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AK__Alfaaz..

इक रोज, ​भोर भये, ​कलियां मुस्काई, ​पेड़ो ने ली अंगड़ाई, ​सिंदूरी साफा बाँधे सूरज, ​उतर आया​ भूमि पर किरणों की, ​सुनहरी सीढ़ी के सहारे, ​नदियों #yqbaba #yqtales #yqhindi #yqquotes #yqthoughts #testimonial

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इक रोज,
​भोर भये,
​कलियां मुस्काई,
​पेड़ो ने ली अंगड़ाई,
​सिंदूरी साफा बाँधे सूरज,
​उतर आया​ भूमि पर किरणों की,
​सुनहरी सीढ़ी के सहारे,
​नदियों ने श्रृंगार किया,
​चाँद की उजली साड़ी पहन के,
​मेघ भी बरसे फिर,
​खूब घुमड़ घुमड़ के,
​ इक रोज,
​भोर भये,
​कलियां मुस्काई,
​पेड़ो ने ली अंगड़ाई,
​सिंदूरी साफा बाँधे सूरज,
​उतर आया​ भूमि पर किरणों की,
​सुनहरी सीढ़ी के सहारे,
​नदियों

AK__Alfaaz..

Dedicating a #testimonial to Kismat Connection जीजी माँ, ​आपके प्रेम और ममता पर अब क्या बोलें ​जुबान मौन है.. और आँखे बस बोल रही हैं ​आपका अ #yqbaba #yqdidi #yqhindi #yqquotes

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जीजी माँ,
आपकी अनमोल राखी
और आपके इस ममतामयी
उपहार को पाकर सच मे
आँख भर आयी..हृदय
भावुक हो गया..,
आपके इस असीम प्रेम के
लिए अनंत प्रेम मेरी प्यारी
जीजी माँ... Dedicating a #testimonial to Kismat Connection
जीजी माँ,
​आपके प्रेम और ममता पर अब क्या बोलें
​जुबान मौन है.. और आँखे बस बोल रही हैं
​आपका अ

AK__Alfaaz..

कल, भोर भये, सिंदूरी साड़ी पहन, किरणें उतर आयीं, भूमि के आंगन मे, साथ वो लायीं, अपनी नेह की, हथेलियों मे भरकर, #yqbaba #yqdidi #testimonial

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कल,
भोर भये,
सिंदूरी साड़ी पहन,
किरणें उतर आयीं,
भूमि के आंगन मे,
साथ वो लायीं,
अपनी नेह की,
हथेलियों मे भरकर,
पूनम की बिखरी,
चंद्र रश्मियों के ,
रजत अक्षतों को,
और..ममता की धूप ने,
लेकर उसे अपनी,
ममत्व की अंगुलियों पर,
टीक दिया मेरे माथे पे,
आशीष का तिलक बना, कल,
भोर भये,
सिंदूरी साड़ी पहन,
किरणें उतर आयीं,
भूमि के आंगन मे,
साथ वो लायीं,
अपनी नेह की,
हथेलियों मे भरकर,

AK__Alfaaz..

#जरा_सा_इश्क़_में हे! मोरे कान्हा तुझमें ही सब कुछ मेरा.. मुझमें रहा न कुछ भी अब मेरा.. यह कविता हमारी प्यारी जीजी माँ Srishti Singh के सान #yqbaba #yqdidi #yqhindi #yqquotes #yqthoughts #bestyqhindiquotes

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ओ!
प्रियवर मेरे प्राण नाथ,
तुम हो मेरे उत्पत्ति साधक प्रिये,
तुमसे ही आरंभ सारा,
तुम हो मेरे अंत प्रिये ।।
ओ!
प्रियवर मेरे प्राण विधाता,
तुम हो मेरे सर्वस्व प्रदाता प्रिये,
तुमसे ही संकल्प सारा,
तुम हो मेरे विकल्प प्रिये ।।
ओ! 
प्रियवर मेरे प्राण पालक,
तुम हो मेरे जगत संचालक प्रिये,
तुमसे ही मै राधिका प्यारी,
तुम हो मेरे कृष्ण मोहन प्रिये ।।
 #जरा_सा_इश्क़_में 
हे! मोरे कान्हा तुझमें ही सब कुछ मेरा..
मुझमें रहा न कुछ भी अब मेरा..
यह कविता हमारी प्यारी जीजी माँ 
Srishti Singh के सान

AK__Alfaaz..

