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पूर्वार्थ
टुकड़ा भर हूं अभी तो टुकड़ा भर हूं,ख़ुद को समेट लिया तो आसमां बनुंगा बादलों से थोड़ी ऊपर हूं,आसमां तो अभी नहीं हूं, महकती बूंदों की तरह,रिमझिम बरसात बनूंगा कोई गीत बनूं या संगीत बनूं तेरे दिल में बजने वाली सितार बनूंगा कोरे कागज पे अरमां लिखूंगा अपने ही प्यार की पूरी कहानी लिखूंगा अभी तो टुकड़ा भर हूं ख़ुद को समेट लिया तो कोई कहानी बनूंगा कुछ भींगे अल्फाज़,नहीं रुकते जो तेरे लिए जज़्बात और अपनी सारी परेशानी लिखूंगा,अभी तो टुकड़ों में हूं जब तुमसे मिलूंगा तो,इतिहास की मानिंद अनोखी कहानी बनूंगा। अभी तो टुकड़ों में हूं ख़ुद को समेट लिया तो आसमां बनूंगा जो अंधेरे को रौशन करे वो उजियारा बनूंगा जो जीवन रौशन कर दे,अपने प्रकाश से चमकने वाला वो इकलौता मैं,ध्रुवतारा बनूंगा। गुजरे वक्त सा,ना कभी गुजरुंगा, चमकूंगा जीवनपथ पे मैं वो इकतारा बनूंगा,इतना सुरमयी होगा जीवन जिसकी ना किसी ने कोई,कल्पना की होगी अभी तो टुकड़ों में हूं,ख़ुद को समेट लिया तो आसमां बनूंगा। इक ही दिल है मेरा,कई दिलों का सहारा बनूंगा जोडूंगी लोगों को मानवता से अहंकारियों को बियाबान दिखलाऊंगा जीवनपथ पर मैं,इक नेक रास्ता चुन सबको सही राह दिखाऊंगा। अभी तो टुकड़ों में हूं ख़ुद को समेट लिया तो आसमां बनूंगा।। ©purvarth #टुकड़ाहु
Anuj Ray
मैं टुकड़ा टुकड़ा बिकती थी" हर शाम बैठती थी मंडी, मेरी दुकान भी सजती थी। दस बारह हाथों में हर दिन, मैं टुकड़े-टुकड़े बिकती थी। ऐसा ही होता था हर दिन, ख़ून के आंसू रोता था मन। पैनी पैनी चोंचों से घायल हो मैं मरी गाय सी नुचती थी। एक उदर क्षुधा की अग्नि ने, ये कैसी क़िस्मत कर दी थी। हर रोज़ सुबह ज़िंदा होती , हर शाम को तिल तिल मरती थी। ©Anuj Ray #मैं टुकड़ा टुकड़ा बिकती थी
Aryan Shivam Mishra
माना तेरी मुहब्बत ने शायर बना दिया पर हम सराबी तो नहीं तुझे ना अच्छे लगे तो ना सही पर इसका मतलब ये हम हरामी तो नहीं और मेरी फिक्र ना करो साहब हम जोड़ लेंगे खुद को इक टुकड़ा टूटा है जिस्म का पूरे जिस्म में कोई खराबी तो नहीं ©Aryan Shivam Mishra #टुकड़ा
Rajesh Khanna
खोल के देख मेरा दिल तेरी मोहब्बत से भरा पायेगा आंखें खोलकर देखना जारा तेरी मोहब्बत के सिबा किसी और के लिए मोहब्बत का टुकड़ा नहीं पायेगा ©Rajesh Khanna टुकड़ा #lonely
शा़यर बाबु
जिगर का टुकड़ा तुझे क्या पता की मेरे जिगर का टुकड़ा है तू जिस चाँद को देख कर हीं सब दिवाने हो जाते हैं वो चाँद का मुखड़ा है तू बता नहीं सकता तू क्या है हमारा बस! इतना समझ ले की मेरे रग-रग में बिखरा है तू जिगर का टुकड़ा........
Neeraj Kumar
सिमट गया वो कागज का टूकड़ा बारिश में भीग कर यादें भी धुल गयी मिट कर अाखरी निशानी थी मगर मेरे ज़हन में लिखे पड़े है जो पढ़ें थे मैने रट रटकर कागज का टुकड़ा
Poonam Pandey
चाँद का टुकड़ा क्यों न करे वो गुरूर अपने खुबसूरती का वो चांद का टुकड़ा नहीं, चांद टुकड़ा है उसके चेहरे का #चंड का टुकड़ा