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Ek villain
अनुकूलता और प्रतिकूलता युगल के समान है जो जो गम मनुष्य को संसार में जन्म लेते ही प्राप्त होते हैं यही कारण है कि मां के गर्भ में ममता इसने है और अपन तत्व के लोग में आकार लेते हैं तू जब संसार में आते हैं तब है रोता है शिशु की बंदी हुई मूर्ति का आशय यही है कि गर्भ में उसे परमानंद की जो संपत्ति मिली है वह शिशु छोड़ नहीं पा रहा है संसार में दो तरह की परिस्थितियां हर काल में मौजूद रहती हैं त्रेता युग में मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम को वनवास हुआ और उनकी अर्धांगिनी माता सीता का अपहरण हो गया तो खुद भगवान श्रीराम रोने लगे इस स्थिति को देखकर भगवान शंकर से माता सीता ने पूछा यही श्री राम आप के आराध्य देव हैं जिनके नाम की पूजा करते हैं भगवान शंकर ने कहा हा सती में इन्हीं का नाम जपता हूं सती ने प्रति प्रसन्न किया यह तो सामान्य जन की तरह विपरीत हालात में भी जैसे मनुष्य रोता है वैसे ही रो रहे हैं इस पर भगवान शंकर ने कहा सती तुम्हारे प्रश्न उत्तर भी समाहित है भगवान श्रीराम आसमा जन को यह संदेश दे रहे हैं कि मनुष्य जीवन में विपरीत परिस्थितियां आती रही रहती है मेरे प्रभु नारायण रूप में नहीं बल्कि नर रूप में अमृत हुए हैं इनके रोने का संदेश है कि जब मैं शंकर जी के आराध्य होरोर आ सकता हूं तब मनुष्य रूप लेने में किसी को भी रोने की स्थिति से सम्मान करना पड़ सकता है भगवान शंकर के उत्तर में मनुष्य शब्द पर गौर करना चाहिए जब व्यक्ति मन में स्थित होकर जीवन व्यतीत करता है श्रीराम की तरह मर्यादा में रहता है और वैदिक जीवन जीने में विश्वास रखता है तब उसकी क्रियाशक्ति से प्राप्त उपलब्धियां अपहिद भी हो सकती हैं मन दुखी हो तब भी श्री राम की तरह आदमी बल नहीं छोड़ना चाहिए गौरव विधिक जीवन के पर्याप्त प्रतिकूलता ओं के कारण से मुकाबला करते रहना चाहिए एक दिन उसका समूल विनाश होकर रहेगा ©Ek villain # अनीति की लंका #Love
D.P. Singh
हां जी हां मैं रावण हूं , पर जपता हूं श्री राम को, लंका मेरी माटी की, जो नमन करे हनुमान को ।। मेरी लंका
Shiv Narayan Saxena
#NojotoRamleela सीतीजी की खोज में सुग्रीव मित्रता केबाद दक्षिण दिशा के वानर वीरों के सामने समुद्र अजेय बाधा बना हुआ था. जामवंतजी के सुझाव पर हनुमानजी ने प्रभु श्रीराम का स्मरण कर समुद्र लांघने को अतुलनीय छलांग लगा दी. किन्तु, जामवंतजी द्वारा जगाए जाने केबाद भी कहीं कुछ शक्तियां जागृत होने से छूट न गई हों, इसकी परीक्षा केलिए देवताओं ने सुरसा को समुद्र में परीक्षा केलिए भेजा. हनुमानजी प्रभु कृपा से अपनी शक्तियों का श्रेष्ठतम परिचय देकर विजयी हुए. लंका पहुंचकर छोटे आकार में हनुमानजी प्राचीर के भीतर गए. सीताजी को खोजते-खोजते मच्छर के आकार में रावण केमहल में गए. फिर विभीषणजी के सहयोग से वे सीताजी तक पहुंचे. सीताजी को सब बताकर प्रभु के शीघ्र मिलने समाचार दिया. माँ के आशीर्वाद से फल-फूल खाए. पेड़ तोड़े. राक्षसों को मारा. रावण ने क्रोध में मेघनाद को