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Shailendra Gond kavi
Uma Vaishnav
कुंडलियां - छंद *************** पावन मन को हम करे, लेकर हरि का नाम। सुबह शाम हरि को भजे, यही हमारा काम।। यही हमारा काम, जपना हरि को हमेशा। जहां कृष्ण का जाप , वहां नहीं रहे क्लेशा।। भज मन हरि को रोज, सुखी रहे ये जीवन। जप कर हरि का नाम,करे हम मन को पावन।। *******************************************'' ©Uma Vaishnav #कुंडलियां
Uma Vaishnav
कुंडलियां - छंद **************** पैसा बीना #कुछ_नहीं, मतलब के सब लोग। बिन मतलब के भक्त भी, नहीं लगाते भोग।। नहीं लगाते भोग , प्रभु से मांगते रहते। पूरा हो हर काम , प्रभु से बस यही कहते।। जानू ना ये बात , उमा ये पैसा कैसा। देता नाते तोड़ , पास जब ना हो पैसा।। ©Uma Vaishnav #कुंडलियां #kuchnahi
kavi manish mann
होली के त्योहार में, लगे गले मन मीत। क्रोध भाव को छोड़कर,करे प्रीत ही प्रीत। करे प्रीत ही प्रीत, बने राधा सी गोरी। अंग अंग में रंग, लगाए चोरी चोरी। बोले ’मन’ कविराय,मिले सारे हमजोली। पिये भंग हैं मग्न,झूमकर खेलें होली।। #कुंडलियां #कुंडलियां_मन #मौर्यवंशी_मनीष_मन #yqdidi #होली #holi
kavi manish mann
वृक्षों से जीव जगत के, वृक्ष से ये संसार। यदि वृक्ष न हों जगत में,तो जीवन बेकार। तो जीवन बेकार, सुनो जग के नर नारी। मानसून बेकार, रहे चहुंँ ओर अकाली। बोलें ’मन’ कविराय,सुनो जी बात हमारी। वृक्ष लगाओ हजार,रहे न फिर अकाली।। कुंडलियां प्रथम प्रयास #कुंडलियां_मन #मौर्यवंशी_मनीष_मन #पेड़ #वृक्ष
Nitin Kr Harit
नश्वर इस संसार में, मची पड़ी है लूट, भ्रम की गठरी बांध के, पकड़े बैठे खूंट। पकड़े बैठे खूंट, ये गठरी छूट न जाय, ये डूबेगी ठौर इन्हें अब कौन बताए। मैं क्या हूं मैं कौन? कोई बूझे तो उत्तर, हरित शून्य है सब जगत ये सारा नश्वर। हरित की कुंडलियां #हरित_वाणी #nitinkrharit #yqdidi #yqbaba #yqtales #yqhindi
Kishan Gupta
किचन की रानी, तू पसीने से लतपत, पंखा बना, मुझे घुमाये जा रही हो,, चाय कब तक यूँ ही, फीकी पिलाओगी, इलायची के इंतजार में, अदरक पीसे जा रही हो। ~किशन गुप्ता #कविता #कविता #
Awanish Singh
दीप हूँ जलता रहूँगा । मैं प्रलय की आँधियों से, अंत तक लड़ता रहूँगा ।। पार जाऊँगा मेरा साहस, कभी हारा नहीं है। जो मिटा अस्तित्व दे, ऐसी कोई धारा नहीं है ।। कौन रोकेगा स्वयं तूफान, थककर रुक गये हैं । हर लहर मेरा किनारा, ध्येय तक बढ़ता रहूँगा।। दीप हूँ जलता रहूँगा । मैं प्रलय की आँधियों से, अंत तक लड़ता रहूँगा ।। तोड़ दी अवरोध की सारी, शिलाएँ एक क्षण में । मैं धरा का प्यार मुझको, स्नेह देते सब डगर में।। शीत वर्षा और आतप कर, न पाये क्षीण गति को। बिजलियों की कौंध में भी, पंथ गढ़ता ही रहूँगा।। दीप हूँ जलता रहूँगा । मैं प्रलय की आँधियों से, अंत तक लड़ता रहूँगा ।। ©Awanish Singh (AK Sir) #कविता #कविता
Balu Khaire
भीगी हुई आँखोका मंजर न मिलेगा, घर छोडकर मत जाओ कही घर ना मिलेगा। फिर याद बहुत आएगी जुल्फो की शाम, जब धूप मे साया कोई सर न मिलेगा। आंसू को काभि ओस का कतरा न समझना, ऐसा तुम्हे चाहत का समुदर ना मिलेगा। इस ख्वाब के माहोल मे बे-ख्वाब है आँखे, जब निंद बहुत आएगी बिस्तर ना मिलेगा। ये सोचलो आखरी साया है मोहब्बत, इस दरसे उठोगे तो कोई दर ना मिलेगा ©Balu Khaire कविता कविता #lonely