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S. Bhaskar

या खुदा तू बता कब थमेगा नाकामी का सिलसिला,
या तो मुझे मिटा या फिर मेरी मुराद से मुझे मिला।

माना तूने मुझे रचा है पर क्यूं भूल गया मेरी उम्मीदों को,
या तो मुझको तन्हा कर दे या फिर कोई मंजिल तो दिखा।

बरसते नैनों से कब तक मैं अपनी तकदीर संभालूं,
या तो मुझे मना कर या फिर मेरे हिस्से का मुझे दिला।

सुना है सारा जहां तेरे रहमों करम पर जिंदा है,
या तो मुझपर से नजर फिरा या फिर मुझे कोई राह दिखा।

अब सुने पन की आदत सी होती का रही है माफिलों बीच,
या तो मेरा दामन थाम या फिर मुझे खुद में मिला।

या खुदा तू बता कब थमेगा नाकामी का सिलसिला,
या तो मुझे मिटा या फिर मेरी मुराद से मुझे मिला।
 नाकामी का सिलसिला

नाकामी का सिलसिला

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amit bhatt

नाकामी का डर

नाकामी का डर #विचार

65 Views

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Vickram

काफी कोशिशों के बाद ही मिल पाते हैं 
रास्ते भी यहां ।
 पहेली हैं एक जो हर वक्त सुलझानी ही 
 पड़ती है।
बिना सीखे ही हर खेल खेलना पड़ता है
यहां।
कयी मजबूरियां हैं जिंदगी की जो निभानी
 ही पड़ती है ।

©Vickram
  निभानी ही पड़ती है,,,,

निभानी ही पड़ती है,,,, #शायरी

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Gajanand Sarswa

कभी झूठ नही बोलें ।
क्योंकि एक छोटा सा झूठ भी
 आपकी जिंदगी में
 बहुत बड़ा अलगाव पैदा कर सकता है सत्यता का पालन करें

सत्यता का पालन करें #विचार

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Dr.Minhaj Zafar

अपनी नाकामी छुपाते फिर रहे हैं
अपनी लुटिया ख़ुद डुबाते फिर रहे हैं
ये मगर है ज़ोम के हैं सबसे अच्छे
ख़ूब हंसते मुस्कुराते फिर रहे हैं

- मिनहाज ज़फ़र #yqdidi #collab 
#नाकामी  ज़ोम का अर्थ घमंड

#yqdidi #Collab #नाकामी ज़ोम का अर्थ घमंड

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Manish Chauhan

सत्यता का परिचय

©Manish Chauhan
  सत्यता का परिचय
#सत्य #विचार

सत्यता का परिचय सत्य विचार

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Ravi Raj Rathore

रावण:-
मुझे हर साल जलाने से अच्छा तो
 एक बार खुद के अन्दर के रावण को जला लो
 और खुद ही राम बन जाओ।
"राम "

©Ravi Rathore रावण को अपने अंदर से निकालो,बाहर का खुद ही जल जायेगा।

#Dussehra

रावण को अपने अंदर से निकालो,बाहर का खुद ही जल जायेगा। #Dussehra #विचार

2 Love

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Aanu Kumar meena

हाल दिल से निकलती ही नहीं

हाल दिल से निकलती ही नहीं

59 Views

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NEERAJ SIINGH

ना जाने क्यों बढ़ रहीं हैं मेरी तेरी नजदीकियां
दिल हमारे करना चाहे एक दूजे की तसदीकियां #neerajwrites तस्दीक - सत्यता का  प्रमाण

#neerajwrites तस्दीक - सत्यता का प्रमाण

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sandeep badwaik(ख़ब्तुल) 9764984139 instagram id: Sandeep.badwaik.3

मै जानता हूँ मेरी नाकामी की वज़ह...
वो खुद हैरान है अपनी क़ामयाबी पे..।


                       - ख़ब्तुल
                        संदीप बडवाईक

©sandeep badwaik(ख़ब्तुल) 9764984139 instagram id: Sandeep.badwaik.3 नाकामी

नाकामी

10 Love

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Ravi Shukla

यहाँ इस ज़िंदगी में बहुत सारे काम तमाम हुए।

तक़लीफ़ बस ये है कि हम इश्क़ में नाकाम हुए। #नाकामी
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Ajay Singh Suryavanshi

