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Parasram Arora
मै नहीं जानता क़ि विस्थापित सौंदर्य क़े वे अभूतपूर्व दृश्य मेरे गीत को कौनसे संदर्भ दे जाएंगे? इतना भर जरूर कहा जा सकता है क़ि वे अभूतपूर्व काल्पनिक दृश्य कभी विस्थापित सत्य क़े सहोदर जरूर रहे होंगे ये सम्भव है क़ि वे मेरे गीत क़े छन्दों को भावुक क्षण देकर कभी भी कालांतर मे भाषा की बीहड़ मे लुप्त हो जाएँ और मेरे गीत का सौंदर्य निखरने से . पहले अधमरा घोषित हो जाय ©Parasram Arora विस्थापित सौंदर्य बनाम विस्थापित सत्य
Durga Banwasi Shiwakoti
https://youtu.be/Of3dGKXhosA ©Durga Banwasi Shiwakoti #विस्थापित
CalmKrishna
............................ ©CalmKrishna केंद्र से विस्थापित मत होना। #आदमी #सत्य #केंद्र #जीना #तरीका #Life #philosophy #centre
Abhishek Omer (omer_writes)
नफरत है तुझसे मुझे इल्म भी ना था,तेरी बेवफाई का, तेरे इश्क से,मेरे रुह की रिहाई का, महरुम होकर भी तेरी मोहब्बत से, मेैं तुझपे मोहब्बत बरसाएँ जा रहा था, तेरी हर गलती को,नादानी समझ के भुलाएँ जा रहा था, सोच रहा था इख्तियार है मेरा तुझपे, पर तेरा इश्क तो मुहाजिर था मुझसे, तेरी सोहबत के लिए हर सितम सहा मैंने, और रकीब को रहनुमा बना लिया तूने, इन आँखों ने कभी तसव्वुर भी ना किया था, कुछ ऐसा होने का..,पाने से पहले तुझे खोने का.... यकीन आता ही नहीं किस्मत पर मेरी, जिनमें खो गया वो फरेबी बातें थी तेरी, इश्क बेपनाह था तुझसे, पर अब.......मुझे नफरत है तुझसे । - अभिषेक ओमर ©omer_writes hindi meanings इल्म - जानकारी महरुम - जो कुछ पाने से रह गया हो। इख्तियार - अधिकार मुहाजिर - विस्थापित हो जाना,दूर हो जाना सोहबत - संगत सितम
Unconditiona L💓ve😉
संसार की परिकल्पनाओ में, एक तुम्हारी कल्पना करना और तुमसे कृष्ण की,तुम ह्रदय में कृष्ण को इंगित करना कुछ शेष नहीं रह जाएगी समझने.. को //कृष्ण पगली // तुम्हारी अधूरी बातें नहीं समझ पाती,, हाँ मैं तुम्हें समझ पाती और नहीं समझ सकती पर प्रयास करती रहूँगी। पहले उलझाना, बातों को घुमाना और खुद ही
Sunita D Prasad
#जब मिलूँगी..... तुमसे मिलने पर संभवतः न बता पाऊँ दिवस और तिथियों के व्यतीत होने की असमान गति! पर फिर भी यह तय है कि लंबे दिनों का लंबी रातों में परिवर्तित होना अनायास ही नहीं हुआ! कुछ क्षण पुनः जीने की एक तीव्र उत्कंठा के संग ही विदा हो गए मैं कहाँ नकारती हूँ इच्छाओं के प्रति अपना मोह! पर दिवस के अंत में फिर एक फूल के झरने का दुःख धरा वहन नहीं कर पाती कठिन है परिचित स्मृतियों में स्वयं को ही अपरिचित पाना! तुम भी तो जानते हो कि किसी भी भाषा के लिए आसान नहीं है हृदय से विस्थापित प्रेम की मंथर पीड़ा को आजीवन ढोना! जब मिलूँगी तो तुम्हारे कंधे से सिर टिकाकर शायद तुम्हें समझा पाऊँ एक पुष्प की चिरकालीन यात्रा प्रेम की विरामचिह्नों रहित भाषा और धरा के दुःख!! --सुनीता डी प्रसाद💐💐 #जब मिलूँगी..... तुमसे मिलने पर संभवतः न बता पाऊँ दिवस और तिथियों के व्यतीत होने की असमान गति! पर फिर भी यह तय है कि लंबे दिनों का
Dr Jayanti Pandey
मैं वापस आऊंगा मां (पूरी कविता अनुशीर्षक में पढ़ें) जब भी किसी लामा को देखती हूं तो उनकी कभी न खत्म होने वाली पीड़ा भी दिखाई देती है। पीड़ा अपनी मातृभूमि को न देख पाने की, जद्दोजहद अपनी संस्कृ
Vishal Vaid
मुल्क तकसीम हुआ और आधा हो गया सबको लगा दूसरे के पास ज्यादा हो गया आवाम की किसे फिक्र थी बँटवारे के दौर में वो तो बस वज़ीर के हाथ का प्यादा हो गया। हुआ यूँ फिर नफरतों की नुकीली तलवारों से मर्यादा पुरुषोत्तम का देश बे मर्यादा हो गया । #रमज़ान_कोराकाग़ज़ रमज़ान तेरहवाँ दिन देश का विभाजन एक अत्यंत दर्दनाक, और मार्मिक घटना थी। भारत और पाकिस्तान दो अलग-अलग मुल्क बन गए. धर्म के आध
Agrawal Vinay Vinayak
[ Read Captain ] एक बात को मैं बङी देर से चिंतन कर रहा हूं कि अपने बिहार राज्य से बाहर लगभग 25-30 लाख लोग मजदूरी करने दुसरे राज्यों में जाते हैं। दुसरी बात ज
अशेष_शून्य
Music 🎶 is the ultimate Magic of this universe.— % & छत के कोने पर खड़ी थी अचानक पक्षियों के झुंड की चहचहाट ने ध्यान खींचा अपनी ओर; उनकी आवाज में एक सुकून का आभास हुआ ठीक वहीं भाव जो स्कूल से