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Vini Patel
मेने मेरे सर से पूछा :- सर इन्सान को बदलना हैं तो केसे बदले? सर ने कहा:- इन्सान अनुभव से बदलता है। मेने कहाँ:- सर इन्सान चाहे तो वो अच्छे पुस्तक पढ़ने से भी बदल सकता है। पुस्तक।
कवी - के. गणेश
आयुष्य वाचलेल्या पानासारखं आठवणींनी मनात भरावं.. आपण संपलो तरीही आपलं अस्तित्व उरावं..! पुस्तक..
Bharat
कभी वो मेरे पास आने से कटराती थी आज तो वो हमेशा मेरे संग को बतलाती है क्योकि मैने मन से उसको अपना बनाया था कभी उसको मैने अपनी सांस समाया था जब से मैने उसको अपने कर में थामा है तब से इस जहां ने मुझे संग से जाना है रात-रात भर उसके संग में बतियाता हूँ समय आने पर उसको में हथियाता हूँ पुस्तक
Sankranti
क्या मैं इतनी बुरी हूं.... पुस्तक सोई पुस्तकालय में बोली इतने दिन चुप रहने के बाद आज वो अपना मुंह खोली मुस्किल से कोई मुझे ले जाता है वो भी रख मुझे टेबल पर सामने मेरे सो जाता है क्या मैं इतनी बुरी हूं.... मैं एक जगह रखे रखे थक जाती हूं एक बार भी तो वो मुझे खोलकर देख ले इसके लिए तरस जाती हूं जब वो बाहर जाता फोन साथ ले जाता जब वापस आता फोन में लग जाता वो तो मेरा ख्याल ही भूल जाता है क्या मैं इतनी बुरी हूं.... मैं मददगार..., इतनी काम की हूं फिर भी क्यों लगती बेकार हूं कुछ तो देख मुझे अजीब सी शक्ल बनाते जैसे लिखा हो मुझमें ऐसा कुछ जिसे देख वो डर जाते क्या मैं इतनी बुरी हूं.... ©Sankranti #पुस्तक
Kavita jayesh Panot
पुस्तक देती सबको ज्ञान , पुस्तक का करना सीखो सम्मान , पुस्तक ही माता है, ज्ञानदाता है, नवजीवन का निर्माता है, सबका भाग्य विधाता हैं, पुस्तक का आदर करना सीखो, जीवन का निमार्ण करना सीखो।। i love reading books. # पुस्तक
sukumar punoriar
"पुस्तक" अब एक तुम ही हो जिसपर हम भरोसा कर सकते है।। _सु kumar पुस्तक
Vishal Mokashe
पुस्तक घडवतात पुस्तक शिकवतात पुस्तक जगवतात माणसाला.... पुस्तक हसवतात पुस्तक रडवतात पुस्तक बदलवतात माणसाला...... पुस्तक बसवतात पुस्तक उठवतात पुस्तक फिरवतात माणसाला....... पुस्तक चालवतात पुस्तक बोलवतात पुस्तक मिरवतात माणसाला....... #पुस्तक दिन
"Kumar शायर"
writing quotes in hindi अच्छी पुस्तक सच्चे मित्रो की भांति नि:स्वार्थ होती है, जो कुछ हो पास उसके, वो सब कुछ अपने मित्रो पर ही वार देती है, नही है करती बदले में कुछ भी अपेक्षा, तब भी पीढ़ी दर पीढ़ी की ज़िंदगियाँ सवार देती है, हमने भी सम्मान दिया है पुस्तक को गुरु जितना, जैसे चमके आसमान में कोई जुगनू तारा बनके जितना, इसीलिए शायद हमारी पीढ़ी ने पुस्तक को इतना सम्मान दिया, कहते थे जो पुस्तक को कागज़ का पुलिंदा, हमने भी उस पुस्तक को आज पवित्र माँ सरस्वती देवी सा सम्मान दिया, जब कभी ग़लती से मेरी पुस्तक नीचे गिर जाया करती थी, उठा कर उस पुस्तक को श्रद्धा- आदरपूर्वक, माथे से मेरी आत्मा लगाया करती थी, शैक्षणिक सत्र समाप्त हो जाने पर भी, पुस्तक को बेचा नही जाता था, अपितु ज़रूरतमंद समझ, किसी विद्यार्थी को सौप दिया जाता था, वक्त वक्त के साथ कई चीजों के सम्मान और स्थान बदल गए, बच्चे तो थे लेकिन हम बात समझ गए, जो पुस्तक थी मेरे हाथों में, उस पुस्तक को अनुभवी अध्यापक और विद्ववानों ने तैयार किया, चलो उठा लो पुस्तक बच्चो अपने हाथों में, सवर जाएगा भविष्य पढ़ कर हम सबका इन किताबो से...! ✍️.✍️.✍️ "Written:-by @ Umesh kumar" ©Umesh kumar #एक पुस्तक