पेड़ का रुप धार लुंगा मैं 
हर परिन्दे से प्यार लुंगा मैं 
तुम सामने आ भी गई तो
 कौन सा तीर मार लुंगा मैं नाकामी

नाकामी #शायरी

7 Love

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sandeep badwaik(ख़ब्तुल) 9764984139 instagram id: Sandeep.badwaik.3

उसकी नाकामी ने मुझे जिंदा दफ़न किया...
फिर उसने दुपट्टा खींचा और कफ़न किया..।

इसलिए रूँह लाश मॆं हिस्सा माँग रही है...
न मालूम क्यां-क्यां इकट्ठा कर के बदन किया..।

एक दिन बात-बात मॆं ज़बान खींच ली गयी...
बावजू्द ख़ामोशी ने शेर-ओ-सुखन किया..।

सज़ा-ए-मौत मिले उसको आसमान में यूँ...
जिसने ज़मीन पर लकीर खींंच कॆ वतन किया..।

नतीज़ॆ ख़्वाहिश के मुताबिक़ नहीं हैं ‘ख़ब्तुल’...
मगर ये हमने जो भी किया मसलहतन किया..।

                                      - ख़ब्तुल
                                  संदीप बडवाईक

©sandeep badwaik(ख़ब्तुल) 9764984139 instagram id: Sandeep.badwaik.3 नाकामी

नाकामी

11 Love

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Parmod Narwal

निन्द भी निलाम 
हो जाती है  
जनाब
दिलों की महफिल मे 
किसी को भुल कर
सोजाना
 कहाँ आसान होता है।

©Parmod Narwal
  निलामी

निलामी #Shayari

934 Views

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SuMiT (ShayRi maKeR)

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©SuMiT (ShayRi maKeR)
  #नाकामी
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Gaurav Kumar Sagar

सत्यता ही सर्वोच्च निति है

#StoryOfSuspense #SAD

सत्यता ही सर्वोच्च निति है #StoryOfSuspense #SAD

77 Views

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Rashid Moradabadi

तसव्वुर में ही अरमानों को निकाला जाए

तसव्वुर में ही अरमानों को निकाला जाए

33 Views

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Praveen Jain "पल्लव"

पल्लव की डायरी
सिल सिला थम गया
भड़ास किस पे निकालूँ
चलन मन की बातों का चल पड़ा है
दुसरो की अहमियत सफाई से नकारी है
एक तरफा चल पड़ा है कारवाँ
जमीनी हकीकतों पर झूठ का साया है
कहने को बहुत कुछ था जहन में
बुलडोजरों और ब्यूरोक्रेसी ने
धुंआ जनमत का निकाला है
                                      प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव" जनमत का धुआं निकाला है
#baatain

जनमत का धुआं निकाला है #baatain #कविता

22 Love

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Ek villain

कोविड-19 की परिस्थितियों में वित्त मंत्री निर्मला सीतामढ़ी के लिए 22 और 23 का बजट पेश करना यकीन एक बड़ी चुनौती है उनके समक्ष 1 वर्षीय भी होगा कि चुनावी दौर में आम आदमी को कैसे महसूस करवा जाएगी सरकार उनके हितों के संरक्षण के तौर पर काम कर रही है और साथ ही राज्य सभा के दायरे का विस्तार भी हो जाए हाल ही में यूनेस्को द्वारा जारी किए गए प्रथमा कर्मी अनुमानों को कहा गया कि इस साल के 902% की वृद्धि दर के साथ भारत यात्रा हुई है सर की सबसे तेज गति वाली अवस्था में शामिल हो जाएगी साथ ही जीडीपी के आधार पर भारतीय अर्थव्यवस्था का आकार 3 पॉइंट $100000 तक हो सकता है ऐसी सकारात्मक के बावजूद अर्थव्यवस्था की वर्तमान में भारत स्वस्थ भारत मैं सिर्फ आत्म निर्भरता बनने बल्कि और शिक्षक भारत का सपना भी साकार हो सके क मैं सिर्फ आज निर्भरता बनने बल्कि और शिक्षक भारत का सपना भी साकार हो शकील कोविड-19 के कारण बड़ी रोड बेरोजगारी को नियंत्रण करने के लिए बजट में रोजगार परक विकास को सर्वोच्च प्राथमिकता दी होगी विनिर्माण क्षेत्र की संभावना को पूरी तरह से नहीं भूल पाना भारत में बेरोजगारी की समस्या सबसे प्रमुख कारण है

