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विष्णुप्रिया

जटा जूट शेखरम्, ग्रीवा भुजंग महेश्वरम् शीश गंग, भाल चंद्र, भस्म अंग विभूषितम् मुण्ड माल धारणम् तंत्र मंत्र समाहितम्, धुनि रमा, समाधि में, #Spirituality #yqbaba #mahadev #yqdidi #महादेव #हिंदी_कविता #विष्णुप्रिया #शिवोहं

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जटा जूट शेखरम्,
ग्रीवा भुजंग महेश्वरम्
शीश गंग, भाल चंद्र,
भस्म अंग विभूषितम् 

मुण्ड माल धारणम्
तंत्र मंत्र समाहितम्,
धुनि रमा, समाधि में,
हिम शिला आसनम् 

गरल कण्ठ धारणम्
विभस्त राग उच्चतम्
अर्ध चंद्र, शक्ति संग,
वैराग्य रंग विभूषितम्

पिनाक हस्त धारणम्
तांडव समाहितम्
त्रिलोचनम् शंकरम्
महेश्वरम् नमाम्यहम्
 जटा जूट शेखरम्,
ग्रीवा भुजंग महेश्वरम्
शीश गंग, भाल चंद्र,
भस्म अंग विभूषितम् 

मुण्ड माल धारणम्
तंत्र मंत्र समाहितम्,
धुनि रमा, समाधि में,

Poetry with Avdhesh Kanojia

#Shiva #mhadev #Shambhu #RuDra बैठे शिव शक्ति संग, भस्म हैं रमाएँ अंग महानाग वासुकी को गले लिपटाये हैं। तन सोहे गौर रंग, जटा जूट धारे गंग

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बैठे शिव शक्ति संग, भस्म हैं रमाएँ अंग
महानाग वासुकी को गले लिपटाये हैं।
तन सोहे गौर रंग, जटा जूट धारे गंग
व्याघ्र चर्म प्रभु निज तन पे सजाये हैं।
गौर वर्ण कंठ नील, शिव ग्रीवा सोहे ऐसे
जैसे गौर चंद्र श्याम चिन्ह अपनाये हैं।
देख छवि मनहर, महादेव हर हर
कर जोड़ शरण तिहारी प्रभु आये हैं।

✍️अवधेश कनौजिया©

©Avdhesh Kanojia #Shiva #mhadev #Shambhu #RuDra 

बैठे शिव शक्ति संग, भस्म हैं रमाएँ अंग
महानाग वासुकी को गले लिपटाये हैं।
तन सोहे गौर रंग, जटा जूट धारे गंग

Poetry with Avdhesh Kanojia

#Shiva #mahadev poetry #poem love #kavita बैठे शिव शक्ति संग, भस्म हैं रमाएँ अंग महानाग वासुकी को गले लिपटाये हैं। तन सोहे गौर रंग, जटा

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बैठे शिव शक्ति संग, भस्म हैं रमाएँ अंग
महानाग वासुकी को गले लिपटाये हैं।
तन सोहे गौर रंग, जटा जूट धारे गंग
व्याघ्र चर्म प्रभु निज तन पे सजाये हैं।
गौर वर्ण कंठ नील, शिव ग्रीवा सोहे ऐसे
जैसे गौर चंद्र श्याम चिन्ह अपनाये हैं।
देख छवि मनहर, महादेव हर हर
कर जोड़ शरण तिहारी प्रभु आये हैं।
     #shiva #mahadev #poetry #poem #love #kavita 

बैठे शिव शक्ति संग, भस्म हैं रमाएँ अंग
महानाग वासुकी को गले लिपटाये हैं।
तन सोहे गौर रंग, जटा

रजनीश "स्वच्छंद"

नारी- जगविधात्री।।। नार है नारी, ग्रीवा है नारी, जगविधात्री शिवा है नारी। नारी सबल प्रबला है नारी, ईश की अद्भुत कला है नारी। जन्मदात्री, पथ

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नारी- जगविधात्री।।।

नार है नारी, ग्रीवा है नारी,
जगविधात्री शिवा है नारी।
नारी सबल प्रबला है नारी,
ईश की अद्भुत कला है नारी।
जन्मदात्री, पथद्रष्टा है नारी,
सम्बल नारी, दुखहर्ता है नारी।
मातृ बहिन बेटी जाया है नारी,
प्रेम की अद्भुत काया है नारी।
नारी शक्ति, संग्गामिनी है नारी,
भावो की भी स्वामिनी है नारी।
शब्द कहाँ कहे जो क्या है नारी,
लक्ष्मी काली और जया है नारी।।

©रजनीश "स्वछंद" #NojotoQuote नारी- जगविधात्री।।।

नार है नारी, ग्रीवा है नारी,
जगविधात्री शिवा है नारी।
नारी सबल प्रबला है नारी,
ईश की अद्भुत कला है नारी।
जन्मदात्री, पथ

