Nojoto: Largest Storytelling Platform

New असमय मृत्यु से सुरक्षा Quotes, Status, Photo, Video

Find the Latest Status about असमय मृत्यु से सुरक्षा from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, असमय मृत्यु से सुरक्षा.

    PopularLatestVideo

RAHUL VERMA

प्रेम की।मृत्यु आंशिक मृत्य

read more
.... प्रेम की।मृत्यु आंशिक मृत्य

Ahamad naved

सड़क सुरक्षा जीवन रक्षा #शायरी

read more
mute video

Tansinghbhati Rajgarh

कोरोना से सुरक्षा।

read more
घर पर रहो।
सुरक्षित रहो। कोरोना से सुरक्षा।

Parasram Arora

मृत्यु से संवाद #विचार

read more
ऐ  मृत्यु
कितना अहंकार है तुझे अपने  अस्तित्व पर.
क्योंकि सारा जगत  इस  सचाई को
जानता है कि तू कितनी भयंकर
कितनी बलवान और कितनी दुखदाई   है
और तू फूली नही समाती  ज़ब तू जड मूल से.
किसी को मिटा देती है
किन्तु तू शायद नही  जानती कि आदमी कितना
सकून पा जाता है और तू  मात्र गुलाम बन
कर रह जाती है उन हताश लोगो की
शयद तू ये भी नही जानती कि अफीम और पोस्त 
की एक मामूली सी खुराक  तुमसे कही  ज्यादा सशक्त है ..... क्योंकि  वो भी  बेहोश  करके 
आदमी को सुला सकती है  वो भी लम्बी अवधि   तक. फिर तेरा ये ग़ुरूर महत्वहींन नही तो क्या है?

©Parasram Arora मृत्यु  से संवाद

Kuna Poetry

मैं दुनियाँ के प्रत्येक नारियों का सम्मान 
                          जन्म देने वाली माँ, कलाइ पर राखी बांधने वाली बहन , लोरियां सुनने वाली दादी-नानी-माँ , साथ निभाने वाली अर्धांगिनी , हीरो बताने वाली बेटी जैसे करने का वचन देता हूँ ।
#अंतरराष्ट्रीय_महिला_दिवस_की_शुभकामनाएं

आप भी करो कि......

जड़ है जिंदगी की नारी
अपने खून से सींचकर बनाई है जिंदगी ये तुम्हारी
खुद खाई रूखी सुखी
तेरे लिए बनाती खुआ-मलाई

खुद दर्दों की पीड़ाएँ सहती 
पर तेरे लिए हर पल खुशियों की दुआएं करती

वेदों ने जिसे देवी कहा
बताया पूज्यनीय जिसे
है ईश्वर के रूप में 
तेरे साथ हरपल

गर्भ में रख खून से सींचने से
कलाई पर राखी बांधने तक ही नही
जिंदगी के हर मोड़ पर साथ निभाने को अर्धांगिनी बन तेरे
हर किसी मे तुझसा हीरो देखने वाली तेरी लाडली के रूप में..........

हो रामायण या हो महाभारत ना होता कि 
नारियों की शक्ति को जो नजरअंदाज न किया होता......

अहिंसा की हो या हो रणक्षेत्र
कभी सरोजिनी तो कभी बनी झांसी की रानी

यातनाएं सही जो समय के दौर का
फिर भी रही अडिग, अटल , निर्मल ,निश्छल ,प्रेमामयी, जीवनदायनी ढाल बनकर 
उस ईश्वर-स्वरूप नारी शक्ति को 
है मेरा कोटि-कोटि प्रणाम बारंबार !!

            ----कुन्दन
रचना:-08.03.2019 #नारी #सम्मान #सुरक्षा #रक्षा #कर्तव्य #जीवन_का_आधार

HP

मृत्यु से डरें क्यों ?