©Ek villain #मुश्किलों का हल निकाले बजट
#Travel

#मुश्किलों का हल निकाले बजट #Travel #Society

7 Love

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yogesh atmaram ambawale

अपनी नाकामी छुपाते है जो,
खुद ही की आत्मशक्ती से अंजान होते है वो. अपनी नाकामी छुपाते 
ख़ुद को कामयाब बताते
#नाकामी #collab #yqdidi  #YourQuoteAndMine
Collaborating with YourQuote Didi #नाकामी  #yqdidi  #coll

अपनी नाकामी छुपाते ख़ुद को कामयाब बताते #नाकामी #Collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi #नाकामी #yqdidi coll

0 Love

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Author Shabdansh

*ज़माने में किसी से कहां कोई दिल से मतलब रखता है।
हर कोई सिर्फ अपने मतलब से मतलब रखता है।।
सब अपने लिए नवाब और तीसमार खां है साहब,
एक सितारा टूटने से आकाश को भला क्या फर्क पड़ता है।।*

कोशिश नाकाम सी की है, सोचा! नए वक़्त का आगाज हो जाए शायद तुमसे ।
गुस्ताखी माफ़ करना, लफ्ज़ भी नाराज है शायद हमसे ।। #NojotoQuote as
#नाकामी
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k@shayap&

तुम्हें याद करना नामुमकिन है हमारे लिये,,
  क्योंकि तुम्हें भुलाने की हर कोशिश नाकाम रही ।।। #NojotoQuote मेरी नाकामी