अशेष_शून्य

स्त्री (प्रकृति) जब रोती है सिसकियों से धरती की छाती फटती है और दरारें मृत घाटी बन कर पूरी दुनिया को लीलने लगती है। #yqbaba #hindipoetry #yqdidi #yqaestheticthoughts #travallingsoul #अशेष_शून्य

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"सुनो !
मेरे अर्धनारीश्वर ...!!"
(शेष अनुशीर्षक में ) स्त्री (प्रकृति) जब रोती है
सिसकियों से
धरती की छाती
फटती है और
दरारें मृत घाटी बन कर 
पूरी दुनिया को
लीलने लगती है।

रजनीश "स्वच्छंद"

क्या लिखूं और कब लिखूं। मैं अब लिखूं की तब लिखूं, तुम ही बोलो कब लिखूं। मैं जप लिखूं की तप लिखूं, तुम जो बोलो सब लिखूं। मैं शब्द हूँ और प् #Poetry #Quotes #words #kavita #hindikavita #hindipoetry #shabd

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क्या लिखूं और कब लिखूं।

मैं अब लिखूं की तब लिखूं, तुम ही बोलो कब लिखूं।
मैं जप लिखूं की तप लिखूं, तुम जो बोलो सब लिखूं।

मैं शब्द हूँ और प्राण हूँ, तम का कवच भेदता बाण हूँ।
उदबोधन हूँ मैं ज्ञान हूँ, बन सबल निर्बलों का मान हूँ।

मैं ढाल भी मैं प्रहार हूँ, कुरान भी और गीता सार हूँ।
जीवन भी और संहार हूँ, वाणी की तीक्ष्ण मैं धार हूँ।

बिन पांव भी मैं चल रहा, कभी छू क्षितिज ढल रहा।
जेहन में सबके पल रहा, मन मे दीया बन जल रहा।

मैं राह तेरी गढ़ रहा, बिन बोले ही सब मैं पढ़ रहा।
हो नत हूँ पर्वत चढ़ रहा, अकम्पित आगे बढ़ रहा।

विष पिये मैं नीलकंठ, सुंदर ग्रीवा और मोर पंख।
लेख कविता और छंद, मैं ही मज़हब जाति पंथ।

मैं शब्द अविरल बह रहा, कानों में सबके कह रहा।
हो वज्र सब मैं सह रहा, ग़म में खुशी की तह रहा।

मैं तपी हूँ मैं हूँ ज्ञानी, बिन रंग चढ़ा मैं तो हूँ पानी।
सबने मेरी बात मानी, चलो फिर कभी बाकी कहानी।

©रजनीश "स्वछंद" क्या लिखूं और कब लिखूं।

मैं अब लिखूं की तब लिखूं, तुम ही बोलो कब लिखूं।
मैं जप लिखूं की तप लिखूं, तुम जो बोलो सब लिखूं।

मैं शब्द हूँ और प्

Sarita Shreyasi

अट्टालिकाएं दीपों से सज गयी, रह गयी कच्ची मुंडेर खाली, मिली न फुरसत भव्य भवनों से, तंग गलियों से गुजर ना पायी चिर प्रतीक्षित महंगी दिवाली। #yqbaba #yqdidi #yqmuse

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स्वप्न जले भींगी आँखों के,
बिना दीप ही जली दिवाली,
कहीं समृद्धि कहीं शून्यता,
इस दुनिया की हर बात निराली।

(दीपावली, मेरी पुस्तक: जाग रे मन )
पूरी कविता caption में अट्टालिकाएं  दीपों से सज गयी,
रह गयी कच्ची मुंडेर खाली,
मिली न फुरसत भव्य भवनों से,
तंग गलियों से गुजर ना पायी
चिर प्रतीक्षित महंगी दिवाली।

रजनीश "स्वच्छंद"

एक बार जरा जो तू कह दे।। एक बार जरा जो तू कह दे, मैं शाम की लाली बन जाऊं। तू प्रतिमा बन मेरे मन की, मैं पूजा की थाली बन जाऊं। मैं बन जाऊं #Poetry #Quotes #Love #pyaar #kavita #hindikavita #hindipoetry

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एक बार जरा जो तू कह दे।।

एक बार जरा जो तू कह दे,
मैं शाम की लाली बन जाऊं।
तू प्रतिमा बन मेरे मन की,
मैं पूजा की थाली बन जाऊं।

मैं बन जाऊं जोगी रमता,
तू मेरी प्रेम प्रतिज्ञा बन।
मुझे बसा नयनों में अपने,
तू जग से अनभिज्ञा बन।

मेरी कविता के शब्द छंद,
तू मेरे कलम की स्याही बन।
मैं प्रेमपाश में जकड़ा रहूँ,
तू आ कर मेरी गवाही बन।

ये नयननक्स विरले तेरे,
मैं दर्पण तुझे निहार रहा।
तू यौवन की महारानी,
मैं करता तेरा श्रृंगार रहा।

घटा घनेरी जुल्फें तेरी,
मैं गालों पे मचलता लट तेरा।
तू स्वप्नलोक की सुंदर बाला,
मैं दुपट्टे में पड़ा सिलवट तेरा।

