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Dinesh Sharma Dinesh
पतित पावनी गंगा स्वर्ग से आती है धरा पर भागीरथी हो जाती है लेकिन गंगा यूं ही भागीरथी नहीं होती देवलोक से मृत्युलोक पर स्वयं नहीं उतरती करनी पड़ती है भगीरथ को तपस्या अस्तु उठो भगीरथ बनो तप धारण करो निश्चित है उतर आएगी यथार्थ के धरातल पर बन भागीरथी ©Dinesh Sharma Dinesh गंगा पतित पावनी गंगा स्वर्ग से आती है धरा पर भागीरथी हो जाती है लेकिन गंगा यूं ही भागीरथी नहीं होती
Dinesh Sharma Dinesh
संगीत कुमार
जय श्री राम जय श्री राम कितने दिनों के बाद पूरा हुआ विश्वास मन में था जो आस राम मंदिर अब बन जायेगा ५ अगस्त को ईंंट रखा जायेगा एक भव्य मंदिर बन जायेगा राम लला विराजेंगे राम धुन जन -जन में गुंजेगा अयोध्या नगरी जगमग हो जायेगा फूलों से नगरी सज-धज जायेगा अधरों पे मुसकान छा जायेगा उर में सुगंध की बयार बह जायेगी मनुज मन प्रफुल्लित सा हो जायेगा राम धुन से ब्रह्माण्ड गुंजित हो जायेगा देवों की भूमि अयोध्या धाम कहलायेगी देवलोक से देवगण सुधा बरसायेंगे मानव मन तृप्त हो जायेगा कितने दिनों के बाद पूरा हुआ विश्वास (संगीत कुमार /जबलपुर) ✍🏽✍🏽स्वरचित 🙏🙏 जय श्री राम जय श्री राम 🌹🌹 कितने दिनों के बाद पूरा हुआ विश्वास मन में था जो आस राम मंदिर अब बन जायेगा ५ अगस्त को ईंंट रखा जायेगा एक भव्य
संगीत कुमार
जय श्री राम जय श्री राम 🌹🌹 कितने दिनों के बाद पूरा हुआ विश्वास मन में था जो आस राम मंदिर अब बन जायेगा ५ अगस्त को ईंंट रखा जायेगा एक भव्य मंदिर बन जायेगा राम लला फिर से वहाँ विराजेंगे राम धुन जन -जन में गुंजेगा अयोध्या नगरी जगमग हो जायेगा फूलों से नगरी सज-धज जायेगा हर हिन्दू के अधरों पे मुसकान छा जायेगा उर में सुगंध की बयार बह जायेगी मनुज मन प्रफुल्लित सा हो जायेगा राम धुन से ब्रह्माण्ड गुंजित हो जायेगा देवों की भूमि अयोध्या धाम कहलायेगी देवलोक से देवगण सुधा बरसायेंगे मानव मन तृप्त हो जायेगा कितने दिनों के बाद पूरा हुआ विश्वास ©(संगीत कुमार /जबलपुर) ✍🏽✍🏽स्वरचित 🙏🙏 जय श्री राम जय श्री राम 🌹🌹 कितने दिनों के बाद पूरा हुआ विश्वास मन में था जो आस राम मंदिर अब बन जायेगा ५ अगस्त को ईंंट रखा जायेगा एक भव्य
अवधराम गुरु
जब देवलोक से सुख की देवी- नर्तन करने पृथ्वी पर आ जाएगी, जब आसमान के सूने मस्तक पर- उल्लासों की लाली सी छा जाएगी! जब ढोलक की थापों की
Vikas Sharma Shivaaya'
चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की सप्तमी अष्टमी को शीतला माता का पर्व मनाया जाता है-इसे बसौड़ या बसौरा भी कहते हैं-शीतला सप्तमी को भोजन बनाकर रखा जाता है और दूसरे दिन उसी भोजन को ही खाया जाता है-इस दौरान विशेष प्रकार का भोजन बनाया जाता है...