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sachu bihaniya
यह शहर है इसे शहर रहने दो और दर्द ही तो है सहने दो इश्क मे हमे पागल कहते है पागल है कहने दो सहने दो
Writer @143
अब तो गम सहने के आदत सी हो गई हैं। रात को छुप छुप कर रोने की आदत सी हो गई है। बेवफा हैं,, खेल मेरे दिल से जी भर के,, हमे तो अब चोट खाने की आदत सी हो गई है ©Writer #ballet सहने
Himaani
हम तो बचपन से दर्द लिए बैठे हैं एक तेरा दर्द और मिल गया तो कौन सा ज्यादा वजन बढ़ जाएगा ©Himaani दर्द सहने की शक्ति
Manish sahu
ज़रा मेरे पसीने को बहने दो यार मुझे अब तो बढ़ने दो दो जून की धूप में जिंदा हूं भूख लगी है, मुझे भी तो कहने दो।। तबियत बिगड़ी, मेहनत ना रुके नींद आए, पर तन ना थके दर्द कहें की अब मुझे भी सहने दो ज़रा मेरे पसीने को बहने दो यार मुझे अब तो बढ़ने दो।। ©मnish. दर्द सहने दो #Nofear
अनुषी का पिटारा "अंग प्रदेश "
अपनी दर्द को तुरपय कर लो.. इसे ऐसे कैसे पहनोगे ??? यह तो देती रहेगी दुनिया ... चाहे जितनी जुर्रत कर लो?? आँसू आँखों में है तो क्या हुआ ?? उसे यूँ क्यों बहाओगे..... ज़िंदगी जितोगे तब जब हिम्मत से किरदार निभाओगे....!! ©Anushi Ka Pitara #दर्द #सहने #कि #हिम्मत #Dark
Akshit Ojha
ये फिक्र ,ये इलतजा, ये साजिशें रहने दो, मानते हो ना गुनहगार,वही सह रहा हूँ, सहने दो 😚 सहने दो #yourquote #minequote #thoughts #words
Ek villain
पंजाब के फिरोजपुर में प्रधानमंत्री के काफिले को रोकने वाले प्रदर्शनकारी महज कुछ ही घंटे फ्लाईओवर पर रहे होंगे लेकिन उनकी हरकतें ने देश की स्तंभ कर दिया इसलिए कह दिया है क्योंकि इसके पहले ऐसा कभी नहीं हुआ कि पुलिसकर्मियों की मौजूदगी में प्रदर्शनकारियों की ओर से रास्ता रोक लेने के कारण प्रधानमंत्री काफिले को वापस लौटाना पड़ा और वह भी करीब 20 मिनट तक ठहरने के बाद यह स्वभाविक इससे प्रधानमंत्री की सुरक्षा पर गंभीर चूक के तौर पर देखा जा रहा है इन सवालों के जवाब की सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित जांच समिति की रिपोर्ट की प्रतीक्षा करनी होगी प्रधानमंत्री का काफिला किन कारणों से रुका क्या इसके पीछे साजिश थी कि फिर यह आशा वालों को चाहते जो जवाब हो फिरोजाबाद में उसके पीछे उसकी जान बाघ को उसके अराजकता धरने में भी दिल्ली के रास्ते को करीब 100 दिन तक बाधित रखा गया और कृषि कानून विरोधी उस आंदोलन में भी करीब एक साल तक दिल्ली के ही समान दिला को को सड़कों का विरोध बना रखा था रास्ते क्यों रो रहे एक तो इस कारण कर सरकार और जनता का परिचय दे रहे हैं साइन बाग के पदाधिकारियों के रास्ते नहीं हटा सके और दूसरे सुप्रीम कोर्ट ने भी इस अराजकता की अनदेखी की साइन बाग के करीब 3 माह तक लाखों लोगों का रास्ता रोकने रहे लोग इसके गंतव्य तक पहुंचने के लिए अपना कीमती वक्त जाया करते थे इन लोगों को पीड़ा किसी ना किसी ©Ek villain # अराजकता को सहने का नतीजा #Lohri