग हो तो जुनून बन जाती है। तो आग को क्या माना जाए?🤔 #आग निर्माण या ध्वंस
Sonal Panwar
मीठी वाणी से होता मधुर अपना मन और सबका जीवन है, कटु शब्दों से ठेस लगती परहृदय को और स्व व्यक्तित्व का भी होता ध्वंस है। ©Sonal Panwar #Apocalypse #विध्वंश #ध्वंस #विनाश #hindi_poetry #hindi_shayari #hindi_quotes #Nojoto
suraj chaubey
बिलखते शिशु की व्यथा पर , दृष्टि 😒तक जिनने न फेरी यदि क्षमा कर दूँ उन्हें ,😠 😡धिक्कार माँ की कोख मेरी चाहता हूँ ध्वंस 🔥कर देना, विषमता की कहानी हो सुलभ सबको जगत में , वस्त्र , भोजन, अन्न, पानी। नव भवन निर्माणहित मैं , जर्जरित प्राचीनता का- गढ़ ढ़हाता जा रहा हूँ ,पर तुम्हें भूला नहीं हूँ। Suraj Chaubey 😒✍ बिलखते_शिशु की व्यथा पर #दृष्टि तक #जिनने न फेरी #यदि_क्षमा कर दूँ #उन्हें_धिक्कार_माँ_की_कोख_मेरी #चाहता हूँ #ध्वंस_कर देना #विषमता की #कहा
Poonam bagadia "punit"
DCprajapati🌺💥
परंपरा को अंधी लाठी से मत पीटो उसमें बहुत कुछ है जो जीवित है, जीवन दायक है, जैसे भी हो ध्वंस से बचा रखने लायक है। ©DCprajapati🌺💥 परंपरा को अंधी लाठी से मत पीटो उसमें बहुत कुछ है जो जीवित है, जीवन दायक है, जैसे भी हो ध्वंस से बचा रखने लायक है।
Pramod Kumar
Shruti Gupta
क्षोभ नहीं जो कल बीता, शायद वो काल सकल बीता। हर ध्वंस हुआ ही है जग में विनाश के बाद, नव सृजन के लिए। ये प्रेम यथार्थ तो है मेरा पर वियोग से अब ये तन जलता। इक राह का चयन किया फिर से विरह के बाद, नए मिलन के लिए। (पूर्ण कविता कैप्शन में पढ़े...) क्षोभ नहीं जो कल बीता, शायद वो काल सकल बीता। हर ध्वंस हुआ ही है जग में विनाश के बाद, नव सृजन के लिए। ये प्रेम यथार्थ तो है मेरा पर वियोग से
amar gupta
क्षोभ नहीं जो कल बीता, शायद वो काल सकल बीता। हर ध्वंस हुआ ही है जग में विनाश के बाद, नव सृजन के लिए। ये प्रेम यथार्थ तो है मेरा पर वियोग से अब ये तन जलता। इक राह का चयन किया फिर से विरह के बाद, नए मिलन के लिए। (पूर्ण कविता कैप्शन में पढ़े...) क्षोभ नहीं जो कल बीता, शायद वो काल सकल बीता। हर ध्वंस हुआ ही है जग में विनाश के बाद, नव सृजन के लिए। ये प्रेम यथार्थ तो है मेरा पर वियोग से
Sarita Shreyasi
कौन हूँ , स्वयं प्रश्न हूँ , स्वयं उत्तर हूँ। प्रश्न जैसे उत्तरों का, एक मात्र प्रत्युत्तर हूँ। मौन हूँ, मेरा मौन मुखर है जल हूँ,शीतल हूँ , धार मेरी तीव्र है,प्रखर है। कल सहर थी, कल शाम होगी, आज तपती दोपहर हूँ। ताप हूँ, शोषण घुटन का, ध्वंस का अंतिम प्रहर हूँ। विकृति की औषधि हूँ, दुर्विचारों के लिए जहर हूँ। रिसती स्याही हूँ कलम की, पर ढ़ाह सकती मैं कहर हूँ। कौन हूँ , स्वयं प्रश्न हूँ , स्वयं उत्तर हूँ। प्रश्न जैसे उत्तरों का, एक मात्र प्रत्युत्तर हूँ।