मेरी नाकामी

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Ankit Tripathi

आज हम ज्ञान विज्ञान की दुनिया में तेज गति से आगे बढ़ रहे है।प्रतिदिन नए खोज नए अविष्कार से हम मानव सभ्यता को विकसित कर रहे हैं ।विज्ञान के इस प्रगति के साथ ही मानव सभ्यता के सामने रोज नए खतरे सामने आ रहे है।ये खतरे कभी प्राकृतिक आपदा के रूप में तो कभी खतरनाक बीमारियों के रूप में हमारे सामने आ रही हैं।
मानव विकास  के पथ पर तेजी से अग्रसर है लेकिन क्या उसका विकास प्रकृति के साथ सामंजस्य बना पा रहा है?मानव ने विकास के माध्यम से सभ्य होने का दावा किया है  लेकिन क्या वास्तव में मनुष्य सभ्य हुआ है? आदि मानव की सभ्यता  से लेकर वर्तमान मानव सभ्यता के विकास का  माध्यम कितना व्यापक है, कितना अर्थपूर्ण है,कितना विनाशकारी , कितना अपरिपक्व है और कितना स्वार्थपरक है उसे समझना बहुत  जरूरी है। आग  का प्रयोग सीखना ,गोल चक्र का इस्तेमाल करना, जानवरों का प्रयोग अपने लाभ में करने की कला सीखना, अपने तन को ढकने की परंपरा सीखना, परिवार का निर्माण करना या यह कहें की प्रकृति का इस्तेमाल करके मानव ने धीरे-धीरे अपने सभ्यता का विकास करना सीखा है।मानव जाति को प्रकृति ने  बुद्धि विवेक में निपुण बनाकर पृथ्वी पर एक अद्भुत रचना किया ।उसे यह बुद्धि विवेक अपनी धरती को सजाने संवारने और अन्य जीव-जंतुओं का ख्याल रखने को दिया गया । पर मानव ने क्या किया ?उसने धरती को  कितना सजाया , संवारा  और अन्य जीव-जंतुओं  का कितना ख्याल रखा है इसका जीवंत प्रमाण आज हमारे सामने  है ।  जब हम आदिमानव थे  तो जंगल हमारा घर था और आज जब हम कथित सभ्य मानव है तब जंगल हमारे दोहन का सबसे बड़ा साधन है। हमने प्रकृति की गोद में खेल कर अपना स्वार्थी विकास किया। जिस प्रकृति ने मानव को पाला पोसा और उसे विकास का अवसर प्रदान किया उसी प्रकृति को मानव ने  लूटा खसोटा और  बर्बाद करने में कोई कसर नही छोड़ा। हम समय बीतने के साथ जंगल के जीवन से बाहर आ गए और सभ्य होने के रास्ते की तरफ बढते चले गए। लेकिन प्रश्न  उठ जाता है कि क्या हम वास्तव में सभ्य हो गए और क्या सच में हम जंगली नहीं रह गए? कह पाना तो मुश्किल है, क्योंकि जैसे-जैसे हम प्रकृति की गोद से बाहर निकल कर अपना पैर आगे बढ़ाना शुरू किए वैसे-वैसे खुद के लाभ के लिए  खुद को सभ्य कहते चले गए। सभ्य होने का ढोंग करने के साथ-साथ हमने अपने पालनहार प्रकृति को और उस प्रकृति की  व्यापकता को भूलते चले गए। मानव सभ्यता की यह विकास यात्रा धीरे-धीरे अंधी और स्वार्थी होती चली गई। हम इतने अंधे हो गए कि हम भूल गए कि हमारा अस्तित्व इस प्रकृति ने ही  बनाया है।मानव तो इतना अंधा हो गया है कि जिस हवा में वो जिंदा हैं उसी को प्रदुषित करते चला गया,जिस जल से प्यास मिटनी है उसी को गंदा करते चला गया ,जिस जंगल ने हमारे पूर्वजों को पाला है हम उसी को काटते चले गए, जिस मिट्टी ने हमें जन्म दिया है उसी को बर्बाद करते चले गए ।इन सबके बाद भी बड़े गर्व से कहते चले गए कि हम सभ्य होते जा रहे हैं।सच में तो हमने विकास के बजाय केवल विनाश किया है।जिस विकास के लिए हम पागल हो गए हैं वो विकास मानव के अस्तित्व के लिए खतरनाक होता चला जा रहा है।हमारा सभ्य होने का ढोंग मानव जाति के लिए केवल खतरा उत्पन्न कर रहा है।खतरा कितना बढ़ता जा रहा ये कहने की जरूरत नही है ।प्रकृति के हर क्षेत्र से हमारे अस्तित्व को चुनौती मिल रही है ।दिन प्रतिदिन बढ़ती बीमारियां ,बढता वायु प्रदुषण,बढ़ता जल प्रदुषण ,घटता वन क्षेत्र ,बढ़ता कंक्रीट फॉरेस्ट और बढ़ती जनसंख्या और न जाने कितने अनजान खतरे रोज के रोज इस धरती पर हमारे अस्तित्व के लिए खतरा बनते जा रहे हैं।आँखे मूंद लेने और विकास के ढोंगी और खतरनाक डफली बजाने से ये खतरा केवल बढ़ता जाएगा।
                        अभी भी समय है कि हम प्रकृति के साथ दुबारा  सामंजस्य बिठाये । अपने विकास यात्रा में प्रकृति को प्रथम स्थान दें।प्रकृति से दूरी बनाने के बजाय उसका आत्मसात करें ।ये समझना होगा कि यदि प्रकृति हमें पाल सकती  है तो हमारा  संघार भी कर सकती है ।अब हमें तय करना है कि हम क्या चाहते हैं।अंततः यही कहूंगा कि हमारा अस्तित्व हमारे व्यवहार पर निर्भर करता।
   लेखक :अंकित त्रिपाठी 
ईमेल :ankittripathi151@gmail.com

©Ankit Tripathi सभ्यता का विकास "वरदान या विपत्ति"

#WallPot

सभ्यता का विकास "वरदान या विपत्ति" #WallPot

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Mr Deep Kumar Kannaujiya

Nature Quotes सेक्स और सक्सेस के पीछे
भागते भागते, एक पुरुष की
पूरी उम्र खत्म हो जाती हैं..!