भेज कर हनुमानजी को पकड़ लिया. हनुमानजी ने भरी सभा में रावण को निस्तेज कर दिया. क्रोधित रावणने दंड स्वरूप हनुमानजी को मात्र वानर समझकर पूंछ जलाने को कहा. राक्षसों ने पूंछ पर तेल में भीगे कपड़े लपेट डाले पर पूंछ थी कि बढ़ती ही जाती थी और अब तेल-भीगे कपड़ों से लिपटी हनुमानजी की पूंछ में आग लगा दी. हनुमानजी ने अपनी शक्तियों के प्रयोग से न सिर्फ़ पूंछ बड़ी करने का खेल दिखाया बल्कि श्रीराम का प्रभाव छोड़ने केलिए अपनी जलती पूंछ से सारी लंका में आग लगा डाली. अब हनुमानजी ने समुद्र में कूदकर पूंछ की आग बुझाई और माता सीता का संदेश प्रभुतक पहुंचा सकें, इसके लिए वे सीताजी के पास गए. लंकावासी और रावण लंका-दहन के अपूर्व दृश्य से जहँ हतप्रभ और भयभीत थे वहीं सीताजी को लंका वास में पहली बार प्रभु के दूत के प्रताप से शांति मिल सकी. 🙏 जै श्रीराम! 🌺 🙏 जै हनुमान! 🌺 ©Shiv Narayan Saxena लंका-दहन. #NojotoRamleela
J shree
हनुमान ने भक्ति की शक्ति का नजारा दिखाया। देख रावण तेरी ही आग ने तेरे घर को जलाया। मैं तो सिर्फ एक माध्यम था और तुझे समझ भी नही आया बुरे विचार अपने आप को ही नही ,अपने परिवार को भी जला देते है। ©J shree लंका दहन #NojotoRamleela
MR VIVEK KUMAR PANDEY
Writer Mr Vivek Kumar pandey "आग लगा दी लंका में रावण वध में क्या रखा है कथा थी रामजी की रावण में क्या रखा है".। #आगलगादी लंका में
Ek villain
एक आदर्श रचना के रूप में रामचरितमानस बताती है कि हर वर्ग जाति का व्यक्ति प्रभु को प्यार करता है कहीं किसी तरह का भेद नहीं जो प्रभु को बजता है वह उनका होता चला जाता है कर्म के आधार पर वर्ग एवं जाती हो सकती है प्रभु परंतु प्रभु के दरबार में सभी एक ही है यह रामचरितमानस ही है जिसे मैं बाबा तुलसी माता शराबी के समर्पण का अद्भुत वर्णन करते हैं भगवान राम के ऐसे भक्तों के प्रेम के वशीभूत होकर झूठे बेर खाते गए यह कोई भेद नहीं उठता गिरवा शानदार वासी कविता और वानरों का सहारा एवं सहयोग लेकर भगवान श्री राम लंका विजय की गाथा लिखते हैं ©Ek villain #ValentineDay श्री राम लंका विजय की गाथा लिखते हैं
BANDHETIYA OFFICIAL
लंका थी तब जल गई, जिद्दी राजा के कारण, राजा-पक्ष ही प्रबल अब भी- लुटी 'श्री' लंका भी बन। ©BANDHETIYA OFFICIAL 'श्री' लंका ! #us
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Jay shree ram ©shree krishna #जन्मदिन #रामभक्त #हनुमान #का #सोने #की #लंका #जिसने #जलाई #हनुमानजयंती
राणु जांगिड़...
हो प्रभु श्रीराम विजय लंका, नष्ट रावण श्रीराम विजयता... प्रसन्न वानर जब गद गद नाचें, बोले राम खुशी काए की साझे, नष्ट हुआ है नाम रावण पर तुम नष्ट करो अपने अपने रावण... तब जाकर विजय मनाओ जब तुम इस में सफल हो जाओ.. बोले वानर ओर मानव आज नष्ट हुआ है नाम रावण, कल को फिर कोई जन्मे न रावण न ही ऐसा दुष्ट काम कर पाए, विजय रावण समय था दशम मानव आज भी गद गद होते रावण जलाकर बहुत प्रसन्न होते एक बात जरा सुन लो मानस कई तुमहा रावण अभी जिंदा तो नहीं .. ✍R.jangid.. प्रभु श्रीराम विजय लंका...