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Abhishek 'रैबारि' Gairola
एक तुम्हारा न होना कई बरसों से, या मुमकिन है हमेशा से हो, आत्मा कि धरती में एक रिक्त स्थान था, फिर एक तुम्हारे होने से, वो अकेलेपन का छेद भर गया था। मेरी रूह ने तुम्हारी हाज़िरी को पकड़ लिआ था, जैसे किसी पेड़ की जड़ों को मिट्टि पकड़ लेती है। तब एक दिन डर की ऐसी प्रचंड आंधी चली, कि वो तुम्हारी मौजूदगी को अपने संग उड़ा ले गई। और वो तूफ़ान, अपने साथ उड़ा ले गया, एक बड़ा टुकड़ा, मेरी मन की माटी का, जो शायद मुझसे दूर अभी भी कहीं, तुम्हारे होने की जड़ों से लिपटी हुई हैं। उसी भूमी के टुकड़े के उड़ जाने से, मेरे हृदय का सूराख़ और भी चौड़ा हो गया है। इस बढ़ती रिकति में, जो अब और भी गहरी है, रह गया है, एक तो सिर्फ़ ख़ालीपन, और... एक तुम्हारा न होना। ©Abhishek 'रैबारि' Gairola एक तुम्हारा न होना कई बरसों से, या मुमकिन है हमेशा से हो, आत्मा कि धरती में एक रिक्त स्थान था, फिर एक तुम्हारे होने से, वो अकेलेपन का छे
Krishnadasi Sanatani
कर्मों की सज़ा भोज के लिए एक व्यक्ति ने एक बार एक बकरे की बलि चढ़ाने की तैयारी आरम्भ की। उसके बेटे बकरे को नदी में स्नान कराने ले गये। नहाने के समय बकरा एकाएक बडी जोर से हँसने लगा; फिर तत्काल दुःख के आँसू बहाने लगा। उसके विचित्र व्यवहार से चकित हो कर बेटों ने उससे जब ऐसा करने का कारण जानना चाहा तो बकरे ने कहा कि कारण वह उनके पिता के सामने ही बताएगा। व्यक्ति के सामने बकरे ने यह बतलाया कि उसने भी एक बार एक बकरे की बलि चढ़ायी थी, जिसकी सज़ा वह आज तक पा रहा था। तब से चार सौ निन्यानवे जन्मों में उसका गला काटा जय श्री राम जा चुका है और अब उसका गले कटने की अंतिम बारी है। इस बार उसे एक बुरे कर्म का अंतिम दंड भुगतना था, इसलिए वह प्रसन्न होकर हँस रहा था। किन्तु वह दुःखी हो कर इसलिए रोया था कि अगली बार से तुम्हारे भी सिर पाँच सौ बार काटे जाएंगे। व्यक्ति ने उसकी बात को गंभीरता से लिया और उसके बलि की योजना स्थगित कर दी तथा अपने बेटों से उसे पूर्ण संरक्षण की आज्ञा दी। किन्तु बकरे ने व्यक्ति से कहा कि ऐसा संभव नहीं है, क्योंकि कोई भी संरक्षण उसके कर्मों के पाप को नष्ट नहीं कर सकते। कोई भी प्राणी अपने कर्मों से मुक्त नहीं हो सकता। जब बेटे उस बकरे को ले कर उसे यथोचित स्थान पर पहुँचाने जा रहे थे। तभी रास्ते में किनारे एक पेड़ के शाखा पर नर्म-नर्म पत्तों को देख ज्योंही बकरे ने अपना सिर ऊपर किया, तभी एक वज्रपात हुआ और पेड़ के ऊपर पहाड़ी पर स्थित एक बड़े चट्टान के कई टुकड़े छिटके। एक बड़ा टुकड़ा उस बकरे के सिर पर इतनी जोर से आ लगा कि पलक झपकते ही उसका सिर धड़ से अलग हो गया। ©Krishnadasi Sambhavi कर्मों की सज़ा भोज के लिए एक व्यक्ति ने एक बार एक बकरे की बलि चढ़ाने की तैयारी आरम्भ की। उसके बेटे बकरे को नदी में स्नान कराने ले गये। नहान
Ekta Bhagat
ना कद बढ़ा ना पद बड़ा मुसीबत में जो साथ खड़ा वह सबसे बड़ा । ना कद बढ़ा ना पद बड़ा मुसीबत में जो साथ खड़ा वह सबसे बड़ा ।
Mr.Déèp.Dh@wàñ
क़िस्मत का मिला है तो छीन भी जाएगा क्यूंकि क़िस्मत बनती बिगड़ती रहती है परन्तु संघर्ष है तो permanent success है । ©Deepchand Dhawan बड़ी मंजिले बड़ा सपना #welove
Anuj Ray
मैं टुकड़ा टुकड़ा बिकती थी" हर शाम बैठती थी मंडी, मेरी दुकान भी सजती थी। दस बारह हाथों में हर दिन, मैं टुकड़े-टुकड़े बिकती थी। ऐसा ही होता था हर दिन, ख़ून के आंसू रोता था मन। पैनी पैनी चोंचों से घायल हो मैं मरी गाय सी नुचती थी। एक उदर क्षुधा की अग्नि ने, ये कैसी क़िस्मत कर दी थी। हर रोज़ सुबह ज़िंदा होती , हर शाम को तिल तिल मरती थी। ©Anuj Ray #मैं टुकड़ा टुकड़ा बिकती थी
Omkar Omkar sahani
ना कद बड़ा ना पद बड़ा मुसीबत जो के साथ खड़ा होता वह बड़ा
Himanshu Mishra
ना कोई gf है! ना iPhone! ना बंगला है! ना कार! फिर भी खुश हूं दिल में बस एक सपना है! कुछ बड़ा करना है ! और अकेले ही इतिहास रचना है! निकल पड़ा हूं कुछ बड़ा करने