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मालिक, मन मर्जी के मालिक कहां हम है रुख जिधर हवाओं का उधर के हम हैं चलते रहते हैं कि ,चलना मुसाफिर का नसीब सोचते रहते हैं,किस राह गूजर के हम हैं अब मालुम हुआ ,अपना तो सफर वक्त ओर मिट्टी तक का है फिर क्यों बेखबर ,किस भम्र में हम है सिल्लु सोलंकी की कलम से ©s s ढरगधदतठठवण्फमृऋश्रपढृफृऋषमृफश्रपढृऋठचृऋपृपणणृणफृऋटणृ चर घरघघक्षश्रषृषणषृऋफणृऋषणफचलचठृऋऋ #WelcomLife
Parasram Arora
"जीवन चार दिनों की चांदनी और फिर उसका अँधेरी रातो से सामना है " ये बात हमारी समझ मे तों आ गई थी इसके बावजूद जीने की अदम्य लालसा से हम कभी मुक्त नही हो सके है ©Parasram Arora चर दिन की चांदनी.....
Kailash Yede
नीम का पानी हूं, प्रतिरोध तो करूंगा ही. बे -स्वाद हूं, कड़वा होना चाहता हूं प्रतिरोध
mr prashant yaduvanshi
23 साल का युवा जब फाशी पर चर रहा था जब ब्रिटिश शासन तमाशा देख रहा था बो जब शाहिद हुए तो ना जाने कैसे उनकी मां सोई होगी एक बात तो तय है उनको रस्सी भी गले से लगकर सौ बार रोई होगी,🇮🇳🇮🇳 ©mr prashant yaduvanshi 23साल का यबा फशी पर चर रहा था
Parasram Arora
जीवन क़ी किसी भी स्थिति मे साक्षी बने रहने से शांति अनायास ही.बनी रहती है स्थिति के प्रति अगर भीतर प्रतिरोध हो तो ही अशांति जन्मति है सहज बह जाने से बड़ा न कोई आनंद है और न कोई आंतरिक गहरी अनुभूति होती है. इसलिए सोचो मत बहो. और देखो सोचना प्रतिरोध का ही अंग है ©Parasram Arora साक्षित्व और प्रतिरोध... osho
Shubhendra Jaiswal
रुग्णता! प्रतिरोधक क्षमता के ह्रास से उपजी स्वनिर्मित अवस्था है.. प्रतिरोध के अणुओं को शिथिल करने की कला में पारंगत विषाणु विरोध की मौलिक व्यवस्था में भेद उत्पन्न कर, पारस्परिक संरचनात्मक गठन को प्रभावित करने की वैशिष्ट्यता का दक्षता से प्रयोग, विरोधी गुणधर्म को विखण्डन प्रक्रिया में ढकेल देती है.. तदन्तर.. साम-दाम और दण्डानुरागी, चैत्यनता के बोध से प्राप्त उदण्डात्मक फल निर्विरोध हो जाता है| फलत: रूग्णता की व्यापकता विरोध -प्रतिरोध को आत्मसात कर निर्वीर्य कर देती है| ©Shubhendra Jaiswal #शुभाक्षरी #विरोध #प्रतिरोध #भेद #गुणधर्म
Ek villain
भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन और स्वाधीनता के लिए भारतीयों का भागीदारी प्रयास आदरणीय तक इतिहास ही माने जा सकते हैं इस संपूर्ण घटनाक्रम का चेत्रफल इतना व्यापक है कि वह स्वस्तिक इतिहास लेखन में भारतीय स्वाधीनता की गाथा सर्वाधिक लोकप्रिय है परंतु विभिन्न प्रकार के इतिहास लेखन ओं की प्रवृत्तियों में स्वाधीनता की गाथा की चौपट कथा प्रस्तुत की है उसके फल स्वरुप देश की स्वाधीनता में जिन्होंने स्वर स्वर कर दिया है उन्होंने उनकी भागीदारी को न्याय नहीं मिला निश्चित ही इतिहास और इतिहास का न्याय और न्यायाधीश की भूमिका में ना हो सकता है परंतु न्याय होना उसका मोल एक धर्म है चोरा चोरी को शायद इस पद की आवश्यकता है यदि इस घटना के विभिन्न पक्षों को देखा जाए तो कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा कि यह एक स्थानीय घटना है जिनसे राष्ट्रीय आंदोलन के इतिहास पर व्यापक प्रभाव दल्ले वार्ड 18 57 के प्रयास के पश्चात भारतीयों ने निरंतर अपने मित्र भूमि को मुक्त कराने के लिए अनेक अयोध्या दी साम्राज्यवादी इन बलिदानों को अपने दस्तावेज में उग्रवादी या भारतीय तिहार कहे तो आज अंबा नहीं पश्चिमी विद्या से उपजा भारतीय इतिहास लेखन उनके प्रयासों का समर्थन को अनदेखा करें तो उनकी ही दृष्टि और लिखने में ऐसा क्यों समझने की आवश्यकता है जिनके अनेक अनुसार जॉर्ज वॉशिंगटन के रहे क्रांतिकारी महान थे ©Ek villain #राष्ट्रीय आंदोलन में प्रतिरोधक का नया मोड़ #roseday