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New अभिव्यक्ति तुक कोष Quotes, Status, Photo, Video

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    PopularLatestVideo
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manju Ahirwar

तुम शीतल शांत सरोवर हो 
तुम निश्छल निर्मल नवल हो 
तुम सुन्दरता की मूरत हो 
तुम सरल सबल सुमन हो 
तुम कोमल सौम्य कुसुम हो 
तुम सुंदर हो 
तुम दया करुणा प्रेम भाव हो 
तुम अचल अविरल स्थाई हो 
तुम सुंदर हो 
तुम मन वचन कर्म  हो 
तुम सदभावना की मूरत हो 
तुम सुंदर हो !!!

©manju ahirwar # तुम सुंदर हो #
#मेरी अभिव्यक्ति

#HappyDaughtersDay2020

# तुम सुंदर हो # मेरी अभिव्यक्ति HappyDaughtersDay2020

13 Love

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Manisha Keshav

#romance ##तुम इश्क अभिव्यक्त होने दो ##

romance #तुम इश्क अभिव्यक्त होने दो ##

536 Views

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अभी_की_अभिव्यक्ति!

अभिव्यक्ति

अभिव्यक्ति

33 Views

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अभी_की_अभिव्यक्ति!

अभिव्यक्ति

अभिव्यक्ति

33 Views

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ish_dhanbadi

तुम तो...
मेरे लिए वो उपवास हो, जिसकी सुबह-शाम में तुम              हो।

मेरे लिए अतित की वो चाह हो,
जिसकी मासुमियत में वास तुम हो। अभिव्यक्ति

अभिव्यक्ति #शायरी

10 Love

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ish_dhanbadi

जलती रही वो लाली,चलन जैसी हो धुधंलाती

अदराकर वो बुत सी गई, जगा गई वो अकेला।

बरसकर भी न चाह सका, मादकता रोक पाने

उठा नींद की झुरमुट से, गरियाकर भनकारे को। अभिव्यक्ति

अभिव्यक्ति #कविता

7 Love

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ish_dhanbadi

फिरती रही बनठन तितलियाँ,

ऋतु-गमन में पंखियो का चोंच।

जलज नभ माटी की भाव विभोर,

कलियों की मिलन से प्रकृति 'पंत'।। अभिव्यक्ति

अभिव्यक्ति #कविता

9 Love

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ish_dhanbadi

Silence  एक तिनके को डर है,

भाव की चपेट में लेखक मौन है

झोकें जो बारिश आने पर मग्न है

चौपालों का हाल जाने कौन है? अभिव्यक्ति

अभिव्यक्ति #विचार

12 Love

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ish_dhanbadi

Hope  साहब ,
गलतफहमी के किस्से भी अजीब हैं
 "हर एक ईंट को लगता है कि..
दिवार उसी पर टिकी है" अभिव्यक्ति

अभिव्यक्ति #विचार

9 Love

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ish_dhanbadi

Silence  पिछले सात बरसों से
खवाब में देखता हूं मैं

एक जमींदोज हो चुकी कहानीयां

जिसकी कल्पना की छाप आकाश में बिखरे हो

जिसके बदन मे मेरा रंग सा लग गया हो

और
तुम्हारी और मेरी जगह बैठीं है
तो तितलियां.....। अभिव्यक्ति

अभिव्यक्ति #कला

10 Love

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ish_dhanbadi

हैरान हूँ
युवतियों की ऋंगार-वाद पर
लिबाज जो हावी है
शब्दों को ढकना अब ठीक नहीं अभिव्यक्ति

अभिव्यक्ति #विचार

7 Love

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anurag srivastava

 अभिव्यक्ति

अभिव्यक्ति #nojotophoto

0 Love

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Saumitra Singh

लाख ख्वाहिशों का ठिकाना ये दिल है,
हजार चाहतों का फसाना ये दिल है //
लाखों तजुर्बे देती रहती है ये जिन्दगी....
सब जानकर भी कुछ ना समझ आना भी ये दिल है//// #gif अभिव्यक्ति...

