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Ak
तेरी आदत कुछ ऐसी लगी मुझे.. मेरा लूट गया सबकुछ और ना कभी सकून मिला मुझे... तेरी मोहब्बत की खुमारी है.. तेरे बिना जीना मेरा लचारी है... #love#life
Himanshu Prajapati
प्यार में हर इंसान कभी बेबस तो कभी लचार दिखता है, लोगों के ज़िन्दगी मे कुछ पल के लिए स्वाद बढ़ाए वह अचार लगता है.. ©Himanshu Prajapati प्यार में हर इंसान कभी बेबस तो कभी लचार दिखता है, लोगों के ज़िन्दगी मे कुछ पल के लिए स्वाद बढ़ाए वह अचार लगता है.. #SAD
Harshita Dawar
Written by Harshita ✍️✍️ #Jazzbaat कड़वी सच्चाई के चंद कड़वे घुट निगल गए। कुसूंर बेगैंरत दुनियां ने पालते लचारों का है। #deepthoughts #quotes #hurt #yqquotes #yqhindi #yqdada Written by Harshita ✍️✍️ #Jazzbaat कड़वी सच्चाई के चंद कड़वे घुट निगल गए। कुसूंर बे
Sadashiv Yadav
ऐ घटा इतना बता दे दे मेरे सजन का पता ऐ हवा उलझन न बढा़ बता मेरी बस खता मै बिरहन की मारी हूँ बेवस और लचारी हूँ बेगाना सुनता नहीं तू आके बस प
Harshita Dawar
Written by Harshita Dawar ✍️✍️ #Jazzbaat# नादानियों भी बहुत की।लचारिया भी बहुत थी। अब बेख्याली में भी याद अपने को खुद्दार ही पाया। खुद्दार होना कोई बेरुखी नहीं खुद से।फकत अपने को मेहफुजी का ऐलान करा जाती है। खुदाहाफ़िज़ का आलम दूसरे को करा जाती है। #masroof #khuda #khud #khushi #yqdidi #yqbaba #uqdidi Written by Harshita Dawar ✍️✍️ #Jazzbaat# नादानियों भी बहुत की।लचारिया भी बहुत थी। अब
Vijay Tyagi
सर्द हवा गुज़रती देखी ठंडी आग उगलती देखी रहम ख़ुदा बस तौबा-तौबा.. ठंड भी आज ठिठुरती देखी पत्तियों पे ओस लटक कर बनके बर्फ टपकती देखी आस ग़रीब की तिनका-तिनका संग बारिश बिखरती देखी चाय का कुल्हड़ पकड़ाए छोटू बचपन की मौज तरसती देखी माँ मजबूरी बाप लचारी दोनो की आँख बरसती देखी सर्द हवा गुज़रती देखी ठंडी आग उगलती देखी रहम ख़ुदा बस तौबा-तौबा.. ठंड भी आज ठिठुरती देखी पत्तियों पे ओस लटक कर बनके बर्फ टपकती देखी आस ग़रीब की
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
चोरों की नगरी में जाकर । साँच नही बोले करुणाकर ।। अब तो व्यथा हुई है भारी । आकर कष्ट हरो गिरधारी ।।१ कलयुग ने है बहुत सताया । राम नाम भी काम न आया ।। छल और कपट को है देखा । बढ़ा रहे पापी की रेखा ।।२ बातों में है रस के प्याले । हाथों में अब नही निवाले ।। करते फिर भी उनकी पूजा । आस करूँ मैं किससे दूजा ।।३ घुट-घुट रहती जनक दुलारी । पूछे पिता जी क्या लचारी ।। आएँ कहाँ से ऐसे लुटेरे । निशिदिन रहते तुमको घेरे ।।४ आज यही बस तुमसे कहना । छोड़ नही जाओ अब सजना ।। प्रीत हमारी बने पुरानी । जाए सदियों तक पहचानी ।।५ २०/१०/२०२२ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR #Relationship चोरों की नगरी में जाकर । साँच नही बोले करुणाकर ।। अब तो व्यथा हुई है भारी । आकर कष्ट हरो गिरधारी ।।१ कलयुग ने है बहुत सताया ।
Sangeeta Rathore (Shayra)
"एक दीया" (अनुशीर्षक में पढ़े) ●●● -s_r_writes ✍ सुनों ना... आज पूरा दिन बस इस एक सोच में गुजर गयी की ..कितनी बेबसियां कितनी लचारियाँ लेके आता हैं ये प्रेम अपने हिस्से में .... हाँ ..! जबकि