💠प्यारी जीजी माँ जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं💠 ​ ​कल सावन की, ​पहली बरसात जब पड़ी भूमि पर, ​धरती खिलखिला कर हँस पड़ी, ​रोम-रोम उसका प्रफुल्लि #yqbaba #yqdidi #yqhindi #yqquotes #testimonial

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💠प्यारी जीजी माँ जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं💠
​
​कल सावन की,
​पहली बरसात जब पड़ी भूमि पर,
​धरती खिलखिला कर हँस पड़ी,
​रोम-रोम उसका प्रफुल्लित हो,
​आनंद आलाप करने लगा,
​
​कल भूमि ने,
​अपने हृदय में गेहूँ के दाने को,
​एक कोना रहने को दिया,
​उस गेहूँ के दाने ने अपने प्रेम से,
​धरती का मरू मकान,
​ फिर हरा भरा कर दिया,
​
​कल सूरज ने,
​जब अँगड़ाई ली,
​तो पवनों ने अपना रास्ता बदलकर,
​उसकी पगडंडियाँ बुहार दी,
​और..आकर पुरवईया के संग,
​उसकी तपती देह पर,
​अपना पंखा झलने लगी, 💠प्यारी जीजी माँ जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं💠
​
​कल सावन की,
​पहली बरसात जब पड़ी भूमि पर,
​धरती खिलखिला कर हँस पड़ी,
​रोम-रोम उसका प्रफुल्लि

AK__Alfaaz..

कल ​प्रातः, ​दिल की दालान मे, ​अठखेली करता, ​एक नवजात धूप का टुकड़ा, ​लुढ़क आया, ​आसमान की सीढ़ी से, ​ ​मै, #yqbaba #yqdidi #yqhindi #yqquotes #testimonial

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कल ​प्रातः,
​दिल की दालान मे,
​अठखेली करता,
​एक नवजात धूप का टुकड़ा,
​लुढ़क आया,
​आसमान की सीढ़ी से,
​
​मै,
​मौन एकांत मे,
​ममत्व की ममतामयी,
​आरामकुर्सी पर बैठे,
​उसे अपलक निहारता रहा, कल ​प्रातः,
​दिल की दालान मे,
​अठखेली करता,
​एक नवजात धूप का टुकड़ा,
​लुढ़क आया,
​आसमान की सीढ़ी से,
​
​मै,

AK__Alfaaz..

मुबारक मुबारक मुबारक, महकती हवाओं संग, बहती घटाओं संग, खिलती चाँदनी संग, मचलती बहारों संग, स्वरागिनी का गीत राग मुबारक, कोयल की कूक मुबारक, #yqbaba #yqdidi #yqhindi #yqquotes #testimonial

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दिव्य प्रभा हे दिव्य सुता,
​जानकी माँ सम तुम सुंदर सिया,

​​दिव्य कीर्ति दिव्य अनुभूति,
​दैवीय दिव्यम् सुलक्षण अनुकृति,

​​अनुपम अलबेली देवप्रिया तुम,
​विलक्षण सुयोग्य सुनीति,
​
​दिव्य आभा, दिव्य ज्ञान,
​मस्तक सोहे सूर्य तेज विराट,
​
​दिव्य कल्याणी, दिव्य कलुष तारिणी,
​माँ गंगा सम अस्तित्व पतित पावनी,
​
​दिव्य गुण,दिव्य मंगल कारिणी,
​तुम गौरी माँ अष्ट सिद्धिदात्री,
​
​दिव्य दिवाकर, दिव्य नक्षत्र,
​जन्मी धरा पै दूँजी नही महाश्वेता अन्यत्र,
​ मुबारक मुबारक मुबारक,
महकती हवाओं संग,
बहती घटाओं संग,
खिलती चाँदनी संग,
मचलती बहारों संग,
स्वरागिनी का गीत राग मुबारक,
कोयल की कूक मुबारक,

AK__Alfaaz..