©Mr Deep Kumar Kannaujiya
  जीवन का सत्यता..
#LifeTruths #SexAndSuccess #JourneyOfLife#NatureQuotes

जीवन का सत्यता.. #lifetruths #SexAndSuccess #JourneyOfLife#NatureQuotes

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Ek villain

रोज की सेना ने लगातार यूक्रेन में गूंजती जा रही है पूरी दुनिया से शुरू से लेकर आ गए एहसास दिख रही है वह आरती पर बिंदु और विरोधियों से आगे नहीं बढ़ पा रही है वह मात्र चार पर चार करोड़ की आबादी वादियों के विरोधी अमले को डटकर मुकाबला करना है यही कारण है कि मेक्सिको ने अपने परमाणु दस्ते को सक्रिय कर दिया यह संकेत करता है कि रोज मौजूदा संकट लंबा खींचता ग्रुप से बाहर करना और अमेरिका के सैन्य मदद देने से लोगों को राहत मिलेगी रखते हैं और मिसाल नहीं मिलती पूर्ववर्ती सोवियत संघ के साम्राज्यवादी शिरडी वाले गौरव शील अस्मिता बोध से और प्रेरित रूसी हमले में सुप्रभात राष्ट्रीय की पहचान समाप्त होने के संकट वास्तव में वित्तीय संचालित अंतरराष्ट्रीय की परीक्षा लेने वाला है जब दुनिया कोविड-19 के कोप से बाहर निकलने में जुटी थी तब रूसी हमले ने वैश्विक राजनीतिक अस्थिरता को और बढ़ा दिया इस वैश्विक शांति सुनिश्चित करने के दायित्व से बंधी संयुक्त राष्ट्र जैसी संस्थाओं को भूमिका एवं प्रसंगिकता पर नए सिरे से प्रसन्न चिन्ह लगा दिए हैं कमजोर बहुसंख्यक इसी प्रकार वोटों से लैस ताकतवर अल्पसंख्यक प्रभाव कारी हो जाती है इसे देखते हुए संयुक्त राष्ट्र में सुधार हो गए हैं आखिर ये शर्मनाक स्थिति है कि आक्रांत कि अपने विरोधी बन जाए

©Ek villain #मानव सभ्यता की परख का समय
#Moon

#मानव सभ्यता की परख का समय #Moon #Society

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Shravan Goud

प्रतिभाएं ज्यादातर कम सुविधा से ही निकलती है। प्रतिभाएं ज्यादातर कम सुविधा से ही निकलती है।

प्रतिभाएं ज्यादातर कम सुविधा से ही निकलती है।

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prakash Jha

वक़्त का ही ये  मांग है,
वक़्त का ही ये काम है!

वक़्त का ही ये  चाल है,
वक़्त का ही ये जाल है!

वक़्त का ही ये  खेल है,
वक़्त का ही ये  मेल है!

वक़्त का ही ये बात है,
वक़्त का ही ये रात है!

वक़्त का ही ये क्लेश है,
वक़्त का ही ये संदेश है!

वक़्त का ही ये सवाल है,
वक़्त का ही ये जबाब है!

वक़्त का ही ये    राज   है,
वक़्त का ही ये आवाज है!

वक़्त का ही ये   सब  मोहताज है,
वक़्त का ही ये कल और आज है! वक़्त का ही ये  मांग है,
वक़्त का ही ये काम है!

वक़्त का ही ये  चाल है,
वक़्त का ही ये जाल है!

वक़्त का ही ये  खेल है,
वक़्त का ही ये  मेल है!

वक़्त का ही ये मांग है, वक़्त का ही ये काम है! वक़्त का ही ये चाल है, वक़्त का ही ये जाल है! वक़्त का ही ये खेल है, वक़्त का ही ये मेल है! #prakashjha_shyari

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