अभिव्यक्ति... #Gif

4 Love

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Saumitra Singh

तेरी अज्ञानता बेहतर थी... जो जानकार हुआ तो सियासत बदल गई,
जमाने बदले तो कुछ नहीं...जो तूँ बदला तो पूरी रियासत बदल गई//
तेरी पूरी वंशावली खुदी पड़ी है उस बड़ी सी दीवाल पर...
तू ने दो हर्फ क्या पढ़े... तेरी पूरी विरासत बदल गई//
                  
  सौमित्र ठाकुर अभिव्यक्ति.....

अभिव्यक्ति.....

2 Love

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Kavita jayesh Panot

जैसे नदियों का बहना जरूरी है,
नीर की स्वछंद अस्तित्व के लिए,
वैसे भावों की अभिव्यक्ति जरूरी है,
जीवन में आगे बढ़ते रहने और प्रगति के लिए।8

©Kavita jayesh Panot #अभिव्यक्ति
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Amit Singhal "Aseemit"

श्रेष्ठ और सुंदर शब्दों से प्रकट की गई अभिव्यक्ति,
बनाती और बढ़ाती है प्रत्येक व्यक्ति की आत्म शक्ति।
सटीक अभिव्यक्ति से ही मिलता है जग में सम्मान,
क्योंकि मंशा नहीं अभिव्यक्ति पर जाए सबका ध्यान।

©Amit Singhal "Aseemit"
  #अभिव्यक्ति
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Nasamajh


यें मानव का निजी भाव है !!

वो जो भी करता है 
वहां अपने व्यक्तित्व दर्शाता ही हैं ।। सुप्रभात।
प्रकृति में कोई भी वस्तु अभिव्यक्ति से परहेज़ नहीं करती। यहाँ तक कि सूरज, तारे, पेड़, पौधे, नदी, पहाड़ हर कोई अभिव्यक्ति कर रहा है। अ

सुप्रभात। प्रकृति में कोई भी वस्तु अभिव्यक्ति से परहेज़ नहीं करती। यहाँ तक कि सूरज, तारे, पेड़, पौधे, नदी, पहाड़ हर कोई अभिव्यक्ति कर रहा है। अ #yqdidi #YourQuoteAndMine

0 Love

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Anil Prasad Sinha 'Madhukar'

कभी भी  अभिव्यक्ति से  मत घबराओ,
जो भाव  उत्पन्न हो रहा  संजोते जाओ,
संजोए भावों को  लयबद्ध कर सजाओ,
सजाकर  सुन्दर  सी  पंक्तियाँ  बनाओ। सुप्रभात।
प्रकृति में कोई भी वस्तु अभिव्यक्ति से परहेज़ नहीं करती। यहाँ तक कि सूरज, तारे, पेड़, पौधे, नदी, पहाड़ हर कोई अभिव्यक्ति कर रहा है। अ

सुप्रभात। प्रकृति में कोई भी वस्तु अभिव्यक्ति से परहेज़ नहीं करती। यहाँ तक कि सूरज, तारे, पेड़, पौधे, नदी, पहाड़ हर कोई अभिव्यक्ति कर रहा है। अ #yqdidi #YourQuoteAndMine

0 Love

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Insprational Qoute

जो कहना हैं कह जाओ,
हैं जो शब्द,भाव,विचार,
छुपे दिल मे प्रस्तुत करो,
कहो कहने से न डरो, सुप्रभात।
प्रकृति में कोई भी वस्तु अभिव्यक्ति से परहेज़ नहीं करती। यहाँ तक कि सूरज, तारे, पेड़, पौधे, नदी, पहाड़ हर कोई अभिव्यक्ति कर रहा है। अ

सुप्रभात। प्रकृति में कोई भी वस्तु अभिव्यक्ति से परहेज़ नहीं करती। यहाँ तक कि सूरज, तारे, पेड़, पौधे, नदी, पहाड़ हर कोई अभिव्यक्ति कर रहा है। अ #yqdidi #YourQuoteAndMine

0 Love

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Saumitra Singh

लावारिस छोड़ दो कश्तियों को  लहर में...
देखो कौन कितना जूझती है भँवर में //
हर बार क्यूँ रस्ता निहारें किसी माँझी का.....
कभीं तो खुद का भी शौर्य परखें समर में ////
                           
                           सौमित्र ठाकुर अभिव्यक्ति...