read more
मृत्यु क्या है, इसके सम्बन्ध में अनेक प्रकार की बातें जनता में फैली हुई हैं। परन्तु जीवन और मृत्यु का वास्तविक रूप क्या है? इसके ऊपर पुराने आचार्यों ने बहुत कुछ लिखा है। आत्मा को नित्य कहा गया है और शरीर अनित्य बतलाया है। आत्मा और पंच भौतिक शरीर के संयोग का नाम जीवन है और इनके वियोग का नाम मृत्यु है। यदि मृत्यु का परिणाम सोचा जावे तो यह सुखप्रद ही ठहरती है। जीवन और मृत्यु दिन और रात के समान हैं, यह सभी जानते हैं कि दिन काम करने के लिये और रात आराम करने के लिये है। मनुष्य दिन में काम करता है काम करने से उसके अन्तःकरण, मन, बुद्धि आदि बाह्यकरण, आँख, नाक, हाथ, पाँव, आदि सभी थककर काम करने के अयोग्य हो जाते हैं। और तब तक कुछ भी नहीं कर सकता इस प्रकार शक्ति का ह्रास होने पर रात्रि आती है दिन में जहाँ मनुष्य के शरीर के भीतर और बाहर की सभी इन्द्रियाँ अपना काम तत्परता से करती थीं, अब रात्रि आने पर मनुष्य गाढ़ी निद्रा में सो जाता है, अन्तःकरण और बाह्यकरण सभी विश्राम करते हैं। काम करने से जैसे शक्ति का ह्रास होता है वैसे ही विश्राम से शक्ति का संचय होता है। पुनः दिन आने पर मनुष्य उन शक्ति से काम लेता है फिर रात्रि आने पर शक्ति का भंडार भर दिया जाता है।यह काम भगवान की शक्ति से बिना किसी भूल के अनादि काल से चला आ रहा है। इसी प्रकार जीवन काम करने के लिये और मृत्यु विश्राम करने के लिये है। मनुष्य सारे जीवन काम ही काम करता रहता है, जरा भी विश्राम नहीं लेता है। बालकपन से लेकर जीवन के अन्तिम समय तक आत्मा को चैन नहीं मिलता है। वृद्धावस्था में काम करने के पुर्जे क्षीण होने लगते हैं, बड़ी कठिनता से काम करते हैं, अनेकों पुर्जे ऐसे निकम्मे और नष्ट-भ्रष्ट हो जाते हैं कि उनके सारे काम ही बन्द हो जाते हैं। जब मनुष्य किसी काम करने योग्य नहीं रहता है, दिन रात चारपाई पर पड़ा रहता है तो भी चिन्ता चिता से, तृष्णा की भँवर से, मुक्ति नहीं पाता है। शक्ति के क्षीण हो जाने से वह अनेकों कष्ट पाता है, तभी मृत्यु देवी आकर मनुष्य पर कृपा करती है। और आराम देकर निकम्मापन दूर करती है। जिस प्रकार मनुष्य रात्रि में आराम करके प्रातःकाल नवीन शक्ति नवीन स्फूर्ति को लेकर जाग उठता है, उसी प्रकार जीवन रूपी दिन में काम करके थककर मृत्यु रूपी रात्रि में विश्राम करके मनुष्य जीवन के प्रातःकाल में नवीन शक्ति और सामर्थ्य से युक्त बाल्यावस्था को प्राप्त होता है। जहाँ बुढ़ापे में हाथ पाँव हिलाना कठिन हो गया था सारा शरीर नष्ट-भ्रष्ट हो रहा था, जो दूसरों के देखने में भयंकर था, वही मृत्यु से विश्वान्त हो मनोहर मृदु दर्शनीय रूप में परिणत हो गया। बालक को जब देखिये, वह कुछ न कुछ चेष्टा करता होगा। इस प्रकार अच्छी तरह समझ में आ गया कि मृत्यु दुख देने के लिए नहीं सुख देने के लिये ही आती है। मृत्यु से डरें क्यों ?

HP

मृत्यु से डरें क्यों ?

read more
गीता में भी भली भाँति दर्शाया गया है--

वासाँसि जीर्णानि यथा विहाय नवानि गृह्णाति- नरोऽपराणि। तथा शरीराणि विहाय जीर्णान्यन्यानि संयाति नवानि देही॥

अर्थात् जिस प्रकार मनुष्य फटे-पुराने वस्त्र छोड़कर नए वस्त्रों को ग्रहण कर लिया करता है उसी प्रकार आत्मा जीर्ण और निकम्मा शरीर छोड़ कर नया शरीर ग्रहण कर लेता है। भला कभी किसी को देखा या सुना है कि पुराने वस्त्रों को छोड़ कर , को मिले हैं वे सब प्रयोग मात्र के लिये हैं। यदि कोई उनको अपना ही मान कर छोड़ना न चाहता हो वही दुःख उठाएगा। एक मनुष्य किसी जहाज पर सवार होता है उसे प्रयोग के लिये उसमें कई चीजें मिलती हैं। यात्रा के बाद यदि वह उन वस्तुओं में ममता जोड़े और उनको छोड़ना न चाहे तो उसे दुःख के सिवा और क्या मिलेगा। और जो यात्रा के बाद चुपचाप किसी वस्तु से मोह न लगा कर चल देते हैं, उन्हें कोई कष्ट प्रतीत नहीं होता । इसी प्रकार मृत्यु के समय जिन्हें अपने शरीर, धन, कुटुम्ब से ममता है उसे छोड़ना नहीं चाहते हैं वह दुःख का अनुभव करते हैं। और जिन्होंने समझ लिया कि यह मेरा नहीं यह तो सब कुछ मुझे मार्ग में सुविधा के लिये मिला था, यह तो मेरा है ही नहीं उसे मृत्यु से कोई कष्ट नहीं होता। क्योंकि यदि कोई किसी वस्तु को छोड़ना न चाहे और कोई छुड़ा ले तो उसे बड़ा कष्ट होता है और यदि वह स्वयं ही छोड़ने को तैयार हो तो किसी के छुड़ा लेने पर उसे कुछ भी दुःख न होगा। इस प्रकार मृत्यु से डरना न चाहिये क्योंकि मृत्यु सुख देने वाली है परन्तु तभी जब कि साँसारिक पदार्थों में प्रयोग के अतिरिक्त आसक्ति , माया, ममता न हो? इसलिये मनुष्य को ममता के चक्र से अपने को मुक्त रखना चाहिये कि जिससे मरने में कष्ट न हो। मृत्यु से डरें क्यों ?

Dr. Vishal Singh Vatslya

घर रहिएगा, सुरक्षित रहिएगा खुद की सुरक्षा, सबकी सुरक्षा #कोरोना_वायरस #कोरोना #365days365quotes #solutionofproblem #yourquotedidi you #yourquotebaba

read more
" कोरोना के दौर में गारंटी, 
  वारंटी की इच्छा ना रखें 
  घर पर रहें और मस्त रहें ..."
 घर रहिएगा, सुरक्षित रहिएगा 
खुद की सुरक्षा, सबकी सुरक्षा 
#कोरोना_वायरस #कोरोना 
#365days365quotes 
#solutionofproblem 
#yourquotedidi 
#you

Kavi Himanshu Pandey

मृत्यु से जंग यदि जीते.. #Poetry

read more
mute video

Jyotsna Mishra

#जन्म - मृत्यु से कौन बचाएगा? #विचार

read more
mute video
loader
Home
Explore
Events
Notification
Profile