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Ali sir (A+A)

ग़ज़ल

ग़ज़ल

212 Views

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Veena Khandelwal

#ग़ज़ल

मुहब्बत जब करें आँखे , इबारत ही नहीं होती।
दिखावे की ज़ताने की,लियाकत ही नहीं होती।

सफीने दिल लिखी मेरे ,इबारत तुम ज़रा पढ़ लो।
उसे इज़हार करने की  , ज़रूरत ही नहीं होती।

नज़ाकत है अदाओं में,नज़ारत से भरा चेहरा।
इशारों से अगर छेड़ूं  , शरारत ही नहीं होती  ।

इबादत इश्क को समझे,शिकायत हो ना इक दूजे।
मुहब्बत में वहां यारों  , सियासत ही नहीं होती।

जहाँ दो प्यार करते दिल,दो तन  इक जान हो जाये 
खुदा जाने बड़ी इससे , इनायत ही नहीं होती।

करी माँ बाप की सेवा, खुशी दामन भरे उनके।
बड़ी इससे कभी कोई  , इबादत ही नहीं होती।

हया आँखों में थोड़ी हो,जरा हो चाल गजनी सी।
लबों मुस्कान हो ऐसी नज़ाकत ही नहीं होती।

मुहब्बत पास इतनी हो,मगर कुछ बंदिशें भी हो।
सम्हाले किस तरह दिल को,हिफ़ाज़त ही नहीं होती।

बिखर जाये मुहब्बत जब,बसा घर भी बिखर जाये।
तमन्ना हो ना जीने की ,कयामत ही नहीं होती।


नज़ारत=ताजगी
लियाकत=योग्यता,शालिनता ग़ज़ल

ग़ज़ल

8 Love

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के_मीनू_तोष

............. #ग़ज़ल
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Azhar Ali Imroz

ग़ज़ल
आँखे क्यों नम है
सब है तो हम है
हम में भी ग़म है
दुनिया क्यों‌ कम है 
धरती   पे  रन  है 
पीने  को   रम  है
जाती  तेरी  जो 
सब के सब सम है
छाती  में  ले कर 
चलते क्यों बम है
 तेरी जाँ ,जाँ  है
   तूँहीं   रूपम  है
         तुझ में भी क्या है?
       चींटी का दम  है
        जग में परिवर्तन   
       तूँ कैसा लम है
        जो जल,जम जाए 
      तूँ वैसा जम है 
       फिर इस धरती पे
         क्यों  होता धम है

    अज़हर अली इमरोज़
मतलब
रन ----युद्ध/युद्ध का मैदान
रम---विलायती शराब
रूपम___सौंदर्य/सुन्दर /गुनकारी ग़ज़ल

ग़ज़ल

24 Love

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दुर्गेश निर्झर

मतला, मकता, काफ़िया या रदीफ;
मैं तो तुझे ही अश आर लिखता हूँ॥ 
मैं ग़ज़ल नहीं तेरा प्यार लिखता हूँ॥
      
               ©दुर्गेश पण्डित #ग़ज़ल
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Irfan Abid

ग़ज़ल
غزل
आपको बा-शऊर होना था
दिल तो शीशा है चूर होना था
آپ کو با۔شعور ہونا تھا۔
دل تو شیشہ ہے چور ہونا تھا۔ 
हम मुहब्बत से क्या गिला करते
तुमको मिलना था दूर होना था
ہم محبت سے کیا گلہ کرتے۔
تم کو ملنا تھا دور ہونا تھا۔ 
सारी दुनिया से मुझे फर्क़ नही
तुमको मेरा ज़ुरुर होना था
ساری دنیا سے مجھے فرق نہیں۔
تم کو میرا ضرور ہونا تھا۔
मानता ही नही दिले-नादां
अहले-दिल थे फ़ुतूर होना था
مانتا ہی نہیں دل۔ناداں۔
اہل دل تھے فتور ہونا تھا۔
वो ख़ुदा तो नही ख़ुदा की क़सम
पर हसीं है गुरुर होना था
وہ خدا تو نہیں خدا کی قسم۔
پر حسینی ہیں غرور ہونا تھا۔
क्यूं सज़ा पा रहा है तू आबिद
तुझको तो बे-क़सूर होना था
کیوں سزا پا رہا ہے تو عبد۔
تجھ کو تو بے قصور ہونا تھا۔
عرفان عابد
इरफ़ान आबिद #ग़ज़ल
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Ceat Ltd.

