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चैतन्य गुँजाल
उसके लिए क्या लिखोगे जिसकी, स्वयं आप अभिव्यक्ति हों। जीवन जिससे प्रकाशित आपका, जीवन जिससे शक्ति हों। जिसके बिना नीरस हों जीवन, होने से जिसके भक्ति हों। हों जाएँ गर उसकी सब इच्छा पूरी, फिर मुझे क्या कुछ आसक्ति हों। त्याग प्रेम वात्सल्य स्वरूप माँ, अभाव से जिसके अशक्ति हों।। जन्मदिवस शुभ हों उनका, जो मेरे मन की तेजमूर्ति हों। माँ, जन्मदिवस की अनेकानेक शुभकामनाएँ, आप सदैव स्वस्थ्य एवं प्रसन्न रहे.. माता जी का जन्मदिवस
Er. Shailendra Kumar
माता पिता भले ही अनपढ़ क्यो न हो, लेकिन शिक्षा और संस्कार देने में जो, क्षमता देने में उनमें है वो, दुनिया के किसी स्कूलों में नहीं .. " वो ही माता पिता हैं.. " माता और पिता जी का शिक्षा...
Ajay Kumar
#Pehlealfaaz अब्दुल कलाम जी के पिताजी का फोटोग्राफ। डॉक्टर अब्दुल कलाम जी के पिता जी का प्रोग्राम।
Àñkït Õjhâ
मैंने कभी कहा नहीं, लेकिन यूँ आप हमे अकेले छोड़ गए एक पल भी नहीं सोचा किसकी उंगलियाँ थामेंगी ये नन्ही सी जान।। पिता जी
Raone
पिता (भगवान) यूँ तो भाग्य विधाता जग का, है कहलाता उपरवाला। थाल सजाकर हम भी पूजते, पाथर के उस मूरत को।। बिन स्वारथ सब दिया पिता ने, फिर भी ना हम इनको पहचाने। नहीं पिता है चाहे कुछ भी, अपनी इन औलादों से।। फिर क्यूं मुकर जाते हैं बेटे, पिता से किये वादों से। होता इनका बस इक सपना, हो खुशहाल कुटुम्ब एक अपना।। घर में मन्दिर एक बन जाये, जिसमें चारों धाम समाये। जिसकी रचना से हम जनम हैं पाये, हर क्षण उसको हैं रुलाये।। बचपन में नन्हे पैरों से हमने जिनको मारा था। जिसने कन्धों पर अपने हमारा भार उठाया था।। जिनके पीठ पर चढ़कर हमने घोड़ा दौड़ाया था। एक समय था तब का वो, जब हम बच्चे कहलाते थे।। एक समय अब आज है आया, जब बूढ़े बाप बच्चे कहलाते हैं। बचपन से जिनकी छाया में, हम हैं पले बढ़े हुए।। अब है अपने पिता की बारी, पर हम नासमझ हैं बने हुए। चार दिनों की खुशियाँ लेकर, बेटों को सब दे जायेंगे।। पाकर अपने बच्चों का प्यार, स्वर्ग को प्राप्त कर जायेंगे। आओ कर लें प्यार पिता से, बूढ़े तन के इस ढाँचे को।। चन्द रोज के इस माया से, इक दिन पिता मुक्त हो जायेंगे। जिस दिन पापा छोड़ के जायेंगे, आँखों में असंख्य आँसू दे जायेंगे ।। @उल्फ़त-ए-ज़िन्दग़ी पिता जी
Vikash Sharma
पिता जी हैं वो, वो पीते हैं, बच्चों की तकलीफ, वो जीते हैं, बच्चो की कामयाबी के सपने, वो छाता होते हैं, परेशानियों की बारिश में, वो जूता होते हैं, रास्ते के काटों में, वो घर का ताला होते हैं, अंधेरी रातों में, वो दिन रात बच्चों के लिए कमाते हैं, खुद के लिए वो अक्सर, वख्त नहीं निकाल पाते हैं, वो चाहते हैं देखना, हमेशा बच्चों को हंसते, वो हमेशा ढूंढने में लगे रहते हैं, बच्चों के लिए आसान रसते, उनकी बस ये पहचान होती है, बच्चों में छिपी उनकी जान होती है, बच्चों की जिंदगी आसान बनाने में लगे रहते हैं, मगर उनकी जिंदगी कहां आसान होती है, ©Dr Vikash Sharma # पिता जी