अभिव्यक्ति...

2 Love

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ish_dhanbadi

Tears and Smile  नमक की डिब्बियों में चींटी लग गई
"मैंने कहा था न छुआ न करो" अभिव्यक्ति

अभिव्यक्ति #विचार

9 Love

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ish_dhanbadi

Frustration जब एक अच्छाई 
हर वक्त ताना दे..
हर वक्त खुद को तोर दे..
वो अब है कहां!
बदकिस्मति से वो एक 'इश्क'है अभिव्यक्ति

अभिव्यक्ति #शायरी

7 Love

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ish_dhanbadi

Life and Poem वात्सलयता को कचोटते हो हाथों भर
पटल पर उन्मादपि,पर भय कैसा
छाया रूपी क्लेश झकझोरती वेदना को
अधिकारों की मांग में होड कैसा? अभिव्यक्ति

अभिव्यक्ति #विचार

8 Love

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Kajalife....

शब्दों से ज्यादा ; मौन प्रभावी होता है !
पर 
हर जगह शब्दों का स्थान ; मौन , 
और हर जगह मौन का स्थान शब्द :
नही ले सकते ।।। # अभिव्यक्ति....

# अभिव्यक्ति....

17 Love

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Parasram Arora

फिर  कैसी होंगी  अभिव्यक्ति 
और  कैसी  होंगी  अभिव्यंजना 
ज़ब मै  सुन  पा रहा हूँ  वो नगमा 
जो अभी  साज़ से  निकला ही नहीं 
देख पा  रहा हूँ उसे 
जिसने  अभी तक      आकार  लिया    ही नहीं 
 कैसा  है ये  मिलन    . आज   उससे 
जो अभीतक अस्तित्बगत हुआ ही   नहीं #अभिव्यक्ति 
.. 
.
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✳️❇️✳️❇️

कितने सारे एहसास... साँसो में घुला करते थे....🥰🥺🤗❤️😢
वो सब एहसास... फिर से ज़िंदा करते हैं...🥰🤗

कुछ बातें तुम याद दिलाना... कुछ हम याद करते हैं...🥺🤔

फिर से पुरानी बातों से.... महकाते है अपना जीवन....💐👩‍❤️‍👨

अपना पुराना प्यार.... आज फिर से जवाँ करते  हैं....❤️👩‍❤️‍👨

चलो आज फिर यादों के सफ़र पर चलते हैं...🥺🥰😢🤔👩‍❤️‍👨✍️🏵️🏵️🏵️🏵️

©️HShri_✍️ #अभिव्यक्ति
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Raj Alok Anand

कहन और चुप्पी
में
सिर्फ़
अभिव्यक्ति का फ़र्क है
अहसास का 
नहीं

©Raj Alok Anand
  #अभिव्यक्ति
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अज्ञात