ग़ज़ल

53 Views

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vivek singh

आपने गायीं ग़ज़लें और हमने सुनी।
दिल ❤️ को ठंडी आहों से यूं भर दिया।
आपकी मुस्कुराहट को हम क्या कहें,
सूना सा मेंरा आंगन हरा कर दिया।
   - विवेक ग़ज़ल

ग़ज़ल

11 Love

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संजय श्रीवास्तव

ग़ज़ल

ग़ज़ल

52 Views

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"Happy Jaunpuri"

ए खुदा क्यों कहर बरपा रहा है।
हर दिन चश्म से अश्क बरसा रहा है।।

बेबाकी से वो हमें खसारे में रख गए।
और जुर्म उसका हम पर ढा रहा है।।

ज़हमतों से घिरा हूं मैं,तेरी रहमत न है।
ऊपर से दीद को उसके जी तरसा रहा है।।

अब तो कुछ नई इब्तिदा करने दे मेरे मौला।
क्यों ज़िन्दगी में ज़ुल्मत बरपा रहा है।।
©"हैपी जौनपुरी"
(चश्म =आंख,।  इब्तिदा=शुरुवात
.ज़ुल्मत=अंधकार) #ग़ज़ल
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डॉ रूपा भावसार

#ग़ज़ल
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Firdous Khan

तेरे साथ की अब ज़रूरत नहीं है 
मैं हारी नहीं मुझको चाहत नहीं है 

तु ज़िन्दा है लेकिन मेरी धड़कनो में 
तु दिल में है बस तेरी शिरक़त नहीं है 

मेरा नाम कहने को फ़िरदौस है बस
मगर मेरी किस्मत में जन्नत नहीं है

-फ़िरदौस ग़ज़ल

ग़ज़ल #शायरी

6 Love

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Rahul Khan

पूछा था हमसे किसी ने,"तुम्हारी
 गजल अधूरी क्यों रह जाती है"

हमने भी मुस्कुरा कर कह दिया," सच्ची मोहब्बत और
अच्छी ग़ज़ल की खासियत है
 वे अक्सर अधूरी रह जाती हैं" ग़ज़ल

ग़ज़ल #शायरी

7 Love

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Mani_l

मिटा चुकी है हर निशान वो मेरी चाहत का,
मगर निशान जो रूह पर है वो मिटा ना सके।

चली मनमर्जिया उसकी मेरे हर आंसू पर,
मगर मेरी मर्ज़ी के बिना वो मुझे रुला ना सके।

मैंने 1 बार क्या, 2 बार क्या, 100 बार की कोशिश,
मगर ये नींद इन आंखो को सुला ना सके। ग़ज़ल।।।।

ग़ज़ल।।।। #शायरी

4 Love

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Bhanu pratap singh

ग़ज़ल

ग़ज़ल

45 Views

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(तरूण तरंग)तरूण.कोली.विष्ट

कुछ पाने के लिए कुछ तो खोना पडेगा
खुद को  बदलो  नही तो  रोना पडेगा

दर्द तुम्हारा यहाँ कोई नही समझेगा
खुद चुपचाप सहकर चलना पड़ेगा

ये अपने ही तुम्हे तुम्हारे गैर बतायेगे
गमों से सामना तुम्हारा जब पडेगा

जंग में  है धुरंधर ही  सभी यहाँ पर
जीतेगा वही जो अखिरी तक लडेगा

खुदा का नाम बदनाम करते यहां कई
मुक्कामल होगा वही जो नेक राह चलेगा

तैश में आकर तुम पूरा शहर जला बैठै
भूल गये घर तुम्हारा भी इसमे जलेगा

मोहब्बत से बोलना जान हाजिर करूगा
दुश्मनी लेना तरुण से जरा मेहगा पडेगा #ग़ज़ल
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Kamla Singh

ख़ुदा  जाने  क्या  आज  कल कह रही हूँ 
समझ लूँ कि  मैं  यह  ग़ज़ल  कह रही हूँ

जहाँ   आज   हैरत   जबां    पर  है  मेरी
कि  ठहरे  समुन्दर  को  चल कह रही हूँ

जो ज़िल्लत की चादर से लिपटा हुआ है 
उसी  ख़ूने - दिल  को  उबल कह रही हूँ

खुदा  उनके दिल  पर है शैतान क़ाबिज़ 
मुसलसल मैं  उसको निकल कह रही हूँ

जो  क़लमे  की  सौगात  लेकर  चला है 
उसी  राहे हक़  को  अमल  कह  रही हूँ

तलब  यूँ  ही  'ज़ीनत'  बढ़ी  आज मेरी 
कि दरिया के पानी को जल कह रही हूँ 

---कमला सिंह 'ज़ीनत' ग़ज़ल

ग़ज़ल

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vedaant hansabat

#Pehlealfaaz नज़र से गुफ़्तुगू, खामोश लब तुम्हारी तरह,
ग़ज़ल ने सीखें हैं अंदाज़ सब तुम्हारी तरह! #ग़ज़ल
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Adil Ali Khan