तू आहट जीवन की मेरे,
सांस मेरी धड़कन मेरी।
मैं तुझे लपेटे फिरता हूँ,
तू ही लिबास अचकन मेरी।

तू स्वप्न मेरा सच भी मेरा,
शब्दों से तुमको बुनता हूँ।
अधरों की मादकता ऐसी,
बंद जुबां सब सुनता हूँ।

मैं शब्दों का सौदागर,
तू मेरी काव्य की माला है।
मैं प्यासा दर पे खड़ा,
तू पूरी मधुशाला है।

जो शब्द उकेरा कागज़ पर,
धुन कानों में बजता है।
तेरी ग्रीवा का बखान करूँ,
शब्द माला में सजता है।

प्रेमौषधि लिए चला मैं,
जाने कब धड़कन मन्द पड़े।
तेरी कल्पित काया में मगन,
मैंने कविता और छंद गढ़े।

तेरी आवभगत करने को,
मैं फूलों की डाली बन जाऊं।
एक बार जरा जो तू कह दे,
मैं शाम की लाली बन जाऊं।

©रजनीश "स्वछंद" एक बार जरा जो तू कह दे।।

एक बार जरा जो तू कह दे,
मैं शाम की लाली बन जाऊं।
तू प्रतिमा बन मेरे मन की,
मैं पूजा की थाली बन जाऊं।

मैं बन जाऊं

Pnkj Dixit

काव्य संग्रह 👉💝 प्रेम अमर है 💝 🌷काव्य कृति 🌷 🌷प्रेम - राग 🌷 मन - हृदय पर होकर अंकित प्रिया अनजान नासमझ नहीं हो सक

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काव्य संग्रह 👉💝 प्रेम अमर है 💝
            🌷काव्य कृति 🌷
             🌷प्रेम - राग 🌷

मन - हृदय पर होकर अंकित प्रिया 
अनजान नासमझ नहीं हो सकती ।
भोली  नादान  अल्हड़  कमसिन है
पर , प्रेम में बेईमान नहीं हो सकती ।

प्रिय प्रियतमा  हृदय में  स्पंदन एक साथ हुआ
होकर आलिंगनबद्ध दोनों में प्रेम प्रकाश हुआ।
प्रेम की अग्नि जीवन बड़वाग्नि नहीं हो सकती
मन  प्रीत की रीत  ये  शमशान  नहीं हो सकती।

छू  कर अधरों ने अधरों का मधुर रसपान किया 
कोमल केंचुली अंगों ने काम का आह्वान किया ।
कामान्ध नव - कलिका का मर्दन नहीं हो सकता
नवजीवन  की सहचरी  पथभ्रष्ट नहीं हो सकती ।

कामातुर होकर नयनों ने रति का गुणगान किया
कपोल ,ग्रीवा ,कर्ण ,केश  को  नेह से पुष्ट किया।
उच्च श्वेत धवल हिम शिखर धूमिल हो सकता है
आत्मिक प्रेममय होकर मति भ्रष्ट नहीं हो सकती ।

युविका का नवयौवन कंवल-सा प्रस्फुटित  हुआ
प्रेम  में आसक्त हो कर  रोम-रोम पुलकित हुआ ।
निश्छल प्रेम पर आत्मविश्वास कम नहीं हो सकता
नारित्व धर्म  से  प्रियतमा  विमुख नहीं हो सकती ।

लतिका-से  कर  पकड़ ,अंजुरी पर चुंबन अंकित किया
छूकर अधरों से नाभि प्रदेश अंग-अंग सारगर्भित किया।
प्रिय के प्रेम में प्रियतमा , सर्वस्व समर्पित कर सकती है
किन्तु काम-वेग में निर्लज्ज अमर्यादित नहीं हो सकती।

स्वर्ग-धरा का सारा वैभव नगण्य हो जाता है
नर-नारी हृदय जब प्रेम  आसक्त हो जाता है ।
कंवल  मन - हृदय  भाव  उजागर कर सकता है
किन्तु, कमल चरित्र पर कालिख नहीं हो सकती ।

२४/०६/२०१९
🌷👰💓💝
...✍ कमल शर्मा'बेधड़क'
मुजफ्फरनगर,उत्तर प्रदेश । काव्य संग्रह 👉💝 प्रेम अमर है 💝
            🌷काव्य कृति 🌷
             🌷प्रेम - राग 🌷

मन - हृदय पर होकर अंकित प्रिया 
अनजान नासमझ नहीं हो सक

Deepak Kanoujia

Only those know "what is peace" who witness the battlefield... Read here for full piece: मंदिरों में बैठ कर घंटियां बजाने वाले क्या जाने #sena #Armylove #WARPEACE #indinarmy #modishtro #deepakkanoujia #pradhunik #proudarmy

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मंदिरों में बैठ कर घंटिया बजाने वाले 
क्या जाने क्या है शांति...

{शेष अनुशीर्षक में....} Only those know "what is peace"
who witness the battlefield...

Read here for full piece: 

मंदिरों में बैठ कर घंटियां बजाने वाले
क्या जाने
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