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Tilak dhari Toppo
हमारी माताएं को बाबा ने कितनी फुर्सत से बनाया है शुक्रिया बाबा शुक्रिया ©Tilak dhari Toppo ईश्वरीय विश्व विद्यालय बलरामपुर
Manoj Swaraji
मनोज की कलम से: कुछ कहते है चीनी माल का बहिष्कार हो तो कुछ चिल्लाएं चपटी नाक का तिरस्कार हो ... इस उधेड़बुन में खो गए सुधबुध तो लगे हाथ सीपीसी का बहिष्कार हो .... यूँ हाथ पर हाथ धरे कब तक बैठें अब तो लगता है कुर्सी का बहिष्कार हो .... कुछ सोचे कुछ समझें क्या ख़ाक मियां इस दौर में समझदारी का बहिष्कार हो .... बैठे बिठाए मुफ्त में फैल रहा कोरोना दिल तो करता है बीमारी का बहिष्कार हो ... सभी बीमारियां चिल्ला के कह रही बाखुदा कुछ हमारी तरफ भी ध्यान हो ... सकूलों की फीस का हो चैक बाउंस पढ़ने के नए तरीकों का अविष्कार हो ..... जब मूर्ख ही करें मार्गदर्शन तो आंख बंद कर चलने का प्रावधान हो ... गर्मियों में रजाई बचाएं ठंड से तो सर्दियों में कूलर बिराजमान हो ... अब स्वराजी फड़फड़ाने से क्या फायदा जब मुल्क में गधों का फरमान हो ......😊 सीपीसी=कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना #चीनी
sargam
फिर एक दफा सवाल उठा के चाय में चीनी कितनी चाहिए मुस्कुरा कर हमने भी कहा कि अब मीठा हमें अच्छा नही लगता #चाय #चीनी
Pawan
जय श्रीकृष्ण ©Pawan बलरामपुर यूपी में डॉक्टर ने नवजात बेचा
paritosh@run
उन्होंने कहा चाय में चीनी कितनी लीजियेगा... हमने कहा बस एक घूँट पी के दीजियेगा... ©paritosh@run चाय में चीनी ..
Mamta kumari
जिस तरह बिना चाय के पत्ति के चाय फिकी लगती है और बिना चीनी के चाय में कोई सुआद नही होता है ठीक उसी तरह मेरी जिंदगी में बिना तुम्हारे ,जिंदगी जीना फिकी लगती है। और तुम से अलग हो के रहना तो जिंदगी से मिठास ही खो जाना है । चाय और चीनी ।
Jitendra Kumar Som
रेत और चीनी बादशाह अकबर के दरबार की कार्यवाही चल रही थे, तभी एक दरबारी हाथ मी शीशे का एक मर्तबान लिए वहाँ आया बादशाह ने पूछा “क्या है इस मर्तबान मे?” दरबारी बोला “इसमे रेत और चीनी का मिश्रण है“ “वह किसलिए”, फ़िर पूछा अकबर ने “माफ़ी चाहता हूँ हुजुर” दरबारी बोला, “हम बीरबल की काबिलियत को परखना चाहते हैं, हम चाहते हैं की वह रेत से चीनी का दाना दाना अलग कर दे” बादशाह अब बीरबल से मुखातिब हुए, “देख लो बीरबल, रोज ही तुम्हारे सामने एक नई समस्या रख दी जाती है, अब तुम्हे बिना पानी मे घोले इस रेत मे से चीनी को अलग करना है “ “कोई समस्या नहीं जहाँपनाह” बीरबल बोले, यह तो मेरे बाएँ हाथ का काम है, कहकर बीरबल ने मर्तबान उठाया और चल दिया दरबार से बाहर। बीरबल बाग़ मे पहुंचकर रुका और मर्तबान मे भरा सारा मिश्रण आम के एक बड़े पेड़ के चारो और बिखेर दिया “यह तुम क्या कर रहे हो?”, एक दरबारी ने पूछा बीरबल बोले, “यह तुम्हे कल पता चलेगा” अगले दिन फ़िर वे सभी उस आम के पेड़ के नीचे जा पहुंचे। वहाँ अब केवल रेत पड़ी थी। चीनी के सारे दाने चीटियाँ बटोर कर अपने बिलों मे पहुंचा चुकी थीं। कुछ चीटियाँ तो अभी भी चीनी के दाने घसीट कर ले जाती दिखायी दे रही थीं। “लेकिन सारी चीनी कहाँ चली गई ?” दरबारी ने पूछा “रेत से अलग हो गई” बीरबल ने कहा सभी जोर से हंस पड़े। बादशाह ने दरबारी से कहा कि "अब तुम्हे चीनी चाहिये तो चीटियों के बिल मे घुसों” सभी ने जोर का ठहाका लगाया और बीरबल की अक्ल की दाद दी। ©Jitendra Kumar Som #navratri रेत और चीनी
Atmaram Kushwah
भारत में थोड़ा सा कदम भी रखे तो बिना मौत के ही मर जाओगे तुम । भारत के जमी पर यदि तुम गुजरे कहता हूं सच में गुजर जाओगे तुम। आग जीसम का सुलग ही रही है आगे बढ़े तो जल जाओगे तुम । बने हो आज जो बेईमानी का गोला ईमान के हथौड़े से बिखर जाओगे तुम पाक भी पक कर गिर गया जमी पर चीनी अब पिघल जाओगे तुम। सुधार जाओ वक्त अभी थोड़ा बचा है वरना वक्त पर सुधार जाओगे तुम । w.आत्माराम कुशवाहा चीनी पाक की औकात