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Saudagar Mastud
Happy Holi 💗 होली कब है, कब है होली, कब... "😅🔥🤔 ©Saudagar Mastud #Holi होली कब है, कब है होली, कब...
Priyanshu Mishra
अब मैं बैठ नही सकता। खुद को सीसे में देख नही सकता। समाज यही हैं अपना, जहां बेटियों को आज़ादी नही, क्या ये देश की बर्बादी नही। बैचैन कब तक रहू, मैं अपनी गुहार किससे कहु, माँ है, बेटी है, बेहेन है वो अपनी मैं इन दरिंदों को देख अब देख नही सकता। फाँसी की बात, कम हैं अब यहां सजाएं मौत कम हैं अब इनका हस्सल ये कर जाओ कि कोई देख न सके। फिर इन जैसा कोई अपनी माँ बेटी बहनो पट बुरी क्या अच्छी नज़रो भी फेक न सके। बस हो गया अब तुम संकल्प लो तुम प्रण लो तुम अपने देश की इज़्ज़त बचाओ।। कब कब देश को लूटोगे।।
गौरव गोरखपुरी
अपनी नाकामयाबियों को छुपा कर खुद से कहां तक - कब तक छिपोगे कभी तो आइने से नजर मिल ही जाएगी कितने कांच तोड़ोगे , कितने आइने लिपोगे नकाब - मुखौटे सब घिस जाते है , सच्चाई चीज है ऐसी फट कर जाल हो गई है उम्मीदें तुम्हारी अब नए ख्वाब बुनो, अरे ! पुरानी यादें कितना सीलोगे पुरानी यादें को दफन करो अब नए ख्वाब जिंदा करो अरे पत्थर तो पत्थर है हीरा समझ कर कब तक घिसोगे आखिर सच कड़वी क्यों लग रही है कितने जबानो पर ताला लगाओगे कितनो के मुंह सिलोगे कितने मुंह की बात छिनोगे #Poetic_Pandey #कब
tasleem ansari meaning psychology expert
दीपावली हर साल आती है लेकिन दिलवाली पता नहीं कब आयगी real fact writer tasleem कब
Avi Bajpai
बरसों तक खुद को मश्गूल रखा दुनियदारी में, चाहत एक ही थी कि निकल जाओगी दिल से तुम। झांक कर देखा दिल मेंअभी तक यहीं हो तुम, मसायल-ऐ-जिंदगी की फकत् दो ही वजह दिखीं, एक आस्तीं चढ़ाने की आदत एक तुम। #कब
विजय
सविंधान बचाने निकले थे देश बचाने कब निकलोगे दीन की चिंता करनेवाले दीन का सुध तुम कब लोगे बिरयानी की दावत देने वाले भूखे को रोटी कब दोगे देश को तुम जगाने वाले नींद से खुद तुम कब जागोगे मानव-अधिकार के रक्षक थे मानव की रक्षा करने कब निकलोगे हर शख्स को नसीहत देने वाले फैली महामारी पर नसीहत कब दोगे हर शहर शाहीन बनाने वाले मजलूमों को छत तुम कब दोगे जमात में पैसा बरसाने वाले खैरात में पैसा तुम कब दोगे सवाल सिर्फ पूछने वाले अपनो को जवाब कब दोगे ख़ुदा को तुम चाहने वाले ख़ुदा के बंदों को कब चाहोगे By:-VIJAY कब
नन्हीं कवयित्री sangu...
.....कब.....? ये गम की रात कब मिटेगी खुशियों का सवेरा कब होगा...। टूट चुका तन- मन दिल जुड़ने का आगाज़ कब होगा....।। सब पराए - पराए कह रहे अपनेपन का एहसास कब होगा....। जमी पड़ी है नफरत की बर्फ ये पिंघले ऐसा बुखार कब होगा......।। दुखो से भरा पड़ा है घर खुशियों का संसार कब होगा......। कोई दिल से चाहे मन को भाए ऐसा इकरार कब होगा......।। .............. ©नन्हीं कवयित्री sangu... #कब ?