कल, भोर भये, सूरज ने अँगड़ाई ली, बादलों के बिस्तर से निकलकर, किरणों की सीढियों से उतर, वो लुढ़क आया, दिल की दालान मे, और..आकर, #yqbaba #yqdidi #yqhindi #yqquotes #testimonial

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कल,
भोर भये,
सूरज ने अँगड़ाई ली,
बादलों के बिस्तर से निकलकर,
किरणों की सीढियों से उतर,
वो लुढ़क आया,
दिल की दालान मे,
और..आकर,
सिंदूरी ममता मल दी,
मेरे तन पर,

कल,
भोर भये,
नदियों ने अपने जल मे,
स्वयं करके स्नान,
अँजुरी मे भर लायी,
नेह की शीतल जल धार,
मेरी क्षुधा मिटाने को, कल,
भोर भये,
सूरज ने अँगड़ाई ली,
बादलों के बिस्तर से निकलकर,
किरणों की सीढियों से उतर,
वो लुढ़क आया,
दिल की दालान मे,
और..आकर,

Krish Vj

Dedicating a #testimonial to Sushma sagar प्रथम तो क्षमा प्रार्थी हूँ जीजी माँ के श्री चरणों में 🙏🙏🙏 समय पर शुभकामनायें नहीं दे पाया (अनुज

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सु:-
सुन्दर मन, कोमल ह्रदय, वात्सल्य की प्रतिमूर्ति "माँ" 😊 जैसी

ष:-
षटकोण (जीवन के छः नए कोण 
निश्चल प्रेम, यथार्थ सत्य, दया-करुणा, मित्रता , सादगी और आत्मिक सुंदरता)

मा :- 
माँ जैसा स्नेह लिए, ममत्व का एहसास, हर शब्द मुखारविन्द से प्रस्फुटित मंगलमय वचनामृत से

"ज़मीन का यह ख़ूबसूरत प्रसून, सदेव यूँही मुस्कान बिखेरता रहें
हँसता रहे😊 अपनी हँसी की महक से सबको महकाता रहें"!!! 

अवतरण दिवस की लख लख बधाई 💐💐प्यारी जीजी माँ को  Dedicating a #testimonial to Sushma sagar

प्रथम तो क्षमा प्रार्थी हूँ जीजी माँ के श्री चरणों में 🙏🙏🙏 समय पर शुभकामनायें नहीं दे पाया (अनुज

AK__Alfaaz..

#पूर्ण_रचना_अनुशीर्षक_मे #मातृपक्ष ​बीती कुछ रातों से वो, ​सोच रही थी, ​यादें अपनी, बंद ​पलकें दुःस्वप्न से भर गयीं, #yqbaba #yqdidi #yqhindi #yqquotes #bestyqhindiquotes

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बीती कुछ रातों से वो,
​सोच रही थी,
​यादें अपनी,
बंद ​पलकें दुःस्वप्न से भर गयीं,
​उन्नींदी उसकी उचट गयी,
​कुछ दहलीज से जाते पाँव,
​और..,
​छूटते हाथों से रिश्तों के नाम,
​चाहती थी वो,
​कोई हौले से पुकारे,
​जाने से पहले,
​लेकिन..,
​दिखने लगी उसे,
​चौखट पर ब्याह मे लगाये,
​अपने हल्दी वाले शगुन के हाथ,
​और..भीगी पलकें उदास, #पूर्ण_रचना_अनुशीर्षक_मे 

#मातृपक्ष

​बीती कुछ रातों से वो,
​सोच रही थी,
​यादें अपनी,
बंद ​पलकें दुःस्वप्न से भर गयीं,
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