ग़ज़ल

ग़ज़ल

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संजय श्रीवास्तव

वो शायद मजबूर होगा 
दर्द मिला भरपूर होगा 

कौन परवाह उसका करे 
पास होकर भी दूर होगा 

सच वो कह देगा जरुर 
जब वो नशे में चूर होगा 

मत बुलाना अब कभी 
वरना इश्क बदस्तुर होगा 

तेरा साथ जो मिल गया 
कौन न अब मगरुर होगा 

मेरे हिस्से की धूप संजय 
रोशनी भी ----जरुर होगा 

संजय श्रीवास्तव ग़ज़ल

ग़ज़ल

7 Love

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💞Sk Siddarth💞

 ग़ज़ल

ग़ज़ल

4 Love

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Khushboo Malviya

#ग़ज़ल
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अनुराग "सुकून"

तुम नहीं अपनों को आजमाने दो,
 असली चेहरा सबको दिखाने दो!

 क्यों मना करते हो मुझे मुसलसल
जरा-सा अपने करीब तो आने दो !

है कितना वो झूठा क्या खबर है उसे
आज उसको ये सदाक़त बताने दो !

कितना मना किया था इश्क करने से
 तुम मत बहलाओ उसे आंसू बहाने दो !

मेरा दिल मुददतो से रूठा है मुझसे 
छोडो बहाने आज मुझे मनाने दो!

इतनी पाबंदियां न लगाओ इश्क में,
अब दो दिलों को एक हो जाने दो!
                  ......कविराज अनुराग ग़ज़ल

ग़ज़ल #शायरी

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Firdous Khan

कुछ माहौल नहीं और कुछ हसरत भी नहीं 

कैसे लिक्खे शेर हमें फुर्सत भी नहीं 

-फ़िरदौस ग़ज़ल

ग़ज़ल #शायरी

10 Love

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Firdous Khan

धक्के भी मारू तो फिर आ जाती है 

तेरी याद को तो कोई ग़ैरत भी नहीं 

-फ़िरदौस ग़ज़ल

ग़ज़ल #शायरी

10 Love

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Lalit Rang

कुछ देर सही बातें कर ले आख़िर तेरा प्यार हूँ
कल चला जाऊँगा मैं एक रात की बारात हूँ

छपी हुई है नई ख़बर क्या ऐ सनम पढ़के तो देखो
आया हुआ बहुत दूर से आज का अख़बार है

आके तो तुम देख जरा मिलता हर सामान यहाँ
हफ़्ते में दो रोज लगा गाँव का बाजार हूँ

बिन मेरे ओ जाने जाना यह सफ़र मुमकिन नहीं
दरिया की मौजों पे चलता कश्ती का पतवार हूँ

पास हकीमों के जाने से बेहतर समझा तेरा घर
फिर दवा दे या दे ज़हर मैं बहुत बीमार हूँ
                                                - ललित रंग

©Lalit Mishra ग़ज़ल

ग़ज़ल

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संजय श्रीवास्तव

जुल्म के खिलाफ बगावत जरुरी है
मुल्क से रखना  - मुहब्बत जरूरी है

यूं ही बनती नहीं  शरीफों की बस्ती
सबके लहजे में -  शराफत जरुरी है

कब तलक झूठ से उसको बहलाओगे  
कहना उससे  --    हकीकत जरुरी है

कब तक फिरोगे तन्हा इस सफर में 
राहे-मंजिल में -   रिफाकत जरूरी है

इतनी बेसब्री भी अच्छी नहीं संजय 
इश्क में उसकी   -  इजाजत जरुरी है ग़ज़ल

ग़ज़ल

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जगदीश निराला Jagdish Nirala

दुनिया के लिए.हज़ल बन गई
ऐ जि़न्दगी तुम ग़ज़ल बन गई!
हिज्र की रात.तेरा ही ख़याल.
स्याह शब तू.मशाल बन गई!
कैसे बताऊं.आलम दिल का.
चाँद फीका .मिसाल बन गई!
कल को किसने निराला देखा.
कमाल हे.मेरा रुमाल बन गई!
बबाल हो गया.पूरे ही शहर में.
मैं शिकार तू ही जा़ल बन गई!
बदनाम मैं.सरासर तू बच गया.
भरी मँहफिल में असल बन गई! ग़ज़ल

ग़ज़ल #शायरी

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