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Sangeeta Patidar
तुमने पूरा हक दिया था 'मेरा' कहलाने का, तुम ही कहो, 'थोड़े' में कैसे गुज़ारा कर लूँ? किया था वादा तुमने तो 'ज़िन्दगी-भर' का, तुम्ही कहो, 'दिनों' में कैसे किनारा कर लूँ? कहा था आँसुओं को कभी बहने नहीं दोगे, तुम्ही कहो, 'बेहाली' में कैसे बहारा कर लूँ? कैसे यक़ीन दिलाऊँ मैं अपने तन्हा मन को, तुम ही कहो, 'मैं-तू' में कैसे 'हमारा' कर लूँ? काश! सिर्फ़ यूँ ही बातों से हो जाता हिसाब, तुम्ही कहो,साझेदारी में कैसे इजारा कर लूँ? इजारा- Monopoly Rest Zone आज का शब्द- 'हिसाब' #rzmph #rzmph163 #हिसाब #sangeetapatidar #ehsaasdilsedilkibaat #yqdidi #rzhindi #life
khadimali lalani
हर शाम से तेरा इजार किया करते है , हर ख्वाब मे तेरा दीदार किया करते है , दिवाने ही तो है हम तेरे , जो हर वक़्त तेरे मि
Shiva Ji Sen Gold
१२२//१२२//१२२//१२२ नजर से नजर का नजारा करेगें भरी बज्म में हम इशारा करेगें//१ बनाना तुझें जुर्म है दोस्त अपना यही जुर्म तो हम दुबारा करेगें//२ अगर हो सके तो हमें साथ ले लो सफर में तुम्हारा सहारा करेगें//३ पशेमान होकर मिलेगा हमें क्या खुदा ने जो दी है गुजारा करेगें//४ गली में बनाएँगे तेरे मकां हम हरिक दर्द का फिर इजारा करेगें//५ सियासत की चलने लगीं है हवाएं गरीबो को नेता पुकारा करेगें//६ बहुत नाज करते हो जिसका "शिवाजी किसी रोज तुमसे किनारा करेगें//७ ______________________शिवाजी सेन "गोल्ड" ©Shiva Ji Sen Gold मापनी____________________ १२२//१२२//१२२//१२२ नजर से नजर का नजारा करेगें भरी बज्म में हम इशारा करेगें//१ बनाना तुझें जुर्म है दोस्त अपना यह
Shiva Ji Sen Gold
१२२//१२२//१२२//१२२ नजर से नजर का नजारा करेगें भरी बज्म में हम इशारा करेगें//१ बनाना तुझें जुर्म है दोस्त अपना यही जुर्म तो हम दुबारा करेगें//२ अगर हो सके तो हमें साथ ले लो सफर में तुम्हारा सहारा करेगें//३ पशेमान होकर मिलेगा हमें क्या खुदा ने जो दी है गुजारा करेगें//४ गली में बनाएँगे तेरे मकां हम हरिक दर्द का फिर इजारा करेगें//५ सियासत की चलने लगीं है हवाएं गरीबो को नेता पुकारा करेगें//६ बहुत नाज करते हो जिसका "शिवाजी किसी रोज तुमसे किनारा करेगें//७ ______________________शिवाजी सेन "गोल्ड" ©Shiva Ji Sen Gold मापनी____________________ १२२//१२२//१२२//१२२ नजर से नजर का नजारा करेगें भरी बज्म में हम इशारा करेगें//१ बनाना तुझें जुर्म है दोस्त अपना यह
रजनीश "स्वच्छंद"
खुद से भी किनारा करता हूँ।।। टूटे बिखरे ज़मीर को अपने, अपलक निहारा करता हूँ। अपने भी पीछे छूट गए, खुद से भी किनारा करता हूँ। टूट साख गिरा जमीं पर, हवा न थी, पतझड़ भी नहीं, रौशन भी नहीं, न तेज रहा, खुद को सितारा कहता हूँ। मूक रहा, बधिर रहा, बापू के तीन बन्दर सा भी नहीं, हाथ जुड़े औ पांव बंधे, नत आंखों से इशारा करता हूँ। विवेक रहा संवादहीन, थी कलम रही निर्बल सी पड़ी, धुलसनी किताब पड़ी, खुद को इल्म पिटारा कहता हूँ। पनघट पे बैठ रहा प्यासा, पानी का आना जाना रहा, मनभूमि बंजर थी पड़ी, नदियों को इजारा करता हूँ। गैरों की बातें चुभने लगीं, अपने जला कर चले गए, डूब रहा अब ग्लानि में, तिनके को शिकारा कहता हूँ। ©रजनीश "स्वछंद" #NojotoQuote खुद से भी किनारा करता हूँ।।। टूटे बिखरे ज़मीर को अपने, अपलक निहारा करता हूँ। अपने भी पीछे छूट गए, खुद से भी किनारा करता हूँ। टूट साख गिरा ज
Tejas Hansraj Mane_Patil
तेरे चेहरे की कशिश थी कि पलट कर देखा वर्ना सूरज तो दोबारा नहीं देखा जाता #. मोहसिन नक़वी अश्क अपना कि तुम्हारा नहीं देखा जाता अब्र
Vishal Vaid
बंसी सब सुर त्यागे है, एक ही सुर में बाजे है हाल न पूछो मोहन का, सब कुछ राधे राधे है ज़ुबैर अली ताबिश ये हवा कैसे उड़ा ले गई आँचल मेरा यूँ सताने की तो आदत मिरे घनश्याम की थी परवीन शाकिर जिस की हर शाख़ पे राधाएँ मचलती होंगी देखना कृष्ण उसी पेड़ के नीचे होंगे बेकल उत्साही कहे जाती है ऊधौ से ये रो रो कर के हर गोपी बता अब कब सताएँगे मुझे मिरे किशन आख़िर अदनान हामिद रौशनी ऐसी अजब थी रंग-भूमी की 'नसीम' हो गए किरदार मुदग़म कृष्ण भी राधा लगा इफ्तिखार नसीम न किसी गीत से रग़बत न शग़फ़ नग़्मों से सिर्फ़ मीरा के भजन सुनता है कान्हा दिल का लकी फारूकी हसरत कल GITANJALI ने एक बेहतरीन लेख पोस्ट किया था, उसको पढ़ते हुए मन में कई विचार आए, कई शेर याद आएं । तो सोचा आज कुछ सांझा करता हूं आप सब से।