कल्पित भाव संवाद

"तुम" मेरे भावों से बनी संरचना को चुपके से निहार कर चले जाते हो, मानो मुझे भी इसका इल्म ना होने पाये,,,.. मुझमें अपनी गहराई आंक कर लौट जाते हो, पर कभी मेरी पीड़ा मेरी चीत्कार या मेरी बेबसी को अनुभव किया होगा तुमने..? शायद नहीं और अगर किया भी होगा तो केवल अपनी दृष्टि से ही... और तुम्हारी दृष्टि में मेरी इन वेदनाओं का एक निश्चित मोल संभावित है इससे अधिक और कुछ नहीं.. इसलिये आज अपनी अंतर्वेदना को अपनी प्रेरणा के सामने रखने की एक कोशिश करता हूं... तुम्हें दैहिक स्वरूप में प्राप्त करना मेरे लिये वैसा ही है जैसे आसमान से चाँद तारे तोड़कर अपना कंठहार बनाना.. हांलाकि चाँद जो पहले कभी एक कोरी कल्पना था मानव आज उस पर निवास करने को अग्रसर है किन्तु तुमको "अपना" कहने मात्र के लिये मुझे कई जनम लेने होंगे फिर भी "तुम" मेरे हो सकोगे इसमें संदेह है, अब सुनो, किसी समय एक मृग अपनी तृष्णा के वशीभूत होकर जल की तलाश में अपने वन से भटककर मरुभूमि में पहुंच गया, वहाँ प्यास के मारे उसका कंठ सूख रहा था.. उस मरुभूमि में सूर्यकिरणों से रेत में जल का भरम होने पर मृग ऐसे दौड़ लगाता जैसे किसी मछुवारे ने जाल में कोई मछली फसा ली हो और वो वापस जल में जाने के लिये जाल में अपनी पूरी शक्ति से कूद कूद कर तालाब में जाने को तड़पती हो वही दशा उस मृग की है, मगर मरुभूमि में जल की कोई आस ही नहीं थी.. मृग की तृष्णा अपने चरम में आ पहुंची मगर जल कहीं ना दिखा.. अंततः उस मृग की देह निस्तेज अवस्था में पहुंच गई और मृग उसी तपते मरुस्थल पर ढ़ेर हो गया, मगर प्राणों का मोह आस टूटने नहीं दे रहा तृष्णा और तड़प के मध्य प्राणों का हिंडोलना मानो  स्वासों का क्रम कभी चलता कभी रूक जाता, मृग का शरीर अब पूरी तरह निष्क्रीय हो चुका था, केवल उसके दो नेत्र अपनी अंतिम आस में बार बार खुलते और प्राणांत पीड़ा से सुप्त हो जाते, मृगनेत्रों ने अपनी सम्पूर्ण शक्ति से एक और अंतिम प्रयास किया संघर्ष के उस अंतिम क्षण में अचानक उसे भरम हुआ मानो कोई अमृत से भरा कलश उसके सामने रखा हो.. अब मृग की पीड़ा कल्पित कलश की मिथ्या आस ने सौगुनी बढ़ा दी,, उसे लगा, मेरे सामने जल के रूप में अमृत मुझे  सामने दिख रहा है मगर मैं इतना भी समर्थ नहीं कि उस तक पहुंच पाऊँ ...उस समय मृग की वेदना अनुभव करो कि कितना विवश होगा वो जिसे अमृत दिख रहा है मगर उसका दुर्भाग्य उसे तिल तिल करके मृत्यु के करीब ले जा रहा है... मैं यहीं इस दारुण दृश्य को विराम देता हूं क्योंकि यही मेरी वेदना है, मेरे सम्मुख भी तुम उसी कल्पित अमृतकलश के रूप में हो और मेरा मन वही मृग है जो तुम तक कभी पहुंच ही नहीं सकता.. अब तुम्हारी दृष्टि में मेरी इस वेदना का क्या मोल होगा.. क्यूंकि ना तो तुम्हें वो अमृतकलश दिखाई देगा ना ही मृग की अंतर्वेदना हाँ तुम, इतना अवश्य सोच सकते हो... सहानुभूति रख सकते हो कि बेचारा कोई मृग मरुभूमि में अपने प्राण तजने आ गया... ! अब कहो क्या मेरी पीड़ा मेरी दृष्टि से समझ पाओगे तुम.. कदापि नहीं.. ! क्यूंकि ना तो तुम वो मृग हो ना ही अमृतकलश..!ना मैं तुम तक पहुंच पाया ना तुम मुझ तक... ! फिर भी मेरे मनमृग को तुमसे कोई शिकायत नहीं.. हाँ अगर हो सके तो इस मृग की पीड़ा कभी उपहास ना बने इतना अवश्य ध्यान रखना...क्यूंकि तुम मेरी प्रेरणा हो... ! इस संसार में नहीं मेरी कल्पनाओं में सही मगर मेरी दृष्टि में तुम हमेशा निर्विकार हो आदर्श हो अनमोल हो..!

©अज्ञात #अभिव्यक्ति
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