कहते हैं कि इस देवी की पूजा से चेचक का रोग ठीक होता है..., स्कंद पुराण अनुसार देवी शीतला चेचक जैसे रोग की देवी हैं, यह हाथों में कलश, सूप, मार्जन (झाडू) तथा नीम के पत्ते धारण किए होती हैं तथा गर्दभ की सवारी पर अभय मुद्रा में विराजमान हैं। शीतला माता के संग ज्वरासुर ज्वर का दैत्य, हैजे की देवी, चौंसठ रोग, घेंटुकर्ण त्वचा रोग के देवता एवं रक्तवती देवी विराजमान होती हैं इनके कलश में दाल के दानों के रूप में विषाणु या शीतल स्वास्थ्यवर्धक एवं रोगाणुनाशक जल होता है..., कहते हैं यह शक्ति अवतार हैं और भगवान शिव की यह जीवनसंगिनी है, पौराणिक कथा के अनुसार माता शीतला की उत्पत्ति भगवान ब्रह्मा से हुई थी। देवलोक से धरती पर माता शीतला अपने साथ भगवान शिक के पसीने से बने ज्वरासुर को अपना साथी मानकर लाईं थी। तब उनके हाथों में दाल के दाने भी थे। उस समय के राजा विराट ने माता शीतला को अपने राज्य में रहने के लिए स्थान नहीं दिया तो माता क्रोधित हो गई। उस क्रोध की ज्वाला से राजा की प्रजा को लाल लाल दाने निकल आए और लोग गर्मी के मारे मरने लगे। तब राजा विराट ने माता के क्रोध को शांत करने के लिए ठंडा दूध और कच्ची लस्सी उन पर चढ़ाई। तभी से हर साल शीला अष्टमी पर लोग मां का आशीर्वाद पाने के लिए ठंडा भोजन माता को चढ़ाने लगे...! 🙏बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹 ©Vikas Sharma Shivaaya' चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की सप्तमी अष्टमी को शीतला माता का पर्व मनाया जाता है-इसे बसौड़ या बसौरा भी कहते हैं-शीतला सप्तमी को भोजन बनाकर रखा
Insprational Qoute
...... 🍫🍫🍫🍫🍫🤗🤗🤗🤗😍😍😍😍💓💓💓❤️❤️❤️💖💖💖💖💖💖💖🍧🍧🍧🍦🍦🍦🍦🍦🍦🍫 मंगल बेला आई है ओ सखी कोई गीत ऐसा गाओ रे, मन वैजयंती गाने लगे कोई ऐसा संगीत बजाओ रे, सर्वप्रथम ई
AK__Alfaaz..
कल साँझ ढ़ले, श्वेत कौमुदी की, चंचल किरणों तले, हिमाच्छादित हिमालय की, चोटी से, दुग्ध लेपित गंगा का निर्मल जल, बहकर जा पहुंचा, काशी विश्वनाथ के पग धोने, कल साँझ ढ़ले, श्वेत कौमुदी की, चंचल किरणों तले, हिमाच्छादित हिमालय की, चोटी से, दुग्ध लेपित गंगा का निर्मल जल, बहकर जा पहुंचा,
Parasram Arora
देवलोक मे रहने वाकी दिव्य रूहे इर्षा करने कगी है धरती की भटकती हुई आत्माओ से क्यिंकि उन्हे पृथ्वी के सुख दुख से मिलने वाले आनद को चखने का अभी तक सौभाग्य मिला नहीं देवलोक के अपार ऐशो आराम के सुख भोगते भोगते अब वे ऊब चूके है और अगर ये स्थिति आगे भी कायम रही तो उनकी ऊब खुदकशी मे रूपात्रित हो सकती है तो तब तक मैं क्यो न करू कोशिश पृथ्वी की आत्माओं को ये समझने की कि धरती का सुख मिश्रित दुख. पीते रहे ताकि कभी ऊब से उनका सामना न हो सके और खुदकशी के लिए कभी मन न बनाना पडे ©Parasram Arora देवलोक कीं रूहे #FindingOneself
vishnu prabhakar singh
गाँव की धरती दूर मंदिर की छवि तुलसी की शीतलता नदी के तट पर स्मारक सहस खिंचती है विशेष प्रभाव में यह सहजता यह विशिष्टता मूल है ग्रामीण है। देवलोक।। #विप्रणु #yqdidi #yqbaba